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रायपुर. विधान सभा के मानसून सत्र के दौरान प्रश्नकाल में आज नेता प्रतिपक्ष टीएस सिंहदेव ने आदिवासियों की जमीन गैर आदिवासियों को लीज पर दिए जाने का मामला उठाया. राजस्व मंत्री प्रेम प्रकाश पांडेय से पूछा- मंत्री जी पट्टे की परिभाषा बताएं?
जिसके जवाब में मंत्री प्रेमप्रकाश पांडेय ने कहा- इस मुद्दे पर राजनीति नहीं हो.ये बहुत पहले का कानून है. इस पर नेता प्रतिपक्ष ने कहा- इसे राजनीति से नहीं जोड़ा जाना चाहिए.
::/fulltext::दंतेवाड़ा. एक बार फिर पुलिस और नक्सलियों के बीच मुठभेड़ हुई. इस मुठभेड़ के दौरान तीन नक्सलियों को मार गिराया गया है. इस घटना की पुष्टि कटेकल्याण थाना प्रभारी विजय पटेल ने की है. मुठभेड़ के दौरान पुलिस ने भारी मात्रा में हथियार भी बरामद किया है. वहीं इस कार्रवाई के बीच एक जवान के घायल होने की भी सूचना है.
रायपुर. संविलियन पर कल गाइड लाइन जारी की जाएगी. शिक्षकों के तमाम आशंकाओं पर पूर्ण विराम लग सकता है. शिक्षाकर्मियों के संविलियन की तैयारी के लिए कल 7 जुलाई को दोपहर 2:00 बजे से शाम 4:00 बजे वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए अपर मुख्य सचिव पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग एवं सचिव नगरी प्रशासन विभाग की उपस्थिति में आवश्यक दिशा निर्देश दिया जाएगा.
रायपुर. जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ (जे) के संस्थापक अध्यक्ष अजीत जोगी सात सूत्रीय मांगों को लेकर दिल्ली में जोरदार प्रदर्शन किया. इस प्रदर्शन के दौरान जोगी अपने समर्थकों के मौन जुलूस निकालते हुए पीएम आवास की ओर कूच किये, लेकिन पुलिस ने उन्हें रास्ते में ही रोक दिया गया. इसके बाद पुलिस ने पीएम आवास की ओर निकले जोगी और उसके समर्थक को गिरफ्तार कर लिया. जिसमें अमित जोगी,धरमजीत सिंग, देवव्रत सिंह और अनिल टाह सहित सौ से ज्यादा कार्यकर्ता शामिल थे.
गिरफ्तारी के बाद जोगी ने कहा कि उनके द्वारा मौन जुलूस निकालकर शांतिपूर्ण तरीके से प्रदर्शन किया जा रहा था बावजूद इसके पुलिस ने उन्हें और उनके कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया है. इस बीच जोगी ने राज्य सरकार एवं केंद्र सरकार की कुछ नीतियों एवं निर्णयों का छत्तीसगढ़ की जनता पर विपरीत प्रभाव पड़ने वाला बताया है. जोगी का कहना है कि इन नीतियों एवं निर्णयों के चलते किसान, महिला, युवा, छोटे व्यापारी, पुलिस कर्मी, शिक्षक, मितानिन, आंगनवाड़ी कार्यकर्ता, कोटवार इत्यादि प्रदेश के हर वर्ग के लोग प्रदर्शन करने विवश हैं.
आगे उन्होंने कहा है कि किसी राज्य के मुख्यमंत्री और उनकी सरकार अगर अपना दायित्व निर्वाहन करने में अक्षम और असमर्थ साबित होते हैं, तो विवश जनता राज्यपाल और उसके बाद देश के प्रधानमंत्री के पास अपनी समस्याओं को लेकर जाती है. और यही कारण है कि आज वे जनता की समस्यों को लेकर प्रधानमंत्री को ज्ञापन सौपने जा रहे थे. जोगी ने ज्ञापन के माध्यम जिन सात सूत्रीय मांगों का उल्लेख किया है वह इस प्रकार है.
1) 2013 के वादे अनुसार के किसानों को 2100 रुपये समर्थन मूल्य और बक़ाया ३ साल का ₹300 बोनस दिया जाए। जब भाजपा शासित महाराष्ट्र एवं उत्तर प्रदेश में ऋण माफी की जा सकती है तो छत्तीसगढ़ के किसानों के साथ सौतेला व्यवहार न किया जाए। किसान आत्महत्या की बढ़ती घटनाओं को देखते हुए तत्काल ऋण माफ भी किया जाना चाहिए।
2) छत्तीसगढ़ सरकार की आउटसोर्सिंग नीति पर तत्काल रोक लगाई जाए। स्थानीय भर्तियों में छत्तीसगढ़ के स्थानीय युवाओं को 90% आरक्षण मिले। साथ ही कपड़ा धुलाई, दूध सप्लाई, मछली पालन आदि पाराम्परिक कार्य एवं जाति वर्ग से संबंधित ठेके दिल्ली, नागपुर, हैदराबाद और गुजरात की कंपनियों को न देकर छत्तीसगढ़ के धोबी समाज, यादव समाज एवं केंवट समाज के लोगों को दिये जायें।
3) छत्तीसगढ़ के 40 हज़ार परिवारों एवं संरक्षित जनजातियों को नष्ट कर रहे पोलावरम बांध के कार्य पर तत्काल रोक लगाई जाए। प्रभावित क्षेत्र में केंद्रीय पर्यवेक्षकों की उपस्थिति में सर्वप्रथम जनसुनवाई कराई जाए, उनको बोलने का अवसर दिया जाए और उनको सुना जाए।
4) नगरनार इस्पात संयंत्र के निजीकरण पर रोक लगाए केंद्र सरकार। निजीकरण का निर्णय बस्तर के लोगों के साथ धोखा है। बस्तरिया युवाओं को एनएमडीसी नगरनार संयंत्र में रोजगार में प्राथमिकता दी जाए।
5) महानदी, इंद्रावती और कनहर नदियों से संबंधित अंतरराज्यीय समझौतों में छत्तीसगढ़ के साथ हो रहे अहित को रोका जाए। इन नदियों के पानी पर पहला अधिकार छत्तीसगढ़ के किसानों का है।
6) छत्तीसगढ़ की सम्पूर्ण अर्थव्यवस्था उत्पादन आधारित है जबकि जीएसटी केवल उपभोग पर देय है। इससे छत्तीसगढ़ को हो रहे सालाना ₹ 25 हज़ार करोड़ के नुक्सान की भरपाई केंद्र सरकार द्वारा की जाए।
(7) छत्तीसगढ़ की 35 प्रतिशत से ज्यादा आबादी आदिवासी/ अनुसूचित क्षेत्रों में निवासरत है। उनको सरकार द्वारा अवैधानिक तरीक़े से डीलमिली, नगरनार, घाटबर्रा आदि जगह उनके घरों और ज़मीन से जिस प्रकार बेदख़ल करा जा रहा है, उसका सीधा परिणाम ‘पत्थरगढ़ी’ आंदोलन है। सुदूर अंचलों के लोगों के अस्तित्व पर मँडराते ख़तरे तथा नक्सल समस्या के विकराल रूप को देखते हुए, छत्तीसगढ़ राज्य को “विशेष राज्य” का दर्जा दिया जाए ताकि छत्तीसगढ़ दूसरे विकसित राज्यों के समानांतर विकास कर सके।