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अंतागढ़. यहां के बालक आश्रम में लापरवाही बरतने का मामला सामने आया है. जहां के 50 बच्चों को बीते तीन दिन से नियमित खाना नहीं मिल पा रहा है. जिसके वजह से बच्चों को भूखे पेट रहना पड़ रहा है. जुगाड़ का पोहा खाकर रह रहे है. लेकिन इसके बाद भी उनका पेट नहीं भर रहा है. दरअसल आश्रम के अधीक्षक बीते 8 सितंबर से लापता है. यहां तक की उन्होंने आश्रम में रखे राशन के कमरे का चाभी भी अपने साथ ले गए है. जिसकी वजह से बच्चे जुगाड़ का पोहा खाने को मजबूर है. यहां तक की इस खबर से प्रशासन भी बेखबर है.
पूरा मामला विकासखंड अंतागढ एडानार ग्राम पंचायत के बालक आश्रम का है. यह 50 सीटर बालक आश्रम है. बच्चों को हो रही तकलाफ की जानकारी जब ग्रामीणों को लगी तो तत्काल वो आश्रम पहुंचे और बच्चों से इस बारे में जानकारी ली. बच्चों ने बताया कि अधीक्षक हमेशा ऐसा ही करते है. कभी भी आश्रम से गायब हो जाते है. अधीक्षक की गैर मौजूदगी में भोजन को लेकर परेशान होना पड़ता है.
एडानार सरपंच विरोन पोटाई ने बताया कि गांव में सुबह नवा- खाई कार्यक्रम को लेकर गाँव वालों की बैठक चल रही थी. जहाँ पता चला की बच्चों को तीन दिन से नियमित रूप से भोजन नहीं मिल रहा है. कारण जानने पंचायत स्तर के जनप्रतिनिधि और ग्रामीण हम सब बैठक से उठकर सीधे बालक आश्रम एडानार पहुँचे. जहां पर बच्चे भोजन के समय मे थाली में लेकर पोहा खा रहे थे. अधीक्षक तीन दिन से नदारद है. जिसकी सूचना उसने किसी को नहीं दिया है. बच्चों के लिए राशन जहां रखा गया है वहां ताला लगा है इधर अधीक्षक की गैर मौजूदगी में खाना पकाने वाले कर्मचारी बच्चों को पोहा बनाकर खिला रहे है. इसकी शिकायत हम अंतागढ बीईओ से करेंगे की बीना किसी सूचना के अधीक्षक कैसे नदारद है.
ग्रामीण श्याम लाल जागेश और सुबे सिंह ने बताया कि आश्रम में मीनू अनुसार बच्चों को रोजाना भोजन नहीं मिलता. वहीं जो भोजन मिलता है उसकी मात्रा कम होती है इस वजह से बच्चों का पेट नहीं भर पाता, ऐसी शिकायते आऐ दिन बच्चों से मिलती है. आश्रम संचालन में लापरवाही बरती जा रही है. बता दें कि इस आश्रम में आदिवासी बाहुलय क्षेत्र में बसे गांव एडानार, मंडानार, मसपुर, बडेधौसा, छोटे धोसा, मलेटा सहित कई गाँवों के बच्चे पढ़ते है. ग्रामीणों ने इसकी शिकायत अंतागढ खंड शिक्षा अधिकारी से करने की बात कही है.
::/fulltext::रायपुर. विधानसभा के विशेष सत्र के दूसरे दिन कांग्रेसी नेता बैलगाड़ी में सवार होकर विधानसभा के लिए रवाना हुए है. कांग्रेस पार्टी के नेता कांग्रेस दफ्तर से निकलकर चुके है. सड़कों पर बैलगाड़ी में बैठकर हाथों में पोस्टर लेकर चल रहे है. पेट्रोल और डीज़ल की मूल्यवृद्धि के खिलाफ और किसानों के मुद्दों को उठाने के लिए से इस अनोखे प्रदर्शन का फैसला कांग्रेसियों ने लिया है.
इस दौरान सड़कों पर बैलगाड़ी में जाने के पर बैलों पर भी अत्याचार हुआ है. बैलगाड़ी में सवार होकर जाने के दौरान कांग्रेसी नेताओं के वजह से बैलगाड़ी गिर गया. बैलगाड़ी में भपेश बघेल, टीएसिंह देव, मनोज मंडावी, समेत 15 से अधिक विधायक बैलगाड़ी में बैठकर विधानसभा के लिए रवाना हुए है. कांग्रेसी नेता पेट्रोल और डीजल की बढ़ती महंगाई को लेकर प्रदर्शन कर रहे है.
कांग्रेसी नेता कांग्रेस दफ्तर से अपने हाथों में सरकार के खिलाफ पोस्टर लेकर निकले है. नेता अपने हाथ में कई मुद्दों को लिए नजर आए. कांग्रेस विधानसभा में डेंगू, किसानों को पांच साल का बोनस जैसे मुद्दों पर भी सरकार को घेरेगी. पिछले पांच साल में ये ऐसा पहली बार हुआ है जब कांग्रेस पार्टी बैलगाड़ी में बैठकर विधानसभा पहुंच रही है.
::/fulltext::रायपुर. आज मरवाही विधायक अमित जोगी अहमदाबाद पहुंचे, यहां वे अनशन में बैठे पार्टीदार नेता हार्दिक पटेल से मुलाकात की. इस दौरान उन्होंने कहा कि हार्दिक भाई देश के युवाओं के प्रेरणास्त्रोत हैं. वो निडरता से हिटलरशाही ताकतों का सामना कर रहे हैं. ये लड़ाई अहंकार और अधिकार के बीच है.
अमित जोगी ने कहा कि छत्तीसगढ़ में हमारा और गुजरात में हार्दिक भाई का, मिशन, विज़न और ओपोजिशन एक ही है. जिस तरह हार्दिक भाई गुजरात के स्थानीय पाटीदार युवाओं को आरक्षण देने की मांग कर रहे हैं. उसी तरह हम छत्तीसगढ़ के स्थानीय युवाओं को 90% आरक्षण देने की मांग कर रहे हैं और किसानों के लिए पूर्ण ऋण माफी की मांग कर रहे हैं.
उन्होंने कहा कि हार्दिक अपने लिए नही बल्कि दूसरों के लिए लड़ रहे हैं. देश को हार्दिक पटेल की जरूरत है. जोगी ने उनसे आग्रह किया है कि वे अपने स्वास्थ को देखते हुए अब अपना अनशन समाप्त करें और छत्तीसगढ़ समेत पूरे देश का दौरा करें. जोगी ने हार्दिक को छत्तीसगढ़ की अस्मिता के प्रतीक गुलाबी गमछा और हल चलाता किसान चिन्ह भेंट किया. साथ ही अजीत जोगी का समर्थन पत्र सौंपा.
छत्तीसगढ़ के 30 लाख स्थानीय बेरोजगार युवाओं को रोजगार और भत्ता देने के लिए जोगी एक बहुत बड़े रजिस्ट्रेशन अभियान की शुरुआत 18 सितम्बर को करने जा रहे है. मैंने हार्दिक भाई को छत्तीसगढ़ आने का आग्रह किया है. उन्होंने अपनी हामी भर दी है. इस पर अधिक जानकारी जल्द ही साझा की जाएगी.
बता दें कि पार्टीदार नेता हार्दिक अपने पटेल समुदाय के लिए आरक्षण और किसानों का कर्ज माफ करने की मांग पर अपना अनिश्चितकालीन अनशन जारी रखा है. उनके अनशन का आज 18वां दिन है. उन्हें शुक्रवार को तबीयत बिगड़ने के बाद अस्पताल में भर्ती कराया गया था, लेकिन दो दिन बाद वह अपने घर लौट आए. उनकी भूख हड़ताल अभी भी जारी है.
::/fulltext::गरीबों के मसीहा मुख्यमंत्री डॉक्टर रमन सिंह 2003 में छ्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री बने. उसके बाद जब वनांचल के दौरे पर गए तो कुछ वनवासियों देखकर उनके चेहरे की चिंता बढ़ गई. वनवासियों के चेहरे काफी कुछ कह रहे थे जिसे मुख्यमंत्री ने पढ़ लिया था. वे रात को सो नहीं पाए. रात भर सोचते रहे कि जो चेहरे उन्होंने देखे हैं. उसे बदला कैसे जाए. दरअसल, रमन सिंह ने देखा कि जो आदिवासी छत्तीसगढ़ की पहचान हैं. वो बेहद गरीबी में गुज़र-बसर कर रहा है. उसके पास न तो भरपेट खाने को है न ही पूरा बदन ढंकने को कपड़े.
दरअसल, दिक्कत ये थी कि वनांचल में आमदनी के लिए इनके पास खेती नहीं थी. आमदनी पूरी तरह से वनोपज पर निर्भर रहती थी. वनोपज से लाभ सीमित था. रात भर सोच-विचार करने के बाद रमन सिंह ने वनवासियों की हालत सुधारने के लिए एक बड़ा कदम उठाने का फैसला कर लिया. साल 2004 में रमन सिंह ने अपने सीमित संसाधनों वाले राज्य के वनवासियों के जीवनस्तर को सुधारने के लिए तेंदुपत्ता में बोनस देने का बड़ा ऐलान किया.
2004 में लिए गए इस फैसले वनवासियों की जिंदगी ही बदल दी. बोनस देने का सिलसिला शुरु हुआ तो साल दर साल बढ़ता गया. 2016-17 में रमन सरकार की ओर प्रदेश भर के 14 लाख तेंदूपत्ता संग्राहकों को 2 सौ 74 करोड़ का बोनस दिया गया है.
एक नजर 2016-17 में दिए गए बोनस के आंकड़ें पर
कबीरधाम जिला- मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने अपने गृह जिला कबीरधाम में 22 हजार 3 सौ 47 संग्राहकों को 5.93 करोड़ का बोनस वितरित किया.
राजनांदगांव जिला- वहीं मुख्यमंत्री ने अपने निर्वाचन जिले राजानांदगांव में 21 हजार संग्राहकों को 4.75 करोड़ रुपए की बोनस राशि बांटी.
बिलासपुर जिला-इसी तरह से बिलासपुर में जिला यूनियन में 23 समितियों के 21454 संग्राहकों को 52606705 रूपये और मरवाही यूनियन में 16 समितियों के 17563 संग्राहकों को 29837518.82 रूपये का बोनस दिया गया.
जांजगीर-चांपा जिला- जांजगीर चांपा जिला यूनियन में 7 समितियों के 8059 संग्राहकों को 9351952 रूपये का बोनस दिया गया.
कोरबा जिला- कोरबा यूनियन के 37 समितियों के 13 करोड़ 1 लाख 55 हजार 242
रायगढ़ जिला- रायगढ़ जिले में यूनियन के 53 समितियों के 46 हजार 510 हितग्राहियों को 11 करोड़ 19 लाख 2 हजार 464 रुपए बोनस दिया गया. वहीं धरमजयगढ़ यूनियन में 59 समितियों के 47 हजार 645 हितग्राहियों को 21 करोड़ 4 हजार 519 रुपए दिया गया.
महासमुंद जिला- महासमुंद जिला यूनियन में 94 हजार संग्राहकों को 17.08 करोड़ रुपये का बोनस दिया गया.
बलौदाबाजार-भाटापारा- बलौदाबाजा
कोरिया-सूरजपुर जिला- वहीं कोरिया एवं सूरजपुर जिले के 81 हजार से अधिक संग्राहकों को 24 करोड 62 लाख 10 हजार 691 रूपये की बोनस राशि दी गई.
जशपुर जिला- जशपुर जिले के 24 वनोपज समितियों के 32 हजार 127 संग्राहकों को 5 करोड़ 4 लाख 95 हजार रूपये का बोनस दिया गया.
गरियाबंद जिला- गरियाबंद जिले की 70 प्राथमिक लघु वनोपज सहकारी समितियों के 56 हजार 416 संग्राहकों को 19 करोड़ 10 लाख 82 हजार रूपये का बोनस दिया गया.
धमतरी जिला- वन मण्डल धमतरी की 26 लघु वनोपज सहकारी समितियों के 22 हजार 678 संग्राहकों को 5 करोड़ 14 लाख 95 हजार रूपये का बोनस वितरण किया गया.
बलरामपुर-रामानुजगंज जिला- बलरामपुर-रामानुजगंज और सरगुजा जिले के एक लाख 20 हजार से अधिक तेंदूपत्ता संग्राहकों को 23 करोड़ 85 लाख रूपए से अधिक बोनस राशि का वितरण किया।
नारायणपुर जिला- नारायपुर जिले के 15 हजार तेन्दूपत्ता संग्राहकों को 2 करोड़ का बोनस बांटा गया. कांकेर जिला- एक लाख 06 हजार संग्राहकों को 41 करोड़ 83 लाख की बोनस राशि की सौगात दी गई.
रमन सिंह जानते हैं कि यह प्रदेश वनवासियों का है. यह छत्तीसगढ़ आदिवासियों का है. प्रदेश में वनवासियों की बहुलता है. 32 फीसदी आबादी आदिवासियों की जिदगी अगर खुशहाल नहीं होगी तो विकास का सपना अधूरा रहेगा. ये बोनस सालों से तेंदुपत्ता तोड़कर सरकार को करोड़ो रुपये के राजस्व देने वाले आदिवासियों की जिदगी में खुशहाली के रास्ते में उनकी आर्थिक हालत सबसे बड़ी बाधा थी.
किसी वनवासी के लिए छोटी-छोटी जरूरत पूरा करने की, किसी वनवासी को खेती में तरक्की करने की, किसी वनवासी के लिए बच्चों की अच्छी शिक्षा की, किसी वनवासी के लिए सुंदर घर बनाने की इच्छा थी. लेकिन इन उम्मीदों को पूरा करना आसान कहां था, पारिवारिक भरण-पोषण के साथ जीवन रसमय जीना कठिन जहां था. रमन सरकार ने इसी कठिनाई को दूर करने की शुरुआत की. तेंदूपत्ता संग्राहकों को पारिश्रमिक के साथ बोनस की सौगात दी. जैसे भगवान जीने की आस बढ़ा दी हो. जैसे उम्र बढ़ा दी हो. क्योंकि यह बोनस सिर्फ अर्थ के रूप में पूरी हुई जरूरत की नहीं है, बल्कि यह खुशियों का भी बोनस है. खुशियों के रस से भरा अर्थ का यह बोनस हर साल रमन सरकार तेंदूपत्ता संग्राहकों को देती है.
दरअसल रमन सरकार वनवासियों के लिए कई कल्याणकारी योजनाएं चला रही है. इन्हीं योजनाओं में से एक महत्वपूर्ण योजना है हर साल तेंदूपत्ता संग्राहकों को बोनस देने का. रमन सरकार की इस योजना ने लाखों संग्राहकों की जिंदगी बदल दी है. साल 2003- यह वह वर्ष था जब भाजपा की सरकार बनी थी. डॉ. रमन सिंह की पहली बार मुख्यमंत्री बने थे. छत्तीसगढ नया राज्य था और अब सिर्फ 3 साल ही हुए थे. उनके सामने कम बजट वाले राज्य को विकास की ओर लेने जाने की बड़ी चुनौती थी. लेकिन चुनौतियों के बीच वे वनवासियों की पीड़ा और चुनौतियों को भी देख रहे थे. उन्होंने कम बजट होने के बाद भी वनवासियों को लाभांवित करने का बड़ा फैसला लिया. सच कहे तो सरकार ने जैसा कहा, वैसा किया भी.
राज्य सरकार का ये फैसला कैसे हर साल वनवासियों की ज़िंदगी बदल रहा है. इससे जानने के लिए हमने कुछ लाभार्थियों की ज़िंदगी में झांका.
रामजी की बैल-जोड़ी का बोनस कनेक्शन
जरूरत के समय में अगर आपको कहीं से कोई मदद मिल जाए तो उससे बड़ी कोई चीज नहीं होती. ये मैं इसलिए कह रहा हूँ क्योंकि राजनांदगांव जिले का माओवाद प्रभावित मोहला-मानपुर क्षेत्र वनवासी किसान रामजी के साथ कुछ ऐसा ही हुआ है. दरअसल आर्थिक रूप से कमजोर ग्राम मुरझर के रामजी को अपनी खेती-किसानी के एक बैल-जोड़ी चाहिए थी. लेकिन इसके लिए उसे कर्ज लेना पड़ रहा था जो उनके परिवार के लिए बड़ी चुनौती थी. निवासी रामजी को 40,593 रूपए का बोनस मिला. बोनस पाकर गदगद राम जी ने कहा कि बोनस मिलना तो जैसे आम का आम और गुठली का दाम है. अब मेरी बैल-जोड़ी खरीदने का सपना पूरा हो जाएगा. वहीं बचे हुए पैसे का उपयोग बच्चों के पढ़ाई-लिखाई, भूमि समतलीकरण और कुछ पैसों का उपयोग बड़ी बेटी की षादी में हुई कर्ज चुकाने में करूंगा. यह सपना राज्य सरकार की किसानों के प्रति उदारता और उनके विकास के लिए दूरदृष्टि सोंच का ही परिणाम है. राम जी ने बताया वह और उनके परिवार ने मिलकर इस सीजन में 13 हजार 760 गड्डी तेन्दूपत्ता का संग्रहण किया था. संग्रहित कर फड़ में बेचे गए तेन्दूपत्ता का मूल कीमत तो उन्हें पहले से ही मिल चुका है. राम जी बोनस पाकर काफी उत्साहित है. उन्होंने मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह को बोनस देने के लिए धन्यवाद देते हुए कहा कि गरीबों के हित में सोचने वाले मुख्यमंत्री का शत्-शत् अभिन्दन है.
घर का मरम्मत निर्बाध हुआ
तेंदूपत्ता बोनस सुकमा जिले के छिन्दगढ़ के चिन्तलनार ग्राम में रहने वाले संग्राहक मुचाकी पोदिया के लिए किसी लाटरी से कम नहीं था. बोनस मिलने के बाद इस तेन्दुपत्ता संग्राहक की खुशी देखते ही बन रही थी. मुचाकी पोदिया को बोनस तिहार की राशि 8 हजार 236 रुपए मिलने पर खुशी से उछल पड़ा. उन्होंने बताया कि यह राशि मेरे लिए अतिरिक्त आमदनी है. इससे अब मेरे घर-मरम्मत का कार्य आसानी से हो जाएगा और इसकी चिन्ता दूर हो गई है. इसके लिए बहुत पहले से सोच रहा था लेकिन रुपए की कमी सता रही थी. परिवार में सात सदस्य हैं इस राशि से परिवार के गुजर-बसर सहित घर मरम्मत के कार्य में भी अब कोई परेशानी नहीं आएगी. तेन्दुत्ता संग्राहक पोदिया द्वारा गत वर्ष 2016 में 3 हजार 5 सौ 15 गड्डी तेन्दूपत्ता का संग्रहण किया था. इसके लिए उन्हें अभी 8 हजार 236 रुपए की बोनस राशि प्राप्त हुई है.
बच्चों को पढ़ा लिखा कर बनाएंगे अफसर
सरकार द्वारा तेंदुपत्ता प्रोत्साहन पारिश्रमिक (बोनस) के प्रदान करने से ग्राम एरामंगी निवासी लखमी आरकी ने बहुत खुशी जताई है. बीजापुर जिला मुख्यालय में आयोजित तेंदुपत्ता बोनस तिहार कार्यक्रम में आरकी को 16 हजार 548 रूपये की बोनस राशि प्राप्त हुई. आरकी ने कहा कि बोनस राशि पाकर उसेे जिंदगी को संवारने में बहुत मदद मिलेगी. उसने कहा कि इसका उपयोग घर परिवार के जरूरी कार्यो में कर पाएंगे. इससे हम अपने बच्चों की शिक्षा दीक्षा में भी करेंगे. इसके लिए हमें किसी दूसरे से रूपए धार लेना नहीं पड़ेगा. इस तरह हमें अपने परिवार के सुविधापूर्वक गुजर बसर में बहुत आसानी होगी. आरकी द्वारा गत वर्ष 2016 में तेंदुपत्ता संग्रहण के दौरान 9 हजार 600 गड्डी तेंदुपत्ता संग्रहण किया गया. जिसका आज गुदमा समिति के माध्यम से 16 हजार 458 रूपए का बोनस राशि मिली है.
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