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रायपुर । पट्टे के लालच में जमीन पर कब्जा करने की कोशिश करने वालों को मुख्यमंत्री ने खुली चेतावनी दी है। मुख्यमंत्री ने साफ कह दिया है कि पट्टा उन्ही को मिलेगा, जो 10 साल से 15 साल से उस जमीन पर रह रहे हैं। कवर्धा में नवीन गौ अभ्यारण्य का उदघाटन करने बोड़ला पहुंचे मुख्यमंत्री रमन सिंह ने आज मंच से कहा कि .. “एक बात मैं साफ-साफ बोल देना चाहता हूं, कि जमीन का पट्टा उसी को मिलेगा, जो 10 साल से 15 साल से रह रहे हैं, जो छह महीने-साल भर से रह रहे हैं, यहां के लोगों का हक मारने की कोशिश कर रहे हैं, उनकी कोशिश कामयाब नहीं होगी, मैंने कलेक्टर को बोल दिया है कि जमीन का पट्टा जो यहां सालों से रह रहे हैं, उन्हें ही दिया जायेगा”
प्रदेश के पहले गौ-अभ्यारण्य पर खुशी का इजहार करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि ये एक ऐसा स्थल होगा, जहां गौ माता रहा करेंगी, यहां उनके लिए चारे की व्यवस्था होगी, पानी की व्यवस्था होगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि छत्तीसगढ़ का ये पहला गौ अभ्यारण्य पूरे प्रदेश के लिए एक मॉडल बनेगा। आपको बता दें कि इस गौशाला में घास का भी उत्पादन होगा, वहीं तालाब का निर्माण भी किया जायेगा, साथ ही सौर ऊर्जा का भी प्रबंध किया जायेगा।
::/fulltext::रायपुर । मुख्यमंत्री ने शिक्षाकर्मियों से आह्वान किया है कि उन्होंने संविलियन का अपना वादा पूरा कर दिया, अब वो अपनी जिम्मेदारी निभायें। रमन के गोठ कार्यक्रम में मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने शिक्षाकर्मियों से कहा है कि शिक्षक के रूप में उनका संविलियन करके सरकार ने अपना काम कर दिया है… अब मैं उनसे उनका आव्हान करता हूं कि वे शिक्षा की गुणवत्ता बढ़ाने पर अपना पूरा ध्यान दें और अपनी लगन और मेहनत से संविलियन के फैसले की सार्थकता को साबित करें।
उन्होंने आज की अपनी रेडियोवार्ता को शिक्षाकर्मियों के संविलियन के मुद्दे के साथ-साथ संचार क्रांति योजना और खेती-किसानी से जुड़ी योजनाओं पर विशेष रूप से केन्द्रित किया। डॉ. सिंह ने नये शिक्षा सत्र में स्कूलों में नये प्रवेश लेने वाले सभी बच्चों को बधाई दी। साथ ही शिक्षक बिरादरी से बच्चों के मन में शिक्षा के महत्व और विषय की बारिकियों को अच्छे से बैठाने की अपील करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा-हर स्कूल का वातावरण गुरूकुल की तरह होना चाहिए, जहां शिक्षकों और विद्यार्थियों के बीच आत्मीयता का संबंध हो। डॉ. सिंह ने अभिभावकों से भी निवेदन किया कि वे अपने बच्चों की पढ़ाई-लिखाई, उनके स्वस्थ मनोरंजन, खेल-कूद, स्वस्थ खान-पान और अच्छे संस्कारों के विकास का भी ध्यान रखें।
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में शिक्षा की गुणवत्ता और शैक्षणिक प्रबंधन में एकरूपता लाने के लिए पंचायत शिक्षकों और नगरीय निकाय शिक्षकों का संविलियन अर्थात शासकीयकरण स्कूल शिक्षा विभाग के अंतर्गत निर्णय लिया गया है। पहले चरण में एक लाख 03 हजार ऐसे शिक्षकों का संविलियन किया जाएगा, जिनकी सेवाएं एक जुलाई 2018 को आठ साल पूरी हो चुकी हैं। इसके बाद अगले क्रम में आठ वर्ष पूर्ण करते जाने वाले शिक्षकों का भी भविष्य में संविलियन किया जाएगा। उन्होंने कहा-हमने केबिनेट के निर्णय के सिर्फ 12 दिन के भीतर एक लाख तीन हजार शिक्षक-शिक्षिकाओं का संविलियन आदेश जारी कर दिया, जिससे उन्हें एक जुलाई 2018 से शासकीयकरण का लाभ मिलेगा। इन सभी को अब नियमित शिक्षकों की तरह सातवें वेतन आयोग के समान वेतनभत्ते और अनुकम्पा नियुक्ति, पदोन्नति तथा स्थानांतरण जैसी अन्य सुविधाएं भी मिलेंगी। संविलियन के बाद स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा पदोन्नति की भी कार्रवाई की जाएगी। इनके वेतन में सात हजार रूपए से लेकर 12 हजार रूपए तक वृद्धि होगी। उन्हें भविष्य में प्रधानपाठक और प्राचार्य के पद पर पदोन्नति के अवसर भी मिलेंगे। मुख्यमंत्री ने कहा-संविलियन पर 1346 करोड़ रूपए का अनुमानित व्यय भार आएगा, जिसका प्रबंध विधानसभा में प्रथम अनुपूरक बजट पारित कराते हुए कर लिया गया है। मुख्यमंत्री ने कहा-सरकार ने अपना काम कर दिया है। अब मैं संविलियन किए गए शिक्षकों और शिक्षिकाओं का आव्हान करता हूं कि वे शिक्षा गुणवत्ता बढ़ाने में अपना पूरा ध्यान दें और अपनी लगन और मेहनत से संविलियन के फैसले की सार्थकता को साबित करें।
पहली से दसवीं तक बच्चों को मुफ्त 2.63 करोड़ से ज्यादा पुस्तकें
डॉ. सिंह ने कहा-प्रदेश में शिक्षा व्यवस्था और उसके प्रबंधन के लिए कई निर्णय लिए गए हैं और अनेक बड़े कदम उठाए गए हैं। प्रदेश के सभी संभागीय मुख्यालयों में शिक्षा विभाग के संभागीय कार्यालय भी शुरू किए जाएंगे। पहली से दसवीं कक्षा तक सभी बच्चों को मुफ्त पाठ्यपुस्तकों का वितरण किया जा रहा है। वर्ष 2003-04 में पाठ्यपुस्तकों की सात लाख 27 हजार प्रतियों का वितरण किया गया था। अब इनकी संख्या बढ़कर दो करोड़ 63 लाख से ज्यादा हो गई है। डॉ. सिंह ने कहा-इस वर्ष से राज्य के सभी विकासखण्ड मुख्यालयों और ऐसे नगर निगम क्षेत्रों में, जहां ब्लॉक मुख्यालय नहीं है, वहां 153 प्राथमिक और 152 पूर्व माध्यमिक स्कूलों का संचालन सीबीएसई पैटर्न पर किया जा रहा है। इस वर्ष 129 पूर्व माध्यमिक स्कूलों का उन्नयन हाईस्कूल के रूप में और 130 हाईस्कूलों का उन्नयन हायर सेकेण्डरी में किया गया है। मुख्यमंत्री ने श्रोताओं को बताया कि इस वर्ष 100 उच्चतर माध्यमिक विद्यालयों में कृषि संकाय का संचालन शुरू किया गया है। विद्या मितान के माध्यम तीन हजार विषय-विशेषज्ञ शिक्षकों की व्यवस्था की गई है।
::/fulltext::दंतेवाड़ा। बस्तर आइजी विवेकानंद सिन्हा ने कहा है कि फोर्स के खिलाफ नक्सलियों ने टेक्टिकल काउंटर अफेंस कैंपेन (टीसीओसी) की अवधि बढ़ा दी है। इसके जवाब में फोर्स भी ऑपरेशन मानसून छेड़कर उनका पीछा कर रही है। इसका असर दिखने लगा है। फोर्स की बदली रणनीति से नक्सली लगातार बैकफुट पर जा रहे हैं। शुक्रवार को डब्बा की पहाड़ी पर जवानों ने जांबाजी के साथ तीन नक्सलियों को मार गिराया। यह भी ऑपरेशन मानसून का हिस्सा है। जवानों का मनोबल ऊंचा है। बावजूद उन्हें सतर्कता से ऑपरेशन चलाने और आईईडी से बचने की हिदायत दी जा रही है।
::/introtext::आइजी शनिवार को पुलिस लाइन कारली में मीडिया से चर्चा कर रहे थे। उन्होंने कहा कि नक्सली तकनीक रूप से लगातार अपडेट हो रहे हैं। सर्चिंग के दौरान आइईडी से बचने के तरीके इन्होंने बताए। साथ ही सर्चिंग के दौरान सतर्कता बरतने, एक रूट पर बार-बार आवाजाही न करने आदि के साथ कई महत्वपूर्ण टिप्स दिए। उन्होंने कहा कि अब ग्रामीणों का नक्सलियों से मोहभंग हो रहा है। इस दौरान सीआरपीएफ डीआईजी डीएन लाल, एसपी कमलोचन कश्यप, एएसपी जीएन बघेल, चंद्रमोहन सिंह तथा अन्य अधिकारी मौजूद थे।
दंतेवाड़ा में 14 माह बाद सफलता
आईजी सिन्हा ने कहा कि दंतेवाड़ा में 14 माह बाद बड़ी सफलता मिली है। वर्ष 2016 में काफी मुठभेड़ और आत्मसमर्पण हुए। अप्रैल 2017 के बाद नक्सलियों के खिलाफ कई कार्रवाई हुई। नक्सली मारे गए और घायल भी हुए लेकिन शव बरामद नहीं हुआ था। शुक्रवार को डब्बा पहाड़ी पर मारे गए तीन नक्सलियों में दो अन्य की पहचान माड़वी कोसा व मुचाकी कोसा के रूप में हुई है, जो एक-एक लाख के इनामी हैं। वहीं राकेश उर्फ गंगा पर पांच लाख का इनाम था।
दो नक्सली जंगल में करा रहे इलाज
पुलिस अधिकारियों के अनुसार डब्बा पहाड़ी की मुठभेड़ में नक्सली माड़वी गुड्डी व मुचाकी मंगडू को गोली लगी है, जो जंगल में ही देसी उपचार करा रहे हैं।
::/fulltext::रायपुर. छत्तीसगढ़ माध्यमिक शिक्षा मंडल (माशिमं) ने 10वीं-12वीं बोर्ड परीक्षा में 20 प्रतिशत से कम अंक और 80 प्रतिशत से अधिक अंक पाने वालों के पुनर्मूल्यांकन पर दो साल से लगी रोक का हटा दी है। शनिवार को माशिमं में हुई परीक्षाफल समिति की बैठक में परीक्षाफल समिति के सदस्य संजय जोशी के प्रस्ताव पर सभी सदस्यों ने मुहर लगाई। इस निर्णय से प्रदेश के दो लाख से अधिक दसवीं-बारहवीं के परीक्षार्थियों को राहत मिलेगी। इस मुद्दे को लेकर नईदुनिया ने लगातार खबर प्रकाशित की थी। इसमें बताया था कि किस तरह इस साल 80 फीसद से अधिक अंक पाने वाले विद्यार्थियों का पुनर्मूल्यांकन में लगी बंदिश के कारण टापर बनने का सपना टूट रहा है।
::/introtext::विशेषज्ञों का कहना था कि यदि बोर्ड 21 से 80 के मध्य वाले विद्यार्थियों को पुनर्मूल्यांकन की सुविधा देकर यह मानता है कि उनमें त्रुटि संभावित है फिर मानवीय त्रुटि तो सभी उत्तरपुस्तिकाओं में हो सकती है। इससे 20 प्रतिशत से कम अंक और 80 फीसद से अधिक अंक पाने वाले परीक्षार्थियों को भी उत्तरपुस्तिका को पुनः जांच कराने का अधिकार एवं न्याय अवश्य मिलना चाहिए।
80 फीसद से ऊपर वालों की दोबारा नहीं जांचेंगे कॉपी
माशिमं की परीक्षाफल समिति ने अब 80 प्रतिशत अंक पाने वाले दसवीं-बारहवीं के परीक्षार्थियों की कापी मुख्य परीक्षा में दो बार नहीं जांचने का फैसला लिया है। उनकी कापी एक बार ही जंचेगी और पुनर्मूल्यांकन का मौका दिया जाएगा। गौरतलब है कि 20 प्रतिशत से कम अंक और 80 फीसद से अधिक अंक पाने वाले परीक्षार्थियों के पुनर्मूल्यांकन पर रोक लगाने के बाद माशिमं ने 80 फीसद से अधिक अंक पाने वालों विद्यार्थियों की कापी मुख्य परीक्षा में दो बार जांचने का प्रावधान रखा था।
उत्तर-पुस्तिका फाड़ी, आठ बच्चों का परिणाम शून्य
इस बार आठ बच्चे ऐसे थे जिन्होंने दसवीं-बारहवीं की आंसर पुस्तिका के कुछ पन्ने फाड़ दिये थे। इन परीक्षार्थियों के परिणाम भी रोक दिये गये हैं। परीक्षाफल शून्य कर दिया गया है।
परीक्षाफल समिति में यह प्रस्ताव लाया गया था कि 20 प्रतिशत से कम अंक और 80 फीसद से अधिक अंक पाने वाले परीक्षार्थियों को भी पुनर्मूल्यांकन का अधिकार दिया जाये। इस पर निर्णय लिया गया है अब सभी को पात्रता होगी। - संजय जोशी, सदस्य, परीक्षाफल समिति ,माशिमं
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