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राजस्थान: गांव में उत्सव का माहौल है। लोगों के चेहरे पर खुशियां दिखाई पड़ रही हैं। कोई त्यौहार भी नहीं पर आज का दिन खास है, क्योंकि आज गांव में एक युवक दूल्हा बना है। दरअसल इस गांव के आंगन में पिछले 22 साल से मंडप नहीं लगा, न कोई बारात निकली है। गांव में मूलभूत सुविधाओं की कमी के कारण इस गांव में लोग अपनी बेटी का विवाह नहीं करते थे लिहाजा यहां के दर्जनों पुरुषों का दूल्हा बनने का ख्याब अधूरा रह गया।
धौलपुर जिले के एक राजघाट गांव में 22 साल बाद शहनाई बजी। वही इससे पहले वर्ष 1996 में इस गांव में किसी लड़के का विवाह हुआ था। 40 घरों की आबादी वाले राजघाट में 300 लोग रहते हैं। यहां की महिलाओं ने कभी अपनी जिंदगी में टीवी और फ्रीज तक नहीं देखा। गरीबी का आलम ये है कि दो जून की भरपेट रोटी के लिए किसी भी घर में पैसे नहीं होते हैं।
इस गांव में 1996 के बाद न ही किसी लड़के की शादी हुई और न ही कोई बारात निकली। दरअसल इस गांव में कोई भी अपने बेटे या बेटी रिश्ता लेकर नहीं आता था। यहां के युवा बिना शादी के ही जिंदगी गुजारने पर मजबूर थे लेकिन 22 साल के इस पुराने इतिहास को पवन सिंह नाम के एक शख्स ने बदल दिया। गांव में इतने सालों बाद बारात देखकर लोगों की खुशी का ठिकाना न रहा।
गांव की स्थिति काफी खराब है यहां न तो पीने का पानी है और न ही बिजली व सड़क। जिस कारण इस गांव का नाम सुनते ही लोग अपनी बेटी की शादी करने से मना कर देते थे। बेहद पिछड़े इस गांव के सरकारी स्कूल में केवल एक हैंडपंप है। उससे भी खारा पानी आता है। सरकारी योजनाओं के अवशेष भी इस गांव में दूर-दूर तक नहीं नजर आते।
::/fulltext::रायपुर।बस्तर जिले में सहायक शिक्षक पंचायत से शिक्षक पंचायत के पद पर पदोन्नति में आरक्षण रोस्टर का पालन नहीं किए जाने के मामले में पंचायत विभाग ने जांच टीम गठित कर दी है। पंचायत विभाग के उप सचिव तारण प्रकाश सिन्हा ने जांच दल के गठन का आदेश जारी किया है। इस जांच टीम में चार अधिकारी शामिल हैं, जो 15 दिन के भीतर अपनी रिपोर्ट पंचायत विभाग को सौंपेंगे।
- बस्तर जिले में सहायक शिक्षक पंचायत से शिक्षक पंचायत के पद पर पदोन्नति सूची जारी की गयी थी। उस प्रमोशन की प्रक्रिया में जिला पंचायत ने आरक्षण नियमों का पालन नहीं किया है। आरक्षण का पालन नहीं होने की वजह से कई शिक्षाकर्मी पदोन्नति से वंचित रह गये हैं।
- अनुसूचित जनजाति वर्ग के 156 सहायक शिक्षक इस आरक्षण रोस्टर के पालन न होने की वजह से प्रभावित हुए हैं। वहीं अन्य वर्ग के शिक्षाकर्मियों को भी आरक्षण रोस्टर के पालन न होने की वजह से लिस्ट से बाहर होना पड़ा है।
- आरक्षण नियमों के पालन न होने की वजह से प्रभावित शिक्षाकर्मियों ने दावा आपत्ति दर्ज करायी थी, जिसके बाद एक जांच कमेटी बनी थी। जांच कमेटी ने दावा आपत्ति को जायज माना था। आरक्षण नियमों का पालन नहीं किये जाने को लेकर बस्तर में शिक्षाकर्मियों ने तीखा प्रदर्शन किया था।
टीएस सिंह देव ने लिखा था पत्र
- इस मामले में नेता प्रतिपक्ष टीएस सिंहदेव ने भी मुख्य सचिव अजय सिंह को पत्र लिखकर तत्काल प्रमोशन लिस्ट को रद्द करने की मांग के साथ-साथ आरक्षण नियमों का पालन करते हुए दोबारा से प्रमोशन लिस्ट निकालने की मांग की थी।
- इस मांग के बाद पंचायत विभाग ने जांच टीम गठित कर दी है। जांच टीम में कुरुद के पंचायत सचिव प्रशिक्षण केंद्र के प्राचार्य पीएस ठाकुर, पंचायत विभाग के डिप्टी डायरेक्टर बीएन मिश्रा, पंचायत विभाग के सहायक संचालक दिनेश अग्रवाल और पंचायत विभाग के वरिष्ठ अंकेक्षक टीआर कुर्रे को शामिल किया गया है।
::/fulltext::व्यक्तिगत कामों के लिये सरकारी गाड़ी का इस्तेमाल करने वाले सरकारी अधिकारियों पर नकेल कसने के लिये दिल्ली सरकार ने सभी नौकरशाहों को निर्देश दिये हैं कि वे हर महीने लिखित में यह शपथ पत्र दें कि गाड़ियों का इस्तेमाल सिर्फ सरकारी काम के लिये किया गया है.
यह फैसला तब लिया गया जब सरकार ने पाया कि समाज कल्याण विभाग के कुछ अधिकारी घर से कार्यालय और कार्यालय से घर जाने के लिये सरकारी वाहन का इस्तेमाल कर रहे थे. लेकिन इसके बावजूद वे परिवहन भत्ता का दावा भी कर रहे थे. सभी अधिकारियों को यह लिखित वचन हर महीने की 20 तारीख तक लेखा विभाग को देना होगा.
समाज कल्याण विभाग ने एक आदेश में कहा , ‘‘यह निर्देश दिया जाता है कि सभी अधिकारी जो सरकारी गाड़ी का इस्तेमाल करते हैं उन्हें निश्चित रूप से हर महीने की 20 तारीख तक यह शपथ पत्र देना होगा कि आधिकारिक गाड़ी का इस्तेमाल सिर्फ सरकारी काम के लिये किया गया न कि घर से दफ्तर और दफ्तर से घर आने के लिये.’’
नियमों के मुताबिक स्टाफ कार की सुविधा लेने वाले अधिकारी सरकारी गाड़ी का इस्तेमाल अपने व्यक्तिगत कामों के लिये नहीं कर सकते. अधिकारी ने कहा कि इस शपथ पत्र से यह सुनिश्चित होगा कि अधिकारी सरकारी वाहनों का इस्तेमाल घर से दफ्तर और दफ्तर से घर आने-जाने के लिये न करें.
स्वतंत्रता सेनानी एक्सप्रेस है जो कभी राइट टाइम चलती ही नहीं है. लेट भी होती है तो दस घंटे बारह घंटे और बीस घंटे....
::/introtext::झारखंड के चतरा ज़िले में एक नाबालिग लड़की को बलात्कार के बाद आरोपियों ने उसे ज़िंदा जला दिया है. ये आपके मुल्क की हकीकत है. बेहतर है कि नेताओं के बकवास और झूठ से भरे भाषणों की जगह इन समस्याओं पर बात कीजिए और कुछ कीजिए. ये नेताओं से नहीं होगा. ये किससे होगा पता नहीं. वे झूठ बोलने में दिन रात लगे हैं. एक लड़की को जिंदा जला देना, रेप के बाद. बिहार के जयनगर से चल कर नई दिल्ली आने वाली स्वतंत्रता सेनानी एक्सप्रेस पिछले कई महीनों से कई घंटे की देरी से चल रही थी. जब हमने इस ट्रेन की पिछले दो चार दिनों का रिकॉर्ड देखा तो यह ट्रेन 20 से 30 घंटे की देरी से चल रही थी. हमने कहा कि जब तक यह ट्रेन समय से नहीं चलेगी हम इसका बार बार प्राइम टाइम में ज़िक्र करते रहेंगे. स्वतंत्रता सेनानियों के नाम पर चलने वाली ट्रेन कैसे देर से चल सकती है वो भी 30-30 घंटे की देरी से. लगता है कि प्राइम टाइम का कुछ असर हुआ है. इस ट्रेन की बोगी बिल्कुल नई है. चमचमाती हुई नज़र आती है मगर देरी से चलने के कारण इसमें चलने के लिए कलेजा चाहिए. बहरहाल प्राइम टाइम का असर हुआ है और यह 4 मई के दिन यानी आज जयनगर से समय से चली है. जो ट्रेन 20 घंटे की देरी से खुल रही थी वो आज पहली बार समय से चली है. हमारे सहयोगी प्रमोद गुप्ता का कहना है कि 2011-12 से यह ट्रेन चल रही है मगर आज तक समय से नहीं चली, अब इसकी पुष्टि हम नहीं कर सकते मगर यह हो सकता है कि देरी से चलने के कारण ट्रेन की ऐसी छवि बन गई हो.
जब हमने दो दिन लगातार स्वतंत्रता सेनानी एक्सप्रेस के बारे में विस्तार से चर्चा की तब रेलवे ने फैसला किया कि 4 मई को यह समय से दिल्ली के लिए रवाना होगी. इसके लिए आस-पास के स्टेशनों से बोगियां मंगा कर एक नई रेक यानी बिल्कुल नई रेलगाड़ी बनाई गई, उसे स्वतंत्रता सेनानी एक्सप्रेस का नाम दिया गया. 4 मई की सुबह से ही नई रेक की सफाई होने लगी. फिर उसे दरभंगा से जयनगर के लिए भेजा गया जहां से वह बिल्कुल राइट टाइम दोपहर 2 बजे खुली है. हमारे सहयोगी प्रमोद गुप्ता उस वक्त दरभंगा स्टेशन पर मौजूद थे जब इधर उधर से बोगियां जोड़ कर स्वतंत्रता सेनानी की नई रेक बनाई जा रही थी. यात्रियों को भी सपने जैसा लग रहा था कि वाकई ये ट्रेन राइट टाइम जा रही है. जयनगर से यह ट्रेन राइट टाइम खुली, दरभंगा पहुंची फिर वहां तक आते आते आधे घंटे लेट हो गई. यह ट्रेन रेल राज्य मंत्री मनोज सिन्हा के इलाके से भी गुजरती है. सोचिए इस ट्रेन की क्या हालत है, 3 अप्रैल को दिल्ली से आने वाली ट्रेन 4 मई की दोपहर तक नहीं पहुंची थी. अब जब जयनगर से यह ट्रेन सही समय पर जा रही है तो हैरानी का आलम है.
यही कारण है कि गुरुवार को मुजफ्फरपुर से दिल्ली आ रही एससी बस उलट गई, आग लग गई और बस जल कर खाक हो गई. पहले खबर आई थी कि आग जलने से 12 लोगों की मौत हो गई थी मगर अब जिलाधिकारी ने कहा है कि किसी की मौत नहीं हुई है. प्रधानमंत्री और नीतीश कुमार ने भी श्रद्धांजली दे दी थी. ऐसी बसों का परमिट चेक करना चाहिए. कशिश न्यूज़ चैनल ने रिपोर्ट किया है कि बहुतों के पास नेशनल परमिट नहीं है. इसकी जगह 15 दिनों के लिए टूरिस्ट परमिट ले लेते हैं और एक परमिट पर कई बसें चल रही हैं. आम आदमी को मजबूर किया जा रहा है कि वह असुरक्षित यात्रा करे. उसकी न तो जान की कीमत है और न समय की. उम्मीद है यूपी सरकार, बिहार सरकार बिहार और दिल्ली के बीच चलने वाली बसों की तुरंत जांच करेगी और सख़्त मानक बनाएगी. यह भी जांच करें कि ये बसें किन नेताओं की हैं. ये सारी बसें आनंद विहार से दिल्ली के लिए खुलती हैं.
टीवी में आम लोगों की समस्या गायब होती जा रही है. हवा हवाई बयानों की हवाबाज़ी पर सारा कारोबार चल रहा है. यहां आम आदमी जल कर मर जा रहा है या तो कट कर मर जा रहा है. अब हम एक और ट्रेन की हालत बताते हैं. इसका नाम संपूर्ण क्रांति एक्सप्रेस है. मंगलवार को यह ट्रेन नई दिल्ली से पटना के लिए रवाना होने वाली थी. इसकी जनरल बोगी में इतने यात्री सवार हो गए कि बोगी का सस्पेंशन ही धंस गया और बोगी झुक गई. मेकेनेकिल विभाग ने संपूर्ण क्रांति को चलाने से ही इनकार कर दिया. इसके बाद यात्रियों को ज़बरन उतारा गया फिर ट्रेन पटना के लिए रवाना हुई. आप सोचिए यात्रियों का कितना दबाव बढ़ गया है. रिपोर्ट छप रही है कि कोच में नया बल्ब लग गया, चार्जर लग गया मगर आम लोगों की तकलीफ दूर करने के लिए नया जनरल कोच नहीं लग पाता है.