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नयी दिल्ली . पत्रकारिता छोड़ राजनीति में आए दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के करीबी आशुतोष एक बार फिर से पत्रकारिता में लौट सकते हैं। ताजा जानकारी के मुताबिक, उन्होंने आम आदमी पार्टी (AAP) से इस्तीफा दे दिया है। आशुतोष ने ट्वीट कर अपने इस्तीफे का ऐलान किया था, जिसके जवाब में केजरीवाल ने भी ट्वीट किया और लिखा कि हम आपका इस्तीफा कैसे स्वीकार कर सकते हैं।
::/introtext::सूत्रों की मानें तो उन्होंने कुछ महीने पहले ही आम आदमी पार्टी के संयोजक और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को अपना इस्तीफा सौंप दिया था, लेकिन केजरीवाल ने अभी तक इसे मंजूर नहीं किया है। आशुतोष की बात जैसे ही मीडिया की सुर्खियां बना तो सीएम केजरीवाल ने तत्काल ट्वीट कर कहा है- ‘हम आपका इस्तीफा कैसे स्वीकार कर ले? ना इस जनम में तो नहीं।’
बुधवार सुबह आम आदमी पार्टी के वरिष्ठ नेता और प्रवक्ता आशुतोष ने अपने इस्तीफे को लेकर ट्वीट किया था. ट्वीट में उन्होंने लिखा था कि हर सफर का अंत होता है और आम आदमी पार्टी के साथ मेरा शानदार और क्रांतिकारी सफर आज खत्म हुआ. ऐसा कहते हुए केजरीवाल ने पार्टी से इस्तीफा देने का ऐलान कर दिया.
ट्वीट में आशुतोष ने ये भी लिखा था कि मैंने पार्टी की पार्लियामेंट्री अफेयर्स कमेटी (पीएसी) को इस्तीफा भेज दिया है और उनसे इसे स्वीकार करने की गुजारिश की है. आशुतोष के इस ट्वीट का जवाब देते हुए अरविंद केजरीवाल ने ट्वीट किया और लिखा कि हम आपका इस्तीफा कैसे स्वीकार कर सकते हैं? केजरीवाल ने ये लिखते हुए आगे कहा, ‘ना, इस जनम में तो नहीं.’
::/fulltext::नई दिल्ली (वीएनएस/आईएएनएस)| कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली सरकार के एक मंत्री द्वारा नौकरियों की कमी होने की बात कहने पर सरकार पर निशाना साधा। राहुल ने एक समाचार रिपोर्ट के साथ सोमवार को ट्वीट किया। रिपोर्ट में केंद्रीय सड़क परिवहन एवं जहाजरानी मंत्री ने कहा था कि जब नौकरियां ही नहीं हैं तो आरक्षण कैसे दें?
राहुल ने ट्वीट कर कहा, `बहुत बढ़िया सवाल (नितिन) गडकरी जी। हर भारतीय भी यही सवाल पूछ रहा है। नौकरियां कहां हैं।` राहुल ने यह टिप्पणी गडकरी के उस बयान के बाद की है जिसमें उन्होंने रविवार को महाराष्ट्र में पत्रकारों से कहा था कि आरक्षण रोजगार मिलने की गारंटी नहीं हैं, क्योंकि नौकरियां घट रही हैं।
गडकरी ने सवालिया लहजे में कहा, `चलिए मान लेते हैं कि आरक्षण दे दिया गया, लेकिन नौकरियां नहीं हैं। क्योंकि बैंकों में, आईटी की वजह से नौकरियां घट गई हैं। सरकारी भर्ती रूकी हुई है। नौकरियां कहां हैं?`
उन्होंने यह भी कहा कि आरक्षण के साथ समस्या यह है,`पिछड़ापन राजनीतिक हित बन रहा है। गडकरी ने कहा, `एक सोच यह है कि गरीब गरीब होता है, उसकी कोई जाति, पंथ या भाषा नहीं होती। चाहे कोई भी धर्म हो..सभी समुदायों में एक ऐसा वर्ग है जिसके पास पहनने के लिए कपड़े नहीं है, खाने के लिए कुछ नहीं है।
उन्होंने आगे कहा, `एक विचार यह भी है कि हमें हर समुदाय के गरीब वर्ग का ध्यान रखना चाहिए।
::/fulltext::गुवाहाटी। असम के राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) ने सोमवार को अपना दूसरा और अंतिम प्रारूप कड़ी सुरक्षा के बीच जारी कर दिया। इस ड्राफ्ट के जारी होने के बाद असम में 2.89 करोड़ लोगों को ही देश की नागरिकता मिल पाई है। बचे हुए 40 लाख लोग नागरिकता पाने में असफल रहे हैं। मीडिया के सामने फाइनल ड्राफ्ट जारी करते हुए एनआरसी के स्टेट को-ऑर्डिनेटर प्रतीक हजेला ने बताया कि जिन लोगों को नागरिकता नहीं मिली है उन्हें अपनी बात रखने का मौका मिलेगा।
::/introtext::एनसीआर का ड्राफ्ट सामने आने के बाद इसका विरोध शुरू हो चुका है। संसद में टीएमसी ने संसद में यह मुद्दा उठाते हुए आरोप लगाए की जानबुझकर 40 लाख लोगों को लिस्ट से बाहर किया गया है। पीएम सदन में आकर इस पर बयान दें।
विपक्षी दलों के हंगामे को देखते हुए केंद्रीय गृह राज्यमंत्री राजनाथ सिंह ने लोकसभा में दिए अपने बयान में स्थिति स्पष्ट की। उन्होंने कहा कि यह अंतिम लिस्ट नहीं है बल्कि ड्राफ्ट है। इसके बाद जिन लोगों के नाम इसमें नहीं हैं उन्हें भी अपने दावे-आपत्ति दर्ज करवाने का मौका मिलेगा।
राजनाथ सिंह ने कहा कि अगले महीने से लोग अपने दावे कर सकेंगे जिसके बाद उनके दावों की जांच करके एनसीआर अंतिम लिस्ट देगा। यह पूरी प्रक्रिया सुप्रीम कोर्ट के निर्देशन में हो रही है और इसका सरकार से कोई लेनादेना नहीं है। यह एक संवेदनशील मुद्दा है और इस पर राजनीति ना की जाए।
एनआरसी केंद्र द्वारा जारी की गई लिस्ट यह सभी सेंटर्स पर मिलेगी उसके अलावा एनआरसी द्वारा हेल्पलाइन नंबर्स भी जारी किए गए हैं। राज्य में जारी होने वाले इस फाइनल ड्राफ्ट के जारी होने से पहले राज्य में सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए थे।
बता दें कि इसमें उन सभी भारतीय नागरिकों को शामिल किया गया है, जो राज्य में 25 मार्च, 1971 के पहले से निवास करते थे। यह जानकारी एनआरसी कोआर्डिनेटर प्रतीक हजेला ने दी। बता दें कि एनआरसी का पहला प्रारूप 31 दिसंबर से एक जनवरी के बीच जारी किया गया था। इसमें राज्य में रहने वाले 3.29 करोड़ लोगों में से 1.9 करोड़ को शामिल किया गया था।
उधर, एनआरसी के प्रकाशन को देखते हुए राज्य में सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी गई है। एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी के मुताबिक केंद्र ने एहतियात के तौर पर असम और आसपास के राज्यों में शांति बनाए रखने के लिए अर्धसैनिक बलों की 220 कंपनी भेजी हैं।
वहीं सभी पुलिस अधीक्षकों को जिले में सुरक्षा-व्यवस्था कड़ी करने के निर्देश देने के साथ ही अफवाहों को फैलने से रोकने के सख्त निर्देश दिए गए हैं। बता दें कि कुछ दिनों पहले ही राज्य के मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने एनआरसी के प्रकाशन को देखते हुए एक उच्चस्तरीय बैठक की थी। इसमें सभी अधिकारियों को सतर्क रहने का निर्देश दिया गया था।
दोबारा भी कर सकते हैं आवेदन
मुख्यमंत्री ने जहां अधिकारियों को एनआरसी से संबंधित कोई भी मामला विदेशी न्यायाधिकरण नहीं भेजने के निर्देश दिए हैं, वहीं कोआर्डिनेटर प्रतीक हजेला ने बताया है कि जिनका नाम इसमें शामिल नहीं हो सका है, उन्हें परेशान होने की जरूरत नहीं है। ऐसे सभी लोग सेवा केंद्रों पर मिल रहे फार्म को भरकर 7 अगस्त से 28 सितंबर तक दोबारा आवेदन कर सकते हैं। इसके बाद अधिकारी उन्हें बताएंगे कि क्यों उनका नाम रजिस्टर में शामिल नहीं किया गया। अगले कदम के तौर पर आवेदक को 30 अगस्त से 28 सितंबर तक मिलने वाले फार्म को भरकर फिर से आवेदन करना होगा। उनके इन दावों का उचित सुनवाई के बाद निपटाया जाएगा।
टोल फ्री नंबर जारी किए गए
सभी आवेदक 30 जुलाई से 28 सितंबर तक 10 बजे से लेकर 4 बजे तक सेवा केंद्रों पर जाकर अपना नाम देख सकते हैं। इसके अलावा असम से टोल फ्री नंबर-15107 के माध्यम से और असम के बाहर से 18003453762 के माध्यम से अपना नाम देख सकते हैं। हालांकि इसके लिए उन्हें 21 अंकों की आवेदक संख्या बतानी होगी। इतना ही एनआरसी की वेबसाइट और एसएमएस के माध्यम से भी अपना नाम रजिस्टर में है या नहीं यह जान सकेंगे।
क्या है एनआरसी?
राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर असम में वैध तरीके से रह रहे नागरिकों का रिकॉर्ड है। इसे 1951 की जनगणना के बाद तैयार किया गया था। इसमें यहां के हर गांव के हर घर में रहने वाले लोगों के नाम और संख्या दर्ज की गई। फिलहाल इसमें संशोधन किया जा रहा है।
एनआरसी संशोधन
इसमें उन लोगों का नाम शामिल किया जा रहा है, जिनका नाम 1951 में तैयार हुए एनआरसी में या 24 मार्च, 1971 तक की रात तक निर्वाचन सूची में दर्ज है। या फिर ऐसे किसी सरकारी दस्तावेज में उनका नाम दर्ज हो, जो उन्हें 24 मार्च, 1971 के पहले प्रदान किया गया हो।
::/fulltext::चर्चा इस बात की है कि ऐन चुनाव के पहले डॉ. रेणु जोगी को जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ का प्रत्याशी घोषित किया जाएगा।
रायपुर। छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री एवं जनता कांग्रेस के सुप्रीमो अजीत जोगी की बहू ऋचा जोगी के चुनाव लड़ने की अटकलों पर अब विराम लग गया है। अजीत जोगी खुद राजनांदगांव विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ेंगे। यहां के कैंपेन की कमान उन्होंने ऋचा जोगी को सौंप दी है। अब इस बात की अटकलें शुरू हो गई है कि जोगी परिवार का दूसरा प्रत्याशी डॉ. रेणु जोगी होंगी या फिर, अमित जोगी? हालांकि, इस पर जोगी परिवार ही अंतिम फैसला लेगा। रविवार को अजीत जोगी ने बहू ऋचा जोगी को बेटी संबोधित करते हुए पत्र लिखा है। पत्र में उन्होंने ऋचा को राजनांदगांव विधानसभा क्षेत्र की प्रभारी नियुक्त करते हुए आशीर्वाद व शुभकामनाएं दी हैं। ऋचा जोगी की राजनीतिक पृष्ठभूमि नहीं रही है, इसलिए ऐसी सीट की प्रभारी बनना, उनके लिए बड़ी चुनौती है, जो मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह का विधानसभा क्षेत्र है।
अजीत जोगी कई बार बयान दे चुके हैं कि उनके परिवार से दो लोग चुनाव लड़ेंगे। ऋचा जोगी की पार्टी की गतिविधियों में सक्रियता देखकर यह कहा जाने लगा था कि अमित जोगी और ऋचा जोगी का चुनाव लड़ाया जाएगा। अजीत जोगी पूरी 90 सीटों का दौरा करके पार्टी को जीत दिलाने की कोशिश करेंगे। जोगी ने राजनांदगांव से खुद चुनाव लड़ने की घोषणा करके इस अटकल पर विराम लगा दिया। इसके बाद यह चर्चा होने लगी कि अमित जोगी चुनावी मैनेजमेंट देखेंगे और ऋचा जोगी को मैदान में उतारा जाएगा। अब जोगी ने ऋचा जोगी को राजनांदगांव प्रभारी बनाकर इस अटकल को भी खारिज कर दिया है। जोगी की पत्नी डॉ. रेणु जोगी और पुत्र अमित जोगी बच गए हैं। जोगी के बयान के अनुसार इसमें से कोई एक ही चुनाव लड़ेगा।
पति-पत्नी हो सकते हैं चुनाव मैदान में
जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ पहली बार चुनाव लड़ रही है, वह भी पूरी 90 सीटों पर। ऐसे में जोगी परिवार का एक न एक सदस्य चुनाव प्रबंधन में लगेगा। अब अटकल इस बात की है कि अमित जोगी ही चुनाव प्रबंधन देखेंगे। डॉ. रेणु जोगी अभी कांग्रेस विधायक हैं, लेकिन जोगी खुद कई बार बयान दे चुके हैं कि रेणु जोगी उनकी पत्नी हैं, इसलिए वे समय आने पर साथ आ जाएंगी। रेणु जोगी भी खुद कुछ स्पष्ट नहीं करती हैं। उनका हर बार यही बयान होता है कि वे अभी कांग्रेस में हैं। चर्चा इस बात की है कि ऐन चुनाव के पहले डॉ. रेणु जोगी को जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ का प्रत्याशी घोषित किया जाएगा।
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