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नई दिल्ली: कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी अगले सप्ताह देश के कुछ प्रमुख मुस्लिम बुद्धिजीवियों के साथ बैठक करेंगे जिस दौरान ‘धर्मनिरपेक्षता’ समेत विभिन्न मुद्दे पर विचारों का आदान-प्रदान होगा. पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने बताया, ‘देश में इस समय अल्पसंख्यक विरोधी विमर्श तैयार करने और धर्मनिरपेक्षता शब्द का मजाक बनाने की कोशिश हो रही है. देशहित में इसकी जरूरत है कि सबको साथ लेकर चला जाए और सबसे संवाद किया जाए. ऐसे में राहुल गांधी मुस्लिम बुद्धजीवियों के साथ संवाद का सिलसिला शुरू करने जा रहे हैं.’
::/introtext::उन्होंने कहा, ‘बुद्धिजीवियों के साथ संवाद का यह सिलसिला चलता रहेगा. मुस्लिम बुद्धजीवियों के साथ राहुल गांधी की पहली बैठक बुधवार को होगी.’
राहुल गांधी से मिलेगा 10-12 लोगों का समूह
कांग्रेस नेता ने कहा कि पार्टी के अल्पसंख्यक विभाग के सहयोग के साथ होने वाली इस संवाद बैठक में जो भी प्रमुख सुझाव आएंगे उनको पार्टी आगामी लोकसभा चुनाव के अपने घोषणापत्र में भी जगह देगी. उन्होंने कहा कि एक बार में 10-12 लोगों का समूह राहुल गांधी से मिलेगा.
सूत्रों के मुताबिक राहुल गांधी की ओर से इस बैठक के लिए कुछ प्रमुख मुस्लिम संगठनों के प्रतिनिधियों, सामाजिक क्षेत्र में काम करने वालों, प्रोफेसर और पत्रकार को बुलाया जा रहा है. गौरतलब है कि कुछ महीने पहले ही गांधी ने दलित समाज के बुद्धिजीवियों से मुलाकात की थी.
::/fulltext::नई दिल्ली : पंजाब सरकार द्वारा हर कर्मचारी का डोप टेस्ट कराने के फैसले से राज्य समेत देश की राजनीति में बायनबाजी का सिलसिला शुरू हो गया है. पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने सूबे में नशे के फैलते जाल को खत्म करने के लिए कई बड़े फैसले लिए हैं, जिनमें से एक फैसला यह है कि राज्य के हर सरकारी कर्मचारी का डोप टेस्ट किया जाएगा. और यह डोप टेस्ट साल में एकबार जरूर किया जाएगा. राज्य में नेश के चलते हो रही लगातार मौतों के चलते राज्य सरकार यह कदम उठाया है.
::/introtext::अमरिंदर सिंह के इस फैसले पर खूब राजनीति भी हो रही है. केंद्रीय मंत्री हरसिमरत कौर बादल ने कैप्टन सरकार के इस फैसले पर कटाक्ष किया है. उन्होंने कहा कि इस टेस्ट को जरूर कराना चाहिए लेकिन पहले उन नेताओं को अपना टेस्ट कराना चाहिए, जिन्होंने पंजाब के 70 फीसदी लोगों को नशेड़ी कहा था.
कटाक्ष की इस कड़ी में बीजेपी के वरिष्ठ नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने एक कदम आगे बढ़ते हुए कहा कि पंजाब सरकार को कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी का डोप टेस्ट कराना चाहिए, क्योंकि वे कोकीन का नशा करते हैं.
उन्होंने कहा कि केंद्रीय मंत्री हरसिमरत कौर ने 70 फीसदी पंजाबियों को नशेड़ी कहने वाले कांग्रेस नेताओं पर जो कटाक्ष किया है उनमें कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी शामिल हैं. स्वामी ने कहा कि राहुल गांधी के बयानों को देखकर साफ अंदाजा लगाया जा सकता है कि राहुल अपने होशोहवास में बयान नहीं देते हैं. उन्होंने कहा कि राहुल नशे के आदि हैं.
AAP विधायक ने कराया डोप टेस्ट
पंजाब के आम आदमी पार्टी (आप) के विधायक अमन अरोड़ा ने गुरुवार को मोहाली के एक सरकारी अस्पताल में मादक पदार्थ सेवन का परीक्षण (डोप टेस्ट) कराया. अरोड़ा ने मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह को उदाहरण पेशकर इस तरह का टेस्ट खुद का, अपने कैबिनेट सदस्यों व सत्तारूढ़ कांग्रेस विधायकों का कराने की चुनौती दी.
पंजाब सरकार का बड़ा फैसला, हर सरकारी कर्मचारी का होगा डोप टेस्ट
सुनाम के विधायक अरोड़ा ने कहा कि आम आदमी पार्टी पंजाब में मादक पदार्थों की समस्या पर रोक लगाने के लिए किसी भी प्रगतिशील कदम का समर्थन करेगी. लेकिन, यह बेहतर रहता है अगर मुख्यमंत्री ने खुद का, अपने मंत्रियों व कांग्रेस विधायकों का डोप टेस्ट शुरू किया होता. उन्होंने कहा कि कांग्रेस सरकार जब तक इन गतिविधियों में माफियाओं के साथ शामिल राजनेताओं व पुलिस अधिकारियों से निपटने की प्रतिबद्धता नहीं दिखाएगी, मादक पदार्थ की समस्या पर रोक नहीं लगेगी. आप विधायक की इस पहल का कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मनीष तिवारी ने स्वागत किया है.
लगातार हो रही हैं मौतें
पंजाब में ड्रग्स के ओवरडोज के चलते पिछले एक महीने में कम से कम 30 लोगों की जान चली गई है. इस हालात से निपटने की रणनीति बनाने के लिए मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने सोमवार को कैबिनेट की मीटिंग बुलाई थी. कैबिनेट की बैठक के बाद से पंजाब सरकार लगाताल कड़े फैसले ले रही है.
उज्जैन: मध्य प्रदेश में साल के अंत में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं. देश की दोनों ही मजबूत पार्टियों ने इसकी तैयारियां भी शुरू कर दी हैं लेकिन इस समय प्रदेश कांग्रेस के कुछ नेता चिंता में हैं. प्रदेश के नए अध्यक्ष बनने के बाद से कमलनाथ अभी तक कांग्रेस कमेटी का गठन नहीं कर पाए हैं. कमलनाथ अभी तक सिर्फ पांच पदाधिकारियों की टीम के साथ काम कर रहे हैं. पीसीसी अध्यक्ष बनाए जाने के बाद सांसद कमलनाथ ने कार्यकारिणी भंग कर दी थी, लेकिन दो महीने बाद भी उनकी नई टीम नहीं बन पाई है.
::/introtext::बता दें कि अप्रैल में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कमलनाथ को प्रदेश कांग्रेस कमेटी का अध्यक्ष बनाया गया था. कमलनाथ ने एक मई को पदभार का काम संभाला था. पीसीसी अध्यक्ष बनाए जाने की घोषणा के साथ ही उन्होंने तत्कालीन पीसीसी अध्यक्ष अरुण यादव की कार्यकारिणी को भंग कर दिया था. कमलनाथ की पीसीसी में पहली पांच नियुक्तियां चंद्रप्रभाष शेखर को संगठन प्रभारी उपाध्यक्ष, राजीव सिंह को महामंत्री प्रशासन, गोविंद गोयल को कोषाध्यक्ष, मानक अग्रवाल को मीडिया प्रभारी और पीसीसी अध्यक्ष का मीडिया प्रभारी नरेंद्र सलूजा के रूप में हुई थीं.
कमलनाथ ने अब तक केवल चुनावी समितियां बनाई हैं. कांग्रेस नेताओं को अभी भी प्रदेश कार्यकारिणी में शामिल होने का इंतजार है. हर गुट चुनाव से पहले प्रदेश कांग्रेस कार्यकारिणी में जगह बनाना चाहता है. कमलनाथ के पास गुटीय नेताओं की लंबी चौड़ी लिस्ट पहुंची है. खबर की मानें तो कार्यकारिणी के गठन को लेकर वरिष्ठ नेताओं के बीच कई बार बातचीत हो चुकी है. लेकिन अभी तक आगे की इसकी घोषणा नहीं हुई है.
::/fulltext::नई दिल्ली। विश्व हिन्दू परिषद के पूर्व नेता प्रवीण तोगड़िया आज अपनी नई अंतरराष्ट्रीय हिंदू परिषद पार्टी का ऐलान करेंगे। तोगड़िया लंबे समय से RSS, VHP और नरेंद्र मोदी से नाराज चल रहे थे। इस नाराजगी के पीछे की मुख्य वजह राम मंदिर बताई जा रहा है। तोगड़िया के मुताबिक लोकसभा चुनाव से पहले पीएम मोदी ने लोगों से कई वादे किए थे, लेकिन उन्हें समय पर पूरा नहीं कर सके। जाहिर है तोगड़िया का निशाना अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण को लेकर था। अब तोगड़िया लोकसभा चुनाव में पीएम मोदी को चुनौती देने की योजना पर काम कर रहे है। तोगड़िया पहले ही कह चुके है कि "मैंनें सिर्फ संगठन बदला है, तेवर वहीं है"
बता दें कि प्रवीण तोगड़िया हाल में भाजपा सरकार पर आरोप लगा चुके हैं कि भाजपा चाहती तो राम मंदिर आंदोलन को छोटे स्तर पर शुरू कर सकती है, ताकि दूसरे दलों को हिंदुत्व विरोधी बताकर बहुसंख्यक मत अपने पक्ष में कर सके। सांसद में बहुमत होने के बाद भी भाजपा राम मंदिर पर कानून बनाने के लिए 1989 के अपने पालमपुर प्रस्ताव पर पलटी मार चुकी है। तोगड़िया ने नरेंद्र मोदी सरकार की तीखी आलोचना करते हुए उस पर अपने वादों से पीछे हटने और जनता की अपेक्षाओं पर खरा नहीं उतरने का आरोप लगाया था। उन्होंने मोदी सरकार के प्रदर्शन को माइनस 25 प्रतिशत की रेटिंग देते हुए कहा था कि पीएम की विदेश नीति बेहद दयनीय है।
पीएम को लिखा था इमोशनल लेटर
गौरतलब है कि वीएचपी नेता प्रवीण तोगड़िया ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक पत्र लिखकर उनसे मिलने का वक्त मांगा था। पत्र में तोगड़िया ने पीएम को कई पुरानी बातें भी याद दिलाई हैं। इसमें लिखा है, 'बहुत वक्त से हम दोनों का दिल से संवाद नहीं हुआ, जो 1972 से 2005 तक होता रहा था। समय-समय पर देश के, गुजरात के और आपके भी जीवन में जो प्रश्न उपस्थित हुए, उनपर हम दोनों ने साथ रहकर बहुत काम किया। हमारे घर, ऑफिस में आपका आना, साथ में भोजन, चाय ठहाके लगाकर हंसना । मुझे विश्वास है आप कुछ भी नहीं भूले हो। 'पत्र में लिखा है,'सत्ता मिलने के साथ आपने हमसे और मूल विचारधारा से ही दूरी बना ली फिर भी हमारे दिल में आज भी वही संवाद की उम्मीद है और इसलिए यह पत्र लिख रहा हूं।' पत्र में आगे लिखा है कि वह अयोध्या में राम मंदिर, गोवंश हत्या बंदी का राष्ट्रीय कानून, समान नागरिक संहिता, जम्मू कश्मीर में धारा 370 और धारा 35ए हटाने सहित करोड़ों किसानों और मजदूरों के विषय पर चर्चा करना चाहते हैं।
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