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नई दिल्ली: केंद्र में सत्ताधारी मोदी सरकार के खिलाफ आए अविश्वास प्रस्ताव पर शुक्रवार (20 जुलाई) को चर्चा और वोटिंग होगी. मोदी सरकार के सवा चार साल में पहली बार विपक्ष अविश्वास प्रस्ताव लाया गया है. सरकार के पास बहुमत के आंकड़े से ज्यादा नंबर है, इसलिए सरकार को गिराना विपक्ष के लिए मुश्किल है, जिसका सबसे बड़ा कारण सदन में बीजेपी के सांसदों की संख्या है. साल 2008 में सीपीएम मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाई थी. ये प्रस्ताव अमेरिका के साथ हुए परमाणु समझौते की वजह से लाया गया था. हालांकि, कुछ वोटों के अंतर से यूपीए की सरकार गिरने से बच गई. अब मोदी सरकार के खिलाफ टीडीपी और विपक्षी अन्य विपक्षी पार्टियां अविश्वास प्रस्ताव लाई हैं.
::/introtext::क्या है अविश्वास प्रस्ताव
अविश्वास का प्रस्ताव एक संसदीय प्रस्ताव है, जिसे विपक्ष द्वारा संसद में केंद्र सरकार को गिराने या कमजोर करने के लिए रखा जाता है. यह प्रस्ताव संसदीय मतदान (अविश्वास का मतदान) द्वारा पारित या अस्वीकार किया जाता है.
अविश्वास प्रस्ताव के लिए होने चाहिए इतने सांसद
सरकार के खिलाफ अविश्वास का प्रस्ताव तभी लाया जा सकता है, जब इसे सदन में करीब 50 सांसदों का समर्थन प्राप्त हो. मौजूदा स्थिति में मोदी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने के लिए एकजुट हुए सांसदों की संख्या 117 है. ऐसे में सदन में इस प्रस्ताव को पेश करने के लिए पर्याप्त बहुमत है.
प्रस्ताव स्वीकार करने पर ये होगा
अविश्वास प्रस्ताव को पेश करने के बाद इसे लोकसभा अध्यक्ष को स्वीकार करना होगा. यदि स्पीकर की तरफ से इसे मंजूरी मिल जाती है तो, 10 दिनों के अंदर इस पर सदन में चर्चा करनी होगी. चर्चा के बाद लोकसभा अध्यक्ष अविश्वास प्रस्ताव के पक्ष में वोटिंग करा सकता है.
पंजाब . आम आदमी पार्टी को लोकसभा चुनाव से पहले बड़ा झटका लगा है। यहां 16 बड़े नेताओं ने पार्टी से एक साथ इस्तीफा दे दिया। इस्तीफा देने वाले इन नेताओं ने राज्य के सह-अध्यक्ष डॉ. बलबीर सिंह पर तानाशाही फैसले लेने का आरोप लगाया है। उनका कहना है कि बलबीर सिंह के फैसलों से ‘राज्य में पार्टी की लोकप्रियता कम हो रही है।’ इस्तीफा देने वालों में पांच जिला अध्यक्ष, छह क्षेत्रीय प्रभारी और दो महासचिव शामिल हैं। पटियाला ग्रामीण सीट के उपाध्यक्ष और प्रभारी करनवीर सिंह तिवाना, महासचिव प्रदीप मल्होत्रा और मंजीत सिद्धू, जालंधर ग्रामीण जिला अध्यक्ष सरवन सिंह, मुक्तसर जिला प्रमुख जगदीप संधू, फाजिल्का जिला अध्यक्ष समरवीर सिद्धू, फिरोजपुर जिला अध्यक्ष मलकीत थींड, समाना हलका प्रभारी जगतार सिंह और चमकौर साहिब हलका चरणजीत सिंह सहित कई अन्य नेता शामिल हैं।
तिवाना ने कहा, ‘राज्य के सह-अध्यक्ष बिना किसी नेता को भरोसे में लिए या किसी से सलाह मशविरा लिए बिना ही पार्टी के फैसले ले रहे हैं। उनके इन कदमों से पार्टी में विरोध पैदा हुआ है।’ पटियाला ग्रामीण जिला प्रमुख पद से ज्ञान सिंह मुंगो को हटाने के विरोध में पार्टी में ये सामूहिक इस्तीफे दिए गए हैं।
साथ ही उन्होंने कहा, ‘मुंगो को बिना कोई कारण बताए हटा दिया गया। साफ छवि वाले ईमानदार मुंगो ने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत बतौर सरपंच की थी। इसके बाद वे एडिशन एडवोकेट जनरल बने और हालही में नाभा बार एसोसिएशन के 18वीं बार अध्यक्ष बने हैं। उन्होंने शिरोमणी अकाली दल और भाजपा के ज्वाइंट और कांग्रेस के उम्मीदवार को मात दी थी। उनकी वफादारी और काम करने की क्षमता पर सवाल ही नहीं उठाए जा सकते।’
जब बलबीर सिंह से संपर्क किया गया तो उन्होंने कहा कि मुझे इन इस्तीफों के बारे में कोई जानकारी नहीं है। इन नेताओं ने आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और पंजाब मामलों के प्रभारी मनीष सिसोदिया को अपनी इस्तीफा भेजा है। हालांकि, अभी तक यह स्पष्ट नहीं हुआ है कि इन नेताओं का इस्तीफा मंजूर कर लिया गया है या नहीं।
::/fulltext::नई दिल्ली : 2019 लोकसभा चुनावों के लिए बीजेपी और कांग्रेस ने कमर कस ली है. अगले साल होने वाले विधानसभा चुनावों के लिए बीजेपी ने अपने स्टार प्रचारकों की लिस्ट पर काम करना शुरू कर दिया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आगामी चुनावों में रैलियों का अर्धशतक लगाने वाले हैं. पीएम मोदी 300 लोकसभा सीटों पर 50 से ज्यादा रैलियां करेंगे.
::/introtext::आत्मविश्वास से भरे हुए हैं पीएम मोदी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से शिक्षक दिवस के अवसर पर कुछ साल पहले जब एक बच्चा ने पूछा था कि क्या वो भी pm बन सकता है. तब PM मोदी ने कहा था कि..2024 तक कोई vaccancy नहीं है. यानि 2019 में भी उनकी ही सरकार बनेगी. अब उसे अमली जामा पहनाने की बारी आ गई हैऔर बीजेपी इसके लिये कोई कोर कसर नहीं छोड़ना चाहती.
बीजेपी के चाणक्य ने बुना रैलियों का खाका
2014 को दोबारा दोहराने की पूरी रणनीति बना ली गई है. तभी तो पार्टी के सबसे बड़े चेहरे यानि पीएम मोदी को सियासी रणभूमि में उतार दिया गया है. पार्टी के चाणक्य कहे जाने वाले अमित शाह ने ऐसा ताना बाना बुना है कि फरवरी 2019 तक पीएम मोदी की 50 रैलिया देश के हर कोने को लगभग नाप देगी. सूत्रों के अनुसार फरवरी ,2019 तक पीएम मोदी की 50 रैलिया देश भर में होंगी.
किसान रैलियों पर रहेगा जोर
रणनीति के अनुसार केंद्र सरकार की उप्लब्धधियों को जनता तक आक्रमक तरीके से पहुंचाया जाएगा और इसकी कमान खुद पीएम मोदी ने संभाली है. सूत्रों की मानें तो फरवरी 2019 तक पीएम देश भर में करीब 50 रैली करेंगे. केंद्र सरकार ने खरीफ फसलों के MSP में बढ़ोतरी कर देश के किसानों को बड़ा तोहफा दिया था, अब बीजेपी इसके प्रचार प्रसार को बड़े पैमाने पर करने का मास्टर प्लान बनाई है. इसमें किसान रैलियां भी शामिल है. फ़िलहाल 5 किसान रैलियों की तैयारी हो चुकी है.
पंजाब से होगी रैली की शुरुआत
पहली रैली पंजाब के मुक्तसर में हो चुकी है. 16 जुलाई को बंगाल के मिदनापुर में रैली होनी है. इस मुद्दे पर उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर में इसी महीने 21 तारीख को रैली होगी. इसके अलावा कर्नाटक और ओड़िसा में भी किसान रैली है की जाएगी. जिसकी रूपरेखा तैयार की जा रही है. पीएम के गन्ना किसानों से मुलाकात करने और कैबिनेट द्वारा MSP की मंजूरी दिया जाना उसी रणनीति का हिस्सा रहा है.
पीएम मोदी की राजस्थान, मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में चुनाव प्रचार के दौरान होने वाली रैलियां इन 50 रैलियों से अलग होगी. 4 से 5 लोकसभा मिलाकर एक रैली करने का प्लान है. इस तरह फरवरी, 2019 तक मोदी लगभग 300 लोकसभा सीटों तक प्रचार कर चुके होंगे. इसमें चुनाव वाले राज्यो में होनेवाले प्रचार को भी शामिल कर लिया जाये तब.
ये नेता भी करेंगे 50-50 रैलियां
प्रधानमंत्री मोदी के अलावा बीजेपी राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह, केंद्रीय मंत्री राजनाथ सिंह और नितिन गडकरी भी अलग अलग जगहो पर 50-50 रैली अगले साल फरबरी तक करेंगे. इनके अलावा कुछ बड़े केंद्रीय मंत्रियों के भी रैलियां आयोजित की जाएगी. पार्टी ने इस तरह से रणनीति बनाई है की फरवरी 2019 तक लगभग सभी लोकसभा सीटों तक पंहुचा जाए साथ ही पार्टी के कैडर और समर्थकों में नया जोश भर दिया जाये.