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नई दिल्ली. पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के दीक्षांत समारोह में शामिल होने वाली एक फेक फोटो वायरल हो रही है। इसमें वे आरएसएस कार्यकर्ताओं की तरह ध्वज प्रणाम करते नजर आ रहे हैं। गुरुवार को इस कार्यक्रम के खत्म होने के कुछ देर बाद उनकी बेटी और कांग्रेस नेता शर्मिष्ठा मुखर्जी ने यह फोटो ट्विटर पर शेयर कर कहा- जिसका डर था वही हुआ। मैंने अपने पिता को इस बारे में चेताया था। बता दें कि 6 जून को शर्मिष्ठा ने ट्वीट कर प्रणब को नागपुर न जाने की नसीहत देते हुए कहा था कि अापकी बातें भुला दी जाएंगी, सिर्फ फोटा रहेंगी।
क्या है फेक फोटो में?
-सोशल मीडिया पर जो फोटो वायरल हो रही है उसमें प्रणब मुखर्जी मंच पर सर संघचालक मोहन भागवत के साथ संघ की प्रार्थना के वक्त ध्वज प्रणाम करते नजर आ रहे हैं।
- हरियाणा कांग्रेस आईटी सेल की स्टेट इंचार्ज रुचि शर्मा ने आरएसएस के कार्यक्रम की दो फोटो शेयर कीं। एक में संघ नेताओं के साथ प्रणब दा संघ की टोपी और ध्वज प्रणाम करते नजर आ रहे हैं। रुचि ने इस तस्वीर को फर्जी करार दिया। उन्होंने आरोप लगाता हुए लिखा कि ये कलाकारी भाजपा के आईटी सेल की है।
हकीकत क्या है?
-संघ का दीक्षांत समारोह 7 जून को नागपुर में हुआ। प्रणब मुखर्जी इसमें शामिल हुए।
- संघ की प्रार्थना के दौरान मंच पर वह सीधे खड़े रहे। उस वक्त मोहन भागवत समेत दूसरे संघ के कार्यकर्ता परंपरा के मुताबिक ध्वज प्रणाम की मुद्रा में थे। लेकिन उन्होंने एक बार भी ध्वज प्रणाम नहीं किया।
शर्मिष्ठा ने कहा- मुझे इसी बात का डर था
- शर्मिष्ठा मुखर्जी ने ट्विटर पर लिखा कि जिस बात का डर था, वही हुआ। मैंने पिता को इस बारे में चेताया भी था। संघ के कार्यक्रम के कुछ देर बाद ही भाजपा और संघ द्वारा डर्टी ट्रिक्स का उपयोग किया जा रहा है।
- इससे पहले 6 जून को उन्होंने ट्विटर पर पिता को नसीहत देते हुए कहा था कि आरएसएस भी नहीं मानता है कि आप भाषण में उसकी सोच का बखान करेंगे, लेकिन बातें भुला दी जाएंगी। रहेंगे तो सिर्फ फोटो, जो फर्जी बयानों के साथ प्रसारित किए जाएंगे। नागपुर जाकर आप भाजपा-आरएसएस को फर्जी खबरें प्लांट करने, अफवाहें फैलाने का पूरा मौका दे रहे हैं।"
- बता दें कि उन्होंने यह ट्वीट उस खबर के बाद किया था जिसमें कहा गया कि वे भाजपा ज्वाइन करने वाली हैं।
- बता दें कि पूर्व केंद्रीय मंत्री पी चिदंबरम, जयराम रमेश, सीके जाफर शरीफ समेत 30 से ज्यादा कांग्रेस नेताओं ने प्रणब से संघ कार्यक्रम में नहीं जाने की अपील की थी। इन नेताओं ने पत्र और मीडिया के जरिए मुखर्जी से इस कार्यक्रम से दूर रहने को कहा था।
::/fulltext::नई दिल्ली: कांग्रेस की परंपरा में रचे बसे दिग्गज नेता और पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के एक कार्यक्रम में हिस्सा लेने संघ के मुख्यालय पहुंच गए हैं. नागपुर में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के संस्थापक केबी हेडगेवार की जन्मस्थली पहुंचे प्रणब मुखर्जी का स्वागत संघ प्रमुख मोहन भागवत ने किया. यहां उन्होंने अतिथि पुस्तिका में लिखा हेडगेवार भारत माता के सपूत हैं. संघ के कार्यक्रम में हिस्सा लेने पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी संघ मुख्यालय पहुंचे. प्रणब मुखर्जी के इस कदम पर सियासी हलचल तेज है. कांग्रेस के तमाम नेता इस दौरे के विरोध में बोल रहे हैं. यहां तक कि प्रणब मुखर्जी की बेटी शर्मिष्ठा मुखर्जी ने भी अपने पिता को सख्त नसीहत दे डाली है. गुरुवार शाम प्रणब मुखर्जी संघ शिक्षा वर्ग के तृतीय वर्ष के दीक्षांत समारोह में अपना भाषण देंगे. शाम साढ़े छह उनका भाषण होगा जो करीब 20 मिनट तक चलेगा. इससे पहले मोहन भागवत और भैयाजी जोशी के साथ 15 मिनट तक चाय पर चर्चा होगी.
प्रणब मुखर्जी के भाषण को लेकर उत्सुकता है क्योंकि वो कांग्रेस के नेता रहते कई बार आरएसएस की आलोचना कर चुके हैं. हालांकि संघ में पहली बार ऐसा नहीं हो रहा है. संघ ने ऐसे तमाम लोगों को पहले भी अपने कार्यक्रमों में बुलाया है जिनमें दलित चिंतक दादासाहेब रामकृष्ण और वामपंथी विचारों वाले कृष्णा अय्यर जैसे लोग शामिल हैं.
प्रणब मुखर्जी का कार्यक्रम :
मोहन भागवत, भैयाजी जोशी के साथ चाय पीने का कार्यक्रम. उसके बाद संघ के प्रमुख पदाधिकारियों का प्रणब मुखर्जी से परिचय कराया जाएगा. शाम 6.15 बजे कार्यक्रम स्थल पर पहुंचेंगे. जहां वह संघ शिक्षा वर्ग में हिस्सा लेने पहुंचेंगे.इसके बाद महानगर संघ चालक का प्रस्तावित भाषण. 6.35 बजे प्रणब मुखर्जी अपना भाषण देंगे. यह भाषण करीब 20 मिनट का होगा. आख़िर में आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत स्वयंसेवकों को संबोधित करेंगे. पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के आरएसएस के कार्यक्रम में शामिल होने को लेकर कई कांग्रेस नेताओं के बयान के बाद अब उनके परिजन ने ही इस पर सवाल उठा दिए हैं. प्रणब मुखर्जी की बेटी शर्मिष्ठा मुखर्जी ने कहा कि उनके पिता नागपुर जाकर ‘भाजपा एवं आरएसएस को फर्जी खबरें गढ़ने और अफवाहें फैलाने’ की सुविधा मुहैया करा रहे हैं. उन्होंने कहा कि उनके ‘भाषण तो भुला दिए जाएंगे, लेकिन तस्वीरें (विजुअल्स) रह जाएंगी.’
शर्मिष्ठा ने भाजपा में अपने शामिल होने की अटकलों को भी सिरे से खारिज कर दिया. उन्होंने कहा कि वह कांग्रेस छोड़ने की बजाय राजनीति छोड़ना पसंद करेंगी. दिल्ली कांग्रेस की मुख्य प्रवक्ता शर्मिष्ठा ने अपने पिता को सचेत भी किया कि वह आज की घटना से समझ गए होंगे कि भाजपा का दुष्प्रचार (डर्टी ट्रिक्स) विभाग किस तरह से काम करता है. उन्होंने कहा, 'यहां तक कि आरएसएस कभी यह कल्पना भी नहीं करेगा कि आप अपने भाषण में उनके विचारों का समर्थन करेंगे. लेकिन भाषण को भुला दिया जाएगा और तस्वीरें रह जाएंगी तथा इनको फर्जी बयानों के साथ फैलाया जाएगा.' उन्होंने कहा, 'आप नागपुर जाकर भाजपा/आरएसएस को फर्जी खबरें गढ़ने, अफवाहें फैलाने और इनको किसी न किसी तरह विश्वसनीय बनाने की सुविधा मुहैया करा रहे हैं और यह तो सिर्फ शुरुआत भर है.'
नई दिल्ली। भाजपा जल्द ही माइक्रो ब्लॉगिंग वेबसाइट ट्विटर से दूरी बनाने की योजना पर बड़ी तेजी से काम कर रही है। पार्टी लंबे समय से सरकार के कामकाज का ब्योरा पेश करने और जनता से संवाद के लिए अभी तक ट्विटर का इस्तेमाल करती रही है, लेकिन अब पार्टी नमो एप को जनता तक पहुंचने का मुख्य जरिया बनाना चाहती है। भाजपा ने आगे कदम बढ़ाते हुए सभी नेताओं से कहा है कि चाहे छोटी सी मोर्चा की भी बैठक हो, उसका अपडेट नमो एप पर जरूर जाना चाहिए। पार्टी सूत्रों के मुताबिक पार्टी ने मोर्चा के सभी पदाधिकारियों को संदेश जारी किया है कि अगर कभी भी भाजपा शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों और उप-मुख्यमंत्रियों से मिलते हैं, तो अपडेट के लिए नमो एप का इस्तेमाल किया जाए। पार्टी सूत्रों के मुताबिक इस एप में भाजपा के लोकसभा और राज्यसभा सदस्यों के लिए कई डेडिकेटेड ग्रुप हैं, जिनमें कई ग्रुप के एडमिन तो खुद प्रधानमंत्री मोदी ही हैं। यहां तक कि संसदीय बैठकों में भी प्रधानमंत्री कई सांसदों को नमो एप के इस्तेमाल और उनके मैसेजेज का जबाव देने के लिए जोर देते हैं। सूत्रों के मुताबिक पीएमओ भी क्षेत्रवार भाजपा नेताओं को मिलने वाले फीडबैक पर पैनी नजर रख रहा है।
इसके पीछे एक मुख्य वजह मानी जा रही है कि मोदी सरकार के चार साल पूरे होने पर सभी सांसदों और विधायकों को सरकार की उपलब्धियों को जनता के सामने पेश करने का टास्क दिया गया है। सभी से कहा गया है कि आर्टिकल, वीडियोज और फोटोग्राफ्स के जरिए लोगों तक पहुंचा जाए। नमो एप को 50 लाख से ज्यादा लोगों ने अपने फोन में इंस्टाल कर रखा है और सरकार चाहती है कि उपलब्धियां एप के जरिए भी जनता का सामने पेश हों। टास्क देने का उद्देश्य यह है कि प्रधानमंत्री जानना चाहते हैं कि कौन क्या कर रहा है और किसे कौन सा कार्य सौंपा गया है। सूत्रों के मुताबिक प्रधानमंत्री जानना चाहते हैं कि अपने क्षेत्रों में सबसे लोकप्रिय नेताओं के साथ-साथ विधायकों के प्रदर्शन पर लोग क्या प्रतिक्रिया देते हैं। ताकि आगामी चुनावों में कामकाज और लोगों की प्रतिक्रिया आधार पर टिकट बांटें जाएं। सूत्रों का कहना है कि यह चुनावी साल है और जनता को बताना है कि चार साल में सरकार ने क्या उपलब्धियां हासिल की हैं। और अगर एक पोर्टल पर ही आपको सारे आंकड़े मिल जाएं तो नेताओं को इससे अपने समर्थकों के साथ भी शेयर करने में आसानी होगी।
नई दिल्ली : कैराना लोकसभा सीट पर हुए उप-चुनाव में आरएलडी उम्मीदवार तब्बसुम हसन जीत गई। उनकी जीत के साथ ही यूपी से लोकसभा में 2014 के बाद किसी भी मुस्लिम सदस्य के न होने का 'सूखा' भी समाप्त हो गया है। बता दें कि 2014 लोकसभा चुनाव में देश भर में मोदी लहर थी और इस आम चुनाव में कोई भी मुस्लिम उम्मीदवार उत्तर प्रदेश से नहीं जीत पाया था लेकिन तबस्सुम हसन बीजेपी प्रत्याशी मृगांका सिंह को 44618 मतों से हराकर लोकसभा में यूपी की इकलौती मुस्लिम चेहरा बन गई हैं। तब्बसूम की जीत इसलिए भी महत्वपूर्ण मानी जा रही है क्योंकि 2014 के लोकसभा चुनाव में यूपी में समाजवादी पार्टी ने 14, बहुजन समाज पार्टी ने 19 और कांग्रेस ने नौ मुस्लिम उम्मीदवार खड़े किए थे लेकिन सभी हार गए थे। बता दें कि यूपी की कैराना सीट बीजेपी के बता दें दिवांगत नेता हुकुम सिंह के निधन के बाद खाली हुई थी। इस सीट पर हुए उपचुनाव में बीजेपी ने हुकुम सिंह की बेटी मृगांका को चुनावी मैदान में उतारा था तो वहीं बीजेपी के खिलाफ एकजुट विपक्ष ने आरएलडी की तब्बसुम हसन को अपना समर्थन दिया था।
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