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रायपुर/ बिलासपुर/ दुर्ग/कोरबा/भिलाई.दुर्ग संभागीय संकल्प शिविर में राहुल गांधी ने आरएसएस और भाजपा पर जमकर निशाना साधा। कार्यकर्ताओं से सीधी बात करते हुए राहुल ने कहा कि पीएम ने झूठे वादे कर जीत हासिल की और आज भी लगातार झूठे वादे किए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि देश में अभी सिर्फ 15 अमीरों के लिए सरकार चल रही है। किसान और गरीब पूरी तरह से उपेक्षित हैं। दौरे के दूसरे दिन राहुल ने शुक्रवार को बिलासपुर और दुर्ग में 2 कार्यकर्ता प्रशिक्षण शिविर में शामिल हुए और भिलाई से रायपुर तक 50 किमी लंबा रोड शो किया। उन्होंने दुर्ग में बूथ स्तरीय कार्यकर्ताओं से कहा कि वे पूरे प्रदेश में लोगों के बीच जाकर बताएं कि प्रधानमंत्री मोदी लोगों से झूठे वादे कर रहे हैं। प्रदेश के सीएम भ्रष्ट हैं। एक कांग्रेस कार्यकर्ता के प्रश्न का जवाब देते हुए राहुल ने कहा कि ईवीएम से फर्जी मतदान को लेकर पूरे देश में सवाल उठ रहे हैं। वास्तव में पूरे देश में आरएसएस की सोच और विचारधारा हर जगह काबिज हो गई है। सुप्रीम कोर्ट हो या विधानसभा या फिर प्लानिंग कमीशन, हर जगह आरएसएस ने सिस्टम को कैप्चर कर लिया है। देश के हर सिस्टम पर इसी विचारधारा का दबाव है। राहुल ने कहा कि आमतौर पर जनता न्याय मांगने जजों के पास जाती है लेकिन देश में हाल ये है कि सुप्रीम कोर्ट के चार जज जनता के सामने आकर कह रहे हैं कि उन्हें न्याय नहीं मिल रहा है। कर्नाटक चुनाव में हुए घटनाक्रम का जिक्र करते हुए राहुल ने कहा कांग्रेस रूल्स और रेगुलेशन के साथ चुनाव लड़ती है लेकिन भाजपा और आरएसएस रूल्स रेगुलेशन का पालन नहीं करती।
राहुल ने कहा कि आरएसएस पूरे देश में लोगों को एक-दूसरे से लड़ा रही है। कांग्रेस कार्यकर्ता आरएसएस की विचारधारा को हराएंगे। राहुल ने भाजपा सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि देश के 15 सबसे ज्यादा अमीरों के लिए पूरी सरकार चल रही है। सारी नीतियां और कार्यक्रम इन्हीं के लिए बन रहे हैं। सभी वर्गों से झूठे वादे किए: राहुल ने कहा कि भाजपा ने किसान, मजदूर और गरीब वर्ग के साथ बेरोजगार युवाओं सहित सभी वर्ग के लोगों से झूठे वादे किए। पिछले लोकसभा चुनाव में हर साल 2 करोड़ लोगों को रोजगार देने, हर नागरिक के बैंक अकाउंट में 15 लाख रुपए जमा होने सहित कई बड़े वादे किए गए। ये वादे पूरी तरह झूठे साबित हुए। आम जनता के बीच इस झूठ को उजागर करना कांग्रेस कार्यकर्ताओं का काम है।
छत्तीसगढ़ की 90% सीटों के प्रत्याशी 15 अगस्त तक तय कर देगी कांग्रेस
राहुल बिलासपुर में संभाग के बूथ लेवल के प्रशिक्षित कार्यकर्ताआें से सीधा संवाद करने पहुंचे। बहतराई स्टेडियम में उन्होंने 24 विधानसभाओं के कार्यकर्ताओं से मुलाकात की। एक कार्यकर्ता के सवाल का जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ में 15 अगस्त तक 90 फीसदी सीटों के प्रत्याशियों की घोषणा कर दी जाएगी। माइक डिस्टर्ब होने से संवाद में बाधा पहुंची और कई सवाल राहुल गांधी तक पहुंच नहीं पाए। यहां तक कि कुछ सवालों के जवाब भी कार्यकर्ताओं को पता नहीं चले। बिलासपुर विधानसभा के वीरेंद्र शर्मा ने राहुल गांधी से पूछा कि टिकट कब तक घोषित होंगे? यदि 3 महीने पहले घोषित हुए तो हम वादा करते हैं कि जीत पक्की होगी। राहुल को सवाल समझ में नहीं आया तो उन्होंने दोबारा पूछा। फिर कहा कि छत्तीसगढ़ में 15 अगस्त तक वे 90 फीसदी प्रत्याशियों की घोषणा कर देंगे। इसके लिए पीसीसी प्रेसिडेंट भूपेश बघेल और नेता प्रतिपक्ष टीएस सिंहदेव से कहा है। कार्यकर्ताओं की नहीं सुनी, तो सीएम ही बदल देंगे
एक कार्यकर्ता ने पूछा कि एमएलए, सीएम बनते साथ नेता कार्यकर्ताओँ से बात तक करना पसंद नहीं करते, उनकी सुनते नहीं? राहुल ने कहा कि कांग्रेस का कार्यकर्ता ही हर मोर्चे पर डटा रहता है। बीजेपी जैसी पार्टी के खिलाफ खड़ा होकर लाठी भी खाता है। पार्टी में कार्यकर्ताओं का सम्मान होना चाहिए। उनके मन में कार्यकर्ताओं के लिए बड़ा आदर है। छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सरकार आने के बाद यदि कार्यकर्ताओं की नहीं सुनी गई तो सीएम ही बदल दिया जाएगा। छत्तीसगढ़ में कांग्रेस टूटकर दो धड़ों में बंटने के सवाल पर राहुल ने कहा कि कांग्रेस टूटी नहीं, बल्कि अजीत जोगी ने कांग्रेस छोड़ दी है। वे मौकापरस्त हैं और लड़ाई के समय कांग्रेस छोड़कर चले गए। इसी तरह शंकर सिंह वाघेला ने भी गुजरात में लड़ाई के समय कांग्रेस छोड़ी थी। ऐसे किसी भी अपॉर्चुनिस्ट की कांग्रेस में अब कोई जगह नहीं होगी। बिलासपुर में पत्रकारों से चर्चा करते हुए उन्होंने यह बात कही। जब पूछा गया कि जोगी की पत्नी डॉ. रेणु जोगी आपके साथ मंच पर बैठी थीं, तो उन्होंने कहा कि हम किसी को ह्यूमिलिएट नहीं कर सकते। ये मेरे स्वभाव में नहीं है। रेणु को पार्टी से नहीं निकालना हमारी मानवता है। कांग्रेस की ये परंपरा भी नहीं है। उन्हें पार्टी से न निकालना हमारी मानवता है।
बिलासपुर में मीडिया से बातचीत में कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि छत्तीसगढ़ में कांग्रेस के सभी नेता एकजुट होकर चुनाव लड़ रहे हैं। हमारे नेता थोड़े डिस्टर्ब दिखते हैं, क्योंकि इतने साल बाद भी वे नंदकुमार पटेल के इस तरह चले जाने को वे भूल नहीं पा रहे हैं। हमारा मानना है कि वह एक सोची-समझी राजनीतिक हत्या थी। शरद यादव ने 50 साल कांग्रेस से लड़ाई लड़ी, अब उन्हें लगता है कि हमें साथ होना चाहिए। तो इसमें भी कोई बुराई नहीं है। अच्छी बात ये है कि भाजपा की हाईहैंडेड एप्रोच के कारण उनके साथी उन्हें छोड़ रहे हैं। हम नहीं, उनकी अकड़ ही उन्हें हराएगी। इस अकड़ ने अपने आप हमारा काम आसान कर दिया है। पूरे देश का विपक्ष एक हो चुका है। राहुल ने कहा- मोदीजी देश को भूतकाल में रखना चाहते हैं। यही आसान भी है उनके लिए। किसी से मिलते हैं तो 10 साल पुरानी बात पूछते हैं और उसी पर बात करते हैं। भविष्य क्या है, ये नहीं बताते। भविष्य की बात करेंगे तो युवा रोजगार के लिए पूछेंगे, जो है ही नहीं।
देश की तीन समस्याएं- रोजगार, किसान और देश का बिखराव
अभी हमारे देश में तीन सबसे बड़ी समस्याएं हैं। पहली, गांवों से करोड़ों युवाओं को सपने दिखाकर शहर ले आए। अब उनके लिए कोई रोजगार शहरों में दे नहीं पा रहे। उनके मन में भारी गुस्सा है। शहर से लेकर गांव तक शिक्षा और हेल्थ पर भी काम नहीं कर पाए। दूसरी बड़ी समस्या है कि जिस किसान ने हमें यहां तक पहुंचाया, उसका रोल ही खत्म कर दिया है। वो समझ ही नहीं पा रहा कि अब क्या करें। तीसरी दिक्कत है भाजपा देश को तोड़ रही है। उन्होंने तीन तरह से देश को तोड़ा है। हिंदु-मुस्लिम-सिख में तोड़ा। नॉर्थ और साउथ इंडिया में तोड़ा। यहां माओवादी और आम लोगों में तोड़ रहे हैं। उनकी विचारधारा ही देश को तोड़ने वाली है। एंटीनेशनल हैं वे। एमुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह शुक्रवार को विकास यात्रा के दूसरे चरण में कोरबा जिले में रामपुर विधानसभा के करतला पहुंचे। पूरी तरह चुनावी रंग में नजर आए मुख्यमंत्री ने कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के छत्तीसगढ़ दौरे और कांग्रेस की लगातार हार पर तंज कसते हुए कहा कि क्रिकेट में जो भी टीम हारती है वह अपना कोच बदल लेती है। कांग्रेस भी लगातार चुनाव हार रही है। उसे भी अब कोच बदल लेना चाहिए। राहुल गांधी कार्यकर्ताओं को ट्रेनिंग देने नहीं बल्कि छत्तीसगढ़ का विकास देखने आए हैं।
मुख्यमंत्री दोपहर 12 बजे के अस्थायी हेलीपेड पहुंचे। यहां से कार्यक्रम स्थल पहुंचकर 183 करोड़ 90 लाख के विकास कार्य का लोकार्पण व भूमिपूजन किया। मंच पर प्रभारी मंत्री अमर अग्रवाल, सांसद डॉ. बंशीलाल महतो, हाउसिंग बोर्ड के अध्यक्ष भूपेन्द्र सवन्नी, खाद्य आयोग अध्यक्ष ज्योतिनंद दुबे, पूर्व गृहमंत्री ननकीराम कंवर, भाजपा जिलाध्यक्ष अशोक चावलानी, बनवारीलाल अग्रवाल भी मौजूद थे। मुख्यमंत्री ने कहा कि देश के 75 प्रतिशत हिस्से में कांग्रेस साफ हो गई है। यहां तक अमेठी की सीट भी नहीं बचा सके। जो दिल्ली में रहते हुए दिल्ली की सीट नहीं बचा सका। जिसके हाथ से असम, बिहार, गोवा सीट निकल गई ऐसे कोच को ट्रेनिंग लेने का क्या फायदा। डॉ. सिंह ने कहा कि 22 राज्यों में बीजेपी की सरकार है। लगभग पूरे देश में कमल ही कमल खिल गया है। कांग्रेस पीपीपी (पंजाब, पांडीचेरी परिवार) पार्टी बनकर रह गई है। कांग्रेस की मानसिकता विकास विरोधी है यही वजह है कि लोग भाजपा को मौका दे रहे हैं। हम विकास यात्रा निकाल रहे हैं तो वे विकास ढूंढ रहे हैं। 60-70 वर्षों में कांग्रेस विकास करती तो उसे विकास ढूंढना नहीं पड़ता। जब कांग्रेस की सरकार थी तब यहां भय और आतंक का माहौल था। भूख, भ्रष्टाचार और पलायन था इसलिए जनता ने भाजपा को चुना। उन्होंने कहा कि विकास देखना है तो करतला के लोगों से पूछ लें। कांग्रेस के सारे प्रश्न का जवाब लोगों के पास है। स्वागत भाषण कलेक्टर मो. कैसर अब्दुल हक ने दिया। मंच का संचालन ज्योति शर्मा ने किया। कार्यक्रम में जिला पंचायत अध्यक्ष देवी सिंह टेकाम, पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष शकुंतला कंवर, जनपद अध्यक्ष रेणुका राठिया, टिकेश्वर राठिया, संभाग आयुक्त बिलासपुर टीसी महावर, मुख्यमंत्री के विशेष सचिव मुकेश बंसल, आयुक्त जनसंपर्क राजेश सुकुमार टोप्पो, एसपी मयंक श्रीवास्तव उपस्थित थे।
नई दिल्ली: कर्नाटक में कई टेस्ट पास करने के बाद शनिवार की शाम शाम 4 बजे आखिरी और निर्णायक फ्लोर टेस्ट से पहले ही बीजेपी की येदियुरप्पा सरकार फेल हो गई. येदियुरप्पा सरकार विधानसभा में बहुमत साबित नहीं कर पाई और उससे पहले ही बीएस येदियुरप्पा ने सीएम पद से इस्तीफा दे दिया. इससे पहले कई टेस्ट से गुजर चुकी बीजेपी को उम्मीद थी कि वह इस फ्लोर टेस्ट में भी पास हो जाएगी. बीएस येदियुरप्पा को उम्मीद थी कि वह सदन में बहुमत साबित कर लेंगे, मगर ऐसा नहीं हो सका. वहीं, कांग्रेस को भी इस बात का पूरा यकीन था कि बीजेपी की सरकार धाराशायी हो जाएगी. इस बीच कोर्ट भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. कर्नाटक के साथ-साथ देश की जनता टकटकी लगाए तमाम टेस्ट नतीजों को देखती रही. इस कड़ी में अंतिम टेस्ट आज शाम 4 बजे हुआ, जिसका नतीजा यह सामने आया कि बीजेपी कर्नाटक में बहुमत साबित करने में विफल रही और सीएम येदियुरप्पा को इस्तीफा देना पड़ा. खास बात यह रही कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद इसका सीधा प्रसारण टीवी पर किया गया. तो चलिए जानते हैं कि फ्लोर टेस्ट तक पहुंचने से पहले और किस-किस टेस्ट से गुजरी बीजेपी.
चुनावी रण में घनघोर बयानबाजी और अरोप-प्रत्यारोप के बीच बीजेपी राज्य में हुए 222 विधानसभा सीटों में से 104 सीटों पर कब्जा जमाकर जनता की अदालत में सबसे बड़ी पार्टी साबित हुई. यह पहला टेस्ट था जिसने यह उम्मीद जगाई कि कर्नाटक में बीजेपी की सरकार बन सकती है. इस तरह जनता के टेस्ट में बीजेपी पास हुई.
कोर्ट में भी शपथ ग्रहण को मंजूरी
मामला यहीं नहीं समाप्त होना था. कांग्रेस और जेडीएस शपथ ग्रहण को रोकने की अर्जी के साथ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाने पहुंच गए. सुप्रीम कोर्ट की एक बेंच रात में ही बैठी और इस मामले पर सुनवाई की. मामले की सुनवाई काफी दिलचस्प रही. अगर शपथ ग्रहण हो जाता है तो कोई आसमान नहीं गिर जाएगा. कोर्ट की ऐसी टिप्पणी और पक्ष-विपक्ष की दलीलों के बीच कोर्ट ने शपथ ग्रहण रोकने पर अपनी सहमति नहीं दी. यह तय हुआ कि शपथ ग्रहण होने दी जाए और अगली सुनवाई 18 मई की सुबह 10:30 बजे हो जिसमें कोर्ट के सामने वह पत्र भी रखी जाए जिसके आधार पर राज्यपाल ने बीजेपी नेता बीएस येदियुरप्पा को सरकार बनाने के लिए आमंत्रित किया था. शपथ ग्रहण पर रोक की अपील को खारिज होने के साथ ही बीएस येदियुरप्पा शपथ लेने की बाधाओं को पार कर गए. कोर्ट का यह टेस्ट पास करना येदियुरप्पा की घोषणा को मजबूत कर दिया जिसकी घोषणा परिणाम आने से काफी पहले की गई थी- 'मैं 17 मई को शपथ लूंगा'.
प्रोटेम स्पीकर बना बीजेपी का, कांग्रेस फिर पहुंची कोर्ट
16 मई की रात को शपथ ग्रहण रोकने को लेकर रातभर कर्नाटक की सियासत पर चर्चा होती रही. फिर 18 मई की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने 15 दिन में बहुमत साबित करने की बात को खारिज कर दिया. बीजेपी सात दिन में बहुमत साबित करने की मांग कर रही थी पर कोर्ट को वह भी मंजूर नहीं था. फिर शनिवार 19 मई की शाम 4 बजे सदन में बहुमत साबित करना तय हुआ. अब बात प्रोटेम स्पीकर की आई. इसके लिए एक उम्मीदवार बीजेपी से और एक कांग्रेस से थे जिनके नाम पर चर्चा हुई और बीजेपी नेता केजी बोपैया को राज्यपाल ने प्रोटेम स्पीकर नियुक्त किया. कांग्रेस ने इस पर संदेह जाहिर करते हुए कोर्ट के शरण में चली गई. सुनवाई हुई और कोर्ट ने इस मामले में एक व्यवस्था दी. वह व्यवस्था कांग्रेस को भी मंजूर था. तय हुआ कि सदन की कार्यवाही की लाइव टेलीकास्ट की जाएगी ताकि किसी प्रकार के पक्षपात की गुंजाइश न रहे. और इस प्रकार प्रोटेम स्पीकर के फ्रंट पर भी बीजेपी पास हुई.
कर्नाटक विधानसभा में बहुमत साबित करने से पहले बीजेपी नेता येदियुरप्पा ने सीएम पद से इस्तीफा दे दिया. येदियुरप्पा के इस्तीफे पर तमाम नेताओं ने प्रतिक्रिया दी. आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्र बाबू नायडू ने कहा कि वो सभी लोग जो लोकतंत्र में विश्वास रखते हैं वो इससे खुश हैं. कर्नाटक के पूर्व सीएम सिद्धारमैया ने कहा, भारतीय राजनीति में यह ऐतिहासिक दिन है. सिद्धारमैया ने कहा कि राज्यपाल का फैसला, इस लोकतंत्र पर धब्बा है. सिद्धारमैया ने कहा कि राज्यपाल पर अमित शाह का बहुत दबाव था. उन्होंने कहा कि, येदियुरप्पा के पास फ्लोर टेस्ट के लिए संख्याबल नहीं था. जेडीएस नेता कुमारस्वामी ने कहा कि, वो राज्यपाल की ओर से सरकार गठन करने के लिए निमंत्रण का इंतजार कर रहे हैं. कांग्रेस नेता पी चिदंबरम ने ट्वीट किया कि, जब कठपुतली का खेल दिखाने वाला असफल हो जाता है, तो कठपुतली गिर जाती है, टूट जाती है.
केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने ट्वीट किया कि हम अस्थायी रूप से पराजित हुए हैं, हम मजबूत वापसी करेंगे. कांग्रेस नेता डीके शिवकुमार ने भी ट्वीट किया. उन्होंने कहा कि, कर्नाटक में लोकतंत्र जीता है. संविधान का पालन किया गया है.कांग्रेस पार्टी की तरफ से, मैं उन सभी का धन्यवाद करता हूं जो हमारे साथ खड़े थे. पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी ने ट्वीट कर कहा कि, लोकतंत्र के जीत की बधाई. कर्नाटक को बधाई. देवेगौड़ा जी, कुमारस्वामी जी, कांग्रेस और अन्य को बधाई.कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा कि , हम कांग्रेस, जेडी (एस), स्वतंत्र और बीएसपी के विधायकों को बधाई देना चाहते हैं जिन्होंने केंद्र सरकार द्वारा सभी प्रकार के प्रलोभनों का विरोध किया। वU पार्टी के सिद्धांतों और पार्टी नेतृत्व द्वारा उठाए गए निर्णय के साथ खड़े थे.
::/fulltext::नई दिल्ली: येदियुरप्पा के लिए तीसरी बार भी कर्नाटक में मुख्यमंत्री का कार्यकाल पूरा करना नसीब नहीं हुआ. उन्होंने तीसरी बार सीएम का पद छोड़ दिया. इस बार उनका कार्यकाल सिर्फ ढाई दिन का रहा. इससे पहले के उनके दो कार्यकालों की कुल अवधि तीन साल 71 दिन रही थी. वे कोई भी कार्यकाल पूरा नहीं कर पाए. येदियुरप्पा पहली बार 12 नवंबर, 2007 को कर्नाटक के मुख्यमंत्री बने थे. सीएम बनने के बाद आठवें ही दिन 19 नवंबर, 2007 को उन्हें पद छोड़ना पड़ा था. गठबंधन सरकार में हुए समझौते के अनुसार मुख्यमंत्री पद पर दोनों दलों के नेताओं को बराबर-बराबर वक्त तक सीम पद पर रहना था. समझौते के तहत येदियुरप्पा ने जेडीएस नेता एचडी कुमारस्वामी को फरवरी, 2006 में मुख्यमंत्री बनवा दिया था, लेकिन जब अक्टूबर, 2007 में येदियुरप्पा के मुख्यमंत्री बनने का वक्त आया, तो कुमारस्वामी समझौते से मुकर गए. येदियुरप्पा के दल ने समर्थन वापस ले लिया, और राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू हो गया.
नवंबर, 2007 में राष्ट्रपति शासन खत्म हुआ, जब कुमारस्वामी ने समझौते का सम्मान करने का वचन दिया, और 12 नवंबर, 2007 को येदियुरप्पा पहली बार कर्नाटक के मुख्यमंत्री पद पर विराजमान हुए, लेकिन कुछ ही दिन बाद मंत्रालयों में बंटवारे को लेकर मतभेदों के चलते येदियुरप्पा को 19 नवंबर, 2007 को ही इस्तीफा देना पड़ा. इसके बाद वर्ष 2008 में हुए विधानसभा चुनाव में BJP को शानदार जीत मिली, और येदियुरप्पा 30 मई, 2008 को दूसरी बार कर्नाटक के मुख्यमंत्री बन गए. इस कार्यकाल के दौरान उन पर राज्य के लोकायुक्त ने भ्रष्टाचार के मामलों में उनका नाम लिया, और पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व के ज़ोरदार दबाव की वजह से उन्होंने 31 जुलाई, 2011 को पद से इस्तीफा दे दिया.
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