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कर्नाटक विधानसभा चुनावों के नतीजे आने से पहले कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने कहा था, "जैसी भी परिस्थितियां हों, हमें लड़ना होगा. बीजेपी के लिए ये आसान नहीं होगा." वोटिंग के बाद हंग असेंबली के पूर्वानुमान के बीच कर्नाटक के सीएम सिद्धारमैया यह पहले ही घोषित कर चुके थे कि ज़रूरत पड़ी तो कांग्रेस दलित मुख्यमंत्री बनाने को तैयार है. यह इस बात का पहला संकेत था कि कांग्रेस इस चुनाव में बीजेपी को आसानी से सत्ता नहीं सौंपेगी. जयपुर में एक सेशन के दौरान राहुल गांधी ने कहा था कि सत्ता 'ज़हर का प्याला' है. कांग्रेस अध्यक्ष बनने से पहले तक वे 'सत्ता की भूख' के बजाय 'आदर्शों पर टिके रहने' पर कायम थे. आज राहुल को अहसास हो चुका है कि नतीजों के साथ-साथ पार्टी कार्यकर्ताओं और राजनीति का उत्साह बना रहना ज़रूरी है. साथ ही बीजेपी के खिलाफ मजबूती से खड़ा रहना भी सही है.
सोनिया और राहुल गांधी यह समझ चुके हैं कि कर्नाटक के नतीजे एक अवसर हैं, ताकि विपक्षी पार्टियों को यह संदेश दिया जा सके कि कांग्रेस में अब भी 'लड़ने का जोश' बाकी है. साथ ही बीजेपी के खिलाफ उन्हें एकसाथ आगे आना होगा. कांग्रेस-जेडी (एस) कर्नाटक में भले ही सरकार बनाए या नहीं, लेकिन लोकसभा चुनाव के लिए विपक्ष के सामने एक मजबूत प्रतिद्वंदी ज़रूर तैयार है. अहमद पटेल, गुलाम नबी आज़ाद और अशोक गहलोत के साथ मीटिंग में राहुल गांधी ने कहा कि हमें उनसे लड़ना है. राहुल ने कहा कि बीजेपी किसी भी हालत में जेडी (एस) को सीएम कैंडिडेट बनाने के ऑफर नहीं देगी, जबकि वे यह कर सकते हैं. सूत्रों के मुताबिक, कांग्रेस इसके लिए भी तैयार है कि राज्य में बीजेपी की सरकार बने.
राहुल को उम्मीद हा कि कर्नाटक में उनकी सरकार बनने से विपक्षी पार्टियों में एकजुटता आएगी. अगर उनकी सरकार नहीं बनती तो भी यह विपक्षी पार्टियों को एकजुटता के लिए ज़रूरी होगा. मीटिंग के आखिर में राहुल ने यह भी कहा कि बीजेपी को उनके अंदाज़ में ही जवाब देना होगा. और शायद यही राहुल का नया अंदाज़ है. नियम मत मानो. नए नियम बनाओ. विपक्ष से लड़ो और दिखाओ कि आग अब भी बाकी है. राहुल गांधी के लिए यह लड़ाई अभी शुरू हुई है.
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कर्नाटक विधानसभा चुनाव में बीजेपी का विजय रथ 104 पर रुक गया है. बीजेपी कर्नाटक में बहुमत पाने से सिर्फ 8 सीट पीछे रह गई है. लेकिन ऐसा नहीं है कि कर्नाटक विधानसभा चुनाव में कांग्रेस और जेडीएस की रणनीति ने बीजेपी के चुनावी रथ को रोक दिया है. बीजेपी को जीत से रोकने वालीं ये पार्टियां नहीं बल्कि वोटर को नाराजगी जाहिर करने के लिए मिला अधिकार नोटा (उपरोक्त उम्मीदवारों में से कोई नहीं) है. जी हां, आप बिल्कुल ठीक समझे. बीजेपी की हार वाली 5 सीट तो ऐसी हैं जहां नोटा को हार के अंतर से अधिक वोट मिले हैं. वहीं तीन सीट ऐसी भी हैं जहां नोटा में गए वोट की संख्या बीजेपी की हार के अंतर में मामूली सा ही अंतर है. इन सभी 8 सीट पर नोटा में गए वोट की संख्या अगर जरा भी बीजेपी के पक्ष में हो जाती तो आज कर्नाटक का नजारा ही दूसरा होता.
अगर कर्नाटक चुनाव में नोटा को मिले वोटों की बात करें तो 3.22 लाख हैं. कुल मतदान का 0.9 प्रतिशत वोट नोटा को गया है. इस लिहाज से नोटा कर्नाटक में चौथी सबसे बड़ी पार्टी के रूप में सामने आया है. क्योंकि बीएसपी, आम आदमी पार्टी और सीपीएम सहित कई दूसरी पार्टियों को 0.2 से 0.3 प्रतिशत ही वोट मिले हैं. साल 2013 में उच्चतम न्यायालय के आदेश के बाद नोटा का बटन ईवीएम पर आखिरी विकल्प के रूप में जोड़ा गया था. इस लिहाज से कर्नाटक विधानसभा के चुनाव में इसका इस्तेमाल पहली बार हुआ है. नोटा का मतलब यह है कि मतदाता किसी भी उम्मीदवार को योग्य नहीं पाने की स्थिति में नोटा का बटन दबा सकता है.
हालांकि नोटा को मिले वोट की संख्या सभी उम्मीदवारों को प्राप्त मतों की संख्या से अधिक हो तब भी उस उम्मीदवार को विजयी घोषित किया जाएगा जिसे चुनाव मैदान में उतरे सभी उम्मीदवारों से अधिक वोट मिले हैं. अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में राजनीतक विज्ञान विभाग में प्रोफेसर अब्दुल रहमान का कहना है कि " नोटा में तीन तरह के लोग वोट डालते हैं. पहले वो लोग जिन्हें बीजेपी से नाराजगी थी, लेकिन वो कांग्रेस को वोट नहीं देना चाहते थे. दूसरे वे जिन्हें बीजेपी, कांग्रेस दोनों से नाराजगी है और तीसरे वे जो सभी दलों से नाराज हैं.
::/fulltext::नई दिल्ली: कर्नाटक विधानसभा चुनावों में त्रिशंकु विधानसभा के नतीजे के बाद अब सभी की निगाहें कर्नाटक के राज्यपाल वजुभाई वाला पर टिक गई हैं. राज्य में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) और आनन-फानन में बने कांग्रेस व जेडीएस गठबंधन ने सरकार बनाने का दावा पेश किया है. भाजपा कर्नाटक चुनाव में सबसे बड़ी पार्टी के तौर पर उभरी है लेकिन 224 सदस्यीय विधानसभा में जादुई आंकड़ा हासिल करने में विफल रही है. कर्नाटक के बेंगलुरु में ऑल इंडिया कांग्रेस कमेटी की बैठक बुलाई गई है. इस बैठक में सेक्रटरी केसी वेणुगोपाल और अन्य कांग्रेस विधायक कर्नाटक प्रदेश कांग्रेस कमेटी के कार्यालय बैठक के लिए पहुंचे.
कर्नाटक में बनेगी किसकी सरकार LIVE UPDATES