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कजान (रूस)। अर्जेंटीना और लियोनल मैसी को विश्व कप में आगे बढ़ने के लिए शनिवार को फ्रांस के खिलाफ मैच में अपनी फॉर्म हासिल करनी होगी। फ्रांस की टीम भी विश्व कप में अब तक अपनी पूरी लय में नहीं दिखी है। विश्व कप का पहला प्री क्वार्टर फाइनल मैच रोमांचक होने की उम्मीद है। दोनों ही टीमों ने अब तक उम्मीदों के हिसाब से प्रदर्शन नहीं किया है और उनका विश्व कप में अब तक का सफर एक-दूसरे से अलग रहा है। जहां फ्रांस की टीम ने अपने तीन लीग मैचों में दो में जीत हासिल की और एक मुकाबला ड्रॉ किया, अर्जेंटीना ने केवल एक मैच जीता, एक में बुरी तरह हार गया और एक मुकाबला ड्रॉ खेला।
बड़े उम्र के खिलाड़ियों और टीम में असंतुलन अर्जेंटीना के लिए समस्याएं हैं और यह सब ग्रुप चरण में क्रोएशिया के खिलाफ मुकाबले में साफ-साफ दिखा जब अर्जेंटीना को 0-3 की शर्मनाक पराजय का सामना करना पड़ा। लेकिन मैसी ने पिछले मुकाबले में नाइजीरिया के खिलाफ अपना खाता खोलते हुए टीम की जीत में अहम भूमिका निभाई जो अर्जेंटीना के लिए एक शुभ संकेत हैं। दूसरी तरफ फ्रांस की टीम अब तक अपराजेय रहने के बाद सुस्त दिखी है। स्ट्राइकर एंटोइन ग्रिजमैन अब तक अपने सर्वश्रेष्ठ फॉर्म हासिल करने में नाकाम रहे हैं और मिडफील्ड में टीम की रचनात्मकता अब तक नजर नहीं आई है। टीम के कोच डिडियर डेशचैम्प इस बात पर अटल हैं कि शनिवार को विश्व कप का नॉकआउट दौर शुरू होने के साथ फ्रांस अपनी पूरी लय में आ जाएगा।
::/fulltext::मॉस्को। चार बार की चैंपियन जर्मनी इतिहास की क्रूरता का ऐसा शिकार हुई कि उसे फीफा विश्व कप फुटबॉल टूर्नामेंट के पहले ही दौर में बाहर हो जाना पड़ा। फुटबॉल विश्वकप का 1930 से अब तक का इतिहास गवाह है कि अब तक सिर्फ दो ही देश इटली और ब्राजील चैंपियन बनने के बाद अगले विश्वकप में अपना खिताब बरकरार रखने में कामयाब रहे हैं।
इटली ने 1934 में खिताब जीता और इसे 1938 के विश्वकप में बरकरार रखा। ब्राजील 1958 में चैंपियन बना और फिर 1962 में उसने खिताब पर अपना कब्जा कायम रखा। चैंपियन जर्मनी को अपना खिताब बरकरार रखने के लिए इतिहास की बाधा को पार करना था, लेकिन उसके कदम पहले ही दौर में डगमगा गए और जर्मनी की टीम 1938 के बाद पहली बार पहले ही राउंड में बाहर हो गई। जर्मनी का टूर्नामेंट में बेहद खराब प्रदर्शन रहा और वह तीन मैचों में मात्र दो गोल कर पाई और अपने ग्रुप एफ में चौथे स्थान पर रही।
जर्मनी ने पहली बार 1954 में खिताब जीता लेकिन 1958 के विश्वकप में उसे चौथा स्थान मिला। जर्मनी ने 1974 में दूसरी बार विश्वकप जीता लेकिन 1978 के विश्वकप में जर्मन टीम राउंड-8 में बाहर हो गई। जर्मनी ने 1990 में खिताब हासिल किया लेकिन 1994 में उसे क्वार्टर फाइनल में बाहर हो जाना पड़ा। जर्मनी ने 2014 में खिताब जीता और इस बार पहले राउंड में बाहर हो गई।
विश्व कप के इतिहास में यह छठा मौका है जब चैंपियन टीम पहले दौर में बाहर हुई है। इनमें से चार मौके तो नई शताब्दी की शुरुआत होने पर आए हैं। केवल ब्राजील 2002 में खिताब जीतने के बाद अगले विश्व कप में ग्रुप चरण से आगे गई थी। फ्रांस, इटली, स्पेन और अब जर्मनी चार यूरोपीय ताकतें अपने खिताब के बचाव में पहले दौर की बाधा पार नहीं कर पाईं। विश्वकप में पहली बार चैंपियन बनने का गौरव उरूग्वे ने 1930 में हासिल किया था जो पहला विश्वकप था, लेकिन 1934 में टीम ने विश्वकप में हिस्सा नहीं लिया। इटली 1934 और 1938 में चैंपियन बनी लेकिन 1950 में वह अपने खिताब का बचाव नहीं कर सकी और ग्रुप चरण में बाहर हो गई। वर्ष 1938 के बाद द्वितीय विश्वकप युद्ध के कारण 1942 और 1946 में विश्वकप का आयोजन नहीं हुआ था।
उरूग्वे ने 1950 में विश्व खिताब जीता लेकिन 1954 में उसे चौथा स्थान मिला। ब्राजील ने 1958 और 1962 में लगातार खिताब जीते लेकिन 1966 में उसे ग्रुप चरण में बाहर हो जाना पड़ा। इंग्लैंड ने एकमात्र बार 1966 में विश्वकप जीता लेकिन 1970 में उसे क्वार्टर फाइनल में बाहर हो जाना पड़ा। ब्राजील ने 1970 में खिताब जीता और 1974 में उसे चौथा स्थान मिला।
अर्जेंटीना 1978 में चैंपियन बनने के बाद 1982 में राउंड दो में बाहर हो गया। इटली ने 1982 में खिताब कब्जाया लेकिन 1986 में राउंड-16 में उसकी छुट्टी हो गई। अर्जेंटीना 1986 में चैंपियन बनने के बाद 1990 में उपविजेता रहा। ब्राजील 1994 में चैंपियन बना, लेकिन 1998 में उपविजेता रहा। फ्रांस 1998 में खिताब जीतने के बाद 2002 में ग्रुप चरण में बाहर हो गया।