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आज यानी श्रावण मास की शुक्ल पक्ष की पंचमी को पूरे देश में बड़े ही हर्षोउल्लाश के साथ नाग पंचमी का त्योहार मनाया जा रहा है। यह पर्व सर्पों को समर्पित है। नागपंचमी पर नाग देवता की पूजा के साथ साथ भोलेनाथ की भी पूजा की जाती है। आइए इस पूजा के विषय में विस्तार से जानते हैं।
नाग देवता को सभी सांपों का देवता माना जाता है। नागपंचमी पर इन्हें फल, फूल के अलावा चन्दन का लेप अर्पित किया जाता है। ऐसी मान्यता है कि नागपंचमी पर सापों की पूजा करने से महादेव का आशीर्वाद प्राप्त होता है। कहते हैं नाग देवता शिव जी को पृथ्वी पर धर्म और कर्म में संतुलन बनाने में भी मदद करते हैं।
दोनों ही देवता मनुष्य को हर बुराई से बचाते हैं। इस दिन को गरुड़ पंचमी के नाम से भी जाना जाता है। गरुड़ जो भगवान विष्णु का वाहन है। इस दिन इनकी भी पूजा की जाती है। गरुड़ देव का वर्णन विष्णु पुराण और रामायण में भी मिलता है जिसमें उनका रूप आधा मानव और आधा गरुड़ का है।
सर्वार्थ सिद्धि योग
नागपंचमी पर सर्वार्थ सिद्धि योग होता है। जानकरों के अनुसार यह दिन बहुत ही शुभ होता है। इस दिन की गयी कोई भी पूजा सफल होती है। इसके अलावा नागपंचमी को रुद्राभिषेक के लिए भी शुभ माना जाता है।
सावन के महीने में जो भी त्योहार आता है उस दिन शिव जी की पूजा ज़रूर की जाती है क्योंकि यह पूरा महीना ही उन्हीं को समर्पित होता है।
इस मुहूर्त पर करें नागपंचमी की पूजा
साल 2018 में नागपंचमी की पूजा करने का शुभ समय सुबह 5:54 मिनट से लेकर 8:30 मिनट तक है।
नागपंचमी पूजा विधि
हर पूजा की तरह नागपंचमी की पूजा भी खास विधि के साथ की जाती है, आइए जानते हैं कैसे।
2. फिर शिवलिंग और नाग देवता को दूध चढ़ाएं।
3. एक कटोरे में दूध लेकर नाग देवता के सामने रखें।
4. अब शिवलिंग पर चंदन का टीका लगाएं और नाग देवता को चन्दन का लेप अर्पित करें।
5. फिर शिवजी को और नाग देवता को पुष्प माला अर्पित करें। साथ ही थोड़े और फूल चढ़ाएं।
6. अब प्रसाद के रूप में फल चढ़ाएं और कुमकुम का तिलक और अक्षत लगाएं।
7. अंत में भगवान की आरती करें।
आरती के लिए शुद्ध गाय के घी का दीपक जलाएं। भारत के ज़्यादातर गांवों में आज भी यह परंपरा है कि सापों के ज़हरीले दांत निकालकर उन्हें दूध पिलाया जाता है। हालांकि आजकल डॉक्टर इसे सांपों के सेहत के लिए अच्छा नहीं मानते इसलिए लोग नाग देवता की प्रतिमा को दूध पिलाते हैं।
कालसर्प योग वालों के लिए नागपंचमी
ग्रहों की दिशा और दशा पर यह निर्भर करता है कि जातक की कुंडली में कालसर्प दोष शुभ है या अशुभ।
हमारे पुराणों में इस बात का उल्लेख मिलता है कि कुल मिलाकर 12 प्रकार के सांप होते है। माना जाता है इस दोष के दुष्प्रभाव से बचने के लिए नागपंचमी पर लोग विशेष पूजा करते हैं।
भविष्य पुराण में नागपंचमी
पृथ्वी पर कई जीव हमारे देवी देवताओं का प्रतिनिधित्व करते हैं। जो भी जानवर हमारे भगवान से जुड़ा होता है हम ईश्वर के साथ उनकी भी पूजा करते हैं जैसे गणेश जी की सवारी मूषक है तो हम मूषक राज की भी पूजा करते हैं। शिव जी की सवारी बैल है जो नंदी के नाम से जाने जाते हैं। हम महादेव के साथ साथ इनकी भी आराधना करते हैं।
ठीक इसी प्रकार महादेव को सर्प भी अत्यंत प्रिय है इसलिए नागपंचमी पर सापों के देवता नागदेवता की पूजा की जाती है।
आइए जानते हैं नागपंचमी और सांपों से जुड़ी कुछ रोचक बातें जिनका उल्लेख भविष्यपुराण में मिलता है।
1. भविष्य पुराण के अनुसार नागपंचमी सांपों को अत्यंत प्रिय है। सतयुग में नागलोक में नागपंचमी का त्योहार बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता था। कहते हैं इस दिन जो भी सापों को दूध पिलाता है उसे कभी सांप काटते नहीं है। साथ ही पूरा परिवार सापों से सुरक्षित रहता है।
3. एक कथा के अनुसार एक बार पूरा नागलोक अग्नि में जलने लगा था। उन्हें उस अग्नि के ताप से बचाने के लिए दूध अर्पित किया गया था क्यूंकि उस दिन पंचमी थी इसलिए नागपंचमी पर नागों को दूध अर्पित किया जाता है।
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