Tuesday, 16 September 2025

All Categories

3421::/cck::

दाह संस्‍कार में जलती हुई लाश के सिर पर क्‍यों मारते हैं डंडा, जानिए वजह!....



::/introtext::
::fulltext::

हिंदू रीति-रिवाज में जन्‍म से लेकर मुत्‍यु तक 16 संस्‍कार होते हैं। जिसमें से दाह संस्‍कार को हिंदू धर्म में अंतिम संस्‍कार कहा जाता है। अंतिम संस्‍कार के दौरान एक मृत शरीर को जलाकर इस दुनिया से विदा किया जाता है। अंतिम संस्‍कार के दौरान भी कई तरह की रस्‍मों की अदायगी की जाती है जैसे सिर मुंडवाना, मृत शरीर के चारों तरफ चक्‍कर लगाना और जलती चिता में से लाश की सिर को डंडे से फोड़ना।

 जी हां, हम में से कई लोग तो इस रस्‍म या विधि के बारे में तो जानते ही नहीं होंगे। इस रस्‍म के पीछे भी एक तर्क है जिसके बारे में हम आज जानेंगे कि क्‍यों हिंदू धर्म में जलती चिता में से खोपड़ी या सिर को डंडा से तोड़ा जाता है। 
 
Why do Hindus hit on the head of dead body after cremation?

कपाला मोक्षम की विध‍ि

शास्‍त्रों के अनुसार एक मनुष्‍य के शरीर में 11 द्वार होते हैं। माना जाता है कि आत्‍मा या जिव बह्मरंध्र (मस्तिष्‍क के द्वार ) से शरीर में प्रवेश करती है। जिवा या आत्मा आपके कर्मों के आधार पर इन दरवाजों के माध्यम से शरीर से निकलती है। ब्रह्म रंध्र को शरीर में मौजूद 11 द्वार में से उच्‍च माना गया है। ऐसा माना जाता है कि जो जिव या आत्‍मा सिर से निकलती है वह मोक्ष प्राप्त करके जन्म और मृत्यु के चक्र से मुक्त हो जाती है। इस विधि को 'कपाला मोक्षम' भी कहा जाता है। हालांकि ये विधि गुरु के मार्गदर्शन के बिना हासिल करना एक कठिन काम है। इसलिए मृतक के रिश्तेदारों मृत शरीर का सिर या तो कपाली पर डंडे से मारते हैं।

क्‍यों तीन बार मारा जाता है डंडा

ये एक तरह का रस्‍म है, एक बार जब चिता जल जाती है तो तब कर्ता ( मुखाग्नि देने वाला ) बांस के डंडे से मृत व्‍यक्ति की खोपड़ी पर 3 बार मारता है। क्‍योंकि एक बार में वो आसानी से नहीं टूटती है इसल‍िए 3 बार मारते हैं। जब वो खोपड़ी या कपाली को डंडे से मारकर तोड़ते है तो चिता की गर्मी की वजह से खोपड़ी जल्‍दी टूट जाती है।

आत्‍मा का दुरपयोग होने से बचाने के ल‍िए

इसके अलावा एक तर्क ये भी दिया जाता है कि जब कोई मर जाता है तो सिर को डंडे से मारकर इसल‍िए फोड़ा जाता है वरना जो तंत्र विद्या वाले लोग होते हैं वो व्‍यक्ति के मरने के बाद उसके सिर के फिराक में रहते हैं ताकि इससे वो उसका दुरपयोग कर सके साथ में यह भी कहा जाता है कि इस सिर के द्वारा तांत्रिक उस व्‍यक्ति को अपने कब्‍जे में कर सकता है और उसके आत्‍मा से गलत काम करवा सकता है।
 
क्‍या होता है आत्‍मा का?

शास्‍त्रों में ल‍िखा है कि शरीर मरता है आत्‍मा कभी नहीं मरती। किसी व्‍यक्ति के मरने के बाद आत्‍मा तुरंत किसी अन्‍य गर्भ में प्रवेश कर लेती है। कहते है कि जब कोई आत्‍मा शरीर को छोड़ती है तो वो पूरी तरह धरती को छोड़ नहीं पाती है। कुछ दिन वो अपने प्रियजनों के पास रहती है जब तक कि स्‍वर्ग में अच्‍छी तरह से बस नहीं जाता है।

::/fulltext::

3396::/cck::

नागपंचमी के दिन अपनी राशि के अनुसार नागपूजन किया जाए तो उतने ही विशेष फलों की प्राप्ति होती है.....

::/introtext::
::fulltext::
नागपंचमी पर नागपूजन का विशेष महत्व है, लेकिन अगर इस दिन अपनी राशि के अनुसार नागपूजन किया जाए तो उतने ही विशेष फलों की प्राप्ति होती है। इस बार आप भी नागपंचमी पर करें अपनी राशि के नागदेवता का पूजन और पाएं समस्त समस्याओं से मुक्ति। जानिए अपनी राशि के अनुसार आपको किस नागदेवता का पूजन करना चाहिए -
 
मेष : मेष राशि वाले सभी जातकों को अपनी समस्याओं से छुटकारा पाने के लिए नागपंचमी पर विशेष रूप से अनन्त नाग, नागदेवता का पूजन करना चाहिए। इसी प्रकार -

वृषभ : कुलिक नाग,

मिथुन : वासुकि नाग,

कर्क : शंखपाल नाग,
 
सिंह : पद्म नाग,

कन्या : महापद्म नाग
 
तुला : तक्षक नाग,
 
वृश्चिक : कर्कोटक नाग,
 
धनु : शंखचूर्ण नाग,
 
मकर : घातक नाग,
 
कुंभ : विषधर नाग
 
और मीन राशि वालों को शेषनाग की प्रतिमा की पूजा नाग पंचमी को करनी चाहिए। इससे विशेष फल की प्राप्ति होती है।
 
शुभ भी होता है कालसर्प योग

गरुड़ पुराण के अनुसार नाग पंचमी के दिन नाग देवता की पूजा करने से सुख-शांति की प्राप्ति होती है। राहु को सर्प का मुख और केतु को उसकी पूंछ माना जाता है। जब भी समस्त ग्रह इन दोनों ग्रहों के मध्य में आते हैं तो वह कालसर्प योग कहलाता है। कालसर्प योग शुभ व अशुभ दोनों प्रकार के होते हैं। इसकी शुभता और अशुभता अन्य ग्रहों के योगों पर निर्भर करती है।
 
ज्योतिष टीम के अनुसार जब भी कालसर्प योग में पंच महापुरुष योग, रुचक, भद्र, मालव्य व शश योग, गज केसरी, राज सम्मान योग महाधनपति योग बनें तो व्यक्ति उन्नति करता है। जब कालसर्प योग के साथ अशुभ योग बने जैसे-ग्रहण, चाण्डाल, अशांरक, जड़त्व, नंदा, अंभोत्कम, कपर, क्रोध, पिशाच हो तो वह अनिष्टकारी होता है।
 
ज्योतिष टीम के अनुसार ज्योतिष में 576 प्रकार के कालसर्प योग बताए गए हैं जिनमें लग्न से द्वादश स्थान तक मुख्यत: 12 प्रकार के सर्प योगों में अनंत, कुलिक, वासुकी, शंखपाल, पदम, महापदम, तक्षक, कर्कोटक, शंखनाद, पातक, विशांत तथा शेषनाग शामिल है। कालसर्प योग दोष निवारण के लिए नागपंचमी के दिन सर्प की पूजा करना सर्वाधिक अच्छा रहता है।
::/fulltext::

3361::/cck::

तृतीया तिथि को मनाया जाने वाला व्रत है इसलिए इसे तीज कहा जाता है......


::/introtext::
::fulltext::

हमारे भारत देश में हर महीने कोई न कोई व्रत या त्योहार मनाया जाता है चाहे वो बड़ा हो या छोटा, लोग पूरे उत्साह से इन्हें मनाते हैं। जिस तरह इस देश में अलग अलग धर्म और जाति के लोग रहते हैं ठीक उसी प्रकार उनके पर्व भी अलग अलग होते हैं। इन्हीं त्योहारों और व्रतों में से एक है तीज। चूंकि यह तृतीया तिथि को मनाया जाने वाला व्रत है इसलिए इसे तीज कहा जाता है।

तीज ख़ास तौर पर महिलाओं का उत्सव माना जाता है। तीज के पवित्र अवसर पर स्त्रियां भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा अर्चना करती हैं और अपने सुहाग की सलामती की कामना करती हैं। तीज का त्योहार साल में तीन बार मनाया जाता है और ये हैं हरियाली तीज, हरतालिका तीज और कजरी तीज। आइए जानते हैं इन तीनों व्रतों के महत्त्व के बारे में।
 hariyali, hartalika, kajli teej

कजरी या कजली तीज

भादो के कृष्ण पक्ष की तीज को कजरी तीज मनाई जाती है। इसे कजली, सातुड़ी और भादों तीज के नाम से भी जाना जाता है। इस व्रत को भी सुहागन औरतें अखंड सौभाग्य की कामना करने के लिए रखती हैं। इसके अलावा कुंवारी कन्याएं भी अपना मनपसंद वर पाने की इच्छा के साथ इस दिन व्रत और पूजा करती हैं।

एक पौराणिक कथा के अनुसार मध्य भारत के राज्य में कजली नाम का एक वन था। कहते हैं वहां के लोग कजली के नाम पर कई सारे गीत गाते थे। एक दिन वहां के राजा की मृत्यु हो गयी जिसके बाद उनकी रानी भी सती हो गयीं। वहां के लोग इस बात से बड़े ही दुखी रहने लगे। तब से वे कजली के गीत पति और पत्नी के प्रेम से जोड़कर गाने लगें।

कजरी तीज पर सुहागन औरतें कजरी खेलने अपने मायके जाती हैं। रात भर महिलाएं जागती हैं, साथ ही कजरी खेलती और गाती हैं। औरतें खूब झूमती नाचती हैं। इसके अलावा इस अवसर पर घर में झूला डाला जाता है जिस पर बैठकर महिलाएं अपनी ख़ुशी ज़ाहिर करती हैं। गेहूं, सत्तू, चावल, जौ और चना यह सब घी में मिलाकर तरह तरह के पकवान बनाए जाते हैं। यही पकवान खाकर औरतें अपना व्रत खोलती हैं। खीर, पूरी, हलवा आदि इस दिन बनने वाले मुख्य पकवानो में से एक हैं।

कजरी तीज पर गायों की भी पूजा करने की विशेष परंपरा है। शाम को व्रत तोड़ने से पहले महिलाएं 7 रोटियों पर चना और गुड़ रखकर गाय को खिलाती हैं।

उत्तर प्रदेश और बिहार में लोग नाव पर बैठकर कजरी गाते हैं। वहीं राजस्थान में इस दिन पारंपरिक नाच गाना होता है। साथ ही ऊंट और हाथी की भी सवारी की जाती है।

आपको बता दें कि इस बार कजरी तीज 29 अगस्त, बुधवार को है।

हरियाली तीज

जैसा कि हमने आपको बताया तीज का त्योहार औरतों का ही होता है। हरियाली तीज सावन महीने के शुक्ल पक्ष की तृतीया को मनाया जाता है। इस दिन महादेव और माता गौरी की पूजा की जाती है। महिलाएं बिना अन्न और जल के इस कठिन व्रत को रखती हैं और भगवान से अपने पति की लंबी आयु की कामना करती हैं।

हरियाली तीज पर जगह जगह पेड़ों पर झूले लगते हैं जिस पर बैठकर महिलाएं झूमती गाती हैं। यह भी इस त्योहार को मनाने का एक तरीका है। वैसे तो इस तीज को भारत के कई हिस्सों में मनाते हैं लेकिन विशेष रूप से यह राजस्थान में मनाया जाता है।

हरियाली तीज को सुहाग से इसलिए जोड़ा जाता है क्योंकि सबसे पहले माता पार्वती ने यह व्रत और पूजा की थी। उन्होंने भोलेनाथ को पति के रूप में प्राप्त करने के लिए सैकड़ों वर्षों तक कठोर तपस्या की थी, तब जाकर महादेव ने उन्हें अपनी पत्नी बनाने का वरदान दिया था।

आपको बता दें इस बार हरियाली तीज 13 अगस्त, सोमवार को है।

हरतालिका तीज

कहते हैं इन तीनों तीज में से हरतालिका तीज सबसे महत्वपूर्ण है। ख़ासतौर पर उत्तर प्रदेश और बिहार में इस तीज का बड़ा ही महत्त्व है। ऐसी मान्यता है कि शिव जी ने माता पार्वती को उनके पूर्व जन्म का स्मरण कराने के उद्देश्य से इस व्रत के माहात्म्य की कथा सुनाई थी।

पर्वत राज हिमालय अपनी पुत्री पार्वती का विवाह विष्णु जी से करवाना चाहते थे लेकिन देवी पार्वती तो बचपन से ही महादेव को अपना पति मान चुकी थी इसलिए उन्होंने भोलेनाथ को प्रसन्न करने के लिए एक नदी के तट पर गुफा में जाकर शिव जी की आराधना शुरू कर दी। कहा जाता है माता ने रेत से भगवान की प्रतिमा बनाई और अन्न, जल त्याग कर कठिन उपवास रखा। देवी ने रात भर जाग कर महादेव के लिए गीत गाए यह सब देख कर भोलेनाथ का आसन डोल गया और भाद्रपद शुक्ल तृतीया को हस्त नक्षत्र में शिव जी ने माता को दर्शन दिए। इसके बाद देवी ने पूजा की सभी सामग्री नदी में प्रवाहित करके अपना व्रत खोला था।

इसलिए हरतालिका तीज पर महिलाएं सुंदर मंडप सजाकर बालू से शिव और पार्वती की प्रतिमा बनाती हैं और उनका गठबंधन करती हैं।

 आपको बता दें इस बार हरतालिका तीज 12 सितंबर, बुधवार को है।

नेपाल में भी होती है हरतालिका तीज की धूम

सिर्फ भारत ही नहीं बल्कि हरतालिका तीज नेपाल में भी बड़े ही धूमधाम से मनाई जाती है। इस पवित्र अवसर पर व्रतधारी महिलाएं और युवतियां भक्ति गीत गाती हैं और नाचती हैं। इसके अलावा यहां पर भी औरतें शिव और गौरी की पूजा करती हैं साथ ही निर्जल उपवास भी रखती हैं।

::/fulltext::
Ro. No. 13439/5 Advertisement Carousel
Ro. No. 13439/5 Advertisement Carousel

 Divya Chhattisgarh

 

City Office :-  Infront of Raj Talkies, Block - B1, 2nd Floor,

                              Bombey Market, GE Road, Raipur 492001

Address     :-  Block - 03/40 Shankar Nagar, Sarhad colony, Raipur { C.G.} 492007

Contact      :- +91 90099-91052, +91 79873-54738

Email          :- Divyachhattisgarh@gmail.com

Visit Counter

Total922640

Visitor Info

  • IP: 216.73.216.125
  • Browser: Unknown
  • Browser Version:
  • Operating System: Unknown

Who Is Online

2
Online

2025-09-16