Owner/Director : Anita Khare
Contact No. : 9009991052
Sampadak : Shashank Khare
Contact No. : 7987354738
Raipur C.G. 492007
City Office : In Front of Raj Talkies, Block B1, 2nd Floor, Bombey Market GE Road, Raipur C.G. 492001
Amazon- Great Indian Festival, Flipkart- big billion days और Myntra- Big Fashion Days जैसी ऑनलाइन सेल दो दिन बाद शुरू होने जा रही है. दीवाली पर लोग सस्ता में सामान खरीदते हैं. इसे देखते हुए ऑनलाइन शॉपिंग साइट्स हर साल सेल करता है, जहां सामान काफी सस्ता मिलता है. ये सेल 5 से 6 दिन चलेगी. दीवाली से पहले अमेजन, फ्लिपकार्ट और मिंतरा जैसी ऑनलाइन साइट्स सेल लेकर आ रही हैं. आइए जानते हैं अमेजन, फ्लिपकार्ट और मिंतरा पर आपको कितना सस्ता सामान मिलेगा.
Amazon- Great Indian Festival (10 से 15 अक्टूबर तक)
अमेजन-ग्रेट इंडियन फेस्टिवल 10 अक्टूबर से 15 अक्टूबर तक चलेगा. जहां भारी डिस्काउंट मिलेगा. अगर आपके पास SBI-Debit Card है तो आपको 10 प्रतिशत एक्सट्रा डिस्काउंट मिलेगा. कपड़ों पर 90 प्रतिशत डिस्काउंट और 15 प्रतिशत कैशबैक मिलेगा. इलेक्ट्रॉनिक्स में 55 प्रतिशत तक डिस्काउंट मिलेगा. रात 8 बजे से 12 बजे तक Golden Hours Deals शुरू होंगी, जहां सामान काफी सस्ता हो जाएगा. अमेजन एप से शॉपिंग करते हैं तो डील्स पर 60 प्रतिशत ऑफ मिलेगा. अमेजन से मोबाइल खरीदने पर आपको स्क्रीन प्रोटेक्टर फ्री दिया जाएगा. प्राइम यूजर्स के लिए सेल कल यानी 9 अक्टूबर दोपहर 12 से शुरू हो जाएगी.
Flipkart- big billion days (10 से 14 अक्टूबर तक)
फ्लिपकार्ट- बिग बिलियन डेज 10 अक्टूबर से 14 अक्टूबर तक चलेगी. अगर आपके पास HDFC Debit/Credit कार्ड है तो 10 प्रतिशत का इंस्टेंट डिस्काउंट मिलेगा. 5 दिन यहां फैशन पर 90 प्रतिशत ऑफ, टीवी और एपलाइसिस पर 80 प्रतिशत तक ऑफ, घर के सामान पर 50-90 प्रतिशतक ऑफ, ब्यूटी प्रोडक्ट्स पर 50-90 प्रतिशत ऑफ, स्मार्ट डिवाइस पर 80 प्रतिशत तक ऑफ, गैजेट्स पर 80 प्रतिशत तक ऑफ और मोबाइल्स पर बड़ा डिस्काउंट ला रहा है. जिसका खुलासा अभी फ्लिपकार्ट ने नहीं किया है. हर 8 घंटे में क्रेजी डील्स, कुछ घंटे ऑफ होने के बाद भी 20 प्रतिशत ऑफ सामान पर करेगा. दिन के पहले दो घंटे में Rush Hour सेल होगी. जहां एक्सट्रा डिस्काउंट दिया जाएगा. फ्लैश सेल में 120 घंटे 120 डील्स आएंगी. वहीं, तीन सामान खरीदने पर 15 प्रतिशत ऑफ, चार सामान खरीदने पर 20 प्रतिशत ऑफ और ढाई हजार रुपये की शॉपिंग पर 15 प्रतिशत ऑफ और 2 हजार रुपये की शॉपिंग पर 250 रुपये ऑफ मिलेगा. PhonePe से अगर आप शॉपिंग करेंगे तो आपको 10 प्रतिशत डिस्काउंट मिलेगा.
Myntra- Big Fashion Days (10 से 14 अक्टूबर)
मिंत्रा- बिग फैशन डेज 10 अक्टूबर से 14 अक्टूबर तक चलेगी. जहां आपको कपड़े काफी सस्ते मिलेंगे. यहां पुरुष, महिलाओं और बच्चों के कपड़े काफी सस्ते में मिलेगा. 50 से 80 प्रतिशत का डिस्काउंट मिलेगा. अगर आप Citi Bank से शॉपिंग करते हैं तो आपको 10 प्रतिशत का एक्सट्रा डिस्काउंट मिलेगा. Myntra ने इस बार कुछ अलग करने की कोशिश की है, जिससे कस्टमर्स कमा भी सकते हैं. अगर आप शॉपिंग का लिंक वाट्सऐपर पर भेजते हैं और वो लिंक को क्लिक कर लेता है तो उससे आपको 50 रुपये मिलेंगे. उन पैसों का आप शॉपिंग का भी इस्तेमाल कर सकेंगे. अगर आपके दोस्त ने फेस्टिवल साइट पर विजिट कर लिया है तो पैसे नहीं मिलेंगे.
Jabong- Big Fashion Days (10 से 14 अक्टूबर)
वैसे तो Jabong- बिग फैशन डेज सेल 10 अक्टूबर से 14 अक्टूबर तक चलेगी. लेकिन 149 रुपये जमा करके आप अभी से शॉपिंग शुरू कर सकते हैं. अगर आप सिटी बैंक से शॉपिंग कर रहे हैं तो 1500 रुपये की शॉपिंग तक 10 प्रतिशत का डिस्काउंट मिलेगा. यहां 50 से 80 प्रतिशत का डिस्काउंट मिलेगा. महिलाओं के कपड़ों पर 50 से 80 प्रतिशत ऑफ और पुरुषों के कपड़ों पर 40 से 80 प्रतिशत तक का ऑफ मिलेगा.
::/fulltext::दिग्गज इंटरनेट कंपनी Yahoo एक बार फिर धमाल मचाने की तैयारी में है। Yahoo अब WhatsApp को कड़ी टक्कर देने के लिए तैयार है। Yahoo ने अपना खुद का इंस्टैंट मैसेजिंग प्लेटफॉर्म लॉन्च किया है, जिसका नाम Yahoo Together है। Yahoo का यह ऐप Android (एंड्रॉयड) और iOS दोनों ही प्लेटफॉर्म पर उपलब्ध है। Beta वर्जन में Yahoo के इस ऐप का कोड नेम Squirrel था। दूसरे इंस्टैंट मैसेजिंग ऐप की तरह ही Yahoo Together अपने यूजर्स को चैटिंग, इमेज और वीडियो भेजने, GIF, लिंक शेयर करने के साथ रिएक्शन देने की सहूलियत देता है। यूजर्स Google Play Store और App Store से फ्री में Yahoo के इस ग्रुप चैट ऐप को डाउनलोड कर सकते हैं। फिलहाल, यह ऐप अमेरिका में डाउनलोड के लिए उपलब्ध है।
जल्द ही यह ऐप भारत में उपलब्ध होगा
जल्द ही यह ऐप भारत में उपलब्ध होगा। ऐप में लॉगिन करने के लिए जरूरी है कि यूजर के पास Yahoo का अकाउंट हो। Yahoo में अकाउंट रखने वाले यूजर एक यूनीक कोड के जरिए बिना अकाउंट वाले लोगों को इनवाइट कर सकेंगे। यूनीक कोड ऐप के अंदर ही जेनरेट होगा। Yahoo के इस ऐप में कई खास फीचर हैं। इनमें से एक Smart Reminders है, जो कि यूजर्स को चैट में किसी भी मैसेज के लिए रिमांडर सेट करने की सहूलियत देगा। इस फीचर में ग्रुप चैट से जुड़े सभी लोगों को निर्धारित की गई तारीख और समय पर सूचित किया जाएगा। ऐप में किसी टॉपिक पर ग्रुप चैट आयोजित करने का भी विकल्प दिया गया है। इसके अलावा, यूजर पर्सनल बातचीत के लिए सीक्रेट टॉपिक्स भी क्रिएट कर सकते हैं। Yahoo ने इस साल 17 जुलाई को दुनिया भर में पॉपुलर रहा अपना Messenger बंद कर दिया था। Yahoo Messenger की शुरुआत Yahoo Pager के रूप में 9 मार्च 1998 में हुई थी। 1999 में इसका नाम बदलकर Yahoo Messenger कर दिया गया था।
गांधी जयंती का यह डेढ़ सौंवा साल शुरू हो गया है. पिछले ही साल चंपारण सत्याग्रह का सौंवा साल था जब 1917 में गांधी चंपारण गए थे. इस 2 अक्तूबर से अगले 2 अक्तूबर की तक गांधी को याद करने के लिए बहुत से सरकारी कार्यकर्म होंगे. इन कार्यक्रमों के बीच व्हाट्सऐप यूनिवर्सिटी के अंदरखाने गांधी जी को लेकर क्या चल रहा है, उसकी सामग्री भी प्रकाशित की जानी चाहिए. गांधी हर किसी के लिए उपलब्ध हैं. जो चाहते हैं उनके लिए भी, जो नफरत करते हैं उनके लिए भी. सबको लगता है कि उन्हें गांधी के बारे में सब पता है. जो लोग उम्र से बड़े हैं उनके पास गांधी को जानने के लिए बहुत सी किताबें हैं. जो बच्चे हैं उनके लिए भी किताबे हैं मगर पिछले कुछ महीनों में बच्चों के लिए दो ऐसी किताबें आई हैं जिनके बारे में बात होनी चाहिए. बच्चों को अगर गांधी के भारीभरकम जीवन के बारे में बताना हो तो फिर कैसे बताएंगे. यह चुनौती तो है ही. जिस किताब की हम बात करेंगे उसके कई हिस्से मिलाकर हमने एक कहानी बना दी है.
मोहन एक साहसी बालक नहीं था. बहुत से दूसरे बच्चों की तरह ही उसे भूत-प्रेत का, डाकुओं का, सांप का डर लगा रहता था. लाज इतनी आती थी कि स्कूल में किसी से बात करने में सकुचाता था. डरता था कि दूसरों से बात करेगा, तो वे उसका मज़ाक उड़ाएंगे. ज़रूरत से ज़्यादा बात न तो शिक्षकों से करता था और न ही अपने सहपाठियों से. घंटा बजने पर ही विद्यालय में घुसता और छुट्टी होते ही तीर की तरह घर लौट जाता. गुजरात में एक स्कूल में सफाई हो रही थी. क़ाग़ज़ों के एक पुराने पुलिंदे में कुछ पुराने परीक्षाफल मिले. इनमें महात्मा गांधी के बचपन का रिपोर्ट-कार्ड भी निकल आया. बड़ी जिज्ञासा थी, यह जानने के लिए कि मोहन कैसा छात्र था. रिपोर्टकार्ड से कुछ बातें पता चलती हैं, कुछ नहीं भी समझ आतीं. सन 1881 में मोहन अंकगणित में और गुजराती में पास हो गया था. भूगोल में जिन तीन छात्रों को एक भी नंबर नहीं मिला था, उनमें मोहन का नाम भी था. साल के आख़िर में 34 छात्रों की कक्षा में उसका स्थान 32वां था. यानी फिसड्डी.
मोहन साधारण सा छात्र था. न तो बहुत बुद्धिमान और न ही एकदम बुद्धू. शरीर से भी बहुत फुतीला नहीं था. खेलकूद में हिस्सा नहीं लेता था, लेकिन पैदल चलने का खूब अभ्यास था. फिर क्या मोहन में कोई भी ख़ूबी नहीं थी? ऐसा कैसे हो सकता है? हर व्यक्ति में कुछ-न कुछ गुण होते हैं, मोहन में भी थे. उसमें गजब की जिज्ञासा थी. जो भी उसके मन को लुभाता, उसे समझने में जुट जाता. मेहनत से, खुले मन से. स्कूल कॉलेज की पढ़ाई पूरी की, लेकिन मोहन को महात्मा बनाने वाली शिक्षा तो मोहनदास को जीवन से ही मिली. अच्छी बातें पढ़ने से उन्हें फायदा हुआ, पर उससे कहीं ज़्यादा लाभ ख़ुद आज़ामाकर सीखी बातों से. कुछ लोग पढ़ने-समझने के लिए प्रयोगशाला जाते हैं. बापू ने अपने जीवन को ही प्रयोगशाला बना लिया था. ज़रूरत पड़ी तो किताबें ख़रीद कर कपड़े अच्छे से धोना सीखा, भोजन पकाना सीखा, एम्बुलेंस और नर्स का काम भी सीख लिया, चर्खा चलाना और कपड़े बुनना भी. बाल काटना और तमिल-उर्दू भी कामचलाऊ सीख ली. गांधी जी के सीखने-पढ़ने के पीछे डिग्री पा कर नौकरी करने की इच्छा कम ही थी. जूते बनाने का काम उन्होंने अपने एक दोस्त सीखा था. उस समय दफ्तरों में लोग जूते पहनते थे. लेकिन महोनदास ने पतलून के साथ चप्पल या सैंडल पहनना शुरू कर दिया, क्योंकि गर्म इलाकों में ये जूतों की तुलना में आरामदेह रहते हैं. उनकी देखादेखी चप्पल और सैंडल पहनने का फैशन चल निकला था.
एक बार जवाहरलाल नेहरू और सरदार पटेल के साथ कांग्रेस के कुछ नेता महाराष्ट्र के सेवाग्राम आश्रम आए. उन्हें इंतज़ार करना पड़ा क्योंकि गांधी जी कुछ लोगों को चमड़े से चप्पल बनाना सिखा रहे थे. जब उन्होंने शिकायत की, तो गांधी जी ने उनसे कहा कि वे लोग भी जूता चप्पल बनाना सीखें. बाद में सन 1932 में अंग्रेज सरकार ने उन्हें सरदार पटेल के साथ जेल में डाल दिया. सरदार को जूतों की ज़रूरत थी, लेकिन जेल में कोई मोची था ही नहीं. गांधीजी ने उनसे कहा चमड़ा मिल जाए, तो वे ही सरदार के लिए जूता बना सकते हैं. उन्होंने बताया कि उनकी बनाई चप्पलों को कुछ लोग तो ऐसे संभाल कर रखते थे कि वह कोई धरोहर हो.
जेल में रहते हुए मोहनदास की सरकार के आला अधिकारी जनरल स्मट्स के साथ चिट्ठी-पत्री हुई. यही वे अधिकारी थे जिनकी वजह से मोहनदास को बार-बार जेल जाना पड़ता था. सन 1913 में एक पत्र में उन्होंने जनरल स्मट्स को बताया कि वे 15 सैंडल बना चुके हैं. यह भी कि अगर जनरल अपने पैर का नाप भेज दें तो उनके लिए भी सैंडल बना देंगे. सन 1914 में जब वे जेल से रिहा हुए और दक्षिण अफ्रीका सदा के लिए छोड़ भारत लौटने लगे, तब मोहनदास ने यह सैंडल जनरल स्मट्स को भेंट दी. भारत लौटने पर वह देसी कपड़ों में आ गए थे. ऐसे ही कपड़ों में गांधी जी चंपारण के किसानों का हाल जानने के लिए सन 1917 में बिहार आए. वहां एक दिन उन्होंने एक औरत को बहुत गंदी साड़ी में देखा. उन्होंने कस्तूरबा से कहा- उससे कहो कि अपने कपड़े साफ किया करे, नहाया करे. उसने कस्तूरबा को जवाब दिया- मेरे पास एक ही साड़ी है. अगर इसे धोऊंगी तो पहनूंगी क्या? बापू से कह कर एक और साड़ी दिलवा दीजिए, रोज़ नहाकर साड़ी भी धो लूंगी.
उस निर्धन महिला का हाल सुनकर गांधी जी भर्रा गए. उन्होंने कल्पना भी नहीं की थी कि उनके देशवासी ऐसी दरिद्रता में रहते हैं. उन्हें गरीबी और सफाई का रिश्ता भी समझ आ गया. इस घटना का गांधी जी पर गहरा असर हुआ, इतना कि उनका पहनावा भी बदलने लगा. एक संपन्न दीवान का बेटा, जो विदेश में महंगे कपड़े और सूट-बूट में रहा था, ऐसी लंगोट जैसी धोती पहनने लगा था, जैसी एकदम ग़रीब मज़दूर किसान पहनते थे. जिन लोगों के भले के लिए वह काम करना चाहते थे, उनके जैसे ही हो गए थे. सन 1947 में जब भारत आज़ाद हुआ तब मोहन 78 साल का हो गया था. सभी मानते हैं कि हमारी आज़ादी की लड़ाई के सबसे बड़े नेता मोहनदास गांधी ही थे. यानी हमारे डरपोक मोहन ने केवल अपने मन से नहीं, देश भर के लोगों के मन से डर निकाल दिया था.
सोपान जोशी ने दो किताबें लिखी हैं. एक था मोहन 9वीं से 12वीं के छात्रों के लिए और बापू की पाती तीसरी से आठवीं के छात्रों के लिए. हिन्दी में है ये किताब. तीसरी क्लास के बच्चों वाली किताब को बिहार सरकार ने सभी स्कूलों में लागू भी किया है. क्योंकि यह किताब चंपारण सत्याग्रह शताब्दी के समय नीतीश कुमार ने बनवाई थी. बिहार के स्कूलों में रोज़ सुबह इसका एक चैप्टर पढ़ा जाता होगा या नहीं, यह तो बिहार के लोग ही बता सकते हैं मगर इस किताब में यही लिखा है कि ऐसा किया जाए. इस किताब के लिए गांधी को बच्चों के लिए बाल सुलभ बनाने वाले एक चित्रकार की तारीफ भी बनती है. जिनका नाम है सोमेश कुमार. क्या गांधी के बारे में कुछ नया है जानने के लिए... खासकर बच्चों को गांधी के बारे में कैसे बताएं वो भी बिना 2 अक्तूबर के.
आजकल के समय में बच्चों की सुरक्षा एक बहुत बड़ा मुद्दा बन चूका हैं, क्योंकि समाज में उपस्थित असामाजिक तत्व बच्चों को आसानी से अपना शिकार बना लेते हैं। ऐसे में हर पेरेंट्स को अपने बच्चों की केयर करने की आवश्यकता होती हैं और उनकी सुरक्षा से जुड़े हर पहलू को जानने की आवश्यकता होती हैं। आज हम आपके लिए कुछ ऐसी बातों की जानकारी लेकर आए हैं जिनके उपर हर पेरेंट्स को ध्यान देना चाहिए। तो आइये जानते हैं इन बातों के बारे में।
* बच्चा सुरक्षित स्कूल पंहुचा की नहीं
जब बच्चा घर से स्कूल जाता है तो मां- बाप सबसे पहले यह पता कर सकते हैं कि उनका बच्चा ठीक ढंग से स्कूल पहुंच गया है कि नहीं आजकल बहुत सी ऐप है जिनका उपयोग करके इस बात का पता लगाया जा सकता है।
* गुड टच और बैड टच के बारे में बताएं
बच्चों को गुड टच और बैड टच के बारे में बताना बहुत जरूरी है। उन्हें बताएं कि किसी व्यक्ति का गले या हाथ लगाना अगर उन्हें अच्छा न लगे तो वो इसके बारे में घर या स्कूल में किसी से बात जरूर करें।
* स्कूल में कहीं अकेले जाने से बचें
बच्चों को डर कर रहने को मत कहें। उन्हें कहें कि अगर कोई गलत बात या गलत हरकत करता है, तो उसके बारे में टीचर या किसी बड़े से बात जरूर करें।
* चुप न रहें
कई बार बच्चे के साथ कुछ गलत हो रहा होता है लेकिन वह कुछ बोल नहीं पाता। उस समय मां- बाप की जिम्मेदारी बनती है कि उनको किसी तरह प्यार से समझा कर उनसे बात को जाने की कोशिश करें और अगली बार से चुप न रहने की सलाह दें।
* बच्चों की बात सुने
कई बार बच्चे स्कूल के बारे में कोई बात करता हैं लेकिन घर वाले उस बात को नंजरअदाज कर देते हैं। इससे बच्चे को लगता है कि उनकी बात पर कोई ध्यान नहीं देता इसलिए वह अगली आपको कोई भी बात नहीं बताएेगा।
* बाथरूम-टॉयलेट के बाहर कैमरा
स्कूल में सबसे ज्यादा असुरक्षित बच्चा बाथरूम- टॉयलेट में ही होता है इसलिए इस बात की पूरी वेरिफिकेशन करनी चाहिए कि बाथरूम और टॉयलेट के बाहर कैमरा लगा है कि नहीं।
* स्कूल काउंसलर के बारे में बताएं
बच्चों को स्कूल काउंसलर के बारे में बताना चाहिए। उनके साथ बच्चों की बातचीत, सेशन और इंटरेक्शन करवाएं ताकि अगर स्कूल में बच्चों के साथ कुछ गलत हो रहा हो तो वह उसके बारें में किसी से बात करें।
::/fulltext::