Monday, 20 October 2025

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 आहार में नमक ज्यादा लेने से ब्लड प्रेशर पर बुरा प्रभाव पड़ता है और समय के साथ यह कार्डियोवैस्कुलर बीमारियों का कारण बन सकता है.....

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अध्ययन में पाया गया कि दिल्ली और हरियाणा में नमक का सेवन प्रतिदिन 9.5 ग्राम और आंध्र प्रदेश में प्रतिदिन 10.4 ग्राम था। डॉक्टरों का कहना है कि आहार में नमक ज्यादा लेने से ब्लड प्रेशर पर बुरा प्रभाव पड़ता है और समय के साथ यह कार्डियोवैस्कुलर बीमारियों का कारण बन सकता है। खाने में नमक को सीमित करने से हृदयरोग में 25 प्रतिशत तक की कमी आ सकती है और दिल की बीमारियों से मरने का खतरा 20 प्रतिशत तक कम हो सकता है। हल्थकेयर फाउंडेशन ऑफ इंडिया (एचसीएफआई) के अध्यक्ष डॉ। केके अग्रवाल ने कहा, "भारतीय आहार से भरपूर होता है और नमक की अधिक खपत गैर-संक्रमणीय बीमारियों की एक बड़ी वजह है। समय के साथ अत्यधिक नमक गुर्दे को नुकसान पहुंचाते हैं। ज्यादा नमक से ब्लड प्रेशर बढ़ता है, जिसे हाइपरटेंशन के रूप में जाना जाता है।"
 
उन्होंने कहा कि हाई ब्लड प्रेशर धमनियों को कठोर कर सकता है, जिससे रक्त और ऑक्सीजन के प्रवाह में कमी आती है। इससे चेहरे में ऑक्सीजन के प्रवाह में कमी आती है और त्वचा सूखने के अलावा उस पर झुर्रियां भी पड़ सकती हैं। इससे व्यक्ति की उम्र बढ़ी हुई दिखती है। स्वास्थ्य पर इसके और भी कई नेगेटिव प्रभाव पड़ते हैं। दुनियाभर में शोधकर्ताओं और नीति निर्माताओं ने हाई ब्लड प्रेशर को नियंत्रित करने के लिए नमक के सेवन को कम करने पर दबाव डाला है, क्योंकि इसके प्रमुख ट्रिगर्स- तनाव और दोषपूर्ण जीवनशैली को नियंत्रित करना मुश्किल है।
 
डॉ. अग्रवाल ने बताया कि नमक और सोडियम शब्द अक्सर एक दूसरे के लिए उपयोग किए जाते हैं जबकि इनका मतलब अलग-अलग है। नमक में सोडियम और क्लोराइड शामिल है। नमक में मौजूद सोडियम आपके दिल के लिए बुरा हो सकता है, जबकि जीवन के लिए नमक जरूरी है। एचसीएफआई का कहना है कि जहां भी संभव हो, वहां सफेद नमक की जगह काले नमक का प्रयोग करना चाहिए। दालों और पकी सब्जियों को छोड़कर बाकी भोजन में ऊपर से नमक नहीं डालना चाहिए। इसके अलावा सलाद में नमक डालने से बचना चाहिए।
 
हमें अपने आहार में नमक के स्रोतों का हिसाब लगाना चाहिए। इसके लिए खरीदारी करते समय लेबल पढ़ें। अनाज, क्रैकर्स, पास्ता सॉस और डिब्बाबंद सब्जियों के ऐसे विकल्प तलाशें जिनमें कम सोडियम हो। अच्छा तो यह होगा कि प्रोसेस्ड और डिब्बाबंद फूड कम ही खाएं, क्योंकि इनमें नमक बहुत अधिक होता है। आपको जानकर हैरानी होगी कि कई मीठे खाद्य पदार्थों में भी छिपा नमक होता है। भारतीय आहार में पारंपरिक रूप से उपयोग किए जाने वाले अचार, पापड़, चटनी में बहुत अधिक नमक होता है। लेकिन तीन महीने तक कम नमक वाली डाइट लेने से आपको इसकी आदत पड़ जाएगी और सेहत में फर्क महसूस होगा।
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