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मुंबई: नवी मुंबई पुलिस ने एक सीरियल रेपिस्ट को गिरफ्तार किया है. इस रेपिस्ट पर 25 हजार रुपये का इनाम है. इस आरोपी के खिलाफ मुंबई, पुणे, ठाणे और नवी मुंबई में दर्जन से भी ज्यादा मामला दर्ज हैं. पुलिस ने बताया है कि इस आरोपी पर नवी मुंबई पर ही कुल 8 मामले दर्ज किए है.
नवी मुंबई के पुलिस कमिश्नर संजय कुमार ने बताया है कि बुधवार शाम एक संदिग्ध को गिरफ्तार किया जिसके पिछले तीन साल से तलाश थी. उन्होंने बताया कि उसके खिलाफ 15 केस दर्ज हैं जिसमें 7 नवी मुम्बई, 1 ठाणे, 3 पालघर में दर्ज हैं. पुलिस ने बताया कि आरोपी के घर से कुछ कपड़े और इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस मिले. यह मूलतः उत्तर प्रदेश का रहने वाला है और मुंबई में मीरारोड पर रहता था.
पुलिस ने बताया आरोपी ज्यादातर वारदात को गुरुवार के दिन अंजाम देता था. इतना ही नहीं आरोपी लड़की को कहता था आपके कपड़े में कीड़ा है और उसके बाद वारदात को अंजाम देता है. पुलिस ने कहा है कि आरोपी को मनोचिकित्सक के लिए भी भेजा जाएगा और मामले को फ़ास्ट ट्रैक कोर्ट में भेजने की सिफारिश भी करेगा. पुलिस कमिश्नर संजय कुमार ने बताया कि आरोपी ने एक लड़की की फोटो भी इसने बनाई थी. आरोपी वारदात को अंजाम देने के 3 घंटे पहले वहां पहुंच जाता था और उस इलाके की रेकी करता था.
नवी मुंबई पुलिस ने आरोपी को नालासोपारा से गिरफ्तार किया है. हाल ही में नालासोपारा पुलिस ने भी संदिग्ध की सीसीटीवी तस्वीरे जारी कर जनता से मदद मांगी थी. इसके बाद से पुलिस आरोपी की तलाश में जुटी थी और आरोपी की सूचना देने वाले को 25,000 रुपये का इनाम देने की भी घोषणा की.
::/fulltext::कोलकाता। कोलकाता के रेड लाइट एरियासोनागाछी के निवासियों ने दुर्गा पूजा के लिए अपने आंगन से मिट्टी दान करने का विरोध किया है। यह निर्णय सर्वसम्मति से लिया गया है। बता दें कि पिछले तीन साल से दुर्गापूजा के लिए यहां से मिट्टी देने से इनकार किया जाता रहा है। दरअसल, मान्यता के अनुसार एक वेश्यालय के आंगन से लाई गई मिट्टी को दुर्गा पूजा के लिए शुभ माना जाता है।
माता दुर्गा की मूर्तियों को लेकर एक खास तरह की मान्यता है। इस मान्यता के अनुसार इन मूर्तियों को बनाने के लिए तवायफ के घर बाहर या रेडलाइट एरिया से मिट्टी लाई जाती है। सेक्स वर्कर्स असोसिएशन दरबार समोनॉय कमिटी के मेंटर और सलाहकार सुश्री भारती डे के अनुसार यह निर्णय समाज की मुख्यधारा में सेक्स वर्कर्स की अस्वीकृति के विरोध में किया गया है।
मूर्ति बनाने वाले कलाकारों का कहना है कि परंपरा के मुताबिक रेडलाइट एरिया की मिट्टी को जब तक मूर्ति में इस्तेमाल नहीं किया जाता तब तक वह पूर्ण नहीं मानी जाती। हालांकि पहले कारीगर या फिर मूर्ति बनवाने वाले सेक्स वर्कर्स के घरों से भिखारी बनकर मिट्टी मांग कर लाते थे, लेकिन बदलते समय के साथ ही इस मिट्टी को भी अब इसका कारोबार होने लगा है।पहले तो कारीगर या फिर मूर्ति बनवाने वाले सेक्स वर्कर्स के घरों से भिखारी बनकर मिट्टी मांग कर लाते थे, लेकिन अब इसका कारोबार होने लगा है।
दुर्गा पूजा में सिर्फ बंगाल में ही वेश्यालयों के की मिट्टी का इस्तेमाल नहीं किया जाता बल्कि संपूर्ण देश में वेश्यालय की मिट्टी का इस्तेमाल किया जा सकता है जिसकी कीमत 300 से 500 रुपए बोरी होती है वेश्यालय की मिट्टी से बनी मां दुर्गा की प्रतिमा की कीमत 5 हजार से लेकर 15 हजार तक होती है।
::/fulltext::नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी जोधपुर के छात्र स्वप्निल त्रिपाठी की रिट पर सुप्रीम कोर्ट ने लाइव-स्ट्रीमिंग का दिया आदेश.
नई दिल्ली: जोधपुर में कानून की पढ़ाई करने वाले छात्र स्वप्निल त्रिपाठी की एक याचिका ने सुप्रीम कोर्ट में इतिहास कायम कर दिया. सुप्रीम कोर्ट ने अदालतों में सुनवाई के सीधा प्रसारण का आदेश दे दिया. यह आदेश जब लागू होगा तो संसद के दोनों सदनों की तरह अदालतों का भी सीधा प्रसारण संभव होगा.अदालती कार्यवाही के सीधा प्रसारण का मकसद पारदर्शिता से जुड़ा है. लंबे समय से इसकी जरूरत महसूस की जा रही थी. सीधा प्रसारण संभव होने के बाद पूरी प्रक्रिया को जनता घर बैठे देख सकती है. मसलन जज कैसे सुनवाई करते हैं, वादी-प्रतिवादी पक्ष से कैसे सवाल-जवाब होते हैं, वकील कैसे तर्क देते हैं....आदि...आदि. इस प्रकार अभी तक वादी-प्रतिवादी आदि पक्षों की मौजूदगी में में बंद कमरे में होने वाली सुनवाई को उसी समय(रियल टाइम) जनता भी ऑनलाइन देख सकेंगी. एक प्रकार से यह ओपेन कोर्ट जैसी व्यवस्था होगी.हालांकि अभी आदेश हुआ है, इसका पालन की व्यवस्था बननी है. मगर अदालतों की लाइव स्ट्रीमिंग को न्यापालिका में पारदर्शिता की दिशा में मील का पत्थर माना जा रहा है.
कानूनी मुद्दों के ब्लॉगर भी हैं स्वप्निल
अदालतों की लाइव स्ट्रीमिंग पर आए फैसले के पीछे कानून के छात्र स्वप्निल त्रिपाठी की अहम भूमिका रही. नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी से लॉ ऑनर्स में अंतिम वर्ष की पढ़ाई कर रहे स्वप्निल त्रिपाठी ने इस मुद्दे को लेकर सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था. स्वप्निल thebasicstructureconlaw.wordpress.com नामक ब्लॉग भी चलाते हैं. जिस पर कानून से जुडे अहम मुद्दों पर कलम चलाकर विचार बयां करते हैं. स्वप्निल अदालतों में इंटर्न के फैसलों पर लगे बैन को भी चुनौती दे चुके हैं. स्वप्निल की याचिका पर जनहित और राष्ट्रीय महत्व से जुड़े मामलों की सुनवाई की लाइव स्ट्रीमिंग का आदेश हुआ. स्वप्निल के साथ वरिष्ठ वकील इंदिरा जय सिंह ने भी लाइव-स्ट्रीमिंग को लेकर याचिका दायर कर रखी थी. इन याचिकाओं की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि लाइव स्ट्रीमिंग फेज में लागू की जाएगी और इससे न्यायिक व्यवस्था में जवाबदेही बढ़ेगी. कोर्ट ने कहा कि इसके लिए नियम कायदे तय होंगे.
हालांकि कोर्ट ने आरक्षण और अयोध्या जैसे संवेदनशील मामलों की सुनवाई की लाइव स्ट्रीमिंग करने की इजाजत नहीं दी है. यह फैसला सुप्रीम कोर्ट में तीन जजों की बेंच ने बुधवार को फैसला सुनाया है. पीठ में चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा, जस्टिस खानविलकर और जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ शामिल हैं. बता दें कि इस 24 अगस्त को राष्ट्रीय महत्व के मामलों में अदालत की कार्यवाही की लाइव स्ट्रीमिंग को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रखा था. कोर्ट ने कहा कि लाइव स्ट्रीमिंग से पारदर्शिता बढ़ेगी और ये ओपन कोर्ट का सही सिद्धांत होगा. जस्टिस डीवाई चंद्रचूड ने कहा कि हम खुली अदालत को लागू कर रहे हैं. ये तकनीक के दिन हैं हमें पॉजीटिव सोचना चाहिए और देखना चाहिए कि दुनिया कहां जा रही है. कोर्ट में जो सुनवाई होती है वेबसाइट उसे कुछ देर बाद ही बताती है. इसमें कोर्ट की टिप्पणी भी होती हैं. साफ है कि तकनीक उपलब्ध है. हमें इसका इस्तेमाल करना चाहिए.