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सुबह होते ही मॉर्निेंग रुटीन में से एक है दांतों की सफाई। दांतों की सफाई के बिना दिन शुरु नहीं होता है। हम में से कई लोगों की आदत है कि दांतों की सफाई के लिए ब्रश जरुर गीला करते हैं। ये एक सामान्य सी आदत है लेकिन आप सुनकर धक्का लगेगा कि आपकी ये आदत आपको बीमार बना सकती है। विशेषज्ञों का कहना है कि ऐसा नहीं करना चाहिए क्योंकि इससे टूथब्रश भी खराब होता है और दांत भी सही तरीके से साफ नहीं होते।
गीले टूथब्रश पर टूथपेस्ट लगाने से पेस्ट डाइल्यूट हो जाता है जिससे उसका प्रभाव कम हो जाता है। लिहाजा दांतों को साफ करने से पहले टूथब्रश को गीला न करें और अगर करना जरूरी हो तो 1 सेकंड से ज्यादा ब्रश को पानी के लिए नीचे न रखें
डायरिया या स्किन इंफेक्शन होने का खतरा
टूथब्रश हमारे डेली रूटीन का सबसे अहम हिस्सा है। इसे लेकर हाल ही में एक शोध हुआ है। जिसमें शोधकर्ताओं का कहना है कि ढंग से इसकी सफाई न की जाए तो टूथब्रश घर की तीसरी सबसे गंदी जगह बन जाता है। गंदे टूथब्रश से डायरिया या स्किन इंफेक्शन तक हो सकता है। दांतों को साफ करने वाले ब्रश का भी खास ध्यान रखना चाहिए। कहां रखना है, कैसे रखना है, यह बातें मामूली लग सकती हैं लेकिन इन पर ध्यान देना बेहद जरुरी है।
टूथब्रश गीला करने से ज्यादा झाग बनता है, जो कि दांतों के लिए खतरनाक है। क्योंकि इससे टूथपेस्ट में मिले रसायन अपना रिएक्शन दिखाने लगते हैं, जिससे दांतों के गम्स कमजोर होने लगते हैं। इससे मसूड़ों की ग्रिप कमजोर होने लगती है, इससे दांतों की मजबूती पर भी असर पड़ता है।
ज्यादातर बाथरूम छोटे होते हैं, कई घरों में तो टॉइलट, टूथब्रश रखने वाले सिंक के काफी नजदीक होता है। शौच के बाद कमोड पर फ्लश चलाने पर हवा में जीवाणुओं की बौछार उठती है जो आपके टूथब्रश तक पहुंच सकती है। इसलिए कोशिश करें कि आपका टूथब्रश कमोड से कम से कम 2 फीट की दूरी पर रहे। अपने टूथब्रश होल्डर को हफ्ते में एक बार जरूर साफ करें। इससे होल्डर में जमे बैक्टीरिया आपके ब्रश में नहीं जाएंगे।
बाजार में ब्रश के साथ ब्रिसल को ढक कर रखने के लिए बॉक्स मिलता है। लेकिन ब्रश को बंद रखना सही नहीं है। इससे आपके ब्रश में कीटाणु पनपने लगते हैं। साथ ही टूथब्रश का इस्तेमाल करने के बाद उसे सीधा खड़ा करके रखें। इससे ब्रश पर जमा पानी नीचे गिर जाता है और टूथब्रश एक दम सूख जाता है। इससे नमी से पैदा होने वाले कीटाणुओं को पनपने लायक माहौल नहीं मिलता।
दांतों को स्वस्थ रखने के लिए आपको निश्चित समय के बाद टूथब्रश को बदल देना चाहिए। क्योंकि ज्यादा दिनों तक एक ब्रश का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। इसलिए हर 3 से 4 महीनें में ब्रश बदल देना चाहिए।
- दो मिनट से ज्यादा टूथब्रश नहीं करना चाहिए। इससे दांतों का इनैमल खराब हो जाता है।
- ब्रश करने के बाद मसूड़ों की उंगली से मसाज जरूर करें। इससे मसूड़े मजबूत होते हैं।
कहते हैं किन्नरों की दुआओं में बहुत ताकत होती है इनके आशीर्वाद से हमारे जीवन के बड़े से बड़े कष्ट दूर हो जाते हैं। घर में कोई भी मंगल कार्य हो इनका आना शुभ माना जाता है। इन्हीं किन्नरों से जुड़ी कुछ ऐसी दिलचस्प बातें हैं जिन्हें जानकार आप बेहद हैरान रह जाएंगे। इनसे जुड़ी कई बातें सुनने को तो ज़रूर मिलती है लेकिन उनके पीछे की वजह लोगों को पता नहीं होती। तो आइए जानते हैं किन्नरों के बारे में चौंकाने वाले कुछ रहस्य।
विवाह करते हैं किन्नर
आम लोगों की तरह किन्नर भी विवाह करते हैं लेकिन इनका वैवाहिक जीवन केवल एक दिन का होता है क्योंकि अगले दिन इनके पति की मृत्य हो जाती है। दरअसल किन्नर अपने अराध्य देव अरावन से विवाह करते हैं और ऐसी मान्यता है कि विवाह के ठीक अगले दिन अरावन देवता की मौत हो जाती है। इतना ही नहीं किन्नर समाज में जब भी किसी नए सदस्य का आगमन होता है तो ये उसे उत्सव की तरह मनाते हैं जिसमें नाच गाना खाना पीना सब होता है।
कहते हैं जब प्रभु श्री राम चौदह वर्षों का वनवास काटने जा रहे थे तब पूरी प्रजा के साथ साथ किन्नर समाज भी उनके पीछे जा रहा था। तब श्री राम ने सभी को वापस लौटने का आदेश दिया और खुद वनवास के लिए चले गए किन्तु जब वे वापस लौटकर आए तो उन्होंने देखा कि सभी किन्नर उनका उसी स्थान पर इंतज़ार कर रहे थे। दरअसल वे लौटकर वापस गए ही नहीं थे बल्कि पूरे चौदह सालों तक वहीं पर भगवान की वापसी की प्रतीक्षा कर रहे थे। तब किन्नरों से प्रसन्न होकर श्री राम ने उन्हें वरदान दिया था कि उनका आशीर्वाद कभी खाली नहीं जाएगा।
अगर आपके वैवाहिक जीवन में परेशानियां आ रही है तो उसे दूर करने के लिए आप किसी किन्नर को बुधवार के दिन श्रृंगार का पूरा सामान दान करें। इनके आशीर्वाद से आपकी समस्या ज़रूर दूर होगी।
कुछ चीज़ें ऐसी होती हैं जिनका दान भूलकर भी किन्नरों को नहीं करना चाहिए जैसे स्टील का बर्तन, पुराने कपड़े, तेल और प्लास्टिक से बनी वस्तुएंं। ऐसा करने से घर की सुख और शांति भंग होती है। साथ ही घर के लोग तरह तरह के रोग से पीड़ित रहते हैं।
जब भी किसी किन्नर की मृत्यु होती है तो उसका अंतिम संस्कार आधी रात को अंधेरे में किया जाता है ताकि कोई उसे देख न ले। ऐसी मान्यता है कि मृत किन्नर को देख लेने से वह अगले जन्म में भी किन्नर ही पैदा होता है। इतना ही नहीं किन्नरों को जलाया नहीं बल्कि दफनाया जाता है और दफ़नाने से पहले इन्हें चप्पलों से मारा जाता है। कहते हैं ऐसा करने से उनके इस जन्म के पाप मिट जाते हैं।
किन्नरों के गुरु भी पैदाइश किन्नर ही होते हैं। कहते हैं कि इन्हें पहले ही इस बात का पता चल जाता है कि इनके किस शिष्य की मृत्यु कब होगी। इतना ही नहीं कुम्भ के मेले में भी किन्नर समुदाय सम्मिलित होता है।
अब आप अपने आस-पास हो रहे है यौन शौषण, रेप और अश्लील हरकतों की शिकायत गुप्त तरीके से दर्ज करा सकते हैं और कार्यवाई को ट्रैक भी कर सकते हैं.
केंद्र सरकार ने एक पोर्टल की शुरुआत की है जहां कोई भी नागरिक बच्चों को अश्लील ढंग से पेश करने वाली सामग्री (पोर्नोग्राफी) अश्लीलता के प्रसार, अश्लील यौन सामग्री और ऑनलाइन यौन दुर्व्यवहार के बारे में शिकायत दर्ज करा सकता है. यहां पर कंप्लेंट दर्ज कराने के बाद तुरंत कार्रवाई होगी. इस पोर्टल का नाम है ‘साइबरक्राइम डाट जीओवी डाट इन''.
गृह मंत्रालय में संयुक्त सचिव मदन एम ओबेराय ने बताया कि यह पोर्टल न केवल पीड़ितों और शिकायतकर्ताओं बल्कि सिविल सोसाइटी संगठनों और जिम्मेदार नागरिकों की मदद करेगा. इसमें नागरिक बाल अश्लीलता एवं बाल लैंगिक दुर्व्यवहार सामग्री अथवा बलात्कार एवं सामूहिक बलात्कार से जुड़े यौन मामलों की गुमनाम शिकायत भी कर सकेंगे.
उन्होंने आगे बताया कि महिलाओं एवं बच्चों के खिलाफ साइबर अपराध रोकथाम पोर्टल सुविधाजनक है और यह उपयोगकर्ता के अनुकूल है. इसमें शिकायतकर्ताओं को पहचान का खुलासा नहीं होगा.
शिकायतकर्ता जांच में पुलिस की मदद के लिए आपत्तिजनक सामग्री और यूआरएल भी अपलोड कर सकते हैं. इस पोर्टल के माध्यम से पंजीकृत शिकायतों को संबंधित राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की पुलिस द्वारा निस्तारण किया जाएगा. पीड़ित या शिकायतकर्ता अपने मोबाइल नंबर का इस्तेमाल कर "रिपोर्ट और ट्रैक" विकल्प चुनकर अपनी शिकायत पर हुई कार्रवाई को भी जान सकते हैं.
एक आधिकारिक बयान में कहा गया है कि राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) इस तरह की आपत्तिजनक सामग्री की सक्रियता से पहचान करेगा और संबंधित एजेंसियों से इसे हटाने के लिए कहेगा. इसके लिए, आईटी अधिनियम की धारा 79 (3) बी के तहत नोटिस जारी करने के लिए एनसीआरबी को पहले ही सरकारी एजेंसी के रूप में अधिसूचित किया गया है.
::/fulltext::कई महिलाओं को स्वाभाविक रूप से गर्भ धारण करने में मुश्किल आती है. यहां तक कि कई परीक्षण रिपोर्ट सामान्य होने के बाद वे स्वाभाविक रूप से गर्भ धारण में असमर्थ रहती हैं. पुरुषों में 'इनफर्टिलिटी' उन प्रमुख कारकों में से एक है. पुरुषों में शुक्राणु की गुणवत्ता और उसकी मात्रा गर्भ धारण करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है और यह पुरुष प्रजनन क्षमता का एक निर्णायक कारक भी है. यदि स्खलित शुक्राणु (Herring Sperm) कम हों या खराब गुणवत्ता के हो तो गर्भ धारण करने की संभावनाएं 10 गुना कम और कभी-कभी इससे भी कम हो जाती है.
दिल्ली के इंदिरा आईवीएफ हॉस्पिटल की आईवीएफ एक्सपर्ट डॉ. सागरिका अग्रवाल का कहना है, "मेल फैक्टर इनफर्टिलिटी असामान्य या खराब शुक्राणु के उत्पादन के कारण हो सकती है. पुरुषों में यह संभावना हो सकती है कि उनके शुक्राणु उत्पादन और विकास के साथ कोई समस्या नहीं हो, लेकिन फिर भी शुक्राणु की संरचना और स्खलन की समस्याएं स्वस्थ शुक्राणु को स्खलनशील तरल पदार्थ तक पहुंचने से रोकती हैं और आखिरकार शुक्राणु फैलोपियन ट्यूब तक नहीं पहुंच पाता जहां निषेचन हो सकता है. शुक्राणु की कम संख्या शुक्राणु वितरण की समस्या का सूचक हो सकते हैं."
उन्होंने कहा कि आम तौर पर पुरुषों में बांझपन के लक्षण प्रमुख नहीं होते हैं और इसके कोई लक्षण नहीं होते और रोगी को शिश्न में उत्तेजना, स्खलन या संभोग में कोई कठिनाई नहीं हो सकती है. यहां तक कि स्खलित वीर्य की गुणवत्ता और इसकी उपस्थिति नग्न आंखों से देखने पर सामान्य लगती है. शुक्राणुओं की गुणवत्ता की जांच केवल इनफर्टिलिटी के संभावित कारण को जानने के लिए किए जाने वाले चिकित्सा परीक्षण के माध्यम से की जा सकती है.
डॉ. सागरिका ने बताया कि मेल इनफर्टिलिटी के लिए तीन (या अधिक) प्राथमिक कारक हो सकते हैं. ओलिगोजोस्पर्मिया (शुक्राणुओं की कम संख्या), टेराटोजोस्पर्मिया (शुक्राणुओं की असामान्य रूपरेखा) और स्पर्म ट्रांसपोर्ट डिसआर्डर. मेल फैक्टर इनफर्टिलिटी के करीब 20 प्रतिशत मामलों में स्पर्म ट्रांसपोर्ट डिसआर्डर ही जिम्मेदार होते हैं.
उन्होंने बताया कि स्पर्म ट्रांसपोर्ट डिसआर्डर के कारण ज्यादातर पुरुषों में शुक्राणु के एकाग्रता में कमी आ जाती है और शुक्राणु महिला की कोख तक सुरक्षित रूप से पहुंचने में अक्षम होता है. वर्ष 2015-2017 के बीच किए गए सर्वेक्षण के अनुसार, यह देखा गया कि आईवीएफ प्रक्रिया कराने को इच्छुक दंपतियों में, 40 प्रतिशत अंतर्निहित कारण पुरुष साथी में ही थे. प्रत्येक पांच पुरुषों में से एक पुरुष में स्पर्म ट्रांसपोर्ट की समस्या थी. सर्वेक्षण में उन पुरुषों को भी शामिल किया था जिन्होंने वेसेक्टॉमी करा ली थी, लेकिन अब बच्चे पैदा करना चाहते थे.