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रेलवे की रायबरेली स्थित कोच फैक्ट्री में स्मार्ट कोच तैयार किए जा रहे हैं. ये कोच कई खूबियों से लैस हैं. रेलगाड़ी के इन डिब्बों में यदि कोई अपराधी चढ़ता है तो रेलवे के सुरक्षा अधिकारियों को इसकी सूचना सेकेंडों में लग जाएगी.
नई दिल्ली. रेलवे की रायबरेली स्थित कोच फैक्ट्री में स्मार्ट कोच तैयार किए जा रहे हैं. ये कोच कई खूबियों से लैस हैं. रेलगाड़ी के इन डिब्बों में यदि कोई अपराधी चढ़ता है तो रेलवे के सुरक्षा अधिकारियों को इसकी सूचना सेकेंडों में लग जाएगी. वहीं यदि इन डिब्बों में कोई अपराध करने की योजना बना रहा है तो उसका भी पता रेलवे के अधिकारियों को पहले ही लग जाएगा. मंगलवार को रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष अश्वनी लोहानी ने इस डिब्बे का निरीक्षण सफदरजंग रेलवे स्टेशन पर किया.
डिब्बे में लगाया गया है आर्टीफीशियल इंटेलिजेंस
रायबरेली स्थित रेल कोच फैक्ट्री में तैयार किए जा रहे स्मार्ट कोच में सीसीटीवी की मदद से आर्टीफीशियल इंटेलिजेंस सिस्टम लगाया गया है. ये सिस्टम रेलगाड़ी में चढ़ने वाले सभी यात्रियों और रेल कर्मियों के व्यवहार पर भी नजर रखता है. यदि किसी यात्री का व्यवहार संदिग्ध दिखेगा तो ये सिस्टम तत्काल इसकी सूचना कंट्रोल रूम को देगा. वहीं इस कंट्रोल रूम के सिस्टम में पहले से स्टोर की गई अपराधियों की तस्वीरों से भी ये यात्रियों की तस्वीर मिलाएगा. यदि कोई तस्वीर मिलती है तो तत्काल इसकी सूचना सुरक्षा अधिकारियों को देगा. वहीं यदि कोई रेल कर्मी यात्री से अभद्रता करता है तो इस सिस्टम की मदद से रेल कर्मी पर भी कार्रवाई की जा सकती है.
डिब्बे या पटरी में खामी के बारे में पता लगेगा
स्मार्ट कोच में पैंसेंजर इंफार्मेशन एंड कोच कंप्यूटिंग यूनिट लगाई गई. ये यूनिट डिब्बे की हर तरह की गतिविधि पर नजर रखती है. इस स्मार्ट कोच में पहियों पर वाइब्रेशन सेंसर लगाए गए हैं. ये सेंसर पहिए डिब्बे या पटरी में किसी भी तरह की खामी का तुरंत पता लगा लेंगे. ऐसी खामी का पता लगते ही ये सेंसर तुरंत एक अलर्ट रेलवे के कंट्रोल रूम को भेज देगा. ऐसे में गाड़ी को रोक कर तुरंत खामी को दूर किया जा सकेगा. वहीं इस कोच में ऐसे सेंसर लगाए गए हैं कि यदि आपे डिब्बे में रास्ते में पानी खत्म हो जाता है तो इस स्मार्ट कोच में लगा सिस्टम तत्काल अगले स्टेशन को एक संदेश भेज देगा. ऐसे में अगले स्टेशन पर गाड़ी पहुंचने पर वहां ट्रेन को रोक कर उसमें पानी भरा जा सकेगा.
::/fulltext::वाराणसी: वैसे तो कहा जाता है कि गंगा नदी में डुबकी लगाने से सारे पाप धुल जाते हैं लेकिन पत्नियों से पीड़ित पुरुषों ने बनारस आकर पहले अपनी पत्नियों के नाम पर पिंड दान किया और फिर पिशाचिनी मुक्ति पूजा की. पत्नियों के हाथों सताए पीड़ित पुरुषों की संस्था सेव इंडियन फैमिली फाउंडेशन के दस साल पूरे होने पर आयोजित इस पूजा में करीब डेढ़ सौ लोगों ने हिस्सा लिया.
इस संस्था के फाउंडर राजेश वकारिया ने कहा कि हमारे देश में जानवर संरक्षण के लिए भी मंत्रालय है लेकिन मर्दों के हक की रक्षा के लिए कहीं कोई मंत्रालय नहीं है. यानी इस देश में मर्दों को जानवर से भी बदतर समझा जाता है. एक और पत्नी पीड़ित अमित देशपांडे ने पतियों को अपनी पत्नियों का पिंडदान करने को कहा. उन्होंने कहा कि इन पत्नियों ने अपने-अपने पतियों की जिंदगी नरक कर दी है. उनसे दिमागी शांति छीन ली है. इन पत्नी पीड़ित पुरुषों ने जीते जी अपनी पत्नियों का पिंडदान किया जो अब उनके साथ नहीं रहती हैं साथ ही साथ अपनी पूर्व पत्नियों के लिए पिशाचिनी मुक्ति पूजा भी की ताकि उनकी पत्नी से जुड़ी बुरी यादें भी उनके साथ ना रहें.
SIFF के संस्थापक वकारिया ने कहा कि हर साल 92 हजार पुरुष मेंटल टॉर्चर की वजह से आत्महत्या कर लेते हैं जबकि महिलाओं में ये आंकड़ा 24 हजार का है. वकारिया ने कहा कि दहेज विरोधी कानून यानी आईपीसी की धारा 498ए महिलाओं को उत्पीड़न से बचाने और पति के घर में पत्नी के शोषण को रोकने के लिए बनाई गई थी लेकिन पुरुषों के खिलाफ कई बार इस कानून का दुरुपयोग होता है और पुरुष इसके खिलाफ कुछ नहीं कर सकता.
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