Monday, 23 December 2024

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पत्नी पीड़ित पुरुषों ने अपनी जिंदा पत्नियों का पिंडदान कर पिशाचिनी मुक्ति पूजा की. ये सभी पति अपनी पत्नियों से प्रताड़ित हैं....

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बनारस घाट पर 150 पत्नी पीड़ित पुरुषों ने अपनी जिंदा पत्नियों का पिंडदान कर पिशाचिनी मुक्ति पूजा की. ये सभी पति अपनी पत्नियों से प्रताड़ित हैं. इस मौके पर उन्होंने कहा कि देश में जानवरों की सुरक्षा के लिए मंत्रालय है लेकिन पुरुषों की सुरक्षा के लिए कोई मंत्रालय या संस्था नहीं है.

वाराणसी: वैसे तो कहा जाता है कि गंगा नदी में डुबकी लगाने से सारे पाप धुल जाते हैं लेकिन पत्नियों से पीड़ित पुरुषों ने बनारस आकर पहले अपनी पत्नियों के नाम पर पिंड दान किया और फिर पिशाचिनी मुक्ति पूजा की. पत्नियों के हाथों सताए पीड़ित पुरुषों की संस्था सेव इंडियन फैमिली फाउंडेशन के दस साल पूरे होने पर आयोजित इस पूजा में करीब डेढ़ सौ लोगों ने हिस्सा लिया. 

इस संस्था के फाउंडर राजेश वकारिया ने कहा कि हमारे देश में जानवर संरक्षण के लिए भी मंत्रालय है लेकिन मर्दों के हक की रक्षा के लिए कहीं कोई मंत्रालय नहीं है. यानी इस देश में मर्दों को जानवर से भी बदतर समझा जाता है. एक और पत्नी पीड़ित अमित देशपांडे ने पतियों को अपनी पत्नियों का पिंडदान करने को कहा. उन्होंने कहा कि इन पत्नियों ने अपने-अपने पतियों की जिंदगी नरक कर दी है. उनसे दिमागी शांति छीन ली है. इन पत्नी पीड़ित पुरुषों ने जीते जी अपनी पत्नियों का पिंडदान किया जो अब उनके साथ नहीं रहती हैं साथ ही साथ अपनी पूर्व पत्नियों के लिए पिशाचिनी मुक्ति पूजा भी की ताकि उनकी पत्नी से जुड़ी बुरी यादें भी उनके साथ ना रहें.

SIFF के संस्थापक वकारिया ने कहा कि हर साल 92 हजार पुरुष मेंटल टॉर्चर की वजह से आत्महत्या कर लेते हैं जबकि महिलाओं में ये आंकड़ा 24 हजार का है. वकारिया ने कहा कि दहेज विरोधी कानून यानी आईपीसी की धारा 498ए महिलाओं को उत्पीड़न से बचाने और पति के घर में पत्नी के शोषण को रोकने के लिए बनाई गई थी लेकिन पुरुषों के खिलाफ कई बार इस कानून का दुरुपयोग होता है और पुरुष इसके खिलाफ कुछ नहीं कर सकता.

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सुप्रीम कोर्ट पहुंचकर बदली 'लवस्टोरी', लड़की ने पति को ठुकराया... 

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नई दिल्ली। हां, मैंने उस युवक से शादी जरूर की थी, लेकिन अब मैं उसके साथ नहीं रहना चाहती। मैं अपने माता-पिता के साथ ही रहना चाहती हूं। यह शब्द में उस लड़की ने कहे, जिसने एक से प्रेम विवाह किया था। उस युवक ने विवाह के लिए हिन्दू धर्म अपनाकर अपना नाम भी आर्यन आर्य कर लिया था। दरअसल, सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में इस मामले की सुनवाई हुई थी। 33 वर्षीय मुस्लिम युवक ने 23 वर्षीय हिन्दू जैन महिला से रायपुर में शादी रचाई थी। इसके लिए युवक ने अपना धर्म भी बदल लिया था। युवक ने यह कहते हुए 17 अगस्त को बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर की थी कि लड़की के माता-पिता और एक हिन्दू ग्रुप ने उन्हें जबरन अलग कर दिया था।
 
चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा और जस्टिस एएम खानविलकर तथा डीवाई चंद्रचूड़ की पीठ ने युवक के वकील निखिल नैयर की याचिका का संज्ञान लेते हुए धमतरी के पुलिस अधीक्षक को महिला को 27 अगस्त को कोर्ट में पेश करने का आदेश दिया था।
 
यह कहा लड़की ने : महिला ने कोर्ट में कहा कि वो अपने पति के साथ नहीं बल्कि माता-पिता के साथ रहना चाहती है। जब चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा ने उसके घरवालों को कोर्टरूम से बाहर भेजकर फिर से उससे पूछा कि उस पर कोई दबाव तो नहीं है, लड़की ने इससे इंकार कर दिया। हालांकि लड़की ने इस बात से इनकार नहीं किया कि उसने उस युवक से शादी नहीं की। लड़की ने यह भी कहा था कि कहा कि उससे बहलाकर शादी की गई थी। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने साफ किया कि वो वैवाहिक स्थिति पर कोई टिप्पणी नहीं कर कहा है, लेकिन पीठ ने कहा कि लड़की की भावनाओं का सम्मान करना चाहिए क्योंकि वह पूरी तरह बालिग है।
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