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अमहट पुल पर कुआनो नदी में वाजपेयी का अस्थि विसर्जन करते वक्त नाव का संतुलन बिगड़ जाने से सांसद, विधायक, जिलाधिकारी और पुलिस अधीक्षक सहित कई लोग नदी में गिर पड़े.
खास बातें
नई दिल्ली : उत्तर प्रदेश के बस्ती जिले में पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के अस्थि कलश को विसर्जित करने के दौरान बड़ा हादसा होते-होते बचा. दरअसल, अमहट पुल पर कुआनो नदी में वाजपेयी का अस्थि विसर्जन करते वक्त नाव का संतुलन बिगड़ जाने से सांसद, विधायक, जिलाधिकारी और पुलिस अधीक्षक सहित कई लोग नदी में गिर पड़े. बताया जा रहा है कि बीजेपी के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष रमापति राम त्रिपाठी, सांसद हरीश द्विवेदी, कई विधायक, पुलिस अधीक्षक दिलीप कुमार समेत अन्य लोग नाव पर सवार थे. नाव की क्षमता इतने लोगों को ले जाने की नहीं थी. इसी वजह से नाव का संतुलन बिगड़ गया. बस्ती के पुलिस अधीक्षक दिलीप कुमार ने बताया कि ''अस्थि कलश को विसर्जित करने के लिये सांसद, विधायक सहित सभी अधिकारी एक बड़ी नाव में सवार थे कि अचानक नाव का संतुलन बिगड. गया.
वहां पर सुरक्षा के कड़े इंतजाम थे और तुरंत सभी लोगों को पानी से निकाल लिया गया और कोई हादसा नहीं हुआ. जिला अधिकारी राज शेखर ने कहा कि यह हादसा किनारे पर हुआ. इस वजह से बड़ा हादसा होते-होते बचा. नाव पलटने के बाद जो लोग नदी में गिर गए थे उन्हें तत्काल सुरक्षित निकाल लिया गया. आपको बता दें कि पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेयी के निधन के बाद बीजेपी सभी राज्यों में अस्थि कलश यात्रा निकाल रही है. उत्तर प्रदेश सरकार ने राज्य की सभी नदियों में पूर्व पीएम की अस्थियों को विसर्जित करने का निर्णय लिया है. इसी क्रम में तमाम जिलों में कार्यक्रम आयोजित किये जा रहे हैं.
अटल जी की अस्थि विसर्जन के दौरान हादसा
शनिवार दोपहर इलाहाबाद स्थित संगम में विसर्जित की गईं. भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी का अस्थि कलश शुक्रवार को उत्तर प्रदेश के उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य एवं मंत्री महेंद्र नाथ सिंह की अगुवाई में लखनऊ से यहां लाया गया था. अस्थि विसर्जन से पूर्व संगम तट पर आयोजित श्रद्धांजलि सभा में पश्चिम बंगाल के राज्यपाल केशरी नाथ त्रिपाठी, उत्तर प्रदेश के उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य, पर्यटन मंत्री रीता बहुगुणा जोशी, नागरिक उड्डयन मंत्री नंद गोपाल गुप्ता सहित अन्य गणमान्य लोगों ने अस्थि कलश को श्रद्धा सुमन अर्पित किए. पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का गत 16 अगस्त को दिल्ली में निधन हो गया था.
लोरमी. तक़दीर की अगर लकीर हाथो में हो तो ये बातें झूठी है,,क्यूंकि तकदीर उनकी भी होती है जिनकी हाथ ही नही होती,, रक्षा बंधन मतलब भाई-बहनों के प्रतिक का त्यौहार,, लेकिन यह त्यौहार इस भाई-बहनो के लिए बेहद ख़ास दिन है,, बहन के द्वारा अपने भाई को राखी पहनाने का ढंग कुछ अलग ही है, यहाँ बहन के हाथ नही होने से पैरो से बाँधी जाती है राखी।
रक्षाबंधन एक ऐसा पावन पर्व है जिसे प्रत्येक धर्म के अनुयायी पूरी श्रद्धा से मनाते हैं। आज के दिन बहने अपने भाइयो की कलाई पर राखी बांधती है।लेकिन एक ऐसी बहन जो अपने भाई की कलाई पर राखी तो बांधती है लेकिन हाथ से नही पैर से। दरअसल मुंगेली जिले के लोरमी विकासखंड के डिंडौरी गाँव में रहने वाले अनिल उपाध्याय परिवार की एक ऐसी बिटिया वंदना उपाध्याय जो महज 10 साल की है.
उसकी दोनों हाथ ही नहीं है और कंधो पर ही ऊँगली बन गया है यह कुदरत की ही देन है जिसके कारण वह अपना पूरा काम पैरो से कर लेती है। लेकिन रक्षा बंधन के दिन वंदना अपने भाई को पैरो से कलाई सजाती है, कुदरत ने उसके साथ भले ही अन्याय की हो पर वह अपनी इस कमी को कभी महसूस नही करती, वैसे वंदना पढ़ाई में तो होशियार है उसकी पढ़ाई घर में ही माता पिता के द्वारा कराई जाती है और वह अपने पैरों से लिख लेती है। वंदना का सपना है बड़ा होकर वो डाक्टर बनना चाहती है।
सभी लड़कियों को देखकर वंदना की माता का दिल पसीज जाता है उसकी नटखट अदाए उनके आँखों को नम कर देती है,वंदना की माँ का अरमान होता है की वो भी राखी के त्यौहार में सामान्य लड़कियों की तरह अपने हाथो से अपने भाई की कलाई में राखी बांधकर आशीर्वाद ले पर वो अब ऐसा कर नही सकती।
वंदना की माँ कहती है वंदना की ये जो स्थिति है यह बचपन से है वो इन्हें अपने स्तर से डाक्टर को दिखाकर इलाज कराया है, बतादें आर्टिफीशियल हाथ हो जाए तो वो भी सामान्य लोगों की तरह बन जाए लेकिन परिवार की स्थिति ऐसी नही की वो वंदना का इलाज कराने में सक्षम है इसलिए उन्होंने हमारे माध्यम से प्रशासन से अपनी बेटी का आर्टिफीशियल हाथ लगवाने मांग की है।
राखी की यह अनोखा बंधन जहां सजती है पैरो से कलाई,, बहरहाल 10 साल की वंदना के साथ कुदरत भी ऐसा क्या खेल खेली है उसे राखी को हाथ की बजाए पैर में पहनाना पड़ रहा है साथ ही वंदना की माँ के अरमान कैसे होगी यह आने वाला समय ही बतायेगा।
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