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लोरमी. तक़दीर की अगर लकीर हाथो में हो तो ये बातें झूठी है,,क्यूंकि तकदीर उनकी भी होती है जिनकी हाथ ही नही होती,, रक्षा बंधन मतलब भाई-बहनों के प्रतिक का त्यौहार,, लेकिन यह त्यौहार इस भाई-बहनो के लिए बेहद ख़ास दिन है,, बहन के द्वारा अपने भाई को राखी पहनाने का ढंग कुछ अलग ही है, यहाँ बहन के हाथ नही होने से पैरो से बाँधी जाती है राखी।
रक्षाबंधन एक ऐसा पावन पर्व है जिसे प्रत्येक धर्म के अनुयायी पूरी श्रद्धा से मनाते हैं। आज के दिन बहने अपने भाइयो की कलाई पर राखी बांधती है।लेकिन एक ऐसी बहन जो अपने भाई की कलाई पर राखी तो बांधती है लेकिन हाथ से नही पैर से। दरअसल मुंगेली जिले के लोरमी विकासखंड के डिंडौरी गाँव में रहने वाले अनिल उपाध्याय परिवार की एक ऐसी बिटिया वंदना उपाध्याय जो महज 10 साल की है.
उसकी दोनों हाथ ही नहीं है और कंधो पर ही ऊँगली बन गया है यह कुदरत की ही देन है जिसके कारण वह अपना पूरा काम पैरो से कर लेती है। लेकिन रक्षा बंधन के दिन वंदना अपने भाई को पैरो से कलाई सजाती है, कुदरत ने उसके साथ भले ही अन्याय की हो पर वह अपनी इस कमी को कभी महसूस नही करती, वैसे वंदना पढ़ाई में तो होशियार है उसकी पढ़ाई घर में ही माता पिता के द्वारा कराई जाती है और वह अपने पैरों से लिख लेती है। वंदना का सपना है बड़ा होकर वो डाक्टर बनना चाहती है।
सभी लड़कियों को देखकर वंदना की माता का दिल पसीज जाता है उसकी नटखट अदाए उनके आँखों को नम कर देती है,वंदना की माँ का अरमान होता है की वो भी राखी के त्यौहार में सामान्य लड़कियों की तरह अपने हाथो से अपने भाई की कलाई में राखी बांधकर आशीर्वाद ले पर वो अब ऐसा कर नही सकती।
वंदना की माँ कहती है वंदना की ये जो स्थिति है यह बचपन से है वो इन्हें अपने स्तर से डाक्टर को दिखाकर इलाज कराया है, बतादें आर्टिफीशियल हाथ हो जाए तो वो भी सामान्य लोगों की तरह बन जाए लेकिन परिवार की स्थिति ऐसी नही की वो वंदना का इलाज कराने में सक्षम है इसलिए उन्होंने हमारे माध्यम से प्रशासन से अपनी बेटी का आर्टिफीशियल हाथ लगवाने मांग की है।
राखी की यह अनोखा बंधन जहां सजती है पैरो से कलाई,, बहरहाल 10 साल की वंदना के साथ कुदरत भी ऐसा क्या खेल खेली है उसे राखी को हाथ की बजाए पैर में पहनाना पड़ रहा है साथ ही वंदना की माँ के अरमान कैसे होगी यह आने वाला समय ही बतायेगा।
::/fulltext::उज्जैन। श्रावणी पूर्णिमा रविवार के दिन धनिष्ठा नक्षत्र की साक्षी में आ रही है। धनिष्ठा पंचक का नक्षत्र है। पूर्णिमा के दिन आने से धार्मिक कार्यों में इसका पांच गुना शुभफल मिलेगा। धर्म शास्त्र में धनिष्ठा नक्षत्र को धनकारक नक्षत्र माना गया है। ज्योतिषियों के अनुसार इस नक्षत्र में राखी का आना बहन भाई दोनों के लिए समृद्धि देने वाला रहेगा।
::/introtext::ज्योतिषाचार्य पं.अमर डब्बावाला ने बताया पंचागीय गणना से देखे तो इस बार राखी रविवार के दिन पंचक के नक्षत्र धनिष्ठा में आ रही है। पूर्णिमा तिथि पर पंचक का नक्षत्र विशेष योग कारक होता है। मान्यता अनुसार पर्व काल के लिए यह पांच गुना अधिक शुभफल प्रदान करने वाला माना गया है। क्योंकि पूर्ण तिथि पूर्णिमा पर योग, दिवस तथा नक्षत्र यदि मध्यान पर्यंत हो तो इसकी शुभता और भी बढ़ जाती है। इस दिन शुभ मुहूर्त में भाई की कलाई पर रक्षासूत्र बांधने से बहन व भाई दोनों को सुख समृद्धि प्राप्त होगी। पं.डब्बावाला के अनुसार धनकारक योग में वस्तुओं की खरीदी पांच बार पुनरावृत्ति कराती है। इसलिए रक्षा बंधन पर सोने,चांदी के आभूषण, भूमि, भवन, वाहन तथा इलेक्ट्रॉनिक्स उत्पाद की खरीदी श्रेयष्कर रहेगी। इस दिन बहनों के लिए वस्त्र आदि की खरीदी भी शुभफलदायी मानी गई है
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