Owner/Director : Anita Khare
Contact No. : 9009991052
Sampadak : Shashank Khare
Contact No. : 7987354738
Raipur C.G. 492007
City Office : In Front of Raj Talkies, Block B1, 2nd Floor, Bombey Market GE Road, Raipur C.G. 492001
नई दिल्ली: हममें से कई लोग गोल्ड की खरीदारी या तो गहने-आभूषणों के रूप में या फिर निवेश के उद्देश्य से कर चुके हैं. अगर आप भी गोल्ड खरीदने की प्लानिंग कर रहे हैं तो आपको कुछ बातों का पता होना बहुत जरूरी है. आपको ये पता होना चाहिए कि गोल्ड कैरेट क्या होते हैं और कितने तरह के गोल्ड कैरेट होते हैं. सोने की खरीदारी करते वक्त हमें ये तो पता होता है कि हमारा लिया हुआ गोल्ड 22 कैरेट का है या फिर 24 कैरेट का लेकिन हम से ये चंद लोगों को ही पता होगा कि 22 कैरेट, 23 कैरेट या 24 कैरेट के बीच महत्वपूर्ण अंतर क्या है. इन्वेस्टमेंट के लिए अगर गोल्ड खरीदना है तो कौन से कैरेट का गोल्ड खरीदना चाहिए. अगर आप भी इन्हीं सवालों से जूझ रहे हैं तो यहां आपके सभी सवालों का जवाब है.
सोना खरीदते वक्त सबसे पहले आपको 22 और 24 कैरेट सोने के बीच का फर्क मालूम होना चाहिए. असल में कैरेट से ही गोल्ड की प्योरिटी की पहचान होती है. जितना अधिक कैरेट का गोल्ड होगा उतना ही प्योर होगा. गोल्ड को 0 से 24 के पैमाने पर मापा जाता है. इसमें 24 कैरेट का गोल्ड सबसे ज्यादा शुद्ध माना जाता है.
अगर 23 कैरेट गोल्ड की बात करें तो यह भी उच्च शुद्धता वाला असली सोना होता है 23 कैरेट गोल्ड शुद्ध सोना है जिसमें 95.8 परसेंट सोना और 4.2 परसेंट बाकी के धातु मिले हुए होते हैं. 23 कैरेट गोल्ड 958 गोल्ड के नाम से जाना जाता है. 23 कैरेट गोल्ड थाईलैंड में काफी ज्यादा पॉपुलर है लेकिन ज्यादातर देशों में अभी भी 22 या 24 कैरेट गोल्ड ही लिया जाता है. 23 कैरेट गोल्ड उन लोगों के लिए एक अच्छा ऑप्शन है जिन्हें हाई क्वालिटी गोल्ड चाहिए. इसके भी आभूषण बनते हैं और प्रचलित होते हैं. हालांकि निवेश के उद्देश्य से ज्यादातर लोग 24 कैरेट और आभूषण बनवाने के लिए 22 कैरेट गोल्ड ही खरीदते हैं.
जमा हुआ पानी सबसे आम जगहों में से एक है जहां आप मच्छरों के लार्वा को छिपाते हुए पाएंगे क्योंकि पानी वह जगह है जहां मादा मच्छर अंडे देती हैं। प्रत्येक मादा मच्छर में अंडे देने की क्षमता होती है जो संभावित रूप से 1,000 से अधिक मच्छरों में बदल सकती है।
ऑलिव ऑयल
मच्छर के लार्वा को नेचुरल तरह से मारने का सबसे अच्छा तरीका एक्स्ट्रा वर्जिन ऑलिव ऑयल और पानी का कॉम्बिनेशन है। इसके लिए एक गैलन पानी में एक चम्मच एक्स्ट्रा वर्जिन ऑलिव ऑयल मिलाएं और इसे लार्वा वाली जगह पर छिड़क दें।
दालचीनी की खुशबू
अगर आपको अपनी पानी की टंकी में लार्वा दिख रहे हैं तो टंकी को पहले खाली कर दें इसके बाद इसे एक साफ कपड़ से अच्छी तरह से साफ करें। इसके बाद टंकी के अंदर दालचीनी का तेल डालकर सतह पर अच्छी तरह से लगा दें। दालचीनी की खुशबू में लार्वा नहीं टिकते हैं। इसके बाद पानी की टंकी भरी जा सकती है।
कुछ ऐसी मछलियां होती हैं जो मच्छरों का लार्वा खाती हैं। ऐसी 1-2 मछलियों को आप अपनी टंकी में रख सकते हैं। कई ऐसे पेस्टिसाइड्स होते हैं जो मच्छरों के लार्वा को 1 दिन में ही खत्म कर सकते हैं। आप किसी एक्सपर्ट की मदद से ऐसे पेस्टिसाइड्स लाकर अपनी टंकी में डाल सकते हैं।
जमें पानी में एप्पल साइडर विनेगर मिलाएं
साबुन से मच्छरों के लार्वा को मारना वास्तव में सरल है क्योंकि प्रत्येक गैलन पानी के लिए केवल एक मिलीलीटर साबुन की आवश्यकता होती है। साबुन का एक मिलीलीटर जोड़ें और मच्छर के लार्वा को एक दिन में कम से कम मार दिया जा सकता है।
यदि आप सभी मच्छरों के लार्वा को मारने का एक त्वरित तरीका ढूंढ रहे हैं, तो आप पानी में डिश सोप या तेल की एक बूंद मिला सकते हैं। पानी की एक बड़ी कटोरी में डिश सोप या तेल की एक बूंद मच्छरों को घंटों के भीतर मार देगी। ऐसा इसलिए है क्योंकि मच्छर पानी पर तैरने के बजाय साबुन या तेल के साथ पानी में डूब जाएंगे।
ऐसे पहचानें
मच्छर का लार्वा छोटे बालों वाले कीड़े की तरह दिखते हैं और इनका साइज लगभग 1/4 इंच होता है। लार्वा को पहचानने का सबसे आसान तरीका ये है कि जब आप पानी की टंकी या पानी से भरे गमलों को गौर से देखेंगे तो लार्वा आपको पानी की सतह के पास उल्टे लटकते हुए एक घुमावदार पोजिशन में दिखेंगे। लार्वा का ऊपरी हिस्सा नीचे की तुलना में डार्क होता है और पीछे का हिस्सा पूंछ की तरह दिखता है। अगर किसी दिन आपकी पानी की टंकी या गमलों के आसपास डेंगू मच्छर मिला है तो आपको उसके 7 से 8 दिन बाद लार्वा को जरूर चेक करना चाहिए। क्योंकि मच्छर केअंडा को फूटने में करीब 1 हफ्ते का वक्त लगता है और उसके बाद उसमें से लार्वा निकलता है। लार्वा पानी में कितने दिन रहेगा यह पानी के तापमान पर निर्भर करता है। वैसे लार्वा 4 से 14 दिन तक रह सकता है।
खाना बनाने में होने वाला सस्ता तेल सेहत के लिए हानिकारक होता है। और अगर घर में कोई दिल का मरीज हो तो तब तो डॉक्टर या एक्सपर्ट की सलाह से ही तेल का इस्तेमाल किया जाता है। हालांकि मुनाफाखोरी के लिए बाजार में धड़ल्ले से मिलावटी तेल बिक रहा है जो सेहत के लिए बेहद खतरनाक है। तेल को रीफ्रेश और क्वालिटी पूर्ण दिखाने के लिए केमिकल का भरपल्ले से प्रयोग किया जाता है। जी हां, मेटनिल येलो या TOCP (Tri-ortho-cresylphosphate) जैसे केमिकल का इस्तेमाल किया जाता है। FSSAI (फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया) द्वारा एक वीडियो शेयर किया गया है जिसमें तेल की गुणवत्ता परख कर मिलावटी तेल खाने से बचा जा सकता है।
गौरतलब है कि तेल को पीला दिखाने के लिए मेटनिल जैसे कलर का इस्तेमाल किया जाता है। जिसे कोई भी डिटेक्ट कर सकता है। FSSAI द्वारा वीडियो जारी किया गया है। एक टेस्ट ट्यूब में 1 एमएल तेल डाले। इसके बाद 4 एमएल पानी डालकर अच्छे से मिलाए। एक ट्यूब में यह मिक्चर डाल दें और अन्य वीडियो में कॉन्सेंट्रेटिड हाइड्रोक्लोरिक एसिड मिलाए। अगर तेल शुद्ध तेल होगा तो उसकी उपरी लेयर का तेल नहीं बदलेगा। और मिलावटी तेल में रंग बदल जाएंगा। इस तरह आप मिलावटी तेल की जांच कर सकते हैं।