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महिलाओं की जिंदगी में ऐसी कई ढेर सारी परेशानियां आती हैं जिसे वह चुप चाप सह लेती हैं और बाद में जब वह बीमारी बढ़ जाती है तो मुसीबत हो जाती है। जब बता वेजाइनल इंफेक्शन की हो तो महिलाएं यह बात किसी को नहीं बताती । लेकिन आपको समझना होगा कि आपकी योनि काफी नाजुक होती है जिसे समय समय पर देखभाल की जरुरत होती है। आज हम योनि से जुड़ी कुछ समस्याओं की बात करेगे, जिसे बिल्कुल भी नजरअंदाज नहीं करना चाहिये और समय रहते ही तुरंत डॉक्टर को दिखाना चाहिये। आइये जानते हैं उसके बारे में....
1. पेशाब करते वक्त जलन, दर्द या फिर डिस्चार्ज
महिलाओं को पेशाब करने में उस वक्त परेशानी हो सकती है जब उनके वेजाइना में तेज दर्द या जलन महसूस होने लगे। इसके अलावा अगर डिस्चार्ज में कोई तेज गंध या फिर गाढा पीले रंग का कुछ निकलने लगे। ऐसे में तुरंत डॉक्टर को दिखाना चाहिये।
इसके अलावा वेजाइना से निकलने वाला डिस्चार्ज छाग दार भी हो सकता है। यह ईस्ट इंफेक्शन के कारण हो सकता है। अगर आपने डॉक्टर को तुरंत नहीं दिखाया तो यह मुसीबत काफी भयंकर साबित हो सकती है।
कई महिलाओं को पेशाब करते वक्त काफी जलन होती है। यह जलन यूटीआई का लक्षण भी हो सकता है। इसके लिये आपको ढेर सारा पानी या फिर एंटीबायोटिक दवाइयों का सेवन करना शुरु कर देना चाहिये।
2. वेजाइना में सूजन और खुजली होना
इसके कई सारे कारण हो सकते हैं कि आपके वेजाइना में सूजन और खुजली हो रही हो। ज्यादातर बार यह एक नए अंडरवियर या डिटर्जेंट पाउडर के कारण होने वाली एलर्जी होती है। ऐसे संक्रमणों को एंटीहिस्टामाइन से ठीक किया जा सकता है
हालांकि, इसके दूसरे कारण भी हो सकते हैं जैसे, STI 'ट्रिचोनोनीएसिस' आदि, जो परजीवी के कारण होता है और आम तौर पर उन लोगों में होती है जो यौन सक्रिय हैं। यह परजीवी अत्यधिक खुजली का कारण बनता है। इसकी वजह से योनि में जलन और लाल रंग के चकत्ते भी पड़ सकते हैं। यदि अत्यधिक खुजली और एलर्जी की दवा लेने के बाद भी पीड़ा में कमी नही हो, तो आपको तत्काल एक चिकित्सक को देखने की ज़रूरत है। इसके अलावा हो सकता है कि डॉक्टर आपको और आपके पार्टनर को लैब टेस्ट करवाने के लिये सलाह दे, जिससे आप दोंनो एक दूसरे को इंफेक्शन ना फैला पाएं।
3. गांठ या योनि क्षेत्र के आसपास कोई चोट
योनि को छूने पर कोई गांठ जैसी महसूस हो रही है, जिसका आप पता नहीं लगा पा रही हैं तो, परेशान ना हों। अगर योनि में गांठ है तो यह एक आम सी सिस्ट हो सकती है जो कि बिल्कुल भी हानिकारक नहीं है।
इस बात के लिये आपको डॉक्टर के पास जाने की जरुरत नहीं है और इसका इलाज घरूले तरीके से किया जा सकता है।
4. सेक्स के बाद ब्लीडिंग होना
सेक्स के बाद एक महिला को रक्तस्राव क्यों हो सकता है, इसका एक और कारण है जैसे, STI क्लैमाइडिया हो सकता है। रजोनिवृत्ति या प्रसव के कारण योनि को नुकसान पहुंचने के कारण योनि में सूखापन आ जाता है। यह गर्भाशय ग्रीवा के कैंसर का एक सामान्य लक्षण भी होता है। यह बहुत जरुरी है कि आप जल्द से जल्द अपना इलाज करवाएं।
महिलाओं के शरीर में गर्भाशय एक बहुत ही अहम अंग होता है क्योंकि यह होने वाले बच्चे का पालन पोषण करने के साथ साथ उसकी सुरक्षा करने का भी काम करता है। आपको बता दें कि स्वस्थ गर्भाशय स्वस्थ प्रेगनेंसी के लिए जरुरी है नहीं तो कई सारी समस्याएं जैसे PCOS (पॉलीसिस्टिक ओवेरियन सिंड्रोम), फाइब्रोइड्स आदि गर्भाशय को प्रभावित कर सकती हैं। गर्भाशय और ओवरी को स्वस्थ रखने के लिए आपको कुछ हेल्दी फूड्स का सेवन करना चाहिए।
आप जो भी खाते हैं वो आपके जनन तंत्र को प्रभावित करता है इसलिए आपको विटामिन D, एंटीआक्सीडेंट और ओमेगा 3 फैटी एसिड आदि को अपनी डाइट में शामिल करना चाहिए। ये न्यूट्रीयेंट्स ओवरी और गर्भाशय को स्वस्थ रखने के लिए महत्वपूर्ण होते हैं। आइये इन अंगो को स्वस्थ रखने के लिए जरुरी चीजों के बारे में और अधिक विस्तार से बात करते हैं।
1- फाइबर युक्त फूड्स:
फाइबर युक्त चीजें खाने से शरीर के टॉक्सिक पदार्थ बाहर निकल जाते हैं। इसके अलावा ये शरीर में ज्यादा मात्रा में जमा होने वाले एस्ट्रोजन को भी बाहर निकालता है। इसके लिए आप बीन्स, लेगुम्स, सब्जियां, फलों और सम्पूर्ण अनाज का सेवन कर सकते हैं।
2- सब्जियां:
सब्जियां कैल्शियम, मैग्नीशियम और ढेर सारे विटामिन्स का स्रोत होती हैं। ये फाइब्रोइड्स ट्यूमर को बनने से रोकते हैं जिससे आपके गर्भाशय में होने वाला ट्यूमर नहीं बनता है और वह स्वस्थ रहता है।
3- फल:
फलों में ढेर सारे विटामिन्स और मिनरल्स पाए जाते हैं जो गर्भाशय में फाइब्रोइड्स के निर्माण को कम करते हैं। इसके अलावा फल एस्ट्रोजन के लेवल को भी नियंत्रित करते हैं जिससे आपको ओवरी में कैंसर आदि संभावना कम रहती है और आपका जनन तंत्र स्वस्थ रहता है।
4- डेरी प्रोडक्ट्स:
अगर आप अपने खाने पीने की चीजों में लगातार दही, पनीर और दूध आदि का सेवन करते हैं तो आपका गर्भाशय और ओवरी स्वस्थ रहेंगे। इन चीजों में बहुत अधिक मात्रा में कैल्शियम और विटामिन पाए जाते हैं। कैल्शियम हड्डियों को मजबूत बनाता है और विटामिन D गर्भाशय के फाइब्रोइड्स को दूर रखता है।
5- ग्रीन टी:
आपको बता दें कि ग्रीन टी ना केवल गर्भाशय और ओवरी को स्वस्थ रखता है बल्कि उनमे बनने वाले फाइब्रोइड्स को भी रोकता है। इसके लिए महिलाओं को रोजाना लगभग 8 हफ़्तों तक ग्रीन टी का सेवन करना चाहिए जिससे उनका गर्भाशय स्वस्थ रहे।
6- मछली:
मछली जैसे सालमन में बहुत अधिक मात्रा में ओमेगा 3 फैटी एसिड होता है। इसका सेवन करने से महिलाओं में प्रोस्टाग्लैंडिन्स का निर्माण कम होता है जोकि महिलाओं में गर्भाशय के संकुचन के लिए जिम्मेदार होते हैं।
7- नींबू:
नींबू में बहुत ज्यादा मात्रा में विटामिन सी होता है जो इम्यून सिस्टम को मजबूत करता है। इसका सेवन करने से महिलाओं के गर्भाशय और ओवरी में बैक्टीरिया द्वारा होने वाले खतरनाक इन्फेक्शन नहीं होते हैं।
8- हरी पत्तेदार सब्जियां:
हरी पत्तेदार सब्जियां जैसे पालक आदि को खाने से गर्भाशय का क्षारीय संतुलन नियंत्रित रहता है। इसके सेवन से सारे न्यूट्रीयेंट्स जैसे फ़ॉलिक एसिड आदि मिलते हैं जिससे गर्भाशय स्वस्थ रहता है।
9- नट्स:
नट्स और बीज हॉर्मोन के निर्माण के लिए जरुरी होते हैं। नट्स जैसे बादाम, अलसी का बीज और काजू आदि में ओमेगा 3 फैटी एसिड और गुड कोलेस्ट्राल की मात्रा जयादा होती है। ओमेगा 3 फैटी एसिड फाइब्रोइड्स को दूर करके गर्भाशय में होने वाले कैंसर को रोकता है।
10- कैस्टर ऑयल :
कैस्टर ऑयल सभी घरों में आमतौर पर इस्तेमाल होता है। इसका इस्तेमाल ब्यूटी के साथ साथ स्वास्थ्य के लिए भी किया जाता है। इसमें मौजूद रिकोनोलेयिक एसिड ओवरी में बनने वाले सिस्ट और गर्भाशय के फाइब्रोइड्स को ठीक करता है और शरीर के इम्यून सिस्टम को भी मजबूत करता है।
11- बेरी:
बेरी में प्रचुर मात्रा में एंटीआक्सीडेंट पाए जाते हैं जो ओवरी को फ्री रेडिकल्स से बचाने का काम करते हैं। बेरी को शानदार फ़ूड माना जाता है जो ओवरी और गर्भाशय को कई तरह की दिक्कतों से बचाता है। इसके लिए आप इसे अपने डाइट में सलाद के रूप में इस्तेमाल कर सकते हैं।
एक रिलेशनशिप में इमोशंस के साथ फिजिकल रिश्ता भी स्वस्थ होना बहुत जरुरी है। रिलेशनशिप में आने के बाद हर शख्स अपने रिश्ते को खुशहाल और मजबूत बनाने के बारे में सोचता है। इस मामले में व्यक्ति की सेक्स लाइफ भी अहम भूमिका निभाती है।
मौजूदा समय में हर तरह की जानकारी इंटरनेट पर मौजूद है, पर जानकारी के साथ कई तरह के भ्रम भी फैले हुए। हर कपल अपने इंटिमेट रिलेशन को बेहतर बनाना चाहता है मगर उन्हें इस बारे में पूरी जानकारी नहीं है। कुछ लोगों के मुताबिक अच्छी सेक्स लाइफ का मतलब है आप कितनी बार फिजिकल होते हैं तो वहीं कुछ लोगों की मानें तो एक या एक से ज्यादा बार ऑर्गेज्म का आना हेल्दी सेक्स लाइफ को दर्शाता है। जानते हैं सेक्स से जुड़े अलग अलग पहलुओं और नजरियों के बारे में।
वैसे तो एक शिशु के लिए मां का दूध ही सर्वोत्तम आहार माना गया है। लेकिन जैसे-जैसे बच्चा बड़ा होता है, मां के दूध से उसकी भूख नहीं मिटती और ऐसे में उसे फीड कराने के लिए मां बोतल का सहारा लेती है। इसके अलावा भी ऐसे कई कारण होते हैं, जिसके कारण मां बच्चे को बोतल से फीड करवाती है। वैसे तो बच्चे को बोतल से दूध पिलाने में कोई बुराई नहीं है, लेकिन अगर बोतल को अच्छी तरह से क्लीन व डिसइंफेक्ट ना किया जाए तो इससे बच्चे के संक्रमित होकर बीमार होने की संभावना काफी अधिक बढ़ जाती है।
दरअसल, जब बच्चे को बोतल से दूध पिलाया जाता है तो बोतल में छोटे-छोटे कीटाणु फंस जाते हैं और अगर उसे स्टेरलाइज ना किया जाए तो इससे बच्चे को कई तरह की स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं। यह तो हम सभी जानते हैं कि नवजात शिशु रोगाणु, बैक्टीरिया, वायरस और अन्य सूक्ष्मजीवों के लिए अतिसंवेदनशील होते हैं, इसलिए यह पैरेंट्स की जिम्मेदारी है कि उन्हें बच्चे की दूध की बोतल को क्लीन करने व स्टेरलाइज करने का सही तरीका पता होना चाहिए। तो चलिए आज इस लेख में हम आपको बेबी की दूध की बोतल को क्लीन करने का सही तरीका बता रहे हैं-
इस तरीके को अपनाने के लिए आप सबसे पहले बच्चे की बोतल को खोलें और उसे सभी भागों को अलग करें। अब उन्हें एक बड़े पैन में एक साथ रखें। अब पैन को पानी से भरें ताकि बोतल के सभी हिस्से पानी में अच्छी तरह से डूब जाएं। इसके बाद, गैस को पानी को उबलने दें। इस उबलते पानी में बोतल को 5 मिनट तक रखें। पानी ठंडा होने पर बोतल के हिस्सों को निकाल लें। अब इन्हें दूसरे ठंडे पानी से धो लें और बोतल के हिस्सों को हवा में सूखने दें। सुनिश्चित करें कि शिशु को दूध पिलाने के लिए बोतल का इस्तेमाल करने से पहले सभी हिस्से पूरी तरह से सूख चुके हों।
ब्लीच की मदद से बोतल को करें साफ
यह भी एक तरीका है बच्चे की बोतल को डिसइंफेक्ट करने का। इसके लिए आप ब्लीच की मदद लें। सबसे पहले आप 10-12 कप पानी में 2 चम्मच ब्लीच मिलाएं। अब बोतल को खोलें, सभी भागों को अलग करें और उन्हें ब्लीच पानी में डालें। इसे 5 मिनट तक इस पानी में रहने दें। बोतल के सभी हिस्से सही तरह से साफ हो, इसके लिए आप बोतल क्लीनर का उपयोग भी कर सकते हैं। इसके बाद बोतल को सामान्य पानी से साफ न करें अन्यथा बोतल में कीटाणु फिर से हो सकते हैं। उपयोग करने से पहले बोतल को हवा में सूखने दें।
अगर आप चाहते हैं कि बोतल से दूध पीने से बच्चे को कोई परेशानी या हेल्थ प्रॉब्लम ना हो तो ऐसे में आप सबसे पहले अपने नवजात शिशु के लिए एक अच्छी गुणवत्ता की बोतल चुनें।
नवजात शिशु को बोतल से दूध पिलाने के बाद बचे हुए दूध को कभी भी बोतल में ऐसे ही ना छोड़ें। हर बार इस्तेमाल के बाद आप बचे हुए दूध को बोतल से निकालें और उसे तुरंत साफ करें। इसके अलावा आप दिन में एक बार बच्चे की बोतल को उपर दिए गए तरीकों की मदद से स्टेरलाइज जरूर करें।
इसके अलावा आप बोतल और उसके अन्य हिस्सों को गर्म और साबुन के पानी से भी धो सकते हैं। आप इसे साफ करने के लिए ब्रश का उपयोग करते हैं और फिर उन्हें हवा में सूखने के लिए छोड़ दें। हमेशा यह सुनिश्चित करें कि आप उन्हें नियमित रूप से साफ करें।
उपरोक्त दिए गए तरीकों के अलावा, अगर आप चाहें तो बेबी की बोतल को क्लीन करने के लिए मिलने वाले स्टेरलाइजर की मदद भी ले सकते हैं। आप अपनी जरूरत व बच्चे की बोतल के साइज के अनुसार स्टेरलाइजर को खरीद सकते हैं।