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लंबाई को अच्छी पर्सनैलिटी के लिए जरूरी माना जाता है। यही वजह है कि हर पैरेंट्स चाहते हैं कि उनके बच्चे की लंबाई ठीक रहे। कहा जाता है कि बच्चों की हाईट एक उम्र तक ही बढ़ती है, इसलिए उन महत्वपूर्ण उम्र तक बच्चों की लंबाई के लिए डाईट का खास ध्यान रखना चाहिए। हालांकि लंबाई कम होने के कई कारण हो सकते हैं, जिसमें सबसे अहम है अनुवांशिक गुण, जो हर बच्चे को उसके पैरेंट्स से मिलते हैं। पर इन सबसे परेशान होने की जरूरत नहीं है। दरअसल कुछ ऐसे तरीके हैं, जिनकी मदद से आप बच्चे की लंबाई को बढ़ा सकते हैं। इस ब्लॉग में हम आपको बताएंगे कुछ ऐसे ही उपायों के बारे में।
इस तरह बढ़ेगी बच्चे की हाईट
लंबाई बढ़ाने के लिए ये घरेलु तरीके भी अपनाएं
अगर आपने कपड़े बदलते वक्त नोटिस किया हो कि आपके ब्रेस्ट के नीचे लाल रंग के चकत्ते दिख रहे हैं, तो उसे यू़ं ही इगनोर ना करें। स्तनों के नीचे रैशेस आना बहुत आम समस्या है। यह समस्या कई कारणों से हो सकती है। जिसमें अधिक पसीना आना, वायु प्रवाह ठीक से न होना तथा बहुत अधिक कसी हुई ब्रा पहनना आदि। इसके अलावा अन्य कारक जैसे गरम और नम वातावरण तथा मोटापा भी इस समस्या को अधिक बढ़ाने का काम करते हैं।
अगर मेडिकल टर्म की बात करें तो इस समस्या को Interigo के रूप में जाना जाता है। अगर आप या आपके घर में किसी लेडी को यह समस्या आ गई तो उन्हें तुरंत आराम दिलाने के लिये नीचे दिये गए इन घरेलू उपचारों का प्रयोग जरुर करें।
अगर स्तनों के रैश से छुटकारा पाना है तो ब्रा पहन कर ना सोएं। बेहतर होगा यदि आप एक ढीला फिटिंग सूती कपड़ा या टी शर्ट पहन कर ही रात में बिस्तर पर जाएं।
2. ठंडे पानी से सिकाई करें
एक महीन सूती कपड़े में कुछ बर्फ़ लें तथा इसे प्रभावित स्थान पर लगभग 10 मिनिट तक रखें। कुछ समय के लिए रुकें तथा फिर दोहरायें। अन्य विकल्प यह है कि स्किम मिल्क और ठंडे पानी की बराबर मात्रा मिलाकर उससे सेंकें। इससे सूजन कम होगी तथा खुजली से भी आराम मिलेगा। इसके अलावा ठंडे पानी से नहायें। इससे त्वचा के रोम छिद्र बंद होने में सहायता मिलेगी। इससे पसीना कम आएगा तथा रैशेस भी कम आयेंगे।
3. तुलसी की पत्तियां
तुलसी के पत्तों में कई औषधीय गुण होते हैं। कुछ तुलसी के पत्ते लेकर उनको कुचल कर पेस्ट बना लें। फिर इस पेस्ट को रैश वाली जगह पर लगाएं। जब यह पेस्ट सूख जाए तब इसे साफ पानी से धो लें।
4. कॉर्न स्टार्च लगाएं
स्तनों के नीचे आने वाले रैशेस से निपटने का सबसे अच्छा तरीका है कि स्तनों के नीचे पसीना न जमने दिया जाए। नमी को सोखने के लिए अपने स्तनों के निचले भाग को साफ कर के उस पर कॉर्न स्टार्च लगाएं। इससे पसीना ही नहीं जमेगा और आपको रैश नहीं होगा।
5. सिरका
आधी बाल्टी गरम पानी में आधा कप विनेगर मिलाएं। अपनी ब्रा धोने के लिए इस पानी का उपयोग करें तथा उसे सूरज की रोशनी में सुखाएं। खुजली पर त्वचा पर लगाने के लिए ऐप्पल सीडर विनेगर भी एक अच्छा विकल्प है। प्रभावित त्वचा को साबुन के पानी से धोएं, फिर इसे ठंडे पानी से धोएं और थपथपाकर सुखाएं। एक टी स्पून ऐप्पल सीडर विनेगर को एक कप पानी में मिलाएं तथा इसे खुजली वाले स्थान पर लगायें। इसे प्रतिदिन दो से तीन बार करें। यदि ऐसा करने से कोई परेशानी हो तो इसे रोक दें।
6. नारियल का तेल
नारियल का तेल त्वचा के लिए लाभकारी होता है तथा इसमें चिकित्सीय गुण भी होते हैं तथा इस प्रकार रैशेस से आराम पहुंचाता है। इसके अलावा इसमें चिकनाई का गुण होता है जिसके कारण यह घर्षण कम करने में सहायक होता है। इस घर्षण के कारण ही ब्रेस्ट के नीचे रैशेस आते हैं। इसके अलावा इसमें एंटीबैक्टीरियल और एंटीफंगल गुण होते हैं जो संक्रमण को रोकने में सहायक होते हैं। एक्स्ट्रा विर्जिन कोकोनट ऑइल को
प्रभावित क्षेत्र पर लगायें तथा इसे पूर्ण रूप से त्वचा में अवशोषित होने दें। इसे दिन में दो से तीन बार करें जब तक कि रैशेस पूर्ण रूप से ठीक न हो जाएँ।
7. कैलामाइन लोशन
ब्रेस्ट रैश के कारण होने वाले खुजली से आराम पाने के लिए तथा घाव भरने की प्रक्रिया को तीव्र करने के लिए कैलामाइन लोशन का उपयोग किया जा सकता है। यह उस स्थान को सूखा रखने में सहायक होता है तथा संक्रमण की संभावना को कम करता है। प्रभावित त्वचा को हलके साबुन और गुनगुने पानी से साफ़ करें। इस स्थान को टॉवेल से सुखाएं। कॉटन बॉल (रुई) की सहायता से कैलामाइन लोशन लगायें। इसे दिन में कई बार दोहरायें।
8. एलो वीरा
एलो वीरा ब्रेस्ट के नीचे आने वाले रैशेस में होने वाली खुजली और जलन से राहत पहुंचाने में सहायक होता है। एलो वीरा की पत्तियों से ताज़ा रस निकालें तथा इसे प्रभावित क्षेत्र पर लगायें। इसे लगभग 20 मिनिट तक लगा रहने दें। आपको इसे धोने की आवश्यकता नहीं है। आप एलोवीरा जेल के साथ हल्दी मिला कर भी लगा सकते हैं। इसे लगभग 20 से 30 मिनिट तक लगा रहने दें तथा बाद में धो डालें।
गर्भावस्था के दौरान आपके डॉक्टर हों या फिर परिवार के सदस्य। सब आपको एक सुझाव तो जरूर देते होंगे कि इस समय में अपने खान-पान का सबसे अधिक ख्याल रखना चाहिए। लेकिन प्रेग्नेंसी के दौरान अधिकांश महिलाओं का ये भी कहना होता है कि उनको कई बार भूख का एहसास ही नहीं होता है। हो सकता है कि आप भी इस समस्या का सामना कर रही हों।
इसके साथ ही एक और कठिनाई ये है कि जब आप इस समस्या के बारे में किसी को बताती होंगी तो जवाब यही आता होगा कि भूख लगे या ना लगे लेकिन आपको तो खाना ही चाहिए। तो चलिए, हम आज इस ब्लॉग में आपको सबसे पहले प्रेग्नेंसी में भूख ना लगने के कारणों और निवारण के भी आसान उपायों के बारे में बताने जा रहे हैं।
गर्भावस्था में भूख ना लगने के कारण
ज्यादातर महिलाओं को गर्भावस्था मे भूख ना लगने कि बात सामने आती है कारण चाहे जो भी हो पर ये आपके और होने वाले बच्चे के लिये सही नही है।
पहली तिमाही में भुख ना लगने का सबसे पहला कारण है की गर्भावस्था के दौरान हॉमोन का असंतुलन जिसकी वजह से जी मिचलाता रहता है और अपको कुछ खाने का मन नहीं करता। साथ ही बार बार उल्टी होने कि वजह से मुंह का स्वाद खराब हो जाता है जिससे कुछ खाने का मन नहिं करता है ।
गर्भावस्था के दूसरे तिमाही मे आपका पाचन तंत्र धीमा हो जाता है। बच्चे के बढ़ते आकार के कारण आपके पेट पर पड़ने वाले दबाव कि वजह से गर्भावस्था में भूख कम लगती है और कब्ज की शिकायत रहती है। इसके अलावा गर्भावस्था में मानिसक तनाव और दुसरे कई शारीरक और मानिसक परिवर्तन होते रहते हैं जिसके कारण गर्भावस्था मे भूख ना लगने की शिकायत होती है।
गर्भावस्था के आखिरी यानि तीसरे तिमाही में हॉर्मोन का स्तर बढ़ जाता है जिससे आपका पाचन धीमा पड जाता है। इस तिमाही मे आपको आयरन खाने की सलाह भी दी जाती है जिसके कारण आपको कब्ज कि समस्या रहती है और भूख कम लगती है। गर्भावस्था के आखिरी दिनों मे आपके बच्चे का बढ़ा आकार आपके पेट पर दबाव डालता है जिसके कारण आपको भूख कम लगती है और थोडा सा खाना खाने पर पेट भरा महसुस करती हैं।
गर्भावस्था के दौरान भूख बढ़ाने के उपाय
अब हम आपको कुछ ऐसे आसान उपायों के बारे में बताने जा रहे हैं जिनकी मदद से आप को प्रेग्नेंसी के दौरान भूख ना लगने की समस्या का निवारण हो जाएगा। तो देर किस बात की है। अभी से आजमाएं इन उपायों को..
याद करें उन पलों को जब आपने मां बनने के बाद सबसे पहली बार अपने शिशु की नर्म और कोमल त्वचा का स्पर्श किया। इस स्पर्श के एहसास को याद करके ही आप रोमांचित महसूस करने लग जाती होंगी। लेकिन इसके साथ ही आप ये भी चाहेंगी कि आपके शिशु की त्वचा ऐसे ही नर्म और मुलायम बनी रहे। मौसम में आ रहे बदलाव और हमारी दैनिक दिनचर्या का प्रभाव सबसे ज्यादा हमारी त्वचा पर ही होता है। जिस प्रकार हम और आप अपने स्किन का ध्यान रखते हैं ठीक उसी तरह से नन्हें शिशु की त्वचा का(Newborn skin care) भी ख्याल रखना चाहिए।
तो चलिए आज हम आपको इस ब्लॉग में बताने जा रहे हैं कि कैसे आप अपने शिशु की रूखी त्वचा (Dry Skin) से संबंधित समस्या को आसानी से दूर कर सकते हैं।
नवजात शिशु की रुखी त्वचा को कैसे करें दूर ?
जैसा कि हम जानते हैं कि नवजात बच्चों की त्वचा बेहद नाजुक और अति संवेदनशील होती है और यही वजह है कि हमारे आसपास के वातावरण के प्रभाव से इनकी त्वचा में नमी की कमी हो सकती है। अपने शिशु की रूखी त्वचा को कोमल बनाने के लिए आप इन आसान उपायों को आजमा सकती हैं।
1. शिशु को नहलाएं(Bath) - शिशु को नहलाना जरूर लेकिन इसके साथ ही एक मां होने के नाते आपको जरूर पता होना चाहिए कि बच्चे को नहलाने के समय में किन जरूरी बातों का ध्यान रखना चाहिए। [अवश्य पढ़ें - क्या स्तनपान करने वाले शिशु को पानी पिलाना चाहिए ?]
तो ये तो सारे उपाय जो हमने आपको बताया है वे आपके शिशु के लिए हैं लेकिन इसके साथ ही मां होने के नाते आपको भी कुछ और बातों का ध्यान रखना चाहिए। जैसे कि अपने शिशु की कोमल त्वचा को ड्राईनेस से बचाने के लिए आपको अधिक मात्रा में पानी पीते रहना चाहिए। आप अपने शिशु के लिए वैसे कपड़ों का चयन करें जो उनके त्वचा के लिए आरामदायक हो।