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खास बातें
Home Remedies For Uric Acid: यूरिक एसिड का लेवल अचानक से बढ़ जाना आपके लिए खतरनाक हो सकता है. शरीर में हाई यूरिक एसिड लेवल (High Uric Acid Levels) आपको ताउम्र परेशान कर सकता है. इससे आपको गठिया, शुगर, हार्ट, किडनी की बीमारियां होने का खतरा रहता है. अगर आप बढ़े हुए यूरिक एसिड को कंट्रोल (Control Uric Acid) करना चाहते हैं तो आपको सबसे पहले यूरिक एसिड बढ़ने के लक्षण (Uric Acid Symptoms) जानने होंगे.
इस समस्या से परेशान लोगों के मन में कई सवाल होते हैं कि यूरिक एसिड क्या है, यूरिक एसिड बढ़ने के कारण, यूरिक एसिड बढ़ने के नुकसान, यूरिक एसिड के लिए टेबलेट्स या मेडिसिन, यूरिक एसिड की रामबाण दवा, यूरिक एसिड के टेस्ट, तो आपको बता दें, यूरिक एसिड एक ऐसा केमिकल है जो शरीर में तब बनता है जब शरीर प्यूरीन नाम के केमिकल को छोटे-छोटे टुकड़ों में तोड़ता है. प्यूरिन केमिकल शरीर में भी बनते हैं और कुछ खाद्य पदार्थों में भी पाए जाते हैं. यूरिक एसिड के लेवल का पता ब्लड टेस्ट के जरिए लगा सकते हैं. यूरिक एसिड के ज्यादा बनने की स्थिति में किडनी ब्लड से इसको हटा नहीं पाती जिसके कारण रक्त में यूरिक एसिड का स्तर बढ़ जाता है. बढ़े यूरिए एसिड के लिए घरेलू नुस्खों को अपनाया जाता है. बढ़े हुए यूरिक एसिड को कंट्रोल करने के लिए कई चीजों को खाने से परहेज करना चाहिए. यहां हम यूरिक एसिड को कंट्रोल करने के लिए घरेलू उपाय के बारे में बता रहे हैं...
यूरिक एसिड को कंट्रोल करने के लिए अपनाएं ये घरेलू नुस्खे
1. सेब का सिरका (Apple Cider Vinegar for Gout)
सेब का सिरका शरीर से यूरिक एसिड को कम करने में मददगार हो सकता है. सेब के सिरके में एंटीऑक्सीडेंट और एंटीइंफ्लेमेंटरी गुण होते हैं. यह शरीर में यूरिक एसिड को कंट्रोल रखने का काम कर सकता है. सेब का सिरका खून में पीएच स्तर को बढ़ा सकता है. जो यूरिक एसिड को कम करने में मददगार माना जाता है. विटामिन-सी युक्त फलों का सेवन करेंगे तो आपका यूरिक एसिड लेवल कंट्रोल में रह सकताहै. नीबू में मौजूद साइट्रिक एसिड बॉडी में यूरिक एसिड लेवल को बढ़ने से रोकने में कारगर हो सकता है. इसके लिए सुबह खाली पेट गुनगुने पानी में नीबू का रस निचोड़ कर पी सकते हैं.
Control Uric Acid: सेब का सिरका यूरिक एसिड को कर सकता है कंट्रोल
2. अजवाइन (Ajwain)
अजवाइन का सेवन करके भी यूरिक एसिड के स्तर को कम किया जा सकता है. अगर आप बढ़े हुए यूरिक एसिड से परेशान हैं तो आपको रोजाना सुबह खाली पेट अजवाइन का पानी बनाकर पीना चाहिए. माना जाता है कि घरेलू नुस्खों में अजवाइन यूरिक एसिड को कंट्रोल करने में फायदेमंद हो सकता है. इसमें ओमेगा 3 फैटी एसिड बढ़े हुए यूरिक एसिड को कंट्रोल करने में फायदेमंद हो सकता है.
3. फाइबर से भरपूर फूड्स (Fiber Rich Foods)
बढ़े हुए यूरिक एसिड के लिए फाइबर से भरपूर खाद्य पदार्थों का सेवन करना फायदेमंद हो सकता है. साबुत अनाज, सेब, संतरे और स्ट्रॉबेरी फाइबर से भरपूर होते हैं इन चीजों को अपनी डाइट में शामिल कर आप इस समस्या से राहत पा सकते हैं. फाइबर से भरपूर कई ऐसी चीजें हैं जो आपके लिए फायदेमंद हो सकती हैं.
कुछ लोग बढ़े हुए यूरिक एसिड को नजरअंदाज कर देते हैं ऐसा करना नुकसानदायक हो सकता है. अगर आफ यूरिक एसिड लेवल को कंट्रोल में रखना चाहते हैं तो गेहूं का ज्वार आपके लिए फायदेमंद हो सकता है. यह विटामिन सी, क्लोरोफिल और फाइटोकेमिकल्स से भरपूर होता है. इसका सेवन करने के लिए नीबू के जूस के साथ दो चम्मच गेहूं के ज्वार को मिलाएं.
5. जैतून के तेल (Olive Oil in a Gout Diet)
जैतून यानी ऑलिव ऑयल बेहद काम की चीज है. अपने खाने में जैतून का तेल इस्तेमाल कर आप यूरिक एसिड को कंट्रोल कर सकते हैं. जैतूल के तेल में विटमिन ई काफी मात्रा में पाया जाता है, जो यूरिक एसिड के स्तर को कम करने में मददगार साबित होता है.
अस्वीकरण: यह लेख केवल सामान्य जानकारी के लिए है. यह किसी भी तरह से किसी दवा या इलाज का विकल्प नहीं हो सकता. ज्यादा जानकारी के लिए हमेशा अपने डॉक्टर से संपर्क करें.
चीन में घातक कोरोना वायरस से मरने वालों की संख्या दिनों-दिन बढ़ती ही जा रही। कोरोना वायरस वहीं कोरोना वायरस को लेकर कई तरह के मिथक सोशल मीडिया पर वायरल फैलाए जा रहे हैं। कई लोग इस वायरस से जुड़े झूठी अफवाहों को फैला रहे है तो कहीं कुछ लोग दावा कर रहे हैं कि ऐसा करने से कोरोना वायरस से बचा जा सकता है। हालांकि वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन (WHO) ने इस तरह के मिथकों से बचने की सलाह दी है।
तो आइए जानते हैं क्या है ये मिथक, जिन पर आपको भरोसा करने से बचना चाहिए।
एल्कोहल और क्लोरीन के छिड़काव से वायरस हो सकता है खत्म
यह बात सच नहीं है। शरीर पर एल्कोहल या क्लोरीन का छिड़काव करने से शरीर में पहले से मौजूद वायरस नहीं फैलेंगे। ऐसे पदार्थों का छिड़काव कपड़े या श्लेष्मा झिल्ली यानी आंख और मुंह के लिए हानिकारक हो सकता है।
गोबर और गौमूत्र के इस्तेमाल से कोरोना
कुछ लोगों का कहना है कि गाय के गोबर और गौमूत्र का इस्तेमाल करने से कोरोनावायरस से बचा जा सकता है। यह बिल्कुल गलत है WHO ने novel कोरोनावायरस के लिए इस तरह के किसी उपाय को इस वायरस के इलाज में शामिल नहीं किया है। इसलिए इस पर बिल्कुल भी भरोसा न करें कि गाय के गोबर और गौमूत्र से कोरोनावायरस से बचा जा सकता है।
चाइनीज फूड खाने से फैलता है
इसके अलावा यह भी कहा जा रहा है कि चाइनीज फूड खाने से भी कोरोना वायरस हो रहा है। हालांकि WHO ने चाइनीज फूड को कोरोना वायरस फैलाने का कारण नहीं माना है। इसलिए चाइनीज फूड खाने से कोरोना वायरस नहीं फैलेगा।
हैंड ड्रायर से कोरोना वायरस का हो सकता है खात्मा
डब्लूएचओ की एडवाइजरी के अनुसार, यह बात पूरी तरह से झूठ है। कोरोना वायरस को खत्म करने के लिए हैंड ड्रायर्स कारगर नहीं हैं। इस वायरस से बचने के लिए एल्कोहल-बेस्ड-सेनिटाइजर से साफ करना चाहिए या साबुन और पानी से धोना चाहिए।
घर के पालतू जानवरों से भी ये वायरस फैल सकता है?
फिलहाल, अभी तक इस बात का कोई सबूत नहीं है कि घर में मौजूद पालतू जानवर जैसे- कुत्ते या बिल्ली भी कोरोना वायरस से संक्रमित हो सकते हैं। हालांकि, जानवरों से संपर्क के बाद हमेशा अपने हाथ साबुन और पानी से धोएं। ऐसा करने से आप ई-कोली और सैलमोनेला जैसे बैक्टीरिया से बचे रहेंगे।
सामान से पहुंच सकता है वायरस
कोरोना वायरस के डर से लोग चीन से कोई भी सामान मंगवाने से भी डर रहे हैं। खासकर ऑनलाइन कुछ मंगवाने पर लोगों का कहना है कि पैकेट को छूने से भी उन्हें कोरोना वायरस का संक्रमण हो जाएगा। हालांकि ऐसा नहीं है, कोरोना वायरस किसी भी वस्तु पर लंबे समय तक सर्वाइव नहीं कर सकता ।
सोशल मीडिया पर यह जानकारी भी तेजी से वायरल हो रही है कि ठंडे फूड और प्रीसर्व्ड फूड जैसे आईसक्रीम और ड्रिंक्स पीने से कोरोना वायरस फैल रहा है। मैसेज में यहां तक लिखा जा रहा है कि फ्रोजन चीजे जैसे आइसक्रीम, कुल्फी, कोल्ड ड्रिंक्स न लें। यही नहीं 48 घंटे पहले बना हुआ खाना न खाएं। हालांकि इस तरह के मैसेज को लेकर ने कोई एडवाइजरी जारी नहीं की है।
थर्मल स्कैनर से संक्रमित व्यक्ति का पता लगाया जा सकता है?
थर्मल स्कैनर्स से कोरोना वायरस का लक्षण मालूम कर सकते हैं। इससे संक्रमित लोगों के बारे में नहीं मालूम कर सकते हैं।
आयुर्वेद ने शिलाजीत को बहुत लाभकारी औषधि माना है। शिलाजीत एक ऐसी ही औषधि जो स्वस्थ रहने में हमारी मदद करती है। यह पत्थर की शिलाओं में ही पैदा होता है इसलिए इसे शिलाजीत कहा जाता है। गर्मी के दिनों में सूर्य की तेज किरणों से पर्वत की शिलाओं से लाख की तरह पिघल कर यह बाहर निकल आता है। भारतीय बाजार में इसकी कीमत बहुत ज्यादा है।
शिलाजीत का सेवन पुरुषों की मर्दानगी और संभोग क्षमता बढ़ाने के लिए ज्यादा किया जाता है। हालांकि इसके अलावा भी शिलाजीत खाने के कई फायदे होते हैं।
मर्दानगी में होगी बढ़ोत्तरी
शिलाजीत की एक छोटी चम्मच मात्रा का सेवन करने से टेस्टोस्टोरोंस हार्मोन को बढ़ाने की क्षमता पाई जाती है। इसका सेवन करने से पुरुषों की परफॉर्मेंस टाइमिंग भी बढ़ जाती है।
अनिद्रा की समस्या होगी खत्म
अनिद्रा की समस्या टेस्टोस्टोरोंस हार्मोन की कमी के कारण होता है। जबकि शिलाजीत खाने से यह हार्मोन बढ़ जाता है। इसलिए रात में सोने से पहले आप शिलाजीत का सेवन करें।
स्पर्म काउंट बढ़ेगा
शिलाजीत के पाउडर को अगर आप दूध में मिलाकर पीते हैं तो इससे आपके स्पर्म काउंट में बड़ी तेजी से बढ़ोत्तरी होती है। एक वैज्ञानिक अध्ययन के बाद इसका दावा भी किया जा चुका है।
आयरन की कमी नहीं होगी
खून की कमी से इंसान को कई बीमारियों का सामना करना पड़ सकता है। जबकि शिलाजीत में आयरन की मात्रा पाई जाती है। जिसके कारण यह आपके शरीर में खून की कमी नहीं होने देता है।
प्रतिरोधक क्षमता बढ़ेगी
बीमारियों से बचे रहने के लिए इमूनिटी मजबूत होनी जरुरी है। शिलाजीत एक एंटी-ऑक्सिडेंट कार्य करता है। जिससे आपकी इम्युनिटी मजबूत होगी। इसलिए आप रोजाना शिलाजीत की थोड़ी-थोड़ी मात्रा का सेवन कर सकते हैं।
एंटी-एजिंग के रूप में
लंबे समय तक जवां दिखने के लिए भी शिलाजीत काफी फायदेमंद होता है। इसका सेवन करने से यह एक एंटी-एजिंग एजेंट के रूप में कार्य करता है। जिसके कारण बढ़ती हुई उम्र के कई सारे असर को निष्क्रिय कर देता है
डायबिटीज का उपचार
डायबिटीज में एंटी-डायबिटिक गुण के कारण यह डायबिटीज के उपचार और इसके जोखिम को कम करने में मदद कर सकता है।
याददाश्त बढ़ाए
शिलाजीत का सेवन करने से याददाश्त तेज होती है। दरअसल शिलाजीत में फुल्विक एसिड पाया जाता है। यह एसिड दिमाग की कार्यक्षमता में बढ़ोत्तरी करता है और याद मेमोरी पॉवर को भी बूस्ट करता है।
गैर संक्रामक रोगों से मुकाबले के लिए हर्बल दवाएं काफी बेहतर हैं. हृदय रोग, कैंसर, स्ट्रोक इत्यादि गैर संक्रामक रोग (एनसीडी) के उपचार में इनका इस्तेमाल प्रभावी हो सकता है. तीन दिवसीय सातवीं अंतरराष्ट्रीय कांग्रेस में विशेषज्ञों ने यह बात कही. सोसायटी फॉर एथनोफामोर्कोलॉजी, केंद्रीय आयुष मंत्रालय और बॉयोटेक्रोलॉजी विभाग के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित इस तीन दिवसीय सम्मेलन में भारत और दुनिया के विभिन्न देशों के विशेषज्ञों ने खास तौर पर गैर संक्रामक रोगों का मुकाबला करने में जड़ी-बूटियों पर आधारित दवाओं की भूमिका पर जोर दिया.
जामिया हमदर्द विवि में चल रहे इस सम्मेलन में कनाडा, नाइजीरिया, संयुक्त राज्य अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया सहित 40 देशों के 60 से अधिक विशेषज्ञों ने सहभागिता की.
कनाडा के टोरंटो से आए डॉ. प्रदीप विसेन ने मधुमेह के टाइप-2 और कार्डियो वस्कुलर रोगों के संबंध में औषधीय पादपों की उपयोगिता पर प्रकाश डाला. हृदय रोग, कैंसर और मधुमेह जैसे रोगों को पहले जहां सिर्फ संपन्न लोगों से जोड़ा जाता था, लेकिन विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लूएचओ) के मुताबिक अब ये वैश्विक खतरा बन चुके हैं और गरीब इनसे सबसे ज्यादा पीड़ित हो रहे हैं.
एमिल फार्मा के डॉ. इक्षित शर्मा ने मधुमेह से लड़ने में बीजीआर-34 दवा की भूमिका के बारे में विस्तार से जानकारी दी. उन्होंने कहा कि औषधीय दवा न सिर्फ नियमित रूप से खून में शुगर की मात्रा को नियंत्रित करती है, बल्कि साथ ही हमारे मेटाबोलिज्म को भी नियंत्रित रखती है.
बांग्लादेश के ढाका विश्वविद्यालय के औषध निर्माण विज्ञान विभाग के चेयरमैन और प्रोफेसर डॉ. सीतेश सी बचर ने अपने प्रजेंटेशन में कहा कि आधुनिक चिकित्सा पद्धति की बहुत सी दवाओं को इन रोगों में प्रभावी माना गया है, लेकिन इनमें कैंसर कारक तत्व होते हैं और ये लीवर को गंभीर क्षति पहुंचाती हैं. उनके अध्ययन में जड़ी-बूटियों में पाए गए प्राकृतिक तत्वों की प्रभावशीलता को रेखांकित किया है.