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जब भी स्ट्रीट फूड की बात होती है तो मोमोज के बिना ये बात पूरी नहीं हो सकती हैं। सर्दियों में गर्मागर्म मोमोज खाने का मजा ही कुछ ओर होता है। मोमोज बनाने के लिए मैदे की लोई में सब्जियों को बारीक काटकर भरा जाता है और इसे स्टीम देकर या फ्राई करके बनाया जाता है।
कई लोग मोमोज के बहुत शौकीन होते हैं, बहुत ही चाव से लोग मोमोज खाना पसंद करते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि ज्यादा मोमोज खाना आपके लिए नुकसानदायक साबित हो सकता है। आइए जानते हैं कैसे?
बेंजोइल पेरोक्साइड होता है मैदे में
मोमोज को बनाने में मैदे का इस्तेमाल किया जाता है और मैदे में एजोडीकार्बोना माइड, बेंजोइल पेरोक्साइड जैसे तत्व मिलाए जाते हैं, मोमोज में मैदे को सॉफ्ट बनाएं रखने के लिए एलोक्सन नाम का तत्व भी मिलाया जाता है, जो सेहत के लिए हानिकारक होता है।
पैंक्रियाज के लिए खतरनाक
कई लैब टेस्ट में ये पाया गया है कि मोमोज को बनाने में मैदे में जो तत्व मिलाए जाते है, वह शरीर के पैंक्रियाज को नुकसान पहुंचा सकते हैं, साथ ही डायबिटीज के खतरे को भी बढ़ा सकते हैं।
डायबिटीज होने का खतरा
मैदे में हाई ग्लाइसेमिक इंडेक्स होता है इसलिए मोमोज खाने से शरीर में शुगर की मात्रा बढ़ जाती है जिससे डायबिटीज होने का खतरा हो सकता है।
कब्ज की भी हो सकती है दिक्कत
मोमोज में फाइबर नहीं होता जिससे इसे खाने से कब्ज की समस्या हो जाती है और सिर दर्द तथा गैस जैसी कई परेशानियों का सामना करना पड़ता है। इससे खाने से खून में ग्लूकोज जमने लगता है जिससे गठिया तथा दिल संबंधी रोग हो जाते है
निकल जाता है प्रोटीन
जो लोग हर रोज मोमोज या मैदे से बनी चीजें खाते हैं उनकी इम्यूनिटी कमजोर हो जाती है जिससे वे हमेशा बीमार रहते हैं। इसको जब पकाया जाता है तो मैदे में से प्रोटीन निकल जाता है और ये एसिडिक बन जाता है। इससे शरीर की हड्डियां कमजोर हो जाती हैं।
वैसे तो गुड़ और चने मिलाकर खाने के कई फायदे हैं। लेकिन जब इन दोनों को मिलाकर खाया जाता है तो इसके हेल्थ बेनिफट्स और बढ़ जाते हैं। इन दोनों में ही काफी अधिक मात्रा में आयरन मौजूद होता है। साथ ही इन्हें खाने से प्रोटीन भी प्रचुर मात्रा में मिल जाता है। सबसे अच्छी बात है कि ये दोनों ही बहुत ही किफायती दाम में मिल जाते हैं।
आयरन होता है भरपूर
गुड़ में सबसे अधिक आयरन होता है और एनिमिया आयरन की कमी से ही होता है। इसके अलावा गुड़ में आयरन के अलावा सोडियम, पोटेशियम और कई विटामिन्स भी पाए जाते हैं। अगर आप रोजाना अपनी डाइट में गुड़ को शामिल करें तो कई फायदे और होंगे। गुड़ इम्यून सिस्टम को भी मजबूत करता है। वहीं अगर भुने चने की बात की जाए तो भुने चने में कैल्शियम और विटामिन भी भरपूर मात्रा पाई जाती है।
नहीं होती है थकान
इन्हें खाने से आपको एनर्जी महसूस होती है। दरअसल, जब शरीर में आयरन जाता है तो ये ऊर्जा में भी बदल जाता है जिससे थकान और कमज़ोरी महसूस नहीं होती।
पेट में गैस बनने लगे तो
पेट की समस्याएं दूर होती हैं। इससे पेट में गैस बननी कम होती है और पाचन क्रिया दुरस्त रहती है। आप खाने के बाद थोड़ा सा गुड़ अकेले भी खा सकते हैं इससे आपका हाज़मा बेहतर होगा।
अगर आप एक मुठ्ठी भुने चने और थोड़ा सा गुड़ एक साथ खाते हैं तो आपकी रोज की जरूरत का पोषण पूरा हो जाता है। चना प्रोटीन से भरा होता और जब इसे गुड़ के साथ मिला कर खाया जाता है तो इससे मसल्स अच्छी बनती हैं।
मेटाबॉलिक रेट होती है अच्छी, कब्ज को करें दूर
साथ ही ये मेटाबॉलिक रेट भी बेहतर होता है और वेट लॉस के लिए भी बेहतर है। चने और गुड़ में फाइबर पाया जाता है जो आपकी पाचन क्रिया को तेज करता है। साथ ही कब्ज की परेशानी से भी निजात दिलाता है।
दिल्ली समेत देश के सात हवाई अड्डों पर थर्मल स्क्रीनिंग की व्यवस्था की गई है. ताकि अगर चीन या हांगकांग से लौटे किसी शख़्स में संक्रमण के असर दिखते हैं तो उसकी तुरंत जांच कराई जा सके. इस वायरस को लेकर सबसे बड़ा ख़तरा ये है कि यह इंसानों से इंसानों में फैलता है.
भारत को चिंता करने की कितनी ज़रूरत?
भारत में नेशनल सेंटर फ़ॉर डिज़ीज़ कंट्रोल के डायरेक्टर डॉ. सुजीत कुमार सिंह के मुताबिक़, यह वायरस मर्स और सार्स वायरस की तरह जानवरों से ही आया है. दस से बीस दिनों के भीतर ही यह वायरस 40 से 550 लोगों को संक्रमित कर चुका है. जो वायरस अब तक चीन तक ही सीमित था वो अब 5-6 देशों तक भी पहुंच चुका है.
वो कहते हैं "यह वायरस अमरीका तक पहुंच चुका है तो हमारे देश के लोग भी चीन की यात्रा करते हैं. क़रीब 1200 मेडिकल स्टूडेंट चीन में पढ़ाई कर रहे हैं, जिसमें से ज़्यादातर वुहान प्रांत में ही हैं. ऐसे में अगर वो वहां से लौटते हैं तो इस वायरस के भारत में आ जाने की आशंका बहुत बढ़ जाती है."
हालांकि वो ये ज़रूर कहते हैं कि भारत में यह वायरस कैसे प्रतिक्रिया देगा, इस बारे में स्पष्ट तौर पर कुछ भी नहीं कहा जा सकता क्योंकि ये नया वायरस है और इसके बारे में बहुत कुछ पता नहीं है.
भारत को किस तरह की तैयारी रखनी चाहिए?
नागरिक उड्डयन मंत्रालय की ओर से पहले ही चीन और हांगकांग से यात्रा कर रहे यात्रियों को लेकर निर्देश जारी किये जा चुके हैं. इसके साथ ही स्वास्थ्य मंत्रालय ने भी देर शाम एक एडवाइज़री जारी की.
डॉक्टर सिंह के मुताबिक़ सरकार की ओर से हर संभव प्रयास किया जा रहा है. एयरपोर्ट पर लगे थर्मल स्क्रीनिंग से हर पैसेंजर की जांच की जा रही है. जिस भी यात्री में बढ़ा हुआ तापमान पाया जाएगा, उसकी जांच की जाएगी और फिर डब्ल्यूएचओ के दिशा-निर्देशों के अनुसार संक्रमण की जांच के लिए परीक्षण के लिए भेजा जाएगा.
वो कहते हैं "एयरपोर्ट, अस्पताल और सामुदायिक केंद्रों... तीनों जगहों पर हर तरह की सतर्कता बरती जा रही है. अगर कोई शख़्स एयरपोर्ट जांच के दौरान अगर पकड़ में नहीं भी आता है तो कम्युनिटी में उसकी जांच की जाएगी. उसके ट्रेवल डाटा के आधार पर. ऐसे में अगर उसमें कोई भी लक्षण नज़र आता है तो वो हेल्पलाइन नंबर पर संपर्क कर सकता है."
क्या हैं इस वायरस के संक्रमण के लक्षण ?
डॉक्टर किन सावधानियों को अपनाने के लिए कहते हैं ?
डॉ सिंह कहते हैं कि जैसा कि हर बीमारी के लिए कहा जाता है कि इलाज से बेहतर है सावधानी. ऐसे में हर किसी को सावधान रहने की सलाह दी जा रही है. वो कहते हैं "अगर आपका कोई परिचित चीन जाना चाह रहा है तो उसे सलाह दी जाती है कि अगर बहुत ज़रूरी ना हो तो वे चीन ना जाएं. और अगर कोई वहां से लौटकर आ रहा है तो वह अपनी जांच सबसे पहले करवाएं. "
क्या हैं मौजूदा हालात?
इस वायरस का मूल चीन के वुहान शहर को माना जा रहा है. एक करोड़ से ज़्यादा लोगों की आबादी वाला यह शहर फिलहाल एक तरह से बंद है. अस्थायी समय के लिए सार्वजनिक यातायात को बंद कर दिया गया है. जो लोग इस शहर में रह रहे हैं उन्हें सलाह दी गई है कि वो अपना शहर ना छोड़ें. हालांकि जेनेवा में विश्व स्वास्थ्य संगठन की बैठक में इसे अभी तक अंतरराष्ट्रीय आपातकाल नहीं घोषित किया है.
क्या है यह वायरस?
मरीज़ों से लिए गए इस वायरस के सैंपल की जांच प्रयोगशाला में की गई है. इसके बाद चीन के अधिकारियों और विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कहा कि यह एक कोरोनावायरस है. कोरोनावायरस कई क़िस्म के होते हैं लेकिन इनमें से छह को ही लोगों को संक्रमित करने के लिए जाना जाता था. मगर नए वायरस का पता लगने के बाद यह संख्या बढ़कर सात हो जाएगी.
नए वायरस के जेनेटिक कोड के विश्लेषण से यह पता चलता है कि यह मानवों को संक्रमित करने की क्षमता रखने वाले अन्य कोरोनावायरस की तुलना में 'सार्स' के अधिक निकटवर्ती है. सार्स नाम के कोरोनावायरस को काफ़ी ख़तरनाक माना जाता है. सार्स के कारण चीन में साल 2002 में 8,098 लोग संक्रमित हुए थे और उनमें से 774 लोगों की मौत हो गई थी.
कितनी गंभीर है ये समस्या?
कोरोनावायरस के कारण अमूमन संक्रमित लोगों में सर्दी-जुक़ाम के लक्षण नज़र आते हैं लेकिन असर गंभीर हों तो मौत भी हो सकती है. यूनिवर्सिटी ऑफ़ एडिनबरा के प्रोफ़ेसर मार्क वूलहाउस का कहना है, "जब हमने ये नया कोरोनावायरस देखा तो हमने जानने की कोशिश की कि इसका असर इतना ख़तरनाक क्यों है. यह आम सर्दी जैसे लक्षण दिखाने वाला नहीं है, जो कि चिंता की बात है."
नई क़िस्म का वायरस
ये वायरस एक जीवों की एक प्रजाति से दूसरे प्रजाति में जाते हैं और फिर इंसानों को संक्रमित कर लेते हैं. इस दौरान इनका बिल्कुल पता नहीं चल पाता. नॉटिंगम यूनिवर्सिटी के एक वायरोलॉजिस्ट प्रोफ़ेसर जोनाथन बॉल के मुताबिक़, "यह बिल्कुल ही नई तरह का कोरोना वायरस है. बहुत हद तक संभव है कि पशुओं से ही इंसानों तक पहुंचा हो."
सार्स का वायरस बिल्ली जाति के एक जीव से इंसानों तक पहुंचा था. हालांकि चीन की ओर से अभी तक इस मूल स्रोत के बारे में कुछ भी पुष्ट तौर पर नहीं कहा गया है.
लेकिन चीन ही क्यों ?
प्रोफ़ेसर वूलहाउस का कहना है कि जनसंख्या के आंकड़ों और घनत्व के कारण यहां के लोग जानवरों के संपर्क में जल्दी आ जाते हैं. वो कहते हैं "कोई हैरानी नहीं है कि चीन में ही आने वाले समय में कुछ ऐसा ही सुनना को मिले."
चीन के अधिकारियों का कहना है कि ऐसे बहुत से मामले सामने आए हैं जिससे ये पुष्टि होती है कि यह वायरस एक शख़्स से दूसरे को भी होता है. अधिकारियों का कहना है कि ऐसा कहने के पीछे वजह ये है कि कई ऐसे मामले सामने आए हैं जिसमें मरीजों की देखभाल करने वाले स्वास्थ्यकर्मियों में भी संक्रमण के लक्षण नज़र आ रहे हैं.
इस मौजूदा वायरस को लेकर यही सबसे बड़ा डर है कि इससे सबसे पहले फेफड़े ही प्रभावित हो रहे हैं. इस वायरस का संक्रमण होते ही संक्रमित शख़्स को खांसी और नज़ला की शिकायत हो जाती है. हालांकि अभी जो आंकड़े सामने आ रहे हैं वो ही अंतिम आंकड़े हों ऐसा नहीं कहा जा सकता.
कितनी तेज़ी से फैल रहा है ये वायरस?
शुरुआत में माना जा रहा था कि इस वायरस का असर सीमित ही होगा लेकिन दिसंबर के बाद से कई नए मामले सामने आ चुके हैं. हालांकि इस संक्रमण की शुरुआत चीन के वुहान शहर से हुई लेकिन अब इसका संक्रमण चीन के बाकी शहरों के साथ-साथ देश के बाहर भी नज़र आ रहा है. थाईलैंड, जापान, अमरीका और दक्षिण कोरिया में भी संक्रमण के कुछ मामले सामने आए हैं. वुहान से होकर आने वाले लोगों में इसके संक्रमण की आशंका अधिक है.
विशेषज्ञों का कहना है कि ऐसा ज़रूरी नहीं है कि सभी संक्रमित लोगों की पहचान हुई ही हो. ऐसा हो सकता है कि बहुत से ऐसे मामले हो सकते हैं जो छूट गए हों. ऐसी आशंका जताई जा रही है कि यह वायरस नए साल चीन घूमने आए बहुत से लोगों के साथ अलग-अलग देशों में लाखों लोगों में पहुंच चुका हो.
चीन के अधिकारी इस मामले पर कैसे काम कर रहे हैं?
संक्रमित लोगों की एकल कक्ष में और अकेले में जांच की जा रही है ताकि इस बीमारी को और बढ़ने से रोका जा सके. जिन-जिन जगहों से यात्री गुजरेंगे उन-उन जगहों पर थर्मल स्कैनर्स लगाए गए हैं ताकि जैसे ही किसी के बुख़ार की पुष्टि हो उसकी जांच की जा सके. इसके अलावा सी-फ़ूड मार्केट को फिलहाल के लिए बंद कर दिया गया है ताकि सफ़ाई बनी रहे और संक्रमण को कम किया जा सके. यह व्यवस्था केवल चीन में ही नहीं की गई है. चीन के अलावा एशिया के कई दूसरे देशों और अमरीका में भी इस तरह की व्यवस्था की गई है ताकि वायरस को फैलने से रोका जा सके.