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आजकल बहुत ही बिजी शेड्यूल के वजह से लोगों के लाइफस्टाइल में काफी बदलाव आ चुका है। देर रात तक जगना, घंटो लेपटॉप पर बैठकर काम करना और देर रात को डिनर करना। हम में से कई लोग हेल्दी लाइफस्टाइल फॉलो नहीं कर पाते है। जिसका परिणाम होता है ढ़ेरो बीमारियां। पहले लोग एक स्वस्थ दिनचर्या का फॉलो करते थे। सुबह जल्दी उठते और रात को जल्दी सोते थे, उनके खाने का समय भी नियमानुसार ही होता था। इसी वजह से वह हैल्दी लाइफ जीते थे लेकिन आजकल लोग रात को खाना भी देरी से खाते हैं। जिससे उनके सोने का समय और सेहत दोनों ही प्रभावित होती हैं। आप भी लेट नाइट डिनर के आदी हैं तो एक बार इसके नुकसान जानना भी बहुत जरूरी है।
स्वस्थ जीवन के लिए सही समय पर सोना, सुबह सही समय पर जागना एवं सही समय पर भोजन करने के नियम के बारे में आयुर्वेद में भी लिखा हुआ है। अगर आप भी देर रात को भोजन करते हैं तो आपको नीचे बताए गए खमियाजों को भुगतना पड़ सकता है।
1. वजन बढ़ना
रात को बहुत देर से खाना खाते हैं तो इसे पचाने में भी परेशानी होती है। जिससे कोलेस्ट्रॉल बढ़ने और दिल की बीमारियां होने का खतरा बना रहता है। इसके अलावा मोटापा बढ़ने का एक कारण भी देर रात भोजन करना है।
2. तनाव
खाना देर से खा रहे हैं तो इससे नींद में भी दिक्कत आनी शुरू हो जाती है। जिससे सुबह सारा दिन थकान रहती है और तनाव पैदा होने लगता है। तनाव मुक्त जिंदगी चाहते हैं को रात को जल्दी खाना खाएं।
3. हाई ब्लड प्रैशर
खाना खाने के बाद कोई काम न करने से शरीर खाना नहीं पचा पाता। जिससे हाई बी.पी की परेशानी भी होने लगती है।
खाना खाने के बाद अक्सर लोग मीठा भी खाते हैं,जिससे ब्लड शूगर का लेवल बढ़ना शुरू हो जाता है। जिससे बाद में परेशानी का कारण बन सकता है। रात को जल्दी खाना खाएं और सैर भी जरूर करें।
जिन लोगों को अपच की परेशानी रहती है,उनको कभी भी देर से खाना नहीं खाना चाहिए। इससे परेशानी और भी बढ़ सकती है।
अगर आप पर्याप्त मात्रा में सुकून की नींद नहीं ले पाते, तो इसका असर आपकी मानसिक सेहत पर भी पड़ता है। दिमाग को पर्याप्त आराम नहीं मिल पाता, नतीजतन चिड़चिड़ापन पैदा होता है।
7 . नींद न आना
कई बार रात को लेट खाना खाने से फूड पाइप में आना शुरू हो जाता है। जिससे बेचैनी और घबराहट भी होने लगता है और नींद भी नहीं आती।
::/fulltext::खास बातें
Diwali 2018: इस साल दिवाली 7 नवंबर, 2018 को है. दिवाली को दीपावली (Deepawali) भी कहा जाता है. इससे यह तो साफ होता है कि दिवाली रोशनी और दीपों का त्योहार (festival of lights) है. दिवाली में पटाखों (Crackers) की धूम नहीं हो तो कुछ कमी सी लगती है, लेकिन अगर पटाखे हमारे स्वास्थ्य को नुकसान व पर्यावरण को हानि पहुंचा रहे हैं, तो हमें इनके इस्तेमाल के बारे में सही से सोचने की जरूरत है. सर्वोच्च न्यायालय (Supreme Court on Crackers) ने अपने हाल के फैसले में पटाखों का प्रयोग करने की इजाजत दिवाली (Crackers on Diwali) की रात आठ से 10 बजे के बीच दे दी. इस दौरान दिल्ली व दूसरे महानगरों में प्रदूषण का स्तर निश्चित ही बढ़ा रहेगा. दिवाली की धूम-धड़ाम (Diwali Celebrations) के बीच स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याओं से अपने को किस तरह से बचें व पटाखों से किस तरह बुजुर्ग व बीमार लोग अपनी स्वास्थ्य की देखभाल करें.
दिवाली पर अस्थमा या दमा के मरीज रखें ध्यान - Important Asthma Care Tips This Diwali
जेपी हॉस्पिटल के पल्मोनरी व क्रिटिकल केयर मेडिसिन के वरिष्ठ विशेषज्ञ डॉ. ज्ञानेंद्र अग्रवाल ने यह पूछने पर कि दमा के मरीज या आम व्यक्तियों पर पटाखों के धुएं का असर कैसे होता है? डॉ. अग्रवाल ने कहा कि रोशनी का त्योहार दिवाली (festival of lights) अपने साथ बहुत सारी खुशियां लेकर आता है, लेकिन दमा (Adthma), सीओपीडी (COPD) या एलर्जिक रहाइनिटिस से पीड़ित मरीजों (Asthma patients) की समस्या इन दिनों बढ़ जाती है. पटाखों में मौजूद छोटे कण सेहत पर बुरा असर डालते हैं, जिसका असर फेफड़ों पर पड़ता है.
- इस तरह से पटाखों के धुंए से फेफड़ों में सूजन आ सकती है, जिससे फेफड़े अपना काम ठीक से नहीं कर पाते और हालात यहां तक भी पहुंच सकते हैं कि ऑर्गेन फेलियर और मौत तक हो सकती है. ऐसे में धुएं से बचने की कोशिश करें.
- पटाखों के धुएं की वजह से अस्थमा या दमा का अटैक आ सकता है. हानिकारक विषाक्त कणों के फेफड़ों में पहुंचने से ऐसा हो सकता है, जिससे व्यक्ति को जान का खतरा भी हो सकता है. ऐसे में जिन लोगों को सांस की समस्याएं हों, उन्हें अपने आप को प्रदूषित हवा से बचा कर रखना चाहिए.
दिवाली पर क्यों बढ़ जाता है हार्ट अटैक और स्ट्रोक का खतरा - Heart attack or Stroke on Diwali
पटाखों के धुएं से हार्टअटैक और स्ट्रोक (Heart attack or Stroke on Diwali) का खतरा भी पैदा हो सकता है. पटाखों में मौजूद लैड सेहत के लिए खतरनाक है, इसके कारण हार्टअटैक (Heart attack) और स्ट्रोक की आशंका बढ़ जाती है. जब पटाखों से निकलने वाला धुंआ सांस के साथ शरीर में जाता है, तो खून के प्रवाह में रुकावट आने लगती है. दिमाग को पर्याप्त मात्रा में खून न पहुंचने के कारण व्यक्ति स्ट्रोक का शिकार हो सकता है.
बच्चे और गर्भवती महिलाओं को पटाखों के शोर व धुएं से बचकर रहना चाहिए. पटाखों से निकला गाढ़ा धुआं खासतौर पर छोटे बच्चों में सांस की समस्याएं पैदा करता है. पटाखों में हानिकर रसायन होते हैं, जिनके कारण बच्चों के शरीर में टॉक्सिन्स का स्तर बढ़ जाता है और उनके विकास में रुकावट पैदा करता है. पटाखों के धुंऐ से गर्भपात की संभावना भी बढ़ जाती है, इसलिए गर्भवती महिलाओं को भी ऐसे समय में घर पर ही रहना चाहिए.
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