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मौसम बदलने के साथ ही उस खास मौसम से जुड़े फल और सब्ज़ियाँ बाज़ार में चारो और देखने को मिलती हैं। इन मौसमी फलों का सेवन करने से हमारे शरीर को कईं तरह के फायदे होते हैं । इन्ही फलों में से एक फल है सिंघाड़ा । ठंड के मौसम में सिंघाड़ा काफी मात्रा में मिलता है। सिंघाड़ा सर्दियों के मौसम में खाया जाने वाला फल है, ये कई पौष्टिक गुणों से भरपूर होता है। इसे कच्चा और उबालकर दोनों तरह से खाया जाता है। व्रत करने वाले लोग सिंघाडे को सुखाकर इसके आटे का भी इस्तेमाल करते है। इसके नियमित सेवन से शरीर में खून की कमी नहीं होती है।
बालों के लिए
सिंघाड़े में मौजूद तत्व हमारे बालों को खराब होने से बचाने का काम करते हैं। यही नहीं ये बालों की मजबूती के लिए भी काम करते हैं। इसके नियमित सेवन से बालों को उचित पोषण मिलता है।
त्वचा के लिए
ये हमारे शरीर में विषैले पदार्थों से शरीर को डिटॉक्स करता है। इसके अलावा ये चेहरे से मुंहासे आदि को हटाकर त्वचा में दमक उत्पन्न करता है।
सिंघाड़े में पाए जाने वाले तमाम पोषक तत्व आपको गर्भावस्था के दौरान होने वाली तमाम परेशानियों को दूर करते हैं। इसमें मौजूद आयरन गर्भवती महिलाओं के लिए काफी फायदेमंद होता है।
अगर आपको लगता है कि डिहाइड्रेशन की समस्या गर्मी में होती है तो आप गलत है। सर्दियों में लोग अक्सर कम ही पानी पीते है। इस वजह से शरीर में निर्जलीकरण की समस्या उत्पन्न हो जाती है। लेकिन सिंघाड़े का सेवन आपको डिहाइड्रेशन जैसी समस्या से बचा लेता है। क्योंकि इसमें बेहतर मात्रा में पानी होता है।
थायराइड जैसी बीमारियों से लड़ने के लिए भी सिंघाड़ा काफी उपयोगी साबित होता है। इसमें पाए जाने वाले कई पोषक तत्व हमें थायराइड के उपचार में काफी मदद पहुंचाते हैं।
सिंघाड़ा खाने से फटी एड़िया भी ठीक हो जाती है, शरीर में मैग्नीज की कमी होने से ऐसा होता है। सिंघाड़े के सेवन से मैग्नीज की आपूर्ति हो जाती है। और फटी हुई एड़ियों से हमें राहत मिलती है।
नींबू के रस में सूखे सिंघाड़े को पीसकर नियमित रूप से लगाने पर दाद-खुजली ठीक हो जाती है।
जिन लोगों की नाक से खून आता है, उन्हें बरसात के मौसम के बाद कच्चे सिंघाड़े खाना फायदेमंद है।
अनिद्रा के उपचार में भी सिंघाड़ा सकारात्मक भूमिका निभाता है. क्योंकि इसमें पाया जाने वाला पोलिफेनोलिक और फ्लेवोनॉइड जैसे एंटीऑक्सिडेंट पाए जाते हैं। इसके अलावा ये एंटीबैक्टीरियल और एंटीकैंसर गुण भी मौजूद होता है।
आजकल के दौर में सिगरेट पीना एक फैशन ट्रेंड बन चुका हैं। लोग अपनी सेहत की फिक्र ना करते हुए सिगरेट के धुंए के जाल में फंसते जा रहे हैं। बच्चों से लेकर बड़ों में इसका बुरा असर पड़ता दिखाई दे रहा हैं। कई लोग इस बात को समझते हैं और सिगरेट छोड़ना चाहते हैं। लेकिन सिगरेट पीने की यह लत नहीं छोड़ पाते हैं। इसलिए आज हम कुछ ऐसे उपाय लेकर आए हैं जिनकी मदद से सिगरेट ली लत को छोड़ने में आसानी होगी। तो आइये जानते हैं इन उपायों के बारे में।
* अश्वगंधा
अश्वगंधा से शरीर डिटॉक्स होता है और यह स्ट्रेस को दूर करने के साथ ही तंबाकू की लत को छुड़वाने में भी मदद करता है। अश्वगंधा की जड़ों से तैयार किए गए पाउडर को पानी के साथ मिलाकर लगातार कुछ दिन पीने से सिगरेट की लत छूट जाती है।
* अजवायन के बीज
जब भी आपको सिगरेट पीने की तलब लगे तो अजवायन के कुछ बीच लें और उन्हें चबाएं। शुरू में यह आपको मुश्किल मिलेगा लेकिन कुछ ही दिनों में इससे आपकी धूम्रपान करने की लत दूर हो जाएगी।
* अंगूर के बीज
सिगरेट छोड़ने के लिए यह सबसे अच्छा तरीका है। जब भी आपको सिगरेट पीने का मन करें तो इसके कुछ दानें लेकर चबाएं। इसका सेवन सिगरेट की लत को दूर करने के साथ रक्त में एसिडिटी को कम करके स्मोकिंग से होने वाले नुकसान से भी बचाता है।
* शहद
शहद में विटामिन्स, एंजाइम और प्रोटीन होता है जो कि आराम से स्मोकिंग की आदत को छुड़वाने में मदद करता है। जब भी आपको सिगरेट पीने की लालस हो तो शहद चाट लें। इससे कुछ समय में ही आपकी सिगरेट पीने की आदत दूर हो जाएगी।
* दालचीनी
सिगरेट की लत को छोड़ने के लिए आप दालचीनी के एक टुकड़ा और थोड़ी देर के लिए चूसते रहें। सिगरेट की तलब लगने पर ऐसा करें। इससे आपको सिगरेट छोड़ने में मदद मिलेगी।
आयुर्वेद के मुताबिक शरीर में वात यानी हवा, पित्त यानी भोजन को पचाने का रस और कफ यानी बलगम का दोष होता है। आयुर्वेद के अनुसार सिर से लेकर छाती के बीच तक के रोग कफ बिगड़ने से होते हैं। छाती के बीच से लेकर पेट और कमर के अंत तक में होने वाले रोग पित्त बिगड़ने के कारण होते हैं। और कमर से लेकर घुटने और पैरों के अंत तक होने वाले रोग वात बिगड़ने के कारण होते हैं।
पित दोष
सन्तुलित पित्त जहां शरीर को बल व बुद्धि देता है, वहीं यदि इसका सन्तुलन बिगड़ जाए तो कई रोग हो सकते है। पित्त के बढ़ जाने से त्वचा पर चकत्ते, हार्टबर्न, डायरिया, एसिडिटी, बालों का असमय सफेद या बाल पतले होना, नींद न आना, क्रोध, चिडचिडापन, बहुत अधिक पसीना आना, अर्थराइटिस, मुंहासों या हेपेटाइटिस आदि जैसी कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है।
पित्त प्रकृति होने पर यह सलाह दी जाती है कि आप हर 2-3 घंटे बाद कुछ न कुछ खाएं ताकि आपके शरीर में अम्ल का स्तर न बढ़े। आयुर्वेद कहता है कि अगर पित्त का दोष है, तो आपको बादाम, हरी सब्जियां, बिना नमक वाला मक्खन, अंडे की जर्दी और नारियल खाना चाहिए। ऐल्कलाइन खाद्य पदार्थ (क्षारीय खाद्य पदार्थ) जैसे फल, सब्जियां और अनाज खाएं। बहुत अधिक मटन आदि न खाएं और भरपूर पानी पीएं।
जब शरीर में वायु तत्व सामान्य से ज्यादा हो जाता है, तो इसे वात दोष कहते हैं। अगर कोई रोग आपके शरीर को शाम के समय या देर रात परेशान कर रहा है, तो इसका अर्थ है कि उस रोग का कारण वात दोष है। मोटापा भी वात दोष के कारण होता है।
वात दोष में त्रिफला को सबसे विश्वसनीय और प्रभावी उपचार माना जाता है। ये फल कब्ज में बहुत लाभकारी होते हैं। आप त्रिफला चाय या फिर आप त्रिफला को एक चौथाई चम्मच, आधा चम्मच धनिया के बीच, एक चौथाई चम्मच इलायची के दाने को पीस लें और इसे दिन में दो बार लें। इसके अलावा वात दोष हो तो, दूध, दही पनीर, छाछ, अंडे, मछली, मूंगफली और घी खाना चाहिए।
अगर शरीर में कफ संतुलित होता है तो व्यक्ति का मन और दिमाग शांत रहता है। कफ दोष तीनों दोषों में सबसे धीमा और संतुलित माना जाता है। कफ आपके शरीर में त्वचा को नमी देने, जोड़ों को चिकना करने, लिबिडो बढ़ाने और इम्यूनिटी बढ़ाने में सहायक होता है। शरीर में कफ के असंतुलन के कई कारण होते हैं। आमतौर पर उन लोगों को कफ दोष का ज्यादा खतरा होता है जो दूध और दूध से बनी चीजों का अधिक सेवन करते हैं या मीठे का बहुत अधिक सेवन करते हैं।
शरीर में कफ के असंतुलन को ठीक करने के लिए तीखे, कड़वे और गर्म खाद्य पदार्थों का सेवन करें। इसके अलावा उल्टी करने से पेट और छाती के कफ को निकालने में मदद मिलती है। उल्टी के लिए आप कड़वी आयुर्वेदिक दवाओं या नीम की पत्ती आदि खा सकते हैं। इसके अलावा कफ होने पर धूप में रहना अच्छा रहता है। ठंडी जगह पर आपको सामान्य से ज्यादा ठंड लग सकती है। इसके अलावा आप सुस्ती और आलस से बचें और थोड़ा टहलें, दौड़ें या स्विमिंग कर लें।