Friday, 14 March 2025

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Acidity problem solution: केले में फाइबर पर्याप्त मात्रा में पाया जाता है, जिसकी मदद से एसिडिटी से बचा जा सकता है....

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गैस को ठीक करने के लिए आप खाने में कुछ बदलाव कर सकते हैं.

Acidity problem solution: कुछ लोग खाने के बहुत शौकीन होते हैं, लेकिन खाने की तरफ बढ़े अपने हाथ को पीछे खींच लेते हैं... भले ही बेमन से. क्योंकि खाने से उनको अफरा या acidic महसूस होती है. एसिडिटी (acidity causes) की समस्या किसी को भी हो सकती है. लेकिन कुछ लोगों के साथ यह समस्या बहुत ज्यादा होती है. वे कुछ भी मसालेदार या तला हुआ खा लें तो उन्हें एसिडीटी (acidity in Hindi) हो जाती है. असल में अस्वस्थ खान-पान के कारण लोगों को इस समस्या का सामना करना पड़ता है. इसके उपाय के लिए लोग तरह-तरह की दवाईयों का इस्तेमाल भी करते हैं, जिनके अपने साइड इफेक्ट होते हैं. तो ऐसे में क्या किया जाए कि आपको बिना दवा खाए ही एसिडिटी (reduce acidity and gas problem) से राहत मिल जाए. इसके लिए बहुत से घरेलू नुस्खे हैं.

जी हां, ऐसे भी रास्ते हैं कि आप बिना किसी दवा के एसिडिटि को दूर भगा सकें. इसके लिए आपको करना बस यह है कि अपने खान-पान में जरा सा बदलाव करें. जी हां, बहुत से ऐसे आहार हैं जिन्हें लेने से आप एसिडिटी की समस्या से बच सकते हैं. एक नजर इन्हीं पर

ठंडा दूध या कच्ची छाछ

दूध शरीर और हड्डियों के लिए काफी फायदेमंद साबित होता है. वहीं ठंडा दूध या कच्ची छाछ पीने से एसिडिटि की समस्या से छुटकारा पाया जा सकता है.

खीरा

कुछ लोग एसिडिटी से इतने परेशान रहते हैं कि इसके लिए दवाएं हमेशा अपने पास ही रखते हैं. लेकिन क्या हो अगर आप बिना दवा के ही खुद को इससे आराम दिला सकें. तो आपको ज्यादा दवा न खानी पड़े इसलिए आप खीरे को अपने आहार में शामिल हो सकते हैं. खीरे में काफी मात्रा में पानी होता है जो कि शरीर को हाइड्रेट रखता है. खीरा शरीर के लिए कई तत्वों की भरपाई करता है. खीरा भी एसिड रिफ्लक्स को कम करता है जिससे एसिडिटी की समस्या में कमी आती है.

केला

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केले में फाइबर पर्याप्त मात्रा में पाया जाता है, जिसकी मदद से एसिडिटी से बचा जा सकता है.

केला एक, फायदे अनेक... यह कहना गलत नहीं. केले में आपको सेहतमंद बनाए रखने के लिए बहुत से गुण हैं. केला एंटी-ऑक्सीडेंट्स और पोटेशियम से भरपूर होता है. केला एसिड रिफ्लक्स को कम करता है. साथ ही केले में फाइबर पर्याप्त मात्रा में पाया जाता है, जिसकी मदद से एसिडिटी से बचा जा सकता है.

तरबूज

यह तो हम सब जानते हैं कि तरबूज में खूब पानी होता है. बस, इसकी यह एक ही खूबी बाफी है आपको एसिडिटी से बचाने के लिए. इसलिए यह आपको हाइड्रेट रखता है. साथ ही पीएच स्तर (pH levels) को कम करने में भी मदद करता है. जो एसिडिटी की समस्या को कम करता है. तरबूज में भरपूर मात्रा में एंटी-ऑक्सीडेंट्स और फाइबर मौजूद होते हैं.

नारियल पानी

नारियल पानी को आप अपने शरीर के लिए अमृत मान सकते हैं. जी हां, नारियल पानी आपके शरीर से सभी टॉक्सिन्स निकालने में मददगार है. नारियल एसिडिटी की समस्या को भी दूर करता है.

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यदि आलू का रंग भूरे से अलग हो कर हरा, बैगनी या काला होने लगे तो समझ जाइए कि ये सब्‍जी अब खाने लायक नहीं रही है। आइए जानते है कि किस तरह के आलू खाने से बचना चाहिए और इन्‍हें खाने से क्‍या- क्‍या समस्‍याएं हो सकती हैं?.....

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आलू हर घर में सामान्‍य तौर पर इस्‍तेमाल की जाने वाली एक आम सब्‍जी है, कोई भी सब्‍जी क्‍यों न हो आलू के बगैर उसका मजा नहीं आता है। लेकिन आलू की सब्‍जी का इस्‍तेमाल करते हुए भी आपको खास ध्‍यान रखने की जरुरत होती है वरना ये आपकी तबीयत बिगाड़ सकती है। अगर आलू के मूलरुप में बदलाव आ जाए तो इस सब्‍जी को खाने से परहेज ही करना चाह‍िए। आलू वैसे तो हल्का मटमैला या भूरा होता है।

यदि आलू का रंग भूरे से अलग हो कर हरा, बैगनी या काला होने लगे तो समझ जाइए कि ये सब्‍जी अब खाने लायक नहीं रही है। इसमें न्यूरोटॉक्सिन की मात्रा बढ़ गई है। जिस वजह से इसे खाने से कई समस्‍याएं हो सकती है। आइए जानते है कि किस तरह के आलू खाने से बचना चाहिए और इन्‍हें खाने से क्‍या- क्‍या समस्‍याएं हो सकती हैं? 
 
 हरा आलू है खतरनाक

हरा आलू है खतरनाक

आलू का रंग अगर हरा नजर आए तो समझ लें ये खराब हो गया है। हरा आलू कैंसर का कारण होता है। हरा आलू तब होता है जब वह मिट्टी से बाहर निकल जाता है और सूर्य की किरण उसपर सीधी पड़ती है, इससे आलू में सोलनिन लेवल बढ़ जाता है। आलू को हमेशा कम रोशनी तथा ठंडे स्‍थान में रखें, इससे वह ठीक रहते हैं और लंबा चलते हैं।

हो सकता है कैंसर

हरे आलू में क्लोरोफिल और सोलनिन नामक एसिड की मात्रा बढ़ने से इसे खाने से उल्‍टी, डायरिया, सिरदर्द या फिर कैंसर तक हो सकता है।

कब दिखने लगता है असर

हरे रंग का आलू खाने के 30 मिनट बाद असर दिखना शुरु हो जाता है। कभी कभी इसमें 8-12 घंटे भी लग सकते हैं। गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल और न्यूरोलॉजिकल लक्षण सबसे पहले नोटिस किये जा सकते हैं। 

न खाएं सिकुडे़ हुए आलू

कई बार आलू रखे-रखे सिकुड़ जाता है। ऐसा तभी होता है जब आलू काफी दिन तक रखा रह गया हो। सिकुड़े हुए आलू खाना भी सेहत के ल‍िए खतरनाक हो सकता है क्‍योंकि इसे खाने से शरीर में टॉक्सिन फैलने लगता है।

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46 से 50 बीमारियों का कारण है पित्त का बढ़ना, जरूर जानिए इसका उपाय ...

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शरीर में वात-और कफ का संतुलन आपको स्वस्थ रखता है, लेकिन इनके असंतुलित होने पर आपको किसी न किसी प्रकार से स्वास्थ्य संबंधी परेशानी का सामना करना पड़ता है। पित्त के बढ़ने पर आपको 46 से 50 बीमारियों का खतरा होता है। जानिए पित्त को सही और संतुलित रखने के लिए क्या खाएं और क्या नहीं -
 
- दही का सेवन करने के बजाए इसे पतला करके छाछ के रूप में या लस्सी का सेवन करें। इस में अजवाइन का प्रयोग करना पित्त विकार के लिए फायदेमंद रहेगा।
 
2 काला नमक - छाछ के साथ या खाद्य पदार्थों के साथ काले नमक का सेवन करें लेकिन काला नमक दिन में ही प्रयोग करना फायदेमंद रहेगा।
 
3 काला जीरा - काला जीरा पित्त के संतुलन में काफी सहायक होता है। अगर पित्त की समस्या है तो काले जीरे को डाइट में शामिल करें।
 
4 गाय का घी - घी तो आप खाते ही होंगे, लेकिन कोशिश करें कि गाय के घी का प्रयोग करें। यह पित्त की समस्या में लाभ देता है।

5 आंवला - आंवला रात को भिगो दें। सुबह उसी में मसलकर छान लें। अब मिश्री जीरा कूटकर मिला कर पिएं।
 
क्या न खाएं -
आयोडीन युक्त नमक का सेवन ज्यादा न करें।
फास्ट फूड, तले हुए, गरम व जलन वाले खाने से बचें।
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कफ बढ़ने से होते हैं 28 रोग, इन 5 चीजों को खाने से बचें.....

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वात और पित्त के साथ शरीर में का संतुलन सही होना जरूरी है। कफ के बढ़ने पर 28 प्रकार के रोग आपको घेर सकते हैं। लेकिन इनसे बचने के लिए आपको ऐसी चीजों से बचना होगा, जो कफ पैदा करती हैं या कफ को बढ़ा सकती हैं। आइए जानते हैं कौन सी चीजें कफ में न खाएं और किन चीजों का सेवन करें -
 
1 वसायुक्त चीजें - वसायुक्त चीजों का सेवन कफ बढ़ाने का काम करती हैं इसलिए जितना हो सके इनसे बचने की कोशिश करें।
 
दूध कफ को बढ़ाता है। अगर आपकी कफ प्रकृति है तो आपको दूध का सेवन कम करना चाहिए या फिर
हल्दी के साथ इसका सेवन करें।
 
कफ बढ़ने पर मांस का सेवन आपके लिए नुकसानदायक हो सकता है, इसलिए कफ होने पर मांस का सेवन करने से बचें और अगर कफ की तासीर हो तो मांस का सेवन कम से कम करें।
 
4 मक्खन -
मक्खन में वसा अधिक होता है, इसलिए यह कफ बढ़ाने का काम करता है। कफ की समस्या में मक्खन या मक्खन युक्त चीजों का सेवन न करें।
 
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पनीर से कफ तो बनता ही है, कई लोगों को पाचन संबंधी समस्या भी हो सकती है क्योंकि कुछ लोगों को पनीर आसानी से नहीं पचता। इसलिए अतिसेवन न करें।
 
क्या खाएं -
सुबह या दिन के भोजन के बाद गुड़ का सेवन फायदेमंद हो सकता है। गुड़ की तासीर गर्म होती है, यह कफ को कम करने के साथ ही पाचन क्रिया को बेहतर बनाता है।
 
2 तुलसी, सौंठ, और जैसी चीजों का सेवन कफ को कम करने में बहुत फायदेमंद होता है, तो इन्हें किसी भी तरह से डाइट में शामिल करें।
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