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रायपुर. छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने राजीव भवन में झंडा फहराने के बाद पत्रकारों से चर्चा करते हुए कहा एक नए युग की शुरुवात हुई है। गढ़बो नवा छत्तीसगढ़ के साथ हम लोग आगे बढ़ रहे हैं किसानों को 25 सौ रुपये समर्थन मूल्य दिया है। पूरे छत्तीसगढ़ के किसानों का अल्पकालीन समर्थन मूल्य दिया है। तेंदूपत्ता का प्रतिशत बड़ा कर चार हजार रुपये दिया है। टाटा की ली गई जमीन को 17 सौ किसानों को 42 सौ एकड़ जमीन दी है। शहरों में भूखंड की रजिस्ट्री खो गई थी उसे भी हमने शुरुवात की है। जो अपेक्षाएं लोगों की हमसे थी उसे हम पूरी कर रहे है।
वहीं सीएम ने लोकसभा के चुनाव के विषय पर कहा कि लोक सभा चुनाव सामने है और जैसे विधानसभा के चुनाव में हमारे नेता और कार्यकर्ता ने काम किया है वैसे ही लोकसभा में भी काम करेंगे।
::/fulltext::रायपुर। गणतंत्र दिवस समारोह में मुख्यमंत्री ने आज ऐलान किया कि राज्य में 15 हजार शिक्षकों की भर्ती की जाएगी। अभी तक पंचायतों के जरिये शिक्षाकर्मियों की भरती हो रही थी। जल्द ही अब शिक्षकों की भरती प्रक्रिया शुरू की जाएगी। जाहिर है, अविभाजित मध्यप्रदेश के दौरान 1995 से तत्कालीन दिग्विजय सिंह सरकार ने स्कूल विभाग के शिक्षकों को ड्राई कैडर घोषित करते हुए पंचायतों के जरिये शिक्षाकर्मियों की भर्ती चालू कर दी थी। नवंबर 2000 में राज्य बनने के बाद भी छत्तीसगढ़ में यह बदस्तूर जारी रहा।
पिछले साल शिक्षाकर्मियों के संविलयन के बाद अब पूरे 23 साल बाद स्कूल शिक्षा विभाग शिक्षकों की भरती करेगा।
::/fulltext::रायपुर। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने गणतंत्र दिवस पर्व के मौके पर एक और बड़ी सौगात दी है. मुख्यमंत्री ने कर्जा माफी के बाद अब किसानों की सिंचाई कर माफ करने का ऐलान किया है. राजधानी रायपुर में पुलिस परेड मैदान में प्रदेशवासियों को संबोधित करते हुए सीएम ने सिंचाई कर माफी की घोषणा की. उन्होंने कहा कि मुझे पता है कि 15 साल प्रदेश के लाखों किसानों का सिंचाई कर लंबित है. लेकिन ये सरकार किसानों की सरकार है. किसान हित सरकार की प्राथमिकता में है. हमने किसानों का कर्जा माफ किया है. अब किसानों का सिंचाई कर भी माफ करते हैं. 15 साल लंबित किसानों का 207 करोड़ का सिंचाई टैक्स माफ किया जाता है.
लोरमी. जूनापारा धान खरीदी केंद्र की पोल बेमौसम बारिश ने खोलकर रख दी है. इसका खामियाजा मासूम किसानों को भुगतना पड़ा है, जिनका बिना तौलाई के खुले में रखा धान बारिश में भीग गया है.
बता दें कि खरीदी केंद्र में दर्जनभर किसान समर्थन मूल्य पर अपना धान बेचने के लिए टोकन कटाने के बाद सप्ताह भर पहले ही केंद्र में आ गए थे, लेकिन धान खरीदी केंद्र प्रभारी के द्वारा बारदाने की कमी होने का हवाला देते हुए धान की तौलाई नहीं की गई. अब बेमौसम बारिश से उनका सैकड़ों क्विंटल धान पानी में डूब गया है. इससे परेशान किसानों के चेहरे में बिक्री को लेकर पशोपेश में पड़ गए हैं.
किसानों का आरोप है कि धान खरीदी केंद्र में लगातार बारदाने की कमी का हवाला देते हुए उन्हें प्रभारी चक्कर लगवाया रहे हैं, शुक्रवार को हुई बेमौसम बारिश से जहां खरीदी केंद्र परिसर पूरी तरह से तालाब में तब्दील हो गया, और किसानों के खून-पसीने की मेहनत से पैदा हुआ सैकड़ों क्विंटल धान पानी में डूब गया. किसानों का आरोप है कि खरीदी केंद्र में बिचौलिए सक्रिय हैं, जिनका काम कमीशन के चक्कर में पहले किया जाता है. अगर व्यवस्था सही रहती तो उन्हें यह मुसीबत नहीं उठानी पड़ती.
इस पूरे मामले को लेकर धान खरीदी प्रबंधक रामचंद्र जायसवाल ने धान खरीदी केंद्र, जूनापारा में बारदाने की कमी होने की बात कहते हुए अपना पल्ला झाड़ लिया, वहीं धान खरीदी केंद्र में बदहाली को लेकर जब कोटा के एसडीएम कीर्तिमान राठौर से बात की गई तो उन्होंने खाद्य निरीक्षक को जांच करने निर्देश देने की बात कही है.