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रायपुर। भाजपा प्रदेश प्रभारी अनिल जैन आज प्रेस कांफ्रेंस में एक सवाल पर बिफर पड़े। पत्रकार से पूछे सवाल पर भन्नाये प्रभारी अनिल जैन ने पत्रकार से से पूछ लिया – क्या आप कांग्रेसी हैं । दरअसल प्रदेश प्रभारी से ये सवाल पूछा गया था कि – हार की समीक्षा नहीं करने और हार के बाद भी पद पर बने रहने को लेकर सवाल पूछा गया था। जिसके जवाब में अनिल जैन भड़क गये।
सवाल पूछा गया था कि – हार के लिए जिम्मेदार कौन हैं… और हार के बाद इस्तीफा क्यों नहीं दिया गया ?
“क्या आप कांग्रेसी हैं ?…प्रभारी के नाते हार की जिम्मेदारी मेरी है, लेकिन पद पर मुझे बने रहना है कि नहीं, ये पत्रकार तय नहीं करेंगे, मेरी पार्टी तय करेगी, मेरी पार्टी ने जो जिम्मेदारी सौंपी है, उसे निभा रहा हूं”
रायपुर। चाइल्ड केयर लीव को लेकर एक के बाद एक पेचिदगियां बढ़ती जा रही है। पहले तो स्थानीय स्तर पर छुट्टी स्वीकृत करने का नियम वापस ले लिया गया और अब छुट्टी स्वीकृति की प्रक्रिया में भी कुछ शर्तें जोड़ दी है। जिला शिक्षा अधिकारी बिलासपुर की तरफ से जारी आदेश में बताया गया है कि अब चाइल्ड केयर लीव के लिए आवेदन कम से कम 21 दिन पहले यानि तीन सप्ताह पहले करना होगा। हालांकि अगर विषम परिस्थिति रही तो ये छुट्टी 10 दिन में भी स्वीकृत हो सकती है। लेकिन ये तभी संभव है, जब वजह अति आवश्यक हो यानि परीक्षा का वक्त हो या फिर बीमारी हो।
हालांकि अवकाश तब तक स्वीकृत नहीं होगा जब तक छुट्टी पर जाने वाली शिक्षिका के विकल्प के तौर पर स्कूल में कोई व्यव्स्था ना हो। आदेश में एक बार फिर बताया गया है कि अब संतान पालन अवकाश राज्य स्तर पर ही स्वीकृत किया जायेगा। इधर बिलासपुर क बाद अन्य-अन्य जिलों से भी चाइल्ड केयर लीव को राज्य सरकार के स्तर पर स्वीकृति का आदेश जारी कर दिया गया है। बिलासपुर के अलावे रायगढ़ सहित कई जिलों से आदेश जारी हो चुका है।
इधर पूर्व कलेक्टर और भाजपा नेता ओपी चौधरी ने इसे बेहद संवेदनशील मामला बताते हुए राज्य सरकार को फैसले पर पुनर्विचार करने की बात कही है। ओपी चौधरी ने कहा है कि इसकी वजह से महिला शिक्षिकाओं की अवकाश लेने में परेशानियां बढ़ जायेगी।
::/fulltext::कोरबा । अचानक आपको पता चले कि आपके गले में पिन फंसा है, तो शॉक लगना लाजमी है। पर मुश्किल तब होगी, जब उसे निकालने ऑपरेशन करने की नौबत हो और जेब में पैसे ही न हों। कुछ यही दशा दर्री में रहने वाले एक परिवार के समक्ष पेश आई.
एक्स-रे कराने पर एक बालिका के गले में पिन दिखा। दो दिन वे खर्च के लिए परेशान रहे। यह बात कुछ भले लोगों तक पहुंची तो मदद का हाथ बढ़ाया और दोबारा एक्स-रे कराया गया। रिपोर्ट में सब कुछ नार्मल था और पिछली रिपोर्ट में दिख रहा पिन, उसके बाहर बाल में लगे क्लिप की तस्वीर थी, जिसे टेस्ट के दौरान नहीं निकाला गया था.
दरअसल एक्स-रे रिपोर्ट में उसके गले में एक पिन होने की तस्वीर आइ थी, जिसे निकालने ऑपरेशन की बात कही गई। दो दिन वे यही सोचते रहे कि आखिर इतना पैसा कहां से आएगा। इस बीच उनकी पीड़ा मारवाड़ी युवा मंच दर्री-जमनीपाली के पूर्व अध्यक्ष मनीष अग्रवाल तक पहुंची.
उन्होंने अपने चिकित्सक मित्र डॉ. राजीव से परामर्श लिया और उन्होंने दोबारा टेस्ट कराने का सुझाव दिया। दोबारा एक्स-रे कराए जाने पर पता चला, गले में कुछ नहीं था और पहले की रिपोर्ट में जो तस्वीर गले के भीतर दिख रही थी, वह बाहर बालों में लगी क्लिप की थी, जिसे तकनीशियन टेस्ट से पहले निकालना भूल गया।
इसे चूक कहें या लापरवाही, तकनीशियन की जरा सी गलती ने पहले ही परेशानियों से घिरे इस परिवार को और ज्यादा मुश्किलों में पड़ने मजबूर कर दिया था। जब माजरा सामने आया और उन्हें पता चला कि वह स्वस्थ है, तो खुशी मारे वे उछल ही पड़े और झोली भरके दुआएं दी.
::/fulltext::भोपाल। सोशल मीडिया पर केंद्र की मोदी सरकार के खिलाफ मुखर होकर टिप्पणी करने वाले सोशल मीडिया एक्टीविस्ट अभिषेक मिश्रा को दिल्ली पुलिस ने गुपचुप तरीके से भोपाल से गिरफ्तार कर लिया है। अभिषेक की गिरफ्तारी पर मध्य प्रदेश की कांग्रेस सरकार ने कड़ी नाराजगी जाहिर की है। मध्यप्रदेश के गृहमंत्री बाला बच्चन ने अभिषेक मिश्रा की गिरफ्तारी के तरीके पर सवाल खड़े करते हुए इसे तानाशाही करार दिया है।
अभिषेक की गिरफ्तारी के तरीके को लेकर मध्यप्रदेश सरकार के गृह विभाग ने दिल्ली पुलिस कमिश्नर को पत्र लिखकर कड़ी नाराजगी जाहिर की है। गृह विभाग ने अभिषेक की गिरफ्तारी पर सवाल उठाते हुए दिल्ली पुलिस कमिश्नर को लिखा है कि दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल (एसबी) टीम ने अभिषेक की गिरफ्तारी के समय उच्चतम न्यायालय के निर्देशों का पालन नहीं किया।
दिल्ली पुलिस ने न ही स्थानीय पुलिस को गिरफ्तारी की सूचना नहीं दी और न ही अभिषेक मिश्रा के परिजनों को गिरफ्तारी की सूचना दी, जिससे अभिषेक के अपहरण की आशंका उत्पन्न हुई। गृह विभाग के उप सचिव ने दिल्ली पुलिस कमिश्नर को पत्र लिखकर नियम विरुद्ध हुई कार्रवाई की जांच की मांग करते हुए जिम्मेदार पुलिस अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है।
मूलतः छतरपुर के रहने वाले अभिषेक के पिता अशोक मिश्रा ने पुलिस को बताया कि उनके बेटे को भोपाल के कोहेफिजा स्थित घर से कुछ अज्ञात लोग साथ ले गए हैं। इसके बाद अभिषेक मिश्रा के बारे में कोई जानकारी नहीं मिल रही है और मोबाइल भी बंद है। इस शिकायत के बाद स्थानीय पुलिस ने जब जांच शुरू की तो अभिषेक की कंपनी सोशल मीडिया के डायरेक्टर अंशुमान सिंह नेबताया कि अभिषेक को दिल्ली पुलिस की साइबर स्पेशल सेल टीम ने गिरफ्तार किया है।
बताया जा रहा है कि आईटी एक्सपर्ट और कांग्रेस समर्थक अभिषेक मिश्रा को दिल्ली पुलिस ने धार्मिक भावना को ठेस पहुंचाने की एक शिकायत के आधार पर गिफ्तार किया है, वहीं दूसरी ओर सूत्र बताते हैं कि अभिषेक मिश्रा सोशल नेटवर्किंग साइट पर मोदी सरकार के खिलाफ टिप्पणी करने के बाद गिरफ्तार किया गया है।