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रायपुर। स्वराज पार्टी के मुखिया योगेंद्र यादव की आज अचानक मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से मुलाकात हो गयी। दरअसल आज योगेंद्र यादव छत्तीसगढ़ के दौरे पर थे..। किसानों की कर्जमाफी को लेकर पहले ही मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की सराहना कर चुके योगेंद्र यादव ने आज किसानों के मुद्दे पर एक ज्ञापन मुख्यमंत्री के नाम का सलाहकार विनोद वर्मा को सौंपा। जब वो विनोद वर्मा से मुलाकात कर निकल रहे थे, तभी अचानक सामने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल पर उनकी नजर पड़ी। जिसके बाद मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और योगेंद्र यादव से बातचीत हुई। इस दौरान योंगेंद्र यादव ने भूपेश सरकार की तरफ से किसानों की कर्जमाफी, समर्थन मूल्य में बढ़ोत्तरी और अन्य योजनाओं के जरिये किसानों को समृद्ध करने के प्रयास को लेकर भी मुख्यमंत्री को बधाई दी । मुख्यमंत्री ने ट्वीट कर लिखा है…
.@_YogendraYadav जी ने किसानों को लेकर किए हमारे फ़ैसलों का स्वागत किया तो आत्मविश्वास बढ़ा कि हम सही दिशा में बढ़ रहे हैं।
हम किसानों पर मंडरा रहे हर संकट को दूर करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। pic.twitter.com/B5Ci7ITq6x
— Bhupesh Baghel (@bhupeshbaghel)
::/fulltext::राजनांदगांव। राजनांदगांव पुलिस को ईनामी नक्सली दंपत्ति को गिरफ्तार करने में बड़ी सफलता मिली है. पुलिस ने नक्सली पवन उर्फ लातूर और उसकी पत्नी श्यामा उर्फ मंकी को गिरफ्तार किया है.दोनों 50 से अधिक नक्सल वारदात में शामिल रहे हैं. इनके ऊपर सरकार ने 9 लाख रुपये का इनाम घोषित किया था. कोंडागांव, जगदलपुर और नारायणपुर पुलिस को इनकी पिछले 11 सालों से तलाश थी. दुर्ग आईजी रतनलाल डांगी ने प्रेसवार्ता लेकर इसकी जानकारी दी.दोनों आरोपियों की गिरफ्तारी बुधवार को मानपुर क्षेत्र के बुकमार्क के जंगल से एक एनकाउंटर के दौरान हुई. एनकाउंटर में फायरिंग के बाद पुलिस ने आरोपियों को गिरफ्तार किया था. पुलिस ने घटना स्थल से विष्फोटक आईईडी सहति बड़े पैमाने पर अन्य सामान बरामद किया था.
::/fulltext::कांकेर. समरस पंचायत का अर्थ है, जहां पर गांव वालों की आपसी सहमति से पंचायत पदाधिकारियों को चुना जाता है. इसमें वोटिंग नहीं होती है. जो ग्राम पंचायत समरस के तहत अपनी पंचायत का निर्माण करती है, उस पंचायत को राज्य सरकार प्रशंसा स्वरूप एक तय धनराशि देती है. लेकिन अधिकारियों की लापरवाही से अब तक पंचायत को यह राशि नहीं मिल पाया है.
भानुप्रतापपुर विधानसभा से बांसकुंड पंचायत के सरपंच झाड़ू राम मंडावी बताते हैं कि गांव का सौहार्द बनाए रखने, फिजूलखर्ची से बचाव और विवाद से बचने के लिए ही समरस पंचायत की जाती है, साथ ही इस गांव में दो पंच वर्षीय चुनाव हुआ है, और बांसकुंड पंचायत अंतर्गत तीन आश्रित गांव बनोली, ऊपर तोनका, तोनका भी आते हैं, साथ ही शासन के द्वारा दी जाने वाली प्रोत्साहन राशि भी अब तक नहीं मिली है.
प्रोत्साहन राशि नहीं मिलने से ग्रामीणों में नाराजगी है. उनका कहना है कि शासन से वो प्रोत्साहन राशि की नहीं बल्कि वे गांव का विकास करने की शासन से मांग कर रहे हैं. ग्रामीण बताते है कि गांव में दो बार से पंचायत चुनाव निर्विरोध होता आ रहा है, जिसके बावजूद का शासन-प्रशासन द्वारा गांव का विकास नहीं किया जा रहा है. जंगलों से घिरे गांव में न तो कोई नेता-जनप्रतिनिधि पहुंचता है, और ना ही सरकारी अमला.
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