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बिलासपुर। सिम्स में आग लगने के बाद आईसीयू से शिफ्थ किए गए एक और बच्चे की आज एक प्रायवेट हास्पिटल में मौत हो गई। आईसीयू में धुंए से दम घूटने से कल एक बच्चे की मौत हो गई थी। राज्य के दूसरे सबसे बड़े मेडिकल कॉलेज अस्पताल के पावर पेनल में आग लग जाने से बच्चों के आईसीयू में धुंआ भर गया था। धुंआ इतना भरा कि शीशे की दीवारों को तोड़ना पड़ा। कई डाक्टरों ने खुद मोर्चा संभालकर बच्चों को तत्परता से आईसीयू से बाहर निकाला। वरना, और बड़ा नुकसान हो सकता था।
आईसीयू में घटना के समय 40 बच्चे भरती थे। इनमें से 16 की हालत गंभीर थी। कुछ को वेंटीलेटर लगे हुए थे। सात बच्चों को प्रायवेट अस्पताल शिशु भवन में भरती कराया गया। वहीं, नौ को जिला अस्पताल में। जिला अस्पताल में व्यवस्था ठीक न होने के कारण कुछ बच्चों को आज एक दूसरे प्रायवेट अस्पताल में भेजा गया। इनमें से एक बच्चे की आज मौत हो गई। प्रायवेट अस्पताल के डाक्टर ने इसकी पुष्टि की।
आज शाम स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहेदव भी रायपुर से हेलिकाप्टर से बिलासपुर आए और सिम्स समेत जिन अस्पतालों में बच्चे भरती है, उनका जायजा लिया। सिंहदेव ने कहा कि इस घटना की जांच की जाएगी, जो भी दोषी होगा, उसे बख्शा नहीं जाएगा।
रायपुर। गणतंत्र दिवस के 3 दिन पूर्व ही एक साथ 51 पुलिसकर्मियों का तबादला कर दिया गया है. यह फेरबदल बलौदाबाजार-भाटापारा जिले में हुआ. जहां पुलिस अधीक्षक प्रशांत अग्रवाल ने 17 प्रधान आरक्षक और 34 आरक्षकों का तबादला किया. इसमें ज्यादातर थानोें में पदस्त आरक्षक हैं तो कुछ रक्षित आरक्षी केन्द्र से हैं.
देखिएं 51 पुलिसकर्मियों की तबादला सूची-
रायपुर- ई-टेंडर घोटाले मामले की जांच के लिए राज्य शासन ने ईओडब्ल्यू को जांच का जिम्मा सौंप दिया है. पिछले दिनों मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कैग की रिपोर्ट में साढ़े चार हजार करोड़ रूपए के इस घोटाले की जांच कराए जाने का ऐलान किया था. उनके इस ऐलान के बाद आज शासन की ओर से सामान्य प्रशासन विभाग ने संशोधित आदेश जारी कर दिया गया है. घोटाले की जांच का जिम्मा ईओडब्ल्यू के आईजी एसआरपी कल्लूरी को दिया गया है. राज्य शासन ने आदेश में कहा है कि तीन महीने में जांच पूरी कर रिपोर्ट पेश की जाए.
क्या है पूरा मामला?
कैग की रिपोर्ट में यह बड़ा घोटाला उजागर हुआ था. कैग की आडिट रिपोर्ट के मुताबिक 17 विभागों के अधिकारियों द्वारा 4601 करोड़ के टेंडर में 74 ऐसे कंप्यूटर का इस्तेमाल निविदा अपलोड करने के लिए किया गया था. उसी कंप्यूटर से टेंडर भी भरा गया. कैग की रिपोर्ट में बताया गया है कि 10 लाख से 20 लाख के 108 करोड़ के टेंडर PWD और WRD प्रणाली द्वारा जारी न कर मैन्युअली जारी किये गए. रिपोर्ट के मुताबिक जिन 74 कंप्यूटरों से टेंडर निकाले गए उसी कंप्यूटरों से टेंडर वापस भरे भी गए. ऐसा 1921 टेंडर में हुआ. यानी कि 4601 करोड़ के टेंडर अधिकारियों के कंप्यूटर से भरे गए.
कैग की रिपोर्ट में खुलासा हुआ कि टेंडर से पहले टेंडर डालने वाले और टेंडर की प्रक्रिया में शामिल अधिकारी एक दूसरे के संपर्क में रहने के संकेत मिलते हैं. कैग ने मामले में जांच की सिफारिश की है. रिपोर्ट में बताया जा रहा है कि 5 अयोग्य ठेकेदारों को 5 टेंडर जमा करने दिया गया. इसके साथ चिप्स की कार्यप्रणाली पर भी कैग ने गंभीर सवाल उठाए कहा था कि चिप्स ने ई टेंडर को सुरक्षित बनाने के लिए पर्याप्त उपाय नहीं किये. कैग की रिपोर्ट में बताया गया कि 79 ठेकेदारों ने दो पैन नंबर टेंडर प्रक्रिया में इस्तेमाल किया. एक पैन का इस्तेमाल PWD में रजिस्ट्रेशन के लिए और दूसरा ई प्रोक्योरमेंट में किया गया. ठेकेदारों ने आयकर अधिनियम की धारा 1961 का उल्लंघन किया है. इन 79 ठेकेदारों को 209 करोड़ का काम दिया गया. नवंबर 2015 से मार्च 2017 के बीच 235 ईमेल आईडी का इस्तेमाल कर 1459 विक्रेताओं ने किया. जबकि सभी विक्रेताओं को यूनिक id देने का प्रावधान किया गया था. एक ईमेल आईडी का इस्तेमाल 309 निवेदाकारों ने किया.
कैग ने की थी जांच की सिफारिश
आडिट रिपोर्ट के जरिए कैग ने राज्य शासन को भेजी गई अपनी अनुशंसा में कहा था कि इस पूरे मामले में नियमों की जमकर अनदेखी की गई है. यह एक गंभीर अनियमितता का मामला है, लिहाजा इसकी बारीकी से जांच की जानी चाहिए. पूरे मामले की गंभीरता को देखते हुए भूपेश सरकार ने घोटाले की जांच का जिम्मा ईओडब्ल्यू को सौंप दिया है. हालांकि कैग की रिपोर्ट विधानसभा में पेश होने के बाद लोक लेखा समिति में भेजी जाती है, जहां इसका परीक्षण किया जाता है. बीते 15 सालों में कैग ने कई बड़े घोटालों का खुलासा किया है. विपक्ष की हैसियत से कांग्रेस यह मांग उठाती आई है कि घोटालों की निष्पक्ष जांच की जाए, लेकिन पिछली सरकार में यह दलील दी जाती रही कि चूंकि यह रिपोर्ट विधानसभा की लोक लेखा समिति में परीक्षण के लिए जाती है, लिहाजा जांच की जरूरत नहीं, लेकिन कांग्रेस सरकार ने इस व्यवस्था को बदलने की दिशा में कदम आगे बढ़ाया. कैग की अनुशंसा के अनुरूप पूरे मामले की जांच ईओडब्ल्यू से कराने का फैसला लिया.
::/fulltext::दंतेवाड़ा– जिले के गीदम ब्लॉक मुख्यालय के रोंजे बालक आश्रम शाला से 23 बच्चे गायब हो गए हैं. वनांचल क्षेत्र से पढ़ने पहुंचे बच्चे तीन दिनों से गायब हैं, और इसकी जानकारी आश्रम अधीक्षक को भी नहीं है कि बच्चे कहां गए हैं.इस गंभीर लापरवाही की जानकारी होने पर पूर्व विधायक देवती महेन्द्र कर्मा आज औचक निरीक्षण पर पहुंची. इस दौरान आश्रम से 23 बच्चे अनुपस्थित मिले. दो दिन पहले ही उन्हें इस आश्रम से 24 बच्चों के गायब होने की सूचना मिली थी. पूर्व विधायक को बच्चों ने बताया कि अधीक्षक राजा राम नेताम आश्रम में बहुत कम नज़र आते हैं. मैन्यू हिसाब से भोजन तक नहीं मिलता. अधीक्षक की लापरवाही के चलते बच्चे अव्यवस्था के बीच रहने मजबूर हैं. बच्चों की बातों को सुनकर देवती कर्मा ने अधीक्षक को जमकर फटकार लगाई और साफ शब्दों में कहा कि हमारे ग्रामीण बच्चों के साथ ऐसा व्यवहार बर्दाश्त नहीं किया जाएगा.अधीक्षक की लापरवाही बताती है कि अधिकारी-कर्मचारियों की मनमानी किस हद तक बढ़ गई है. गीदम से सटे रोंजे 100 सीटर बालक आश्रम में वनांचल क्षेत्र के बच्चे पढ़ाई कर रहे हैं. अव्यवस्था के चलते तीन दिनों से 23 बच्चे आश्रम से गायब हैं, और अधीक्षक को इस बात की कोई परवाह नहीं है. वहीं इस पूरे मामले में आश्रम अधीक्षक राजा राम नेताम गोलमोल जवाब देते नजर आए. अधीक्षक ने बताया कि करीब पांच बच्चों ने आवेदन दिया, लेकिन शेष बच्चे कहां हैं, मुझे इसकी जानकारी नहीं है.पूर्व विधायक ने कहा कि पूरे मामले की जानकारी वरिष्ठ अधिकरियों को दी जाएगी एवं दोषियों पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी. आश्रम निरीक्षण के दौरान जिलाध्यक्ष विमल सुराना, जिला पंचायत सदस्य सुलोचना कर्मा मौजूद थी.
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