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राज्य में दूध के बढ़ते उत्पादन और उसकी तुलना में कम खपत ने इस कारोबार को तगड़ा झटका दिया है।
रायपुर। राज्य में दूध के बढ़ते उत्पादन और उसकी तुलना में कम खपत ने इस कारोबार को तगड़ा झटका दिया है। राज्य शासन के अधीनस्थ संचालित छत्तीसगढ़ राज्य दुग्ध महासंघ मर्यादित से अनुबंधित 50 हजार से भी अधिक किसान परेशान हैं, क्योंकि उनके लाखों, करोड़ों रुपए फंस गए हैं। महासंघ दूध खरीद रहा है, लेकिन उसके पास भुगतान करने के लिए पैसा नहीं है। यही वजह है कि महासंघ ने सरकार से मांग की है कि दूसरे राज्यों की तरह स्कूल में दूध पाउडर, दूध की सप्लाई की अनुमति दें। इससे न सिर्फ बच्चों का बौद्धिक, शारीरिक विकास होगा, बल्कि दूध कारोबार पर आया संकट भी टल सकेगा।
इसे लेकर स्कूल शिक्षा विभाग के साथ महासंघ की दो बैठक हो भी चुकी है। सूत्र बताते हैं कि बहुत जल्द सरकार इस दिशा में ठोस कदम उठा सकती है। स्कूलों में दूध सप्लाई होगी, इसके एवज में विभाग महासंघ को एक निर्धारित मूल्य पर भुगतान करेगा। कुपोषण से मुक्ति का भी तर्क दिया गया- राज्य में ग्रामीण क्षेत्रों में काफी बच्चे कुपोषित हैं। महासंघ की तरफ से यह भी तर्क दिया गया कि अगर स्कूलों को लेकर उनका दिया प्रस्ताव मंजूर होता है तो कुपोषण भी कम हो सकता है। वे फेलेवर्ड मिल्क भी सप्लाई करेंगे।
देवभोग द्वारा उत्पादित दूध के प्रकार
सुप्रीम- 500 मिली. (22.50 रुपए)
पावर (टोंड) दूध- 500 मिली. (20 रुपए)
हेल्थ (डबल टोंड) दूध- 500 मिली. (18 रुपए)
देवभोग यूएचटी दूध- 500 मिली. (27 रुपए)
(नोट- निजी कंपनियों अमूल, वचन की दरें भी इसी के ईर्द-गिर्द हैं।)
संकट से उबारने के लिए मदद मांगी गई
महासंघ ने कृषि उपज मंडी बोर्ड से 10 करोड़ रुपए की आर्थिक मदद मांगी है, ताकि किसानों को कुछ राशि का भुगतान किया जा सके। महासंघ बीते 25 दिनों से किसानों को एक नया पैसा भुगतान नहीं कर रहा है, यह राशि 25-27 लाख रुपए रोजाना के हिसाब से बढ़ती चली जा रही है।
स्थित अभी भी संभल सकती है
सरकार अगर हमारे प्रस्ताव को मान लेती है तो स्थिति संभल सकती है, वरना दुग्ध कारोबार पर बड़ा संकट खड़ा हो जाएगा। एक तरफ हम किसानों को दुग्ध कारोबार के लिए प्रोत्साहित कर रहे हैं, दूसरी तरफ इस तरह के हालात बन जाएंगे तो कौन कारोबार करेगा। - रसिक परमार, अध्यक्ष, छत्तीसगढ़ राज्य दुग्ध महासंघ मर्यादित
::/fulltext::दंतेवाड़ा। नक्सली शहीद सप्ताह शुरू होने से पहले ही नक्सलियों ने क्षेत्र में उत्पात मचाना शुरू कर दिया है। गुरुवार की रात किरंदुल थाना क्षेत्र के मलांगिर स्थित एनएमडीसी के पंप हाउस और पिकअप वाहन में नक्सलियों ने आग लगा दी। यह वाहन कर्मचारीयों को लेने के लिए जा रहा था। बताया जा रहा है कि दहशत कायम करने के लिए करीब 150 हथियार बंद नक्सली वहां पहुंचे थे। पंप हाउस में काम कर रहे 5 कर्मचारी सुरक्षित वापस लौटे आए हैं। साल 2016 में भी इसी तरह की एक घटना में नक्सलियों ने वहां मौजूद कुछ कर्मचारियों को बंधक बना लिया था। एएसपी जीएन बघेल ने घटना की पुष्टि की है। बचेली थाना क्षेत्र में एक अन्य वारदात में नक्सलियों ने एनएमडीसी बचेली के डिपाजिट 5 के कन्वेयर बेल्ट में आग लगा दी। वहां मौजूद कर्मचारियों की सक्रियता की वजह से आग फैलने से पहले कन्वेयर बेल्ट को बंद कर दिया गया, नहीं तो बड़ी घटना हो सकती थी।
फेंके पर्चे, लगाया बैनर
पिछले दिनों बीजापुर में की गई कार्रवाई में पुलिस ने आठ नक्सलियों को मार गिराया था। इस घटना के विरोध में कमालूर-भांसी के बीच नक्सलियों ने जहां रेल पटरियां उखाड़ी हैं, वहीं बैनर व पर्चे भी फेंके हैं। नक्सल संगठन के भैरमगढ़ एरिया कमेटी के सचिव सुमित्रा के नाम से जारी बैनर व पर्चों में 28 जुलाई से 3 अगस्त तक नक्सली गांव कस्बों में शहीद सप्ताह मनाने की बात भी लिखी है। इस तरह के कई बैनर अंदरूनी इलाकों में लगाए गए हैं। पुलिस और सुरक्षा बलों ने भी नक्सल गतिविधियों को देखते हुए सक्रियता बढ़ा दी है। इलाकों में सघन सर्चिंग जारी है।
इसलिए नक्सली मनाते हैं यह सप्ताह
देश के लिए परेशानी का सबब बन चले नक्सली जुलाई माह के 28 से पांच अगस्त शहीद सप्ताह मनाते हैं। 25 मई 1967 को पश्चिम बंगाल के नक्सलबाड़ी बेंगाईजोत में जोतदारों के हक में सशस्त्र आंदोलन शुरू हुआ था। इस आंदोलन को कुचलने के लिए 16 जुलाई 1972 को चारु मजूमदार को पुलिस ने गिरफ्तार किया। आश्चर्य की बात है उन्हें कोर्ट में भी पेश नहीं किया गया। 28 जुलाई 72 को उनको मृत घोषित कर दिया गया। उनकी मौत कैसे हुई अब भी रहस्य है। इसी के मद्देजनर नक्सली हर साल शहीद सप्ताह मनाते हैं।
::/fulltext::रायपुर। 108 एंबुलेंस और 102 महतारी एक्सप्रेस के कर्मचारियों की हड़ताल लगातार जारी है. कर्मचारियों को हड़ताल में बैठे 12 दिन हो गए हैं उनसे न तो सरकार ने अभी तक कोई बातचीत की है और न ही संचालन करने वाली कंपनी जीवीके ने ही. बल्कि जीवीके ने अब तक 63 कर्मचारियों को नौकरी से बर्खास्त कर दिया है. उधर हड़ताली कर्मचारियों ने जीवीके द्वारा बर्खास्त किए जाने, नई भर्ती और हड़ताल को अवैध घोषित किए जाने के आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती देने का मन बना लिया है. एंबुलेंस कर्मचारी संघ के नेता आज हाईकोर्ट के वकील से इस मामले में मुलाकात की है.
नेताओं के मुताबिक सलाह के बाद कल हाईकोर्ट में रिट पीटिशन दाखिल की जाएगी. हड़तालियों का कहना है कि इस बार वे आर-पार की लड़ाई लड़ रहे हैं और किसी आश्वासन से हड़ताल खत्म नहीं करेंगे. उनका कहना है कि वो बातचीत के लिए तैयार हैं लेकिन सरकार ने अभी तक कोई पहल नहीं की है.आपको बता दें कि नियमितीकरण, वेतन सहित कई मांगों को लेकर 108 संजीवनी और 102 महतारी एक्सप्रेस के कर्मचारी हड़ताल पर हैं. इसके पहले भी वे इसी तरह हड़ताल पर गए थे लेकिन आश्वासन के बाद उन्होंने अपनी हड़ताल खत्म कर दी थी.
::/fulltext::रायपुर। छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने 12 साल पुराने बसों पर लगे प्रतिबंध को हटा दिया है. यह फैसला गुरुवार को चीफ जस्टिस अजय कुमार त्रिपाठी की डिवीजन बेंच ने सुनाया. कोर्ट ने कहा कि राज्य सरकार वाहनों के उपयोग की अवधि तय नहीं कर सकती. हाईकोर्ट ने सरकार के इस फैसले को यह कहते हुए रद्द कर दिया है और कहा है कि प्रतिबंध पर फैसला लेने का अधिकार केवल केंद्र का है. राज्य सरकार इस पर कोई कानून नहीं बना सकती.
बस एसोसिएशन ने हाईकोर्ट के फैसले पर खुशी जाहिर की है. फैसले पर एसोसिएशन ने खुशी व्यक्त करते हुए कहा कि सरकार की ओर से लगाए गए प्रतिबंध से हमारे रोजी-रोटी पर असर पड़ रहा था. लेकिन कोर्ट ने हमारे पक्ष में फैसला देकर हमें बड़ी राहत दी है. दरअसल छत्तीसगढ़ सरकार ने साल 2016 में प्रदूषण नियंत्रण को लेकर बड़ा फैसला लिया था जिसके तहत 12 साल पुरानी बसों और 10 साल पुराने ट्रकों को परमिट नहीं दिये जाने का आदेश देते हुए परिचालन पर प्रतिबंध लगा दिया था.
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