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रायपुर. दिल्ली की तर्ज पर छत्तीसगढ़ में भी सत्ता पलट करने के लिए आम आदमी पार्टी पूरा जोर लगा रही है. इसी के मद्देनजर पार्टी के विधायक लगातार छत्तीसगढ़ दौरे पर आ रहे है. आज छत्तीसगढ़ प्रभारी और दिल्ली सरकार के मंत्री गोपाल राय पांच दिवसीय दौरे पर रायपुर पहुंचे हुए हैं. चंपारण में आयोजित तीन दिवसीय बदलबो छत्तीसगढ़ प्रशिक्षण शिविर में शामिल होंगे. गोपाल राय ने एक प्रेस कांफ्रेंस करते हुए कहा कि हमारी पार्टी छत्तीसगढ़ में सरकार बदलाव की मुहिम पर लगातार काम कर रही है. पार्टी पिछले डेढ़ महीने में जिस तरीके से छत्तीसगढ़ में काम किया है उससे यह पता लगता है कि पार्टी काफी आगे निकल चुकी है.
उन्होंने कहा कि पहले यह कहा जाता था कि छत्तीसगढ़ में आप की पार्टी का कोई अस्तित्व नहीं है, लेकिन हमारी मेहनत का रंग अब दिखाई दे रहा है. और आज भारी संख्या में आप कार्यकर्ता यहां मौजूद है. उन्होंने दिल्ली में अपनी सरकार बनने का उदाहरण देते हुए कहा कि दिल्ली में किसी ने नहीं सोचा था कि हमारी सरकार बनेगी, लेकिन सरकार त्रस्त जनता ने हमें चुना है. छत्तीसगढ़ सरकार कांग्रेस पार्टी से ज्यादा आप पार्टी से डरी सहमी हुई है. इसीलिए सरकार हमारे नेताओं पर गलत धारा लगाकर गिरफ्तार कर जेल में बंद किया गया था.
मुख्यमंत्री का चेहरा आ सकता है सामने
गोपाल राय ने आगे कहा कि हमारी पार्टी ने सरकार की विधायकों से 5 साल का हिसाब मांगा था. और जब पार्टी ने विधायकों का घेराव करने पहुंचे तो विधायक अपना घर छोड़कर भाग खड़े हुए. उन्होंने कहा कि पार्टी चंपारण में प्रशिक्षण शिविर का आयोजित करने जा रही है. इसमें चर्चा के बाद घोषणा पत्र के बिंदु क्या होंगे वो निकल कर सामने आएंगे. साथ ही मुख्यमंत्री का चेहरा कौन होगा इस पर भी चर्चा की जाएगी. और नाम तय करने के बाद मुख्यमंत्री का नाम हाईकमान के सामने रखा जाएगा. उन्होंने कहा कि इस आयोजन में तीन बिंदुओं पर चर्चा की जाएगी. छग की शिक्षा व्यवस्था ध्वस्त हो चुकी है. शिक्षा का बुरा हाल है. यह सरकार सोची समझी रणनीति का हिस्सा है. सरकार प्राइवेट स्कूलों को बढ़ावा देने के लिए ऐसा कर रही है. उन्होंने कहा कि अगर सरकार इस पर चिंता नहीं करेगी तो इस शिविर में पार्टी आंदोलन को लेकर रूपरेखा तैयार की जाएगी.
गठबंधन पर दिया जवाब
गोपाल राय से गठबंधन पर जब सवाल पूछा गया तो उन्होंने जवाब देते हुए कहा कि जो पार्टी हमारे जैसा सोच रखती है. और छत्तीसगढ़ में बदलाव चाह रहा है, उनसे बात की जा रही है. उसके बाद ही गठबंधन पर चर्चा की जाएगी. उन्होंने ये भी कहा कि शिविर में चर्चा के बाद 30 जुलाई को बनाए गए एजेंडों को मीडिया के सामने रखा जाएगा. बता दें कि इससे पहले भी अाप नेता और दिल्ली के विधायक छत्तीसगढ़ का दौरा कर चुके हैं.
::/fulltext::रायपुर। आदिवासी बाहुल्य राज्य छत्तीसगढ़ की सियासत 29 आदिवासी सीटों के आस-पास ही घुमती है. बीते 3 चुनाव में आदिवासी सीटों पर केन्द्रित राजनीति होती रही है. आरक्षित 29 सीटों पर लीड 2013 के चुनाव में कांग्रेस की भले ही रही हो लेकिन 2003 और 2008 में भाजपा ने बड़ी बढ़त हासिल कर अपनी सरकार बना ली थी. यही कोशिश अब बीजेपी की ओर से 2018 में फिर से है. लेकिन कांग्रेस बीजेपी की इस कोशिश के बीच अपनी पकड़ को आदिवासी सीटों में और मजबूत करने में लग गई है. कांग्रेस को पता है सत्ता में वापसी आदिवासी सीटों में लीड से मिल सकती है. लिहाजा 2013 से ज्यादा सीटें जीतने कांग्रेस आदिवासी मुद्दों को लेकर एक नए अभियान या कहिए कि आंदोलन की शुरुआत करने जा रही है. इस आंदोलन का नाम है ‘जंगल सत्याग्रह’.
छत्तीसगढ़ कांग्रेस ने तय किया है कि आदिवासी सीटों पर जंगल सत्याग्रह चलेगा. जंगल सत्याग्रह की कमान संभालेंगे आदिवासी कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अमरजीत भगत. अमरजीत भगत के नेतृत्व में चलने वाले इस अभियान की रूपरेखा तैयार कर ली गई है. इसे लेकर वरिष्ठ नेताओं के साथ अमरजीत भगत की बैठक भी हो गई है. अमरजीत भगत ने बताया कि जंगल सत्याग्रह में आदिवासी अधिकारों की बात होगी. वन अधिकार कानून को लेकर चर्चा की जाएगी. विस्थापन और यूपीए सरकार की योजनाओं के क्रियान्वयन को लेकर बातचीत होगी. आदिवासी वर्ग के तमाम नेता सभी 29 सीटों में जाकर आदिवासियों से उनके मुद्दों को लेकर चर्चा करेंगे.
अमरजी भगत ने यह दावा भी किया कि जिस तरह से रमन सरकार ने आदिवासियों के अधिकारों को छीनने, उन्हें जंगल से बेदखल करने, जमीन को लूटने और विस्थापित करने का काम किया है उसका परिणाम इस चुनाव में दिखेगा. 2013 के चुनाव में कांग्रेस को 18 सीटें मिली थी, लेकिन 2018 के चुनाव में कांग्रेस को 20 से अधिक सीटें मिलेगी.
::/fulltext::रायपुर. राष्ट्रपति को दो दिवसीय दौरे के दौरान मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह ने जगदलपुर में लोगों को संबोधित किया. डॉ रमन सिंह ने कहा कि आज का क्षण हम सबके लिए गौरवशाली क्षण है. बस्तर के लिए सौभग्यशाली बात है कि छत्तीसगढ़ के लिए स्व. बलिराम कश्यप ने जो सपना देखा था वो आज पूरा हो गया.
डॉ रमन सिंह ने कहा कि आजाद भारत के इतिहास में ये दिन सुनहरे शब्दों में दर्ज होगा कि पहली बार कोई राष्ट्रपति बस्तर में दो दिन बिता रहे हैं. उन्होंने कहा छत्तीसगढ़ एक नए युग में प्रवेश कर रहा है और 40 लाख महिलाओं के हाथों में स्मार्टफोन होगा. बस्तर की पवित्र भूमि से इसका आगाज हो रहा है. उन्होंने कहा राष्ट्रपति चाहते तो दिल्ली में या किसी राज्य की राजधानी में अपने कार्यकाल का एक साल पूरा करने का भव्य जश्न मना सकते थे लेकिन उन्होंने बस्तर के अनुसूचित जनजाति वर्ग के बीच समय बिताने को चुना.
डॉ रमन सिंह ने कहा कि छत्तीसगढ़ विकास यात्रा का क्रेडिट किसी को जाता है तो पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी को जाता है. मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि महारानी अस्पताल कभी बंद नहीं हो और यहां सुविधाओं का विस्तार करने बेहतर से बेहतर प्रयास किए जाएंगे.
::/fulltext::झिटकू और मिटकी की यह पुरानी अमर प्रेमगाथा बस्तर जिले के विकासखंड विश्रामपुरी के पेंड्रावन गांव की है. इसके अनुसार गोंड आदिवासी का एक किसान पेंड्रावन में निवास करता था. उसके सात लड़के और मिटकी नाम की एक लड़की थी. सात भाइयों में अकेली बहन होने के कारण वह भाइयों की बहुत प्यारी और दुलारी थी.
मिटकी के भाई इस बात से सदैव चिंतित रहते थे कि उनकी प्यारी बहन जब अपने पति के घर चली जाएगी तो वे उसके बिना नहीं रह पाएंगे, इस कारण भाइयों ने एक ऐसे व्यक्ति की तलाश शुरू की जो शादी के बाद भी उनके घर पर रह सके. वर के रूप में उन्हें झिटकू मिला, जो भाइयों के साथ काम में हाथ बंटाकर उसी घर में रहने को तैयार हो गया.
गांव के समीप एक नाला बहता था, जहां सातों भाई और झिटकू पानी की धारा को रोकने के लिए छोटा-सा बांध बनाने के प्रयास में लगे थे. दिन में वे लोग बांध बनाते थे और शाम को घर चले जाते थे, लेकिन हर रात पानी बांध की मिट्टी को तोड़ देता और उनका प्रयास व्यर्थ हो जाता था. एक रात एक भाई ने स्वप्न में देखा कि इस कार्य को पूर्ण करने के लिए देवी बलि मांग रही है. अंधविश्वास के आधार पर उन्होंने इस बात के लिए हामी भर ली और बलि के लिए झिटकू का चयन कर लिया. एक रात उन्होंने उसी बांध के पास झिटकू की हत्या कर दी. बहन को जब मालूम हुआ तो उसने भी झिटकू के वियोग में बांध के पानी में कूदकर अपने जीवन को समाप्त कर लिया. इस बलिदान की कहानी जंगल में आग की तरह सभी गांवों में फैल गई.
इस प्यार और बलिदान से प्रभावित होकर ग्रामीण आदिवासी झिटकू और मिटकी की पूजा करने लगे. आज ये आदिवासी प्रेम की सफलता के लिए झिटकू-मिटकी की पूजा को सही मानते हैं. उनका कहना है कि यहां पूजा करने के बाद कोई भी प्रेमी-प्रेमिका का सपना अधूरा नहीं रहता है. सदियों बाद आज के आधुनिक युग में झिटकू-मिटकी की ख्याति बस्तर के सुदूर गांवों से देश की राजधानी तक भी फैल चुकी है.