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दंतेवाड़ा. राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद सीएम के साथ आदर्श ग्राम हीरानार पहुंचे. यहां एकीकृत कृषि प्रणाली से खेती कर रहे किसानों और महिला स्व-सहायता समूहों के सदस्यों से चर्चा की.. इसके बाद राष्ट्रपति ने कड़कनाथ और बकरी पालन का भी अवलोकन किया, इस दौरान उन्होंने मशरूम की खेती भी देखी. राष्ट्रपति दंतेवाड़ा के वनवासी कल्याण आश्रम स्कूल के बच्चों से चर्चा करने का साथ ही भोजन किया. फिर कोविंद दंतेवाड़ा स्थित मां दंतेश्वरी मंदिर में दर्शन और पूजा अर्चना की. मांझी-चालाकियों ने माँ दंतेश्वरी मन्दिर पहुंचने पर महामहिम राष्ट्रपति का स्वागत किया , इस दौरान राष्ट्रपति ने आम जनता से भी भेंट की.
लोग इसे मिनी भेड़ाघाट कहते हैं। पहाड़ियों के नीचे जल प्रवाह को देखते ही रहने का मन करता है।
महासमुंद । जिले के सरायपाली के पास देवदरहा जलप्रपात प्रकृति का अनुपम उपहार है। सुरंगी नदी जब छत्तीसगढ़ और ओडिशा की सीमा पर छोटी पर्वत श्रृंखलाओं के मध्य बहती है, तो यहां एक 30 फुट का जलप्रपात बनाती है। कलकल करती बहती नदी, पहाड़ पर फैली हरियाली, ऊंचे-ऊंचे पत्थर और जलप्रपात के नीचे बने प्राकृतिक झील पर्यटकों को बरबस ही आकर्षित करती है। यही कारण है कि लोग इसे मिनी भेड़ाघाट कहते हैं। पहाड़ियों के नीचे जल प्रवाह को देखते ही रहने का मन करता है।
नदी किनारे पहाड़ पर शिवजी का मंदिर
यहां झील के आगे नदी किनारे पहाड़ पर भव्य मंदिर है, जहां पार्वती के साथ पंचमुखी महादेव स्थापित है। मंदिर को ओडिशा के पदमपुर के जमींदार नटवरसिंह बरिहा ने 1922 में बनवाया था। इसके बरामदे में संगमरमर का नंदी बैल स्थापित है, जिसका मुख मंदिर द्वार की ओर है। मंदिर के दाहिनी ओर पगडंडी से होकर पहाड़ी के गहरी खाई के सम्मुख पहुंचा जा सकता है। जहां से नीचे देखने पर दिल दहल जाता है। पहाड़ी एक के ऊपर एक रखी हुई सी नजर आती है। बीच में जहां जलप्रपात का पानी गिरने से बड़ी झील बन गई है, जिसे देवदरहा कहा जाता है।
गहराई को क्षेत्रीय भाषा में दरहा (झील) कहते हैं। किवदंती है कि एक लकड़हारा दरहा के किनारे पहाड़ी पर लकड़ी काट रहा था। उसकी कुल्हाड़ी हाथ से छूटकर झील में गिर गई। वह दुखी होकर देवताओं को कोसने लगा। तब दरहा से देव प्रकट हुए। उन्होंने लकड़हारा को पहले सोना फिर चांदी की कुल्हाड़ी देनी चाही। लेकिन वह लोभ न करते हुए अपनी ही कुल्हाड़ी लेने पर अड़ा रहा। तब देवता ने प्रसन्न होकर उसे उसकी कुल्हाड़ी के साथ सोने- चांदी की कुल्हाड़ी भी दे दी। तब से इसे देवदरहा के नाम से जाना-पहचाना जा रहा है। दरहा के आसपास पहाड़ियों में छोटी-छोटी गुफाएं हैं।
ऐसे पहुंचे
रायपुर से एनएच 53 पर बस से सरायपाली तक पहुंचा जा सकता है, जो 156 किलोमीटर है। वहां से देवदरहा तक निजी वाहन या टैक्सी से पदमपुर रोड पर ओडिशा के गुंचाडीह गांव जाना होगा। यहीं से बायीं दिशा में करीब तीन किमी दूर देवदरहा है। सरायपाली से इसकी दूरी 21 किमी है। पर्यटकों के लिए सरायपाली में रात विश्राम की सुविधा है। घूमने के लिए लिए जून से लेकर मार्च तक समय उपयुक्त है। गर्मी में नदी में पानी नहीं बहता, हालांकि झील में पानी बारह माह रहता है।
::/fulltext::दोरनापाल. धुर नक्सल प्रभावित इलाका बुरकापाल चिंतागुफा क्षेत्र में नक्सलियों ने जवानों के लिए ले जा रहे राशन को लूट लिया. सीआरपीएफ जवानों के लिए राशन ले जाया जा रहा था. जानकारी के मुताबिक मौके पर बड़ी संख्या में हथियारबंद नक्सली मौजूद थे. जो चिंतागुफा इलाके में मार्ग पर स्थानीय टैक्सियों से ले जा रहे गाड़ियों को रोककर उसमें लदे राशन को ले गए है. बताया गया है कि दोरनापाल बाजार से जवानों के लिए राशन खरीदा गया. और स्थानीय टैक्सियों में लादकर नक्सल इलाके में मौजूद सीआरपीएफ 150 बटालियन औऱ कोबरा 206 बटालियन के लिए ले जाया जा रहा था. तभी जंगल से बड़ी संख्या में नक्सली गाड़ी के सामने आ गए. और वाहन से सारा सामान उतार लिया इस गाड़ी में जवानों के दैनिक उपयोगी समान और खाने का समान रखा हुआ था.
गौरतलब है कि दोरनापाल से बुरकापाल चिंतागुफा के बीच जवानों का राशन लूटने की घटनाएं पहले भी होती रही हैं. नक्सलियों द्वारा राशन की लूट से साफ हो रहा है कि राशन की कमी से नक्सली भूखे मर रहे है. और अब जवानों के ही राशन को लूट रहे है. हाल ही में नक्सली लीडर सीतू बटालियन डिप्टी कमांडर ने एरिया कमांडर को जानकारी देते हुए एक पत्र जारी किया था कि नक्सलियों के पास राशन खत्म हो गया है. और पत्र में राशन भिजवाने की व्यवस्था करने की बात कही गई थी.
जगदलपुर. राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद छत्तीसगढ़ के दौरे पर पहुंचे हुए है. जगदलपुर एयरपोर्ट में मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने राष्ट्रपति का स्वागत किया है. इसके बाद राष्ट्रपति कोविंद और मुख्यमंत्री रमन सिंह हेलीकॉप्टर से दंतेवाड़ा के लिए रवाना हुए, हालांकि मौसम खराब होने के चलते इन्हें कुछ देर इंतजार करना पड़ा, कुछ देर बाद मौसम कुछ साफ होने पर हेलीकॉप्टर ने उड़ान भरी और कुछ देर पहले राष्ट्रपति कोविंद दंतेवाड़ा पहुंच गए हैं. यहां वे दंतेवाड़ा के आदर्श ग्राम हीरानार पहुंचकर एकीकृत कृषि प्रणाली से खेती कर रहे किसानों और महिला स्व-सहायता समूहों के सदस्यों से चर्चा करेंगे. राष्ट्रपति दंतेवाड़ा के वनवासी कल्याण आश्रम स्कूल के बच्चों से चर्चा करेंगे और उनके साथ सादा भोजन करेंगे. कोविंद दंतेवाड़ा स्थित मां दंतेश्वरी मंदिर में दर्शन और पूजा अर्चना के बाद जावंगा स्थित अटल बिहारी वाजपेयी एजुकेशन सिटी परिसर में सक्षम स्कूल के दिव्यांग बच्चों और आस्था विद्या मंदिर के बच्चों से चर्चा करेंगे. राष्ट्रपति कोविंद एजुकेशन सिटी में बीपीओ का शुभारंभ करने के बाद चित्रकोट आएंगे. राष्ट्रपति वहां बस्तर का सुप्रसिद्ध चित्रकोट जलप्रपात देखेंगे. रात्रि विश्राम के बाद अगले दिन 26 जुलाई को जगदलपुर में सुबह 11 बजे स्वर्गीय बलिराम कश्यप स्मृति मेडिकल कॉलेज के नवनिर्मित अस्पताल भवन का लोकार्पण करने के बाद सभा को सम्बोधित करेंगे.
नक्सल प्रभावित इलाके में राष्ट्रपति के दौरे को लेकर तैयारियां चाक-चौबंद की गई है. चप्पे-चप्पे पर पुलिस बल तैनात है, तो वहीं दिल्ली से लेकर छत्तीसगढ़ और आंध्रा-तेलंगाना तक के इंटेलिजेंस को अलर्ट पर रखा गया है. राष्ट्रपति की सुरक्षा में करीब 8 हजार जवानों को तैनात किया गया है. जिसमें जिला पुलिस बल और छत्तीसगढ़ पुलिस बल के साथ-साथ अर्धसैनिक बलों के जवान भी शामिल हैं. राष्ट्रपति की सुरक्षा का जिम्मा 3 आईजी स्तर के अधिकारी संभाल रहे हैं. जबकि 7 DIG और 10 अन्य IPS अफसर राष्ट्रपति की सिक्यूरिटी में तैनात किये गये हैं. ये पहला मौका है जब राष्ट्रपति रात बस्तर में गुजारेंगे. बस्तर आने वाले रामनाथ कोविंद चौथे और दंतेवाड़ा आने वाले पहले राष्ट्रपति होंगे. बस्तर आने वाले पहले राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद थे. इनके बाद डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम और प्रतिभा देवीसिंह पाटिल ने राष्ट्रपति के रूप में बस्तर का दौरा किया था.
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के बस्तर दौरे के मायने-
– प्रदेश-देश-दुनिया के सामने बस्तर की बदलती छवि को दिखाने की कोशिश.
– नक्सलवाद के लिए कुख्यात बस्तर की सुंदर छवि दिखाने की कोशिश की गई है. यहीं वजह है कि राष्ट्रपति चित्रकोट जल प्रपात भ्रमण करेंगे और रात्री विश्राम भी वहीं करेंगे.
– ये बताने की कोशिश की गई है कि देश और राज्य की सरकार लोक कल्याणकारी कामों पर ध्यान दे रही है और सभी वर्गों के साथ है. खासकर आदिवासियों के साथ.
– बस्तर में तैनात जवानों को मोटिवेशन भी मिलेगा.
– नक्सलवाद को चुनौती के तौर पर देखा जा रहा है.
जावंगा में राष्ट्रपति बीपीओ का इनॉगरेशन करेंगे. इस बीपीओ से बस्तर के 500 से ज्यादा युवाओं को रोजगार मिल रहा है. उन्हें पहले ढाई महीने का प्रशिक्षण दिया गया फिर नौकरी पर रखा गया है. यहां काम करने वाले युवा राष्ट्रपति के विजिट से बेहद उत्साहित हैं. इस बीपीओ को कुछ अमेरिकी संस्थानों के भी काम मिल रहे हैं. बैंक ऑफ अमेरिका का प्रोजेक्ट भी मिला है. यहां काम करने वाले युवाओं का मानना है कि ऐसे और संस्थान भी बस्तर में शुरू होने चाहिए. युवाओं का मानना है कि रोजगार मुहैया अगर बस्तर के युवाओं को हुआ तो उनका भटकाव नक्सलवाद की तरफ नहीं होगा.
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद यहां के हीरानार जैविक कृषि और कड़कनाथ मुर्गा पालन परिसर का भी अवलोकन करेंगे. इसके लिए इसे संचालित करने वाली महिला स्वसहायता समूह पूरी तरह तैयार है. पुलिस प्रशासन ने भी तैयारी पूरी कर ली है. खास बात ये भी की कोविंद को यहां ई-रिक्शे से चंपा घुमाएंगी. बता दें कि इससे पहले चंपा ने पीएम मोदी को दंतेवाड़ा दौरे के दौरान ई- रिक्शे से भ्रमण कराया था.
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