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रायपुर। दुर्ग-भिलाई के बाद डेंगू ने राजधानी समेत प्रदेश के कई जिलों को अपने चपेट में ले लिया है. प्रदेश में अब तक ढ़ाई दर्जन मौतें डेंगू की वजह से हो चुकी है वहीं हजारों की संख्या में लोग डेंगू से पीड़ित हैं. डेंगू के मरीजों से दुर्ग-भिलाई के सभी सरकारी और निजी चिकित्सालय भरे पड़े हैं. अस्पतालों में मरीजों को भर्ती करने की जगह नहीं है. सैकड़ों की संख्या में मरीज प्रदेश के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल अंबेडकर सहित कई निजि अस्पतालों में भर्ती है. बावजूद डेंगू की रोकथाम में समूचा स्वास्थ्य महकमा नाकाम हो चुका है. मरीजों की तदादों में कमी आती नजर नहीं आ रही है. खुद स्वास्थ्य विभाग द्वारा पेश किए गए दो आंकड़े इसकी कहानी बता रहे हैं. हालांकि स्वास्थ्य विभाग अपनी लापरवाहियों की वजह से हुई मौतों के आंकड़ों को झुठलाने में आमादा हैं.
हैं.
स्वास्थ्य आयुक्त आर प्रसन्ना ने शुक्रवार को एक बार फिर प्रेस वार्ता लेकर डेंगू को लेकर किये जा रहे कार्यों को लेकर अपने विभाग की पीठ थपथपाई. उनका कहना है कि डेंगू से 8 मौतें ही हुई है. आर प्रसन्ना का दावा है कि स्वास्थ्य विभाग द्वारा 92 हजार 886 घरों का भ्रमण किया गया. 77 हजार 250 कूलरों और पानी की टंकी को चेक किया गया. 16 हजार 46 कूलर/पानी टंकी को खाली किया गया, 13 हजार 326 कूलर/पानी टंकी में लार्वा नाशक टेमीफॉस दवाई डाली गई. दावा यह भी किया गया कि नगर निगम द्वारा प्रभावित क्षेत्रों में फागिंग की जा रही है. लेकिन हकीकत यह है कि डेंगू ने पूरे जिले को अपनी चपेट में ले लिया है और फागिंग केवल उन क्षेत्रों तक ही सीमित है जहां सबसे ज्यादा मरीज मिल रहे हैं. जिसकी वजह से बाकी इलाकों में डेंगू अपने पैर पसारने में कामयाब होता जा रहा है. हालांकि आर प्रसन्ना का यह भी कहना है कि डेंगू पर लगाम लगाने में अभी और वक्त लगेंगे. उन्होंने लोगों से अपील की है कि वे डेंगू को लेकर जरा भी भयभीत न हों.
उन्होंने 19 अगस्त को जो आंकड़े जारी किए थे उसके अनुसार प्रदेश में डेंगू के संदिग्ध मरीजों की संख्या उस वक्त 1556 और डेंगू पॉजिटिव मरीजों की संख्या 520 थी. 4 दिन बाद आज जो आंकड़े स्वास्थ्य विभाग ने दिए हैं उसके अनुसार संदिग्धों की संख्या महज 4 दिनों में 1556 से बढ़कर 2068 हो गई है. वहीं पॉजिटिव मरीजों की संख्या 520 से बढ़कर 696 हो गई है.
दुर्ग जिले के बाद डेंगू की चपेट में राजधानी रायपुर आते जा रही है. वर्तमान आंकड़ों के अनुसार दुर्ग में 893 मरीज संदिग्ध पाए गए हैं, 594 मरीज डेंगू पॉजीटिव पाए गए. दूसरे नंबर पर राजधानी रायपुर है जहां 591 संदिग्ध मरीजों की पहचान हुई है, वहीं 38 मरीज डेंगू पॉजीटिव पाए गए हैं. तीसने नंबर पर बस्तर और चौथे नंबर पर रायगढ़ में बड़ी संख्या में डेंगू के संभावित मरीजों की पहचान हुई है.
उधर भिलाई महापौर ने गुरुवार को सीएम डॉ रमन सिंह से मुलाकात कर उन्हें डेंगू को लेकर की जा रही बड़ी लापरवाही की शिकायत की थी उनके अनुसार जिन कूलरों और पानी टंकी में लार्वा मिले थे उन्हें स्वास्थ्य विभाग और नगर निगम के अमले ने दवाई डाल कर मारने की बजाय खाली कर नालियों में बहा दिया. जिसकी वजह से डेंगू के हालात बेकाबू हो गए.
::/fulltext::रायपुर। पिछले चालीस दिनों से चल रही 102 और 108 संजीवनी एंबुलेंस कर्मियों की हड़ताल समाप्त हो गई है. हेल्थ कमिश्नर आर प्रसन्ना से मीटिंग के बाद हड़ताली कर्मियों ने हड़ताल समाप्ति की घोषणा कर दी. हड़ताली कर्मियों ने स्वास्थ्य आयुक्त से मिले आश्वासन के बाद हड़ताल वापस लेना का फैसला किया है.
स्वास्थ्य आयुक्त के साथ हुई बैठक में कर्मियों ने अपनी सभी मांगों को उनके सामने रखा. मांगे सुनने के बाद प्रसन्ना ने उनकी मांगों को मानने का आश्वासन दिया जिसके बाद आंदोलनकारियों ने हड़ताल वापसी की घोषणा कर दी. आपको बता दें कि नियमितीकरण, सरकार द्वारा एंबुलेंस का संचालन, वेतन वृद्धि की मांग को लेकर आंदोलन कर रहे थे. आंदोलनकारियों ने खून राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री को चिट्ठी लिखी थी. वहीं आंदोलन के दौरान कई कर्मी बीमार भी हो गए थे.
रायपुर (वीएनएस)। प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग के सदस्य किरणमयी नायक ने कहा है कि पूरे देश को इंवेंट मेनेजमेंट की तरह से हांकने वाले मोदी और अमितशाह ने तो 2018 और 2019 के चुनाव के लिये अटल जी की मृत्यु का राजनैतिक उपयोग इसलिये शुरू किया था, क्योंकि 15 अगस्त में लाल किले की प्राचीर से राष्ट्रगान का अपमान नरेन्द्र मोदी कर चुके थे, इसे पूरे देश ने देखा था।
वहीं भाजपा कार्यालय में अमितशाह ने राष्ट्रध्वज का अपमान किया था। इन दोनों ही मामलों पर पूरे देश भर में आलोचना से बचने के लिये अटल जी के अंतिम संस्कार में पैदल चलने का फिर पूरे देश में कलश यात्रा का आयोजन किया जा रहा था। पर अति उत्साह में भारतीय जनता पार्टी जो स्वयं को हिन्दू धर्म का झण्डा लेकर चलने वाले कहते है पर हिन्दु रीति रिवाजो की सामान्य जानकारी भी इन्हें नहीं है।
मृत्यु बाद अंतिम संस्कार के बाद एक व्यक्ति की अस्थ्यिं को अधिकतम 360 कलशों में भरा जा सकता है पर जैसे ही अस्थि कलश यात्रा का विचार आया तो पूरे देश को चुनावी मोड़ में अटल जी के प्रति श्रद्धांजलि के माध्यम से जोडऩे के लिये अति उत्साह में सभी राज्यों और सभी जिलों के लिये 707 कलश बना लिये गये। छत्तीसगढ़ में एक कलश को फिर से 27 कलशों में बांट दिया गया। फिर शुरू हुआ मीडिया के सामने भाजपा नेताओं का फोटो सेशन और प्रदर्शन की होड़ नेताओं में लग गयी।
2018-19 में जमीन सरकती और नैया डूबती दिख रही भारतीय जनता पार्टी के नेताओं को अटल जी की मृत्यु पर ऐसा लग रहा है जैसे ``बिल्ली के भाग्य से छींका टूट गया है।ÓÓ अटल जी की मृत्यु पर सार्वजनिक रूप से शोक मनाने के लिये भाजपा के नेतागण मौके की तलाश में थे। सबसे दुखी दिखने की होड़ में भाजपा के पूरे नेतृत्व की कैमरे के सामने आते ही अटल जी के प्रति श्रद्धा की पोल खुल गयी। कहते है कि ``मृतक की आत्मा मृत्यु के बाद संस्कार के दिन तक संसार में ही रहती है।ÓÓ अटल जी पूरे भारत के ही नहीं विश्व विशिष्ट पहचान रखने वाले नेता रहे, जिन्होने पूरे देश को अपना परिवार माना।
इस नाते देश में उनके अस्थि कलश और विसर्जन कार्यक्रम यदि श्रद्धा और नियम से होता तब ठीक होता लेकिन इस कार्यक्रम का राजनीतिकरण करने वाले नेताओं को अटल जी की आत्मा का श्राप लग गया, यही कारण था कि पूरे देश में जिन-जिन नेताओं का भाव यह था कि अटल जी का राजनैतिक लाभ लिया जाये, उन सभी नेताओं की पोल जनता के सामने खुल गयी। स्पष्ट है कि भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष धरमलाल कौशिक, मंत्रीगण अमर अग्रवाल, बृजमोहन अग्रवाल, राजेश मूणत, सांसद अभिषेक सिंह अटल जी को श्रद्धांजलि देते समय हास परिहास में संलग्न रहे भाजपा के पदाधिकारीगण संवेदनहीन है। उन्हें देश की संवेदना का भी मान नहीं है।
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