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रायपुर. रायपुर कलेक्टर ओपी चौधरी ने आईएएस पद से इस्तीफे की खबर की पुष्टि की है। उन्होंने फेसबुक पोस्ट के जरिये अपने इस्तीफे का ऐलान कर दिया है। उन्होंने कहा है कि वो अपना वक्त अपनी माटी की सेवा के लिए देना चाहते हैं। उनके इस बयान का आशय साफ है कि वो खरसिया से चुनाव लड़ेंगे। हालांकि वो किसी राजनीतिक दल का हिस्सा बनेंगे, इसे लेकर उन्होंने अभी भी पोस्ट में सस्पेंस बनाये रखा है।
::/introtext::उन्होंने लिखा है कि
“मेरे बायंग गांव की गलियों से निकलकर रायपुर के कलेक्टर बनने तक के 13 साल के सफर में जिंदगी ने मुझे अनेकों चुनौतीपूर्ण अवसर दिये। इस सफर में हजारों लोगों ने मुझे प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रूप से साथ दिया, उन्हें शुक्रिया अदा करने के लिये हिन्दी शब्दावली का कोई भी शब्द कम पड़ेगा। मैं अब अपनी माटी और अपने लोगों की बेहतरी के लिये अपना पूरा समय देना चाहता हुँ। इसलिये मैंने IAS से त्यागपत्र दे दिया है।जय-हिंद, जय-छत्तीसगढ़”….मेरे बायंग गांव की गलियों से निकलकर रायपुर के कलेक्टर बनने तक के 13 साल के सफर में जिंदगी ने मुझे अनेकों चुनौतीपूर्ण अवसर दिये।इस सफर में हजारों लोगों ने मुझे प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रूप से साथ दिया, उन्हें शुक्रिया अदा करने के लिये हिन्दी शब्दावली का कोई भी शब्द कम पड़ेगा।मैं अब अपनी माटी और अपने लोगों की बेहतरी के लिये अपना पूरा समय देना चाहता हुँ। इसलिये मैंने IAS से त्यागपत्र दे दिया है।जय-हिंद, जय-छत्तीसगढ़....
::/fulltext::रायपुर. कलेक्टर ओपी चौधरी से भाजपा नेता ओपी चौधरी !…मुख्यमंत्री डा रमन सिंह का ये अब तक सबसे बड़ा सियासी दांव है….ये ऐसा दांव, जिसने पूरे देश को चौंका दिया है। प्रदेश के सबसे चर्चित IAS अफसर का राजधानी कलेक्टर छोड़ भाजपा की टिकट पर चुनाव लड़ना, ये एक साधारण संयोग नहीं है। बल्कि इसके पीछे सियासत की सबसे बड़ी साइंस काम कर रही है। इस पूरे चुनाव में ओपी चौधरी वो चेहरा होंगे, जिसे भाजपा तुरुप के इक्के की तरह इस्तेमाल करेगी। भाजपा के लिए पर्दे के पीछे काम कर रही टीम के खास सदस्यों ने ओपी चौधरी को लेकर पूरा खाका तैयार कर रखा है।
::/introtext::यूं तो अभी तक के हालात यही इशारा कर रहे हैं कि ओपी चौधरी खरसिया सीट से उम्मीदवार होंगे, लेकिन ये सिर्फ कयासों में है, भाजपा चुनाव लड़ाने को लेकर भी नया सियासी सरप्राइज दे सकती है। हालांकि ये सिर्फ एक कंडीडैट या सिर्फ एक सीट का मसला नहीं है, बल्कि इसके पीछे वो कई बड़ी वजह है, जिसके लिए ओपी चौधरी भाजपा की जरूरत बने हुए हैं। हालांकि इसका पूरा समीकरण एक साल से सेट हो रहा था। भाजपा ने अपने दरवाजे काफी पहले से ओपी चौधरी के लिए खोल रखे थे, लिहाजा अंदरखाने तैयारियां भी शुरू हो गयी थी।
दरअसल भाजपा को इस चुनाव में बिल्कुल फ्रेश चेहरे की दरकार थी, ऐसा चेहरा, जो बेदाग हो, जिसकी बड़ी फैन फॉलोईंग हो और यूथ आईकॉन हो। ओपी के साथ प्लस प्वाइंट ये था कि इन सब खासियतों के बीच उनके नाम के साथ कलेक्टर का ओहदा और बोलने की शानदार क्षमता भी जुड़ी थी, जातिगत समीकरण और खरसिया माटीपुत्र होने का एडिशन बेनिफिट भी जुड़ गया था। ऐसे में ओपी चौधरी बीजेपी के लिए बड़ी जरूरत बन गये।
वहीं जातिगत समीकरणों की बात करें तो प्रदेश में ओबीसी वर्ग का करीब 46 फीसदी वोट है। भाजपा-कांग्रेस में इस कद और इस उम्र में कोई भी चेहरा नहीं है, जो ओपी चौधरी का मुकाबला कर सके। चाहे भाजपा में धरमलाल कौशिक की बात करें या फिर कांग्रेस में भूपेश बघेल की…ऐसे में ओपी चौधरी प्रदेश में ओबीसी के लिए बड़ा नाम हो सकते हैं।
खरसिया के बांयग गांव के ओपी चौधरी जातिगत समीकरण में भी खरसिया सीट के लिए बेहद सटीक हैं। अघरिया समाज की बहुलता वाले इस सीट पर ओपी चौधरी के रूप में भाजपा अगर दांव आजमाती है, तो मौजूदा विधायक उमेश पटेल के लिए बड़ी मुश्किल हो सकती है। हालांकि ये बात अलग है कि इस सीट पर कांग्रेस कभी नहीं हारी, ना अर्जुन सिंह के रहते और ना नंदकुमार पटेल के रहते, नंदकुमार पटेल की परंपरा को उनके बेटे उमेश पटेल आगे बढ़ा रहे हैं।
::/fulltext::रायपुर. बिजली वितरण कंपनी के प्रबंध निदेशक अंकित आनंद रायपुर के नए कलेक्टर हो सकते हैं। ओपी चौधरी के इस्तीफे के बाद अंकित को कलेक्टर बनाने की कवायद शुरू हो गई है।
::/introtext::चुनाव आयोग ने मतदाता पुनरीक्षण कार्य के चलते छह अगस्त से 27 सितंबर तक ट्रांसफर पर रोक लगा दी है। इसलिए, आयोग के बिना संज्ञान में लाए कलेक्टर की पोस्टिंग हो नहीं सकती। हालांकि, आचार संहिता प्रभावशील नहीं हुई है। लिहाजा, पेनल की जरूरत नहीं पड़ेगी। मगर चुनाव आयोग अनुमति देने से पहिले यह जरूर देखता है कि किस अफसर को पोस्ट किया जा रहा है और उसका क्या रिकार्ड है। सूत्रों का कहना है कि सरकार ने अंकित के साथ ही दो नाम और विकल्प के तौर पर रखे थे। लेकिन, सूत्रों का कहना है कि आयोग ने अंकित के नाम पर हरी झंडी दे दी है।
अंकित 2006 बैच के आईएएस हैं। वे जशपुर और जगदलपुर के कलेक्टर रह चुके हैं। सुबोध सिंह के बिजली वितरण कंपनी से हटने पर अंकित को वहां पोस्ट किया गया था। वे साढ़े तीन साल से बिजली वितरण कंपनी संभाल रहे हैं। हालांकि, भारत सरकार ने डेपुटेशन पर उनकी जनगणना निदेशक की नियुक्ति कर दी है। लेकिन, राज्य एवं केंद्र में एक ही पार्टी की सरकार है। लिहाजा, उनका आदेश चेंज होने में दिक्कत नहीं होगी।
रायपुर. भारत सरकार ने रायपुर कलेक्टर ओपी चौधरी का इस्तीफा मंजूर कर लिया है। पता चला है, प्रधानमंत्री सचिवालय के मंत्री जीतेंद सिंह के एप्रूवल के बाद केंद्रीय कार्मिक मंत्रालय ने कल देर शाम इस्तीफे की स्वीकृति पर मुहर लगा दी।
ज्ञातव्य है, 16 अगस्त को अपना इस्तीफा मुख्य सचिव अजय सिंह को सौंप दिया था। सीएस ने इसके बाद मुख्यमंत्री डा0 रमन सिंह से चर्चा की। सीएम की अनुशंसा के बाद 17 अगस्त को उन्होंने केंद्रीय कार्मिक मंत्रालय को ओपी का इस्तीफा भेज दिया था। इस्तीफा स्वीकृत होने की वजह से ही बताते हैं, भारत निर्वाचन आयोग की कल सुबह हुई वीडियोकांफ्रेंसिंग में रायपुर कलेक्टर की कुर्सी खाली थी।
दरअसल, ओपी को 22 अगस्त को बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह के समक्ष रायपुर में बीजेपी में शामिल होना था। लेकिन, अटलजी के देहावसान के बाद उनका कार्यक्रम स्थगित हो गया। अमित शाह के 22 अगस्त के दौरे को देखते हुए ओपी ने 16 अगस्त को इस्तीफा भेज दिया था। ताकि, 22 से पहले इस्तीफा स्वीकृत हो जाए। तब तक पूर्व प्रधानमंत्री का निधन हो गया।
ओपी का इस्तीफा मंजूर हो जाने के बाद रायपुर के नए कलेक्टर के नाम का ऐलान किसी भी समय हो सकता है। 29 अगस्त को दिल्ली से चुनाव आयोग का फुल कमीशन भी कलेक्टर, एसपी की अहम बैठक लेने रायपुर आ रहा है। ऐसे में, रायपुर कलेक्टर की कुर्सी खाली नहीं रखी जा सकती।
ओपी 2005 बैच के आईएएस थे। वे रायगढ़ के बायंग गांव के रहने वाले हैं। खरसिया से उन्हें कांग्रेस के उमेश पटेल के खिलाफ विधानसभा चुनाव में उतारने की भाजपा की योजना है।