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रायपुर। राज्य सरकार नक्सल समस्या से निपटने में पूरी तरह से नाकाम है। बस्तर में लगातार हो रहे मुठभेड़, हत्या, ब्लास्ट इस बात का प्रमाण है। राज्य सरकार हर बार नक्सलियों से आरपार की लड़ाई का दावा करती है, लेकिन ऐसा कुछ आज तक नहीं हो पाया है, परिणाम स्वरूप निर्दोष बस्तरवासियों की हत्या के साथ ही सुरक्षा बल के जवानों की शहादत नहीं रूक रही है। कांग्रेस भवन में आज पत्रकारों से चर्चा करते हुए पीसीसी चीफ भूपेश बघेल ने कहा कि बस्तर में जवानों के लगातार हो रही मौतों पर कांग्रेस ने कड़ी प्रतिक्रिया जताते हुए कहा कि राज्य के मुखिया और केन्द्रीय गृहमंत्री कब तक लोगों की आंखों में धूल झोंकते रहेंगे। जवानों की लगातार शहादत के बाद भी राज्य सरकार ने नक्सलवाद के खिलाफ कोई ठोस कदम नहीं उठाया है, जिसका खामियाजा बस्तर में तैनात जवानों को अपनी जान देकर चुकानी पड़ रही है। श्री बघेल ने जवानों की मौतों पर गहरा दुख व्यक्त करते हुए कहा कि राज्य सरकार नक्सलवाद से निपटने में बुरी तरह से नाकाम साबित हुई है। उन्होंने कहा कि नक्सलियों द्वारा निर्दोषों की हत्या किया जाना कायरना हरकत है।
इधर श्री बघेल ने कहा कि राज्य सरकार विकास यात्रा निकालकर जनता के पैसों पर पार्टी का चुनाव प्रचार कर रहे हैं, सीएम को यात्रा छोड़कर अपनी जिम्मेदारी निभानी चाहिए। श्री बघेल ने कहा कि प्रदेश की जनता ने प्रशासन चलाने, जनता के जानमाल की रक्षा के लिए, कानून व्यवस्था को दुरुस्त रखने के लिए सरकार चुना है, लेकिन राज्य सरकार के मुखिया को अपना और अपनी पार्टी का प्रचार करने से फुर्सत ही नहीं है कि वे राज्य के गंभीर समस्याओं को देख सकें। बस्तर में लगातार हो रहे नक्सली हमले को गंभीरता से लेते हुए उन्हें तत्काल यात्रा बंद कर देना चाहिए। पीसीसी चीफ ने कहा कि राज्य सरकार हर बार नक्सल हमले के बाद एक ही बयान दोहराती है कि अब नक्सलियों से आरपार की लड़ाई होगी। चिंतलनार में वर्ष 2010 में 76 जवानों के शहीद होने, 2013 में झीरमघाटी में कांग्रेस के बड़े नेताओं सहित 30 लोगों के जनसंहार, वर्ष 2017 में 25 जवानों की शहादत और मार्च 2018 में नौ जवानों के जान गंवाने की घटना संभवत: याद नहीं है, उन्होंने और भी घटनाओं का जिक्र करते हुए कहा कि, यदि राज्य सरकार को ये घटनाएं याद होती तो नक्सलियों के खिलाफ आरपार की लड़ाई कब की शुरू कर दी जाती।
बीजापुर। छत्तीसगढ़ में कल आईईडी ब्लास्ट में 7 जवानों की शहादत के बाद आज बीजापुर जिला पुलिस ने दबिश देकर 2 महिलाओं समेत 11 नक्सलियों को गिरफ्तार करने में बड़ी कामयाबी हासिल की है, इन सबके खिलाफ जिले के अलग-अलग थानों में गंभीर अपराध दर्ज है। बस्तर आईजी विवेकानंद सिंहा ने बताया कि सूचना मिली थी कि कुछ नक्सली कुटरू थाना क्षेत्र के दरभा गांव में एक विवाह में शामिल होने आए हैं। फौरन योजनाबद्ध तरीके से इलाके की घेराबंदी कर बस में वापसी के दौरान इन्हें दबोच लिया गया। पकड़ाए नक्सलियों मेंं दो महिलाएं एवं शेष पुरूष नक्सली हैं।
श्री सिंहा ने बताया कि पकड़े गए नक्सलियों ने तुमला नाले के पास जवानों से भरी मिनी बस को निशाना बनाया था, जिसमें दो जवान शहीद और 7 घायल हुए थे। कुटरू थाना क्षेत्र के अंतर्गत दरभा गांव में इन नक्सलियों ने सरपंच सोमारू राम मंडावी की धारदार हथियार से हत्या कर दी थी। हथियार बंद नक्सली दरभा गांव पहुंचे थे और उन्होंने मंडावी पर कुल्हाड़ी और डंडे से हमला कर दिया था। मंडावी की हत्या करने के बाद ये नक्सली वहां से फरार हो गए थे, तभी से इन नक्सलियों की तलाश की जा रही थी।
रायपुर। प्रदेश के लगभग 3500 दिवंगत शिक्षाकर्मियों का परिवार अनुकम्पा नियुक्ति नहीं मिलने से खा रहा दर-दर की ठोकरें खा रहा है। अत्यंत आर्थिक तंगी से जीवन का गुजारा मुश्किल हो गया। प्रांतीय संचालक शिक्षक पं. ननि मोर्चा के विरेन्द्र दुबे ने इसे मर्म और संवेदना का विषय बताते हुए कहा कि- हमारे वे शिक्षाकर्मी साथी जो हमारे संघर्षों में कंधा से कंधा मिलाकर चले,जो हमारे सुरक्षित भविष्य के लिए लड़ते रहे,जिन्होंने प्रदेश के नौनिहालों का भविष्य गढ़ा, जो असामयिक मौत का शिकार बने ऐसे दिवंगत शिक्षाकर्मी साथियों के परिवार की स्थिति अत्यंत खराब है, उन्हें न वेतन मिल रहा है न ही पेंशन। अनुकम्पा नियुक्ति के लिए दर-दर की ठोकरें मिल रही है, जटिल नियमों के चलते उनकी नियुक्ति भी नहीं हो पा रही है। घर के मुखिया को खोने का गम से उबर भी नहीं पाए कि परिवार के बच्चों और घर के बुजुर्गों के लालन-पोषण की जिम्मेदारी ने उनके चेहरे की मुस्कान छीन ली है। उनका कहना है कि अनुकम्पा नियुक्ति पूर्णत: संवेदनशील मामला है, जिसमे एक दु:खी परिवार को दर-दर की ठोकर खाने से और आर्थिक संकटों से मुक्ति दिलाने का एक प्रयास होना चाहिए। 2010 के बाद से अब तक के सभी अनुकम्पा के लम्बित मामलों पर तत्काल नियुक्ति दी जानी चाहिए। जितेन्द्र शर्मा, प्रांतीय उपसंचालक शिक्षक पँ ननि मोर्चा ने अनुकम्पा के लंबित मामलों में जटिल नियमो को विलोपित करते हुए अविलम्ब नियुक्ति प्रदान करने की मांग करते हुए कहा कि- इस पर त्वरित पहल हो,अनुकम्पा नियुक्ति मोर्चा की प्राथमिकता है,संविलियन सहित 9 मांगो में अनुकम्पा हमारी प्रमुख मांगो में से एक है। पीडि़त परिवारजन को जब हम अनुकम्पा नियुक्ति दिला पाएंगे वही उनके प्रति सच्ची श्रद्धांजलि होगी।परिवार का सुरक्षित भविष्य हर कर्मचारी का अधिकार है।संवेदनशील मुख्यमंत्री जी इस पर तत्काल निर्णय लें।
क्या है अनुकम्पा नियुक्ति
अनुकम्पा,संवेदना से ओतप्रोत शब्द है, जिसका आशय मृतक शासकीय सेवक के उस परिवार से है जिसके पास आय का समुचित साधन न हो और आर्थिक संकट से घिरा हो, तथा उन्हें तत्काल सहायता की आवश्यकता हो तो उस परिवार के आश्रित को उस विभाग में उसके न्यूनतम शैक्षणिक योग्यता के आधार पर तृतीय और चतुर्थ श्रेणी के पदों पर अनुकम्पा नियुक्ति प्रदान की जाती है।
प्रदेश के अन्य कर्मचारियों के लिए अनुकम्पा नियुक्ति के लिए नियम क्या है..
दिवंगत शासकीय सेवक के आश्रित को उनके शैक्षणिक योग्यता के आधार पर विभाग के तृतीय अथवा चतुर्थ श्रेणी के रिक्त पदों पर तत्काल अनुकम्पा नियुक्ति प्रदान की जाती है,भर्ती नियम के अन्य आवश्यक अहर्ताओं के लिए कंडिका 5 के तहत छूट व शिथिलीकरण करते हुए व्यावसायिक योग्यता प्राप्त करने हेतु समय प्रदान किया जाता है।
दिवंगत शिक्षाकर्मियों के आश्रितों के लिए अनुकम्पा नियुक्ति के नियम क्या हैं…
दिवंगत शिक्षाकर्मियों के आश्रितों को अनुकम्पा नियुक्ति में कोई छूट या शिथिलीकरण नही दी जा रही है। सीधी भर्ती हेतु जो अनिवार्य योग्यता तय की गई वही योग्यता दिवंगत शिक्षाकर्मी के आश्रित से मांगी जाती है अर्थात सहायक शिक्षक पँ पद हेतु 12 वी उत्तीर्ण होने के साथ व्यावसायिक योग्यता डीएड और टेट की अनिवार्यता भी मांगी जाती है।जिसके कारण प्रदेश में दिवंगत शिक्षाकर्मियों के आश्रितों के अनुकम्पा नियुक्ति के लगभग 3500 से भी अधिक प्रकरण लंबित हैं।जिससे उनके परिवार के समक्ष अत्यंत आर्थिक संकट आ चुका है, जो कि सर्वथा गलत है।
शिक्षाकर्मियों के अनुकम्पा नियुक्ति नियम में क्या गलत है..
अनुकम्पा एक विशेष राहत है,बिना किसी पेंशन अथवा बिना किसी आय के आर्थिक संकटों से जूझ रहे दिवंगत शिक्षाकर्मी के आश्रित के लिए डीएड में प्रवेश लेना तथा 2 वर्ष तक बिना किसी आय के पढ़ाई करना, लगातार 2 वर्षो तक फीस जमा करना,कम पीड़ादायक नही है,फिर ऊपर से टेट पास करना ठीक वैसा ही है जैसे करेला ऊपर से नीम चढ़ा। यदि आश्रित परिवार सामान्य जाति से हुआ तब तो इन व्यावसायिक योग्यताओं को प्राप्त करना और भी कठिन हो जाता है क्योंकि इन सबमे उत्तीर्ण होने के लिए सामान्य जाति के लोगो को अधिक अंक लाना पड़ता है। इसी तरह यदि आश्रित 12 वी से कम पढ़ी लिखी है तो उनके लिए चतुर्थ वर्ग के पदों पर भर्ती के कोई नियम नही हैं,जबकि अन्य कर्मचारियों के आश्रितों को उसके शैक्षणिक योग्यता को देखते हुए प्यून आदि चतुर्थ वर्ग के पदों पर नियुक्ति दे दी जाती है।
क्या होना चाहिए…
दिवंगत शिक्षाकर्मियों के आश्रितों को भी प्रदेश के अन्य कर्मचारियों की भांति उनके शैक्षिणक योग्यता के आधार तत्काल अनुकम्पा प्रदान की जानी चाहिए। नियुक्ति पश्चात अनिवार्य व्यावसायिक योग्यता हेतु पर्याप्त समय प्रदान किया जाना चाहिए,तथा शैक्षणिक योग्यता के आधार पर चतुर्थ वर्ग के पदों पर भी नियुक्ति दी जानी चाहिए। वर्तमान के जटिल नियमो को विलोपित करते हुए अनुकम्पा को विशेष राहत मानते हुए पीडि़त परिवार की तत्काल सहायता की जानी चाहिए।
रायपुर: केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने आज छत्तीसगढ़ प्रवास के दौरान शहीदों को लेकर बड़ी घोषणा की है। उन्होंने कहा कि अब देश के लिए शहीद होने वाले जवानों के परिजनों को एक करोड़ की सहायता सम्मान राशि दी जाएगी! शहीद जवानों के परिजनों को दिए जाने वाली सहायता सम्मान राशि में किसी प्रकार की कोई कोताही नहीं बरती जाएगी। धनराशि की कमी नहीं होने दी जाएगी। सरकार इस धनराशि में कोई कमी नहीं होने देगी। हम शहीद जवानों के परिजनों के साथ हैं। उन्होंने ये घोषणा आज 21 मई को छत्तीसगढ़ प्रवास के तहत सरगुजा जिले के लुंड्रा के केपी गांव में आयोजित दीक्षांत समारोह में की। बता दे कि पहले यह सहायता सम्मान राशि 25 से 35 लाख और बड़े केस में 45 लाख रुपए थी।
- ड्यूटी पर तैनात जवान की दुर्घटना में शहीद होने पर 25 लाख की सहायता सम्मान राशि, पहले यह 10 लाख रुपए था।
- आतंकवादियों और नक्सलियों से मुठभेड़ में शहीद होने पर 25 से 35 लाख रुपए, पहले 15 लाख मिलता था।
- सियाचिन जैसे क्षेत्रों में ड्यूटी पर शहीद होने वाले जवानों के परिजनों को 35 लाख रुपए।
- हालांकि युद्ध या युद्ध जैसे हालात होने पर या फिर किसी दूसरे देश में भारतीय नागरिक के बचाव के दौरान शहीद होने वाले सैनिकों को 45 लाख रुपए तक की सम्मान राशि प्रदान करने का नियम है।
- और अब शहीद होने वाले जवानों के परिजनों को 1 करोड़ की सहायता सम्मान राशि दी जाएगी!
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