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रायपुर: छत्तीसगढ़ के स्वतंत्रता संग्राम सेनानी और पूर्व रायपुर सांसद केयूर भूषण का आज शुक्रवार सुबह 10 बजे राजधानी के महादेवघाट में अंतिम संस्कार किया गया। इसी के साथ ही महान गाधीवादी चिंतक केयूर भूषण पंचतत्व में विलीन हो गए। केयूर भूषण के पार्थिव शरीर को तिरंगे में लपेट कर उनके निवास से मुक्तिधाम लाया गया।
राजकीय सम्मान के साथ विदाई दी गई। पुलिस जवानों ने महादेवघाट मुक्तिधाम में सशस्त्र यानि बंदूकों से सलामी दी। सीएम रमन सिंह ने इस महान स्वतंत्रता संग्राम सेनानी को श्रद्धांजलि दी। इस मौके पर विधानसभा अध्यक्ष गौरीशंकर अग्रवाल, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष भूपेश बघेल, बीजेपी, कांग्रेस के दिग्गज नेता और शहर के प्रबुद्धजन मौके पर मौजूद रहे। सभी ने नम आंखों से उन्हें श्रद्धांजलि दी। उन्हें श्रद्धांजलि देने वालों का तांता लगा रहा।
INH News से खास बातचीत में मुख्यमंत्री रमन ने कहा कि केयूर भूषण की याद को सहेजने के लिए उनकी स्मृति में कुछ न कुछ जरूर बनाया जाएगा। उनके गांधीवादी विचारधारा को सहेजने की लिए उनके विचारों पर अमल किया जाएगा। इसके बाद सीएम ने ऐलान किया कि राजधानी के गांधी भवन को केयूर भूषण के नाम पर रखा जाएगा।
उन्होंने कहा कि इस क्षति की भरपाई कर पाना मुश्किल है। वे आदिवासियों के हित में लगातार काम करते रहे। उनकी प्रेरणा हमें भी सिख देती है। बता दें कि 90 वर्ष की आयु में गुरुवार की शाम को उनका निधन हो गया था। वयोवृद्ध स्वतंत्रता संग्राम सेनानी स्व. केयूर भूषण वर्ष 1980 से 1990 तक दो बार रायपुर के लोकसभा सांसद रह चुके थे। बीती शाम को रायपुर के एक प्राइवेट अस्पताल में उनका निधन हो गया था। वे लंबे समय से बीमार थे, जिसके चलते उन्हें राजधानी के निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया था। उपचार के दौरान अस्पताल में निधन हो गया। स्वतंत्रता संग्राम सेनानी के निधन पर प्रदेश के सीएम रमन सिंह ने गहरा शोक व्यक्त करते हुए कहा कि उनके निधन से न सिर्फ छत्तीसगढ़ प्रदेश ने, बल्कि पूरे देश ने सच्चाई और सादगी पर आधारित गांधीवादी दर्शन और विनोबा जी की सर्वोदय विचारधारा के एक महान चिंतक को हमेशा के लिए खो दिया है।
वर्ष 1986 में केयूर भूषण की छत्तीसगढ़ी कविताओं का पहला संकलन ‘लहर’, वर्ष 2000 में हिन्दी प्रार्थना और भजनों का संकलन ‘नित्य प्रवाह’ और वर्ष 2002 में फिर एक छत्तीसगढ़ी काव्य संग्रह ‘मोर मयारूक गांव’ का प्रकाशन हुआ। उन्होंने पत्रकारिता के क्षेत्र में भी अपनी सक्रिय भूमिका निभाई। केयूर भूषण ने साप्ताहिक छत्तीसगढ़ और साप्ताहिक छत्तीसगढ़ संदेश सहित इन्दौर की मासिक पत्रिका ‘अंत्योदय’ का भी संपादन किया। इसके अलावा उन्होंने छत्तीसगढ़ के 75 प्रमुख स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों की जीवन गाथा पर आधारित पुस्तक की भी रचना की है, जो अप्रकाशित है। केयूर भूषण के साहित्य पर पंडित रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय रायपुर में शोध कार्य भी हुआ है। उनके ‘छत्तीसगढ़ी साहित्य के अनुशीलन’ पर रमणी चन्द्राकर को पीएचडी की उपाधि मिली है। यह शोध ग्रन्थ वर्ष 2015 में प्रकाशित हुआ है।
ज्ञात हो कि केयूर भूषण का जन्म एक मार्च 1928 को छत्तीसगढ़ के ग्राम जांता (जिला- बेमेतरा) में हुआ था। उनके पिता मथुरा प्रसाद मिश्र एक समाज सेवक थे। केयूर भूषण की प्राथमिक शिक्षा ग्राम दाढ़ी के स्कूल में हुई, उन्होंने 5वीं कक्षा की पढ़ाई बेमेतरा में की। आगे की पढ़ाई के लिए रायपुर आए, जहां उन्होंने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के आव्हान पर अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ 1942 के असहयोग आंदोलन में हिस्सा लिया और गिरफ्तार हुए।
उस समय वह रायपुर केन्द्रीय जेल में सबसे कम उम्र के राजनीतिक बंदी थे। उन्होंने स्कूली शिक्षा को छोड़कर घर पर ही हिन्दी, अंग्रेजी और छत्तीसगढ़ी भाषाओं का अध्ययन किया। आजादी के बाद सन 80-82 के दशक में पंजाब में आतंकवाद के दौर में शांति स्थापना के लिए केयूर भूषण ने भी गांधीवादी और सर्वोदयी नेताओं के साथ वहां के गांवों की पैदल यात्रा की
छत्तीसगढ़ी में प्रकाशित उनके कई उपन्यास प्रकाशित हुए, जिसमें वर्ष 1986 में प्रकाशित ‘कुल के मरजाद’ और वर्ष 1999 में प्रकाशित ‘कहां बिलागे मोर धान के कटोरा’ विशेष रूप से उल्लेखनीय है। वर्ष 2000 में उनका पहला छत्तीसगढ़ी कहानी संग्रह ‘कालू भगत’ और वर्ष 2003 में छत्तीसगढ़ी निबंध संग्रह ‘हीरा के पीरा’ प्रकाशित हुआ। राज्य और देश के विभिन्न क्षेत्रों में महत्वपूर्ण कार्य करने वाली सोलह प्रमुख महिलाओं के व्यक्तित्व और कृतित्व पर श्री केयूर भूषण के आलेखों का संग्रह ‘छत्तीसगढ़ के नारी रत्न’ शीर्षक से वर्ष 2002 में प्रकाशित हुआ।
उन्हें गार्ड ऑफ ऑनर भी दिया गया, मुख्यमंत्री सहित अनेक जनप्रतिनिधियों ने दी विनम्र श्रद्धांजलि
तंत्रता संग्राम सेनानी और रायपुर लोकसभा क्षेत्र के पूर्व सांसद स्वर्गीय श्री केयूर भूषण को आज राजधानी रायपुर के महादेवघाट स्थित मुक्तिधाम में राजकीय सम्मान के साथ गमगीन माहौल में अंतिम बिदाई दी गई। उन्हें गार्ड ऑफ ऑनर भी दिया गया। मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने उनकी पार्थिव देह पर पुष्पचक्र अर्पित कर उन्हें विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित की।
मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर आयोजित शोक सभा में कहा कि स्वर्गीय श्री केयूर भूषण के निधन से छत्तीसगढ़ सहित देश ने गांधीवादी दर्शन और विनोबा जी के सर्वोदय विचारधारा में एक महान चिंतक को हमेशा के लिए खो दिया है। वे ऐसे सरल व्यक्तित्व के धनी थे, जिन्हें सब अपना कहते थे। उन्होंने आजीवन गांधीवादी और सर्वोदयी विचारधारा का निर्वाह किया। उनमें अद्भूत ऊर्जा थी और सत्य के प्रति उनका गहरा आग्रह था। उन्होंने तत्कालीन पंजाब में शांति की स्थापना के लिए पदयात्रा की थी। छत्तीसगढ़ राज्य निर्माण के आंदोलन को उन्होंने गतिशीलता प्रदान की और छत्तीसगढ़ के नवनिर्माण में भी उनका महत्वपूर्ण योगदान था। श्री केयूर भूषण ने गांधीजी के असहयोग आंदोलन में उन्होंने हिस्सा लिया और अस्पृश्यता उन्मूलन के लिए काम किया। मुख्यमंत्री ने कहा कि मैंने गांधीजी को नहीं देखा, स्वर्गीय श्री केयूर भूषण जी को देखकर ये महसूस होता था कि गांधीजी कैसे रहे होंगे। मुख्यमंत्री ने स्वर्गीय श्री केयूर भूषण के शोक संतप्त परिवारजनों के प्रति संवेदना प्रकट करते हुए दिवंगत आत्मा की शांति के लिए ईश्वर से प्रार्थना की। मुख्यमंत्री ने स्वर्गीय श्री केयूर भूषण की स्मृति में मुक्तिधाम में बरगद का पौधा भी रोपा।
विधानसभा अध्यक्ष श्री गौरीशंकर अग्रवाल ने श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि आज हम छत्तीसगढ़ के गांधी को अंतिम बिदाई देने के लिए उपस्थित हुए हैं। स्वर्गीय श्री केयूर भूषण जी का जीवन बड़ा ही सहज और सरल था। उनके विचारों में दृढ़ता थी। उन्होंने सभी समाजों को जोड़ने का काम किया। श्री अग्रवाल ने विधानसभा के सभी सदस्यों की ओर से भी उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की। कृषि एवं जल संसाधन मंत्री श्री बृजमोहन अग्रवाल ने कहा कि श्री केयूर भूषण का निधन एक युग की समाप्ति जैसा है। उन्होंने बताया कि मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने राजधानी रायपुर के ब्राम्हणपारा स्थित आनंद समाज वाचनालय के समीप नवनिर्मित गांधी भवन का नामकरण स्वर्गीय श्री केयूर भूषण की स्मृति में करने की सहमति प्रदान की है। राष्ट्रीय जनजाति आयोग के अध्यक्ष श्री नंदकुमार साय ने कहा कि स्वर्गीय श्री केयूर भूषण गांधीवादी विचारधारा के सर्वोदयी नेता थे। वे सामाजिक समरसता की प्रतिमूर्ति थे। विधायक श्री भूपेश बघेल ने कहा कि स्वर्गीय श्री केयूर भूषण महान गांधीवादी चिंतक और स्वतंत्रता संग्राम सेनानी थे। वे आजीवन हरिजन सेवा संघ से जुड़े रहे। दो बार उन्होंने सांसद के रूप में क्षेत्र की जनता की सेवा की। आज छत्तीसगढ़ का एक महान सपूत हमसे हमेशा के लिए बिछड़ गया।
विधायक श्री सत्यनारायण शर्मा ने कहा कि स्वर्गीय श्री केयूर भूषण ने सार्वजनिक कार्यक्रमों में सर्वधर्म प्रार्थना की शुरूआत की। आज वे हमारे बीच नहीं है, लेकिन उनके विचार सदैव हमारे साथ रहेंगे। विधायक श्री धनेन्द्र साहू ने कहा कि वे छत्तीसगढ़ की महान विभूति थे। वे सच्चे समाजसेवी थे। छत्तीसगढ़ राज्य के निर्माण में उनके योगदान को श्री साहू ने याद किया। सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी श्री जी.एस. मिश्रा ने कहा कि वर्ष 1983 में श्री केयूर भूषण ने पंजाब में शांति की स्थापना के लिए एक हजार गांवों में पदयात्रा की। वे जन्म से ब्राम्हण थे और अपने कार्यों से सच्चे आदिवासी और सच्चे सतनामी थे। शोक सभा में दो मिनट का मौन रखकर दिवंगत आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना की गई।
वित्त आयोग के अध्यक्ष श्री चंद्रशेखर साहू , नगर निगम रायपुर के महापौर श्री प्रमोद दुबे, छत्तीसगढ़ ब्रेवरेजेस कार्पोरेशन के पूर्व अध्यक्ष श्री सच्चिदानंद उपासने, पूर्व विधायक श्री कुलदीप जुनेजा, पद्मश्री सम्मानित डॉ. महादेव प्रसाद पांडेय सहित अनेक जनप्रतिनिधि तथा बड़ी संख्या में साहित्यकार और प्रबुद्ध नागरिक इस अवसर पर उपस्थित थे।
रायपुर: मई में पड़ रही भीषण गर्मी के बीच आए तूफान ने सैकड़ों लोगों की जान ले ली है। गत दिनों यूपी, राजस्थान, मप्र, झारखंड, हिमाचल, पंजाब, हरियाणा, उत्तराखंड और दिल्ली में धूल भरी आंधी ने लोगों को हलाकान किया तो वहीं तेलंगना, बंगाल और आंध्र में आंधी के साथ जमकर बारिश हुई। आज शुक्रवा को उत्तराखंड और उससे सटे प्रदेशों में भी अगले 12 घंटों में भारी बारिश तूफान आने की संभावना है।
इस संबंध में मौसम वैज्ञानिकों का कहना है कि तूफान वेदर सिस्टम के दुर्लभ मेल की वजह से आया है। यह अमूमन आने वाले तूफानों के पैटर्न से अलग है। वेस्टर्न डिस्टरबेंस से राजस्थान, पंजाब और हरियाणा के ऊपर चक्रवात बना हुआ है। मौसम विभाग ने फिलहाल दो दिन के लिए अलर्ट जारी किया है। राजस्थान, यूपी और उसके पड़ोसी राज्यों यानि छत्तीसगढ़ में भी धूल की आंधी के साथ बारिश होने की संभावना हैं। क्योंकि इन इलाकों में चक्रवात की स्थिति निर्मित हो रही है। बता दें कि बुधवार को 132 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से आए तूफान की वजह से 8 राज्यों में 114 लोगों की मौत हो गई है। सबसे ज्यादा प्रभावित राजस्थान और यूपी हुआ है।
::/fulltext::लोक निर्माण मंत्री श्री राजेश मूणत ने कल रात राजधानी रायपुर के शास्त्री चौक में सड़कों के ऊपर निर्माणाधीन स्काईवाक का मौके पर जाकर सघन निरीक्षण किया। उन्होंने लोक निर्माण विभाग के संबंधित अधिकारियों को स्काईवाक के हर भाग की कार्ययोजना बनाकर उसे समय-बद्ध ढंग से पूर्ण करने के लिए आवश्यक निर्देश दिए। श्री मूणत ने कहा कि इसके निर्माण में अनावश्यक विलंब होने पर संबंधित अधिकारी के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। श्री मूणत ने अधिकारियों को निर्माणाधीन स्काईवाक के पाइल, पियर्स और सीढ़ी, एस्केलेटर तथा लिफ्ट आदि कार्यों के चिन्हांकित स्थलों में उनके ड्राइंग-डिजाइन के अनुरूप निर्माण के संबंध में भी आवश्यक निर्देश दिए। वर्तमान में स्काईवाक में निर्माणाधीन कुल 66 पियरों में से 53 पियरों को पूर्ण कर लिया गया है।
उल्लेखनीय है कि स्काईवाक का निर्माण राजधानी रायपुर के शास्त्री चौक में सड़कों के ऊपर फुट ओव्हर ब्रिज के रूप में लगभग 49 करोड़ रूपए की लागत से किया जा रहा है। इसकी लम्बाई एक हजार 400 मीटर लम्बाई है। स्काईवाक में पैदल चलने वाले लोगों की सुविधा के लिए दो लिफ्ट, आठ एस्केलेटर और दस सीढ़ियां बनाई जा रही है। इसमें डी.के. अस्पताल के समीप और अम्बेडकर अस्पताल में सड़क की ओर बाउण्ड्रीवाल के समीप लिफ्ट बनाए जाएंगे। इसी तरह तहसील कार्यालय की बाउण्ड्रीवाल के समीप, शहीद स्मारक के समीप और मल्टी लेवल पार्किंग पर एस्केलेटर तथा सीढ़ी का निर्माण होगा। शास्त्री जी की मूर्ति के समीप रेरा कार्यालय के सामने सीढ़ी और केन्द्रीय जेल की ओर बाउण्ड्रीवाल के समीप केवल सीढ़ी बनाए जाएंगे। इसके अलावा कलेक्टोरेट गार्डन में घड़ी चौक की ओर, कलेक्टोरेट गेट के समीप, जिला न्यायालय में सड़क की ओर, मेकाहारा चौक पर बस स्टैण्ड की ओर और अम्बेडकर अस्पताल में सड़क की ओर बाउण्ड्रीवाल के समीप एस्केलेटर तथा सीढ़ी का निर्माण होगा। इस अवसर पर लोक निर्माण विभाग के विशेष कर्त्तव्यस्थ अधिकारी श्री अनिल राय और प्रमुख अभियंता श्री डी.के. प्रधान सहित संबंधित विभागीय अधिकारी उपस्थित थे।