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रायपुर 6 अप्रैल 2018। कल से प्रदेश भर के जिला पंचायत सीईओ राजधानी में जुटेंगे। सोमवार से दो दिवसीय शुरू हो रहे CEO कांफ्रेंस में यूं तो कई अहम मुद्दों पर चर्चा होगी, लेकिन इस बैठक में एक बड़ा एजेंडा शिक्षाकर्मियों का मुद्दा भी रहेगा। जिला पंचायत सीईओ को कांफ्रेंस के लिए जिला पंचायत CEO को जो एजेंडा दिया गया है, उस एजेंडे में शिक्षाकर्मियों से संबंधित विषयों को भी शामिल किया गया है। मतलब कल पहले दिन जब सीईओ की काँफ्रैंस चीफ सिकरेट्री अजय सिंह और एसीएस पंचायत आरपी मंडल लेंगे, तो शिक्षाकर्मियों के मुद्दे पर भी अलग से चर्चा होगी। जाहिर है जिला स्तर पर जो शिक्षाकर्मियों के मुद्दे सुलझाये जा सकते हैं, उस पर इस बैठक में चर्चा होगी। सू्त्रों से मिली जानकारी के मुताबिक शिक्षाकर्मियों के इन मुद्दों पर कल की बैठक में लंबी चर्चा हो सकती है –
इन मुद्दों के अलावे कुछ अन्य छोटी मांगों पर भी कल की बैठक में चर्चा हो सकती है। हालांकि एजेंडा में इसका विस्तृत विवरण नहीं दिया गया है, लेकिन जिस तरह से प्रदेश भर में शिक्षाकर्मी ना सिर्फ संविलियन बल्कि अन्य छोटे- छोटे मुद्दों को लेकर परेशान हो रहे हैं और खुले तौर पर अपनी नाराजगी सरकार पर दिखा रहे हैं, उससे देखकर छोटी-छोटी परेशानियों को प्राथमिकता के आधार पर दूर करने का निर्देश जारी किया जा सकता था।
हालांकि बैठक में शिक्षाकर्मियों के मुद्दों के अलावे भी अन्य कई मुद्दों पर चर्चा की जानी है, ऐसे में शिक्षाकर्मियों के मसले पर कितनी लंबी चर्चा हो पाती है, इस पर जरूर नजर होगी। हालांकि इन सबके बीच एक खबर ये भी आ रही है कि जिला पंचायत सीईओ को पूर्ण रूप से ये निर्देशित सरकार की तरफ से कर दिया जाये कि वो अधिकांश मुद्दों को अपने स्तर पर ही सलटा लें।
::/fulltext::रायपुर 6मई 2018। कहते तो यही हैं कि सब्र का फल मीठा होता है !! लेकिन कभी ऐसा भी होता है कि ज्यादा मीठा होने के इंतजार में फल का स्वाद बिगड़ भी जाता है…! कहीं यही हालत सरकार की भी शिक्षाकर्मियों के मुद्दे पर ना हो जाये। संविलियन के इंतजार की इंतहा इस कदर हो गयी है कि अब शिक्षाकर्मी सीधे तौर पर सरकार को चेताने लगे हैं। ऐसे में फिलहाल आसार तो यही बनते नजर आ रहे हैं कि लेटलतीफी कहीं शिक्षाकर्मियों का आक्रोश इस कदर ना भड़का दे कि सरकार को बड़ा नुकसान चुनाव में उठाना पड़ जाये।
हाईपावर कमेटी के साथ पिछले दिनों हुई बैठक के बाद शिक्षाकर्मी इतने आग बबूला हैं कि पूछिये मत। बैठक के बाद उधर नाराज शिक्षाकर्मी मोर्चा ने महापंचायत की हुंकार भरी…तो इधर शिक्षाकर्मियों ने भी सोशल मीडिया पर सरकार के खिलाफ तीखे हमले शुरू कर दिये हैं। फेसबुक और व्हाट्सएप में शिक्षाकर्मियों की नाराजगी साफ छलक रही है।
शिक्षाकर्मियों की नाराजगी सिर्फ कमेटी की लेटलतीफी पर ही नहीं है, बल्कि वो नाराज बेवजह मध्यप्रदेश दौरे पर सब कमेटी को भेजे जाने और महासंघ को बेहद आसानी से मुख्यमंत्री को मिले वक्त को लेकर भी हैं। व्हाट्सएप और फेसबुक शिक्षाकर्मियों के तीखे हमले से पटे पड़े हैं। एक शिक्षाकर्मी ने बेहद ही गंभीर टिप्पणी के साथ लिखा है-
“यहां की सरकार इतनी भी सक्षम नहीं कि स्वयं निर्णय ले सके…पहले राजस्थान और अब एमपी अध्ययन करने जायेंगे”
हाईपावर कमेटी अगर आश्वासन देकर शिक्षाकर्मियों को मीटिंग से वापस करती, तो शायद शिक्षाकर्मियों की इतनी नाराजगी नहीं होती, जितनी छलक रही है, लेकिन मध्यप्रदेश भेजने का दांव फिलहाल तो कमेटी ही नहीं, सरकार के भी उलटा पड़ सकता है। नाराजगी तो इशारा कर रही है कि कहीं अगर सरकार ने आगे चलकर संविलियन का ऐलान कर भी दिया तो, सरकार को उसका लाभ मिलेगा या नहीं ये एक बड़ा सवाल है।
बड़ा सवाल तो है, कि आखिर मध्यप्रदेश क्यों ?..मध्यप्रदेश में तो ऐसा कुछ भी नहीं, जो छत्तीसगढ़ सरकार को बेहतर फैसले में मददगार साबित होगा, बावजूद ये दौरा हो रहा है, कई शिक्षाकर्मी सरकार के पक्षपात से भी नाराज हैं, लिहाजा शिक्षाकर्मियों के एक गुट महासंघ को मुख्यमंत्री से मिलने के लिए मिले वक्त पर भी सवाल उठाया गया है। एक शिक्षाकर्मी ने लिखा है…
"जब किसी प्रदेश के मुखिया नये संघ के तुरंत मिलने का समय दें और महासम्मेलन के लिए हां कर दें तो सोचो क्या होगा ?"
फिलहाल शिक्षाकर्मियों का तीखा हमला जारी है, ऐसे में 11 मई की महापंचायत पर सबकी नजर है। सरकार की भी और सरकारी मशीनरी भी शिक्षाकर्मियों के आक्रोश पर बेहद करीबी नजर रखे हुए हैं। ऐसे में 11 की हुंकार शिक्षाकर्मियों के आंदोलन की दशा तय करेगी, तो ये भी तय है कि वो हुंकार हाईपावर कमेटी की कार्यवाही को दिशा देगी।
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मुख्यमंत्री रमन सिंह : पुलिस और प्रशासनिक अफसरों को नसीहत देते हुए कहा कि ” घटना बड़ी होने के पहले ही रोकनी चाहिये”....
::/introtext::रायपुर 6 मई 2018। … जब तक अपराधी के मन में कानून का डर नहीं होगा…और न्याय पाने वाले के मन में संतुष्टि नहीं होगी, कि अधिकारी उनके साथ खड़े हैं, ज्यूडिसियल सिस्टम उनके साथ है…तब तक सरकार और कानून व्यवस्था की बेहतर स्थिति नहीं बनती है। … मुख्यमंत्री आज राज्य शासन के गृह और विधि विभाग द्वारा आयोजित न्यायिक अधिकारियों, जिला कलेक्टरों, पुलिस अधीक्षकों, लोक अभियोजकों और विवेचना अधिकारियों की स्टेट लेवल कांफ्रेंस को संबोधित कर रहे थे। मुख्यमंत्री ने अपने संबोधन के दौरान छत्तीसगढ़ में अपराध के तीन प्रकार गिनाये..पहला तो नक्सलवाद और नक्सलवाद की वजह से जुड़ी घटनाएं….दूसरा, आर्थिक विकास और औद्योगिकीकरण, जिसकी वजह से बाहर के लोगों का प्रवेश होता है, इनमें कुछ तत्व होते है जो अपराध का अंजाम देते है, जबकि तीसरा सामान्य तरीके के अपराध, जिसमें चिटफंड, मानव तस्करी, फिरौती और अन्य अपराध हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि विधि-विधायी व्यवस्था से जुड़े ऐसे कांफ्रेंस सिर्फ राज्य स्तर पर नहीं, बल्कि संभाग और जिला स्तर पर भी आयोजित होना चाहिये। चीफ जस्टिस ने भी आज ऐसे कांफ्रेंस को लेकर यहीं बातें रखी। मुख्यमंत्री रमन सिंह ने पुलिस और प्रशासनिक अफसरों को नसीहत देते हुए कहा कि ” घटना बड़ी होने के पहले ही रोकनी चाहिये”…। तात्कालिक घटना को किस तरह से आक्रोश बढ़ने के पहले नियंत्रित कर लिया जाये, अफसर अपनी बुद्धिमता का परिचय देकर उस पर कैसे काबू पायेे, उस पर चिंता करनी चाहिये।
मुख्यमंत्री ने अपने संबोधन में घटनाक्रम की विवेचना का भी जिक्र किया, उन्होंने कहा कि आज कल अपराध का अंदाज बदल गया है.. 1000 किलोमीटर दूर बैठा अपराधी अपराध कर रहा है..ऐसे में विवेचना में भी उच्च तकनीक का इस्तेमाल करना बेहद जरूरी हो गया है। उन्होंने विवेचना करने वाले अफसरों को टिप्स देते हुए कहा कि विवेचना में ना सिर्फ साइंस बल्कि साइक्लॉजी का भी इस्तेमाल किया जाना चाहिये।
मुख्यमंत्री ने कहा कि 2000 में विधि-विधायी विभाग का बजट सिर्फ 16 करोड़ था, जिसे आज बढ़ाकर 641 करोड़ कर दिया गया है.. साथ ही पदों और नियुक्ति की प्रक्रिया भी जारी है।
::/fulltext::बिलासपुर.चलती ट्रेन में बाहर झांककर भांजे को ट्रेन में चढ़ते देखने की कोशिश करते मामा की पोल से टकराने से मौत हो गई। वहीं प्लेटफार्म पर गिरकर भांजा घायल हो गया। जीआरपी ने इस मामले में मर्ग कायम कर लिया है। पेंड्रा के समीप ग्राम नेवसा नवापारा निवासी अनुरूप सिंह पिता स्व. हीरासिंह अपने भांजे दीपक कुमार पिता नंदलाल कुमार 20 के साथ बिलासपुर जाने के लिए 11 बजे पेंड्रारोड रेलवे स्टेशन पहुंचे। उनके साथ अनुरूप सिंह का एक दोस्त भी था। वे लोग पेंड्रारोड- बिलासपुर लोकल ट्रेनें से बिलासपुर आने वाले थे।
- स्टेशन पहुंचने के बाद अनुरूप ने दीपक को टिकट लाने कहा और स्वयं दोस्त के साथ ट्रेन में सवार हो गया। वे लोग जनरेटर बनवाने के लिए बिलासपुर आ रहे थे।
- 11.15 बजे ट्रेन छूटी तब तक दीपक नहीं पहुंचा था तो अनुरूप सिंह दरवाजे पर खड़ा होकर उसे देखने लगा।
- इस बीच दीपक प्लेटफार्म पर पहुंचा तो ट्रेन चलने लगी थी वह दौड़कर चढ़ने की कोशिश किया और फिसलकर प्लेटफार्म पर गिर गया।
- इस बीच अनुरूप सिंह उसे देखने के लिए अपने शरीर को ट्रेन से और बाहर निकाला। आधी ट्रेन प्लेटफार्म से बाहर निकल चुकी थी उसी समय अनुरूप का सिर खंभे से टकराया और वह ट्रेन से नीचे गिर गया।
- ट्रेन आगे बढ़ गई लोगों ने देखा तो इसकी सूचना जीआरपी को दी। जीआरपी स्टाफ मौके पर पहुंचा और घायल अनुरूप और दीपक को लेकर गौरेला के विक्टोरियम हास्पिटल पहुंचे।
- अनुरूप का सिर फट गया था और काफी मात्रा में खून बह गया था। अस्पताल में जांच के बाद डाक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। वहीं दीपक के हाथ पैर में खरोच आई।
- उसका भी इलाज कराया गया। पोस्टमार्टम के बाद अनुरूप सिंह शव परिजनों को सौंप दिया गया। पेंड्रारोड जीआरपी ने मामले में मर्ग कायम कर लिया है।
दोस्त बिलासपुर पहुंच गया
- अनुरूप सिंह के साथ उसका एक दोस्त भी ट्रेन में सवार हुआ था। उसके दोस्त को उसके गिरने का पता ही नहीं चला। ट्रेन से गिरने के समय ट्रेन में सवार कुछ लोगों ने उसे देखा अवश्य था लेकिन किसी को पता नहीं चला।