Thursday, 25 April 2024

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IRCTC : नई वेबसाइट के जरिए आसान होगा टिकट बुक करना......

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आईआरसीटीसी ने मंगलवार को ई-टिकटिंग वेबसाइट को संशोधित किया है

नई दिल्ली (बिजनेस डेस्क)। इंडियन रेलवे केटरिंग एंड टूरिज्म कारपोरेशन (आईआरसीटीसी) ने मंगलवार को ई-टिकटिंग वेबसाइट को संशोधित किया है। इसमें उसने नया यूजर इंटरफेस (यूआई) जोड़ा है। यह जानकारी पीआईबी की ओर से जारी प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार सामने आई है। विज्ञप्ति में बताया गया है कि वेबसाइट में नये फीचर्स यूजर्स के अनुभव को सुधारने के लिए किये गये हैं। वेबसाइट के बीटा वर्जन के लिए यूजर्स को आमंत्रित किया गया है ताकि वे 15 दिनों के लिए न्यू लुक का फर्स्ट हैंड एक्सपीरियंस और इस्तेमाल कर देख सकें। इस दौरान इंडियन रेलवे वेबसाइट में बदलाव और सुधार के लिए यूजर्स का सुझाव लेगा। इसके बाद नए इंटरफेस का बीटा वर्जन आईआरसीटीसी के ई-टिकटिंग पोर्टल के पुराने इंटरफेस की जगह ले लेगा।

जानिए इसी से जुड़ीं जरूरी बातें-

  • पीआईबी की प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार यूजर्स बिना लॉगइन करें इंक्वायरी, ट्रेन को सर्च और सीटों की उपलब्धता के बारे में पूछ सकते हैं।
  • यूजर्स आईआरसीटीसी की वेबसाइट पर आरामदायक व्यूइंग अनुभव के लिए फॉन्ट साइज बदल सकते हैं।
  • आपको बता दें कि वेबसाइट के नये लुक ने क्लास के आधार पर, ट्रेन के आधार पर, गंतव्य के आधार पर, डिपार्चर/अराइवर समय के आधार पर और आरक्षण के आधार वाले फिल्टर्स में सुधार किया है।
  • ट्रेन के बारे में सिंगल स्क्रीन इंफोर्मेशन जिसमें ट्रेन नंबर, ट्रेन का नाम, ट्रेन का अराइवल स्टेशन, गंतव्य स्टेशन और दोनों के बीच की दूरी, अराइवल और डिपार्चर समय और यात्रा का समय अब व्यवस्थित हो गया है।
  • माइ ट्रांजेक्शन के अंतर्गत दिये गये नए फिल्टर्स को इसलिए जोड़ा गया है ताकि यूजर्स यात्रा की तारीख, बुकिंग डेट, अपकमिंग जर्नी और पूर्ण यात्रा के आधार पर अपनी बुक की हुई टिकट देख सकते हैं।
  • इसमें वेटलिस्ट प्रीडिक्शन भी जोड़ा गया है। इसके जरिए यूजर्स की वेटलिस्टेड या आरआसी (रिजर्वेशन एगेंस्ट कैसिंलेशन) टिकट की कंफर्मेशन की संभावना बढ़ जाती है। यह तकनीक यूजर्स एलोग्रिदम का इस्तेमाल करता है जो विशेष ट्रेन के हिस्टोरिकल बुकिंग के ट्रैंड के आधार पर होता है।
  • इस नए लुक में यूजर पूरे एडवांस रिजर्वेशन अवधि (120 दिनों) के दौरान उपलब्धता ढूढ़ सकते हैं।      
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अमेजन : ऑनलाइन सामान खरीदने के बाद वापस करना पड़ेगा मंहगा....

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ई-कॉमर्स कंपनी अमेजन ने सामान मंगाकर बार-बार वापस करने पर ग्राहकों के अकाउंट्स बैन करना शुरू कर दिया है।

नई दिल्ली (टेक डेस्क)। हम अक्सर ई-कॉमर्स या ऑनलाइन पोर्टल से सामान ऑर्डर करने के बाद उसे वापस कर देते हैं। कई ई-कॉमर्स कंपनिया सामान मंगाने के बाद वापस करने पर कोई चार्ज नहीं वसूलती है। ऐसे में कई ग्राहकों ने सामान मंगाकर उसे वापस करना शूरू कर दिया है। ग्राहकों के इस रवैये की वजह से ई-कॉमर्स कंपनियों को नुकसान भी उठाना पड़ता है। इस समस्या से निदान पाने के लिए दुनिया की सबसे बड़ी ई-कॉमर्स कंपनी अमेजन ने बार-बार सामान मंगाकर वापस करने वाले ग्राहकों को बैन करना शुरू कर दिया है।

अमेजन ने ग्राहकों का अकाउंट किया बैन

अमेरिकी अखबार वॉल स्ट्रीट जर्नल के मुताबिक अमेजन ने कुछ ग्राहकों का अकाउंट सस्पेंड कर दिया है। अमेजन ने अमेरिकी अखबार को बताया कि ये ग्राहक जान-बूझकर सामान मंगाकर उसे वापस कर रहे थे, जो कंपनी के नियम के खिलाफ था। इसलिए उन ग्राहकों के अकाउंट्स को बैन कर दिया गया है। कंपनी ने उन ग्राहकों को मेल भेजकर सूचित किया है कि आपका अकाउंट बैन कर दिया गया है। वे ग्राहक फिर से कोई दूसरा अकाउंट भी नहीं बना सकते हैं क्योंकि उन्होंने कंपनी के पॉलिसी को तोड़ते हुए तय सीमा से ज्यादा बार सामान मंगाकर वापस किया है।

ग्राहकों ने सोशल मीडिया पर उतारा गुस्सा

अमेजन द्वारा बैन किए हुए कुछ ग्राहकों ने सोशल मीडिया साइट्स ट्विटर और फेसबुक पर कंपनी के खिलाफ नाराजगी दिखाते हुए पोस्ट किया। एक ग्राहक ने अमेजन की तरफ से भेजे गए ई-मेल का स्क्रीन शॉट भी पोस्ट किया है। ई-मेल में अमेजन ने ग्राहक से पूछा है कि आपने पिछले 12 महीने में कई बार अपने अकाउंट से सामान ऑर्डर करके उसे वापस क्यों किया? ये पहली बार नहीं है कि आपने ऐसा किया है।

पहले भी आ चुका है मामला

मार्च 2016 के मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार एक ग्राहक ने 2 साल में अमेजन से 343 सामान खरीदें, जिनमें से 37 सामान उसने कंपनी को वापस कर दिए। अमेजन ने उस ग्राहक का अकाउंट तुरंत सस्पेंड कर दिया। कंपनी ने ग्राहक के कहा कि आपके अकाउंट से लिंक गिफ्ट कार्ड खराब नहीं होंगे, आप इस गिफ्ट कार्ड का इस्तेमाल किसी अन्य अकाउंट से कर सकते हैं। ऐसा ही एक मामला 2012 में भी सामने आया था। उस समय गूगल पर अमेजन अकाउंट बैन ट्रेंड करने लगा था।

भारत में भी अमेजन के अलावा फ्लिपकार्ट, स्नैपडील, पेटीएम मॉल जैसे ई-कॉमर्स पोर्टल के जरिए लाखों ग्राहक ऑनलाइन सामान मंगाते हैं। अगर कंपनियां इसी तरह ग्राहकों के अकाउंट बैन करना शुरू कर देती है तो ग्राहकों को समस्या का सामना करना पड़ सकता है।

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आपका दोस्त भी सोशल मीडिया पर ऐसी तस्वीरें डालता हो तो संभल जाएं...

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हमारी सोशल पोस्ट्स हमारे बारे में वो बातें भी बताती हैं, जो कई बार हम खुद भी नहीं जानते. जैसे एक हालिया शोध कहती है कि अवसादग्रस्त लोग अक्सर अंधेरे में तस्वीरें लेकर पोस्ट करते हैं.

मौके-बेमौके किसी भी बात पर सेल्फी लेकर डालना अवसाद की ओर इशारा करता है, खासकर अगर सेल्फी अंधेरे में ली गई हो. सोशल मीडिया का इस्तेमाल करने वालों पर हुई एक शोध बताती है कि अवसाद के शिकार लोग अक्सर सेल्फी लेते और उसे सोशल मीडिया पर पोस्ट भी करते हैं लेकिन फिल्टर्स का उपयोग नहीं करते हैं. इनकी ज्यादातर तस्वीरें डार्क होती हैं. हार्वर्ड यूनिवर्सिटी और वर्मोंट यूनिवर्सिटी में यह शोध हुई. इसमें 166 लोगों को शामिल किया गया, इसके तहत 44,000 इंस्टाग्राम और फेसबुक तस्वीरों को देखा गया. शोध में शामिल लगभग 70 प्रतिशत लोग जो सोशल मीडिया पर दनादन फोटो डालते हैं, वे अवसाद से जूझते पाए गए. वक्त रहते अवसाद के लक्षणों की पहचान काफी मदद कर सकती है. जानें क्या हैं ऐसे लक्षण जो बताते हैं कि इंटरनेट यूजर अवसाद के शुरुआती चरण में है:

ऐसे लोग दिन में लगभग 10 तस्वीरें डाल देते हैं, जिसमें उनकी अलग-अलग एक्टिविटीज होती हैं. इसमें सुबह उठने से लेकर तैयार होने, काम पर जाने जैसी कई तस्वीरें होती हैं. ये तस्वीरें अंधेरे में ली गई होती हैं. इनमें फिल्टर्स का इस्तेमाल कम से कम या नहीं के बराबर होता है. कपड़ों का रंग भी ब्राइट नहीं, बल्कि डार्क नजर आता है. ऐसी तस्वीरों पर उदासी-भरे कैप्शन दिए गए होते हैं. ये लोग अपनी फोटो पर कमेंट्स का आमतौर पर जल्दी जवाब नहीं देते और जल्द ही दूसरी फोटो डाल देते हैं.  दूसरों की पोस्ट पर ये लोग पैसिव यूजर की तरह व्यवहार करते हैं, यानी देखते तो हैं लेकिन कमेंट या लाइक बहुत कम करते हैं. ज्यादातर तस्वीरों में ऐसा व्यक्ति अकेला होता है. किसी पार्टी या सामाजिक अवसरों की फोटो ऐसे लोग कम ही पोस्ट करते हैं. खुशी वाले लम्हे भी कम शेयर करते हैं. किसी भी तरह की फोटो शेयरिंग साइट पर ही ये लोग ज्यादा नजर आते हैं, और लंबी पोस्ट या ऐसी पोस्ट जिसमें किसी तरह की दिमागी कसरत हो, ये लोग आमतौर पर नहीं करते हैं.

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गांव में नहीं था पानी तो 70 साल के बुजुर्ग ने ढाई साल में बना दिया कुंआ....

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मध्यप्रदेश के छतरपुर जिले के हडुआ गांव में रहने वाले सीताराम राजपूत ने ढाई साल में कुंआ खोद दिया. गांव वालों के लिए वो हीरो बन चुके हैं.

खास बातें

  1. MP के हडुआ गांव में रहने वाले 70 वर्षीय बुजुर्ग ने अकेले खोदा कुंआ.
  2. गांव वालों के लिए सीताराम राजपूत हीरो बन चुके हैं.
  3. 33 फीट कुंआ खोदा तो निकला पानी.

फिल्म 'द माउनटेन मैन' आपने देखी होगी. जहां दशरत मांझी नाम का शख्स पत्नी के लिए सड़क बनाता है. ये फिल्म एक रियल स्टोरी पर बनी थी. बिहार के रहने वाले मांझी ने पहाड़ काटकर सड़क बना दी थी और मिसाल बन गए थे. ऐसी ही मिलती जुलती कहानी है मध्यप्रदेश के छतरपुर जिले के हडुआ गांव में रहने वाले सीताराम राजपूत की. जिसने पानी की समस्या होने पर कुआं खोदकर पानी निकाल दिया. गांव वालों के लिए वो हीरो बन चुके हैं. ANI ने उनकी कहानी और तस्वीरों को शेयर की हैं.

33 फीट कुंआ खोदा तो निकला पानी
ANI ने ट्वीट करते हुए लिखा- 70 वर्षीय सीताराम राजपूत हडुआ गांव में रहते हैं जहां करीब ढाई महीने से पानी की समस्या थी. उन्होंने पानी के लिए सरकार से भी मदद मांगी. लेकिन उन्हें कोई सहायता नहीं मिली. गांव के लोग भी काफी परेशान थे. इसलिए उन्होंने कुंआ बनाने का फैसला लिया. ढाई साल में 33 फीट कुंआ खुदा तो अंदर से पानी निकला. जिसको देख पूरे गांव वाले खुश हैं. 

परिवार के कारण नहीं की शादी

जब सीताराम 9 साल के थे तो पिता का देहांत हो चुका था. उनकी मां सीताराम और उसके भाई को उत्तरप्रदेश से हडुआ ले आई थीं. सीताराम बड़े हुए तो पूरी जिम्मेदारी उनपर आ चुकी थी. उन्होंने न सिर्फ जिम्मेदारी संभाली बल्कि परिवार के लिए शादी तक नहीं की. वो अपने भाई हलके लोधी के साथ रहते हैं जिनकी उम्र 60 साल है. उनके दो बच्चे भी हैं. जब सीताराम ने कुंआ खोदने का फैसला लिया तो उनके परिवार ने उनका साथ नहीं दिया. उन्होंने अकेले दम पर कुंआ खोदने का फैसला लिया. गांव वाले भी उनके इस फैसले को सही नहीं समझ रहे थे. लेकिन जैसे ही पानी निकला तो गांव के लोगों के लिए वो प्रेरणा स्त्रोत बन चुके हैं.

 

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