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डाटा सिक्युरिटी : देश के बाहर ज्यादातर कंपनियों के सर्वर, डाटा सिक्युरिटी को लेकर भी चिंता....सरकार के हाथ अब भी बंधे हैं
::/introtext::इन केबल को दुनिया भर में समुद्र के भीतर बिछाया गया है। बाल के बराबर पतली ये केबल 100 जीबीपीएम की स्पीड से डाटा ट्रांसफर करती हैं। पूरी दुनिया में इंटरनेट को ऑप्टिकल फाइबर केबल के जरिए पहुंचाया जाता है।
नई दिल्ली. डाटा लीक मामला सामने आने के बाद दुनिया की सबसे बड़ी पॉलिटिकल एनालिस्ट फर्म कैम्ब्रिज एनॉलिटिका पर ताला लटक गया है। एनॉलिटिका ने आम लोगों के डाटा का मिसयूज किया या नहीं, यह तो बाद में ही पता चलेगा लेकिन इस पूरी घटना ने भारत में डाटा सिक्युरिटी को लेकर लोगों के मन में कई तरह के सवाल जरूर खड़े कर दिए हैं।
देश के बाहर ज्यादातर कंपनियों के सर्वर
भारत की बात करें तो यहां ज्यादातर कंपनियों के सर्वर देश के बाहर हैं। यही कारण है कि भारत इंटरनेट के क्षेत्र में अब भी बड़ा प्लेयर बनने से दूर है। साथ ही भारत में डाटा सिक्युरिटी को लेकर भी चिंता बनी हुई है। इसको देखते हुए सरकार देश की सभी टेलिकॉम कंपनियों को 2022 तक टेलीकॉम और सोशल मीडिया कंपनियों के सर्वर भारत में लगाना जरूरी करने पर विचार कर रही है। सरकार चाहती है कि विदेशी कंपनियां ग्राहकों का डाटा देश से बाहर नहीं भेज पाएं। बता दे कि चीन में डाटा सेंटर होने के चलते सेना ने सैनिकों और अर्धसैनिक बलों से एमआई के फोन नहीं यूज करने की सलाह दी है।
कैसे होगा डाटा पर कंट्रोल
देश में ज्यादातर कंपनियों को सर्वर देश से बाहर होने के चलते डाटा सिक्युरिटी पर सरकार के हाथ अब भी बंधे हैं। टेक एक्सपर्ट मानते हैं कि अगर सर्वर ही देश के बाहर होगा, तो सरकार कानून बनाकर भी क्या कर लेगी। दरअसल सर्वर जिस देश में होगा, वहां का कानून काम करता है। ऐसे में सरकार चाहकर भी डाटा पर कंट्रोल नहीं कर सकती है। फेसबुक के ताजा मामले में ऐसा ही समझा जा सकता है। सरकार ने अभी तक कंपनी को नोटिस तो जारी किया है, लेकिन डाटा सिक्युटी की सुरक्षा पर कोई ठोस कदम नहीं उठा सकी।
ये हैं प्रमुख सवाल
हर डाटा को होता है एक घर
इस बारे में ज्यादा जानकारी के मुताबिक, फेसबुक हो या जीमेल किसी भी वेसाइट के जरिए हम जो भी डाटा इंटरनेट पर डालते हैं वह दुनिया के किसी न किसी हिस्से में लगे सर्वर में सेव होता है। सीधी भाषा में कहें तो हर डाटा का अपना एक घर होता है। इसी घर से डाटा दुनिया के किसी भी हिस्से के कम्प्यूटर या स्मार्टफोन में पहुंच जाता है। गूगल और फेसबुक जैसी कंपनियों के सर्वर रूम अपने आकार के कारण पूरी दुनिया में मशहूर हैं।
डाटा होता क्या है?
जानकारी के मुताबिक, टेक्स्ट, वीडियो या फोटो के रूप मे आप जो कुछ भी सामग्री इंटरनेट पर अपलोड करते हैं। वहीं डाटा कहलाता है। भले ही कम्प्यूटर में आपको फोटो, वीडियो या फिर लिखित रूप में दिखे, लेकिन वास्तव में सर्वर में यह खास कूट भाषा ( कोड) में होती है।
इंटरनेट पर जो कुछ भी डालते हैं वह आखिर किसी कम्प्यूटर में कैसे पहुंच जाता है?
जैसा कि ऊपर बताया गया कि वास्तव में आप जो कुछ भी अपलोड करते हैं। वह कहीं न कहीं सर्वर रूम में सेव होता है। कोई उस डाटा को सर्च करता है तो वह अपने इसी सर्वरनुमा घर से निकलकर सर्च किए जाने वाले कम्प्यूटर, मोबाइल या लैपटॉप तक पहुंच जाता है। इस सर्वर रूम को आपस में कनेक्ट करने का काम इंटरनेट करता है। दुनिया के किसी हिस्से में बने सर्वर में रखा डाटा इसी इंटरनेट के जरिए ही दुनिया के दूसरे कोने में बैठ कर सर्च करने ही वहां पहुंच जाता है। डाटा के इतनी तेज पहुंचने में इंटरनेट की स्पीड और खास ऑप्टिकल फाइबर टेक्नोलॉजी काम करती है।
पीछे का सिस्टम काम कैसे करता है?
इसके पीछे तारों और केबल्स का पूरी दुनिया में फैला जाल काम करता है। दअसल इन केबल्स का जाल ही दुनिया के अलग-अलग हिस्से में बने सर्वर को आपस में जोड़ता है। इन्हीं केबल्स के जरिए ही डाटा एक जगह से दूसरी जगह तक पहुंचता है। आप भाषा में इसे ही इंटरनेट कहा जाता है। भारत के साथ पूरी दुनिया इंटरनेट से जुड़ी हुई है।
इंटरनेट काम कैसे करता है ?
दअसल 1960 के दशक में जब इंटरनेट आया तो यह सैटेलाइट के जरिए काम करता था। हालांकि अब यह इन्हीं केबल्स के जरिए काम करता है। मौजूदा समय में दुनिया का 90 फीसदी इंटरनेट इन केबल्स के जरिए बाकी का 10 फीसदी सैटेलाइट के जरिए चलता है। सैटेलाइज के जरिए इंटरनेट का यूज डिफेंस के लिए किया जाता है। आम तौर पर तो आप इंटरनेट प्रोइडर कंपनी से नेट लेते हैं। इसे आप या तो केबल के जरिए हासिल करते हैं या फिर टावर के जरिए। आप कंपनी को पैसे दते हैं और आपको डाटा मिल जाता है।
इंटरनेट कंपनियों के हैं 3 मॉडल
आपके घर तक इंटरनेट पहुंचाने का काम इंटरनेट सेवा से जुड़ी तीन अलग-अलग तरह की कंपनियों करती हैं। वास्तव में यही तीनों तरह की कंपनियां ही पूरी दुनिया में इंटरनेट को चलाती हैं। इन्हें TR-1 TR-2 और TR-3 कंपनी कहा जाता है
TR-3 कंपनी: एक शहर से दूसरे शहर के बीच डाटा को पहुंचाने का काम करती हैं। इसमें इंटरनेट मुहैया कराने वाले छोटे केबल ऑपरेटर से लेकर टेलिकॉम कंपनियां शामिल होती हैं।
TR-2 कंपनी: एक राज्य से दूसरे राज्य के बीच डाटा को पहुंचाने का काम करती हैं। एयरटेल, वोडाफोन, आइडिया और जियो को ऐसे ही ऑपरेटर माना जा सकता है। आम तौर पर TR-2 और TR-3 कंपनियों ने एक शहर से दूसरे शहर और एक राज्य से दूसरे राज्य के बीच ऑप्टिकल फाइबर केबल बिछा रखी है।
TR-1 कंपनियां: ऐसी कंपनियां होती हैं, जिन्होंने समंदर के भीतर दुनिया भर में केबल बिछा रखी है। इसी के चलते दुनिया के सारे देश इंटरनेट के जरिए आपस में जुड़ गए।
इस तरह से इंटरनेट का डिस्ट्रिीब्यूशन अमेरिका से लेकर अफ्रीका तक और यूरोप से लेकर एशिया तक हो गया। ऑप्टिकल फाइबर केबल की बात करें तो यह बेहद पतली या बाल के आकार की केबल होती है, जो 100 जीबीपीएम की स्पीड से डाटा ट्रांसफर करती है।
भारत में कैसे पहुंचता है इंटरनेट ?
अगर भारत की बात करें तो यहां TR-1 का मेन सर्वर मुंबई में है। यहां टाटा के अलावा एयरटेल और रिलायंस के केबल लैंडिंग स्टेशन हैं। इसके अलावा चेन्नई, कोच्चि, दिल्ली और विशाखपत्तनम में भी केबल लैंडिंग स्टेशन हैं। इन्हीं जगहों से टेलिकॉम कंपनियां टॉवर के जरिए पूरे देश में इंटरनेट प्रोवाइड करती हैं। मान लीजिए आप अपने कम्म्यूटर के जरिए वेसबाइट पर बिजिट करते हैं। अगर उस वेबसाइट का सर्वर भारत से बाहर है तो कमांड सीधे मुंबई स्थित लैंडिंग स्टेशन तक जाएगी। यहां से डाटा वहां पहुंच जाएगा जहां वह सर्वर है। इस तरह डाटा सर्वर से उठकर आपके कम्प्यूटर तक पहुंच जाएगा।
समुद्र के भीतर केबल की होती है निगरानी
TR-1 कंपनी ओर से अपना ऑप्टिकल फाइबर केबल बिछाने के बाद इनकी लगातार निगरानी की जाती है। कई बार केबल पानी के जहाज के बीच में आने से फट जाती हैं। इनकी लाइफ अधिकम 25 साल होती है। ऐसे में इनकी मेंटीनेंस का काम लगातार चलता रहता है। कई बार केबल खराब होने के बाद इंटरनेट एकाएक ठप पड़ जाता है। जनवरी 2008 में मिस्र के साथ ऐसा हादसा हुआ था, उस वक्त देश का करीब 70 फीसदी इंटरनेट ठप हो गया था। इसी के बाद केबल्स की मेंटिनेंस पर ध्यान दिया जाने लगा। इसी मेंटिनेंस के एवज में TR-2 कंपनियां TR-1 कंपनियों को पैसा देती हैं। इसे टेलिकॉम कंपनियों का बी टू बी मॉडल भी कहा जाता है। TR-2 और TR-3 कंपनियां ग्राहकों से पैसे लेती हैं। इसे टेलिकॉम कंपनियों का बी टू सी मॉडल कहा जाता है।
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नई दिल्ली। अपनी फेमस मेलिंग सर्विस Gmail में नए बदलाव के साथ गूगल एक बार फिर से उपभोक्ताओं के सामने हाजिर है। गूगल ने इस बार बुनियादी लेआउट की जगह नए फीचर्स जोड़ने पर जोर दिया है। गूगल ने इससे पहले 2013 में Gmail में बदलाव किए थे। इस हिसाब से देखें तो करीब 5 साल बाद Gmail एक बार फिर से नए बदलाव के साथ हाजिर है। गूगल का दावा है कि इस बार उसका फोकस यूजर्स को ज्यादा सिक्युरिटी और फीचर देने पर रहा है। Tech in gadgtets के इस अंक में आज हम Gmail के फीचर्स में हुए इन्हीं बदलावों के बारे में जानने की कोशिश करेंगे। साथ ही यह भी जानेंगे कि आखिर ये नए फीचर्स आपको कैसे मिलेंगे।
Gmail में हुए 15 बदलाव
गूगल का दावा है कि उसने Gmail के फीचर्स में करीब 15 बदलाव किए हैं। एक तरीके से इसे Gmail का तीसरा अवतार भी कहा जा सकता है। पहले अवतार में Gmail का बेसिक एचटीएमएल वर्जन है, जहां यूजर्स को जीमेल के बेसिक फीचर्स मिलते हैं। दूसरे अवतार में कंपनी ने Gmail में एडवांस फीचर जोड़े और डेस्टकॉप वर्जन के साथ हैंगआउट को मर्ज जैसे प्रयोग किए गए। अब तीसरे वर्जन में ऑटो रिप्लाई समेत छोटे-बड़े करीब 15 बदलाव किए गए हैं। हालांकि यहां हम सभी की जगह बड़े बदलावों की चर्चा करेंगे। कंपनी ने तीसरे अवतार को new Gmail का नाम दिया है।
कंपनी ने किए ये बड़े बदलाव
नंबर-1: कॉन्फिडेंशियल मोड
क्या है खास: इसके तहत सेंडर एक संवेदनशील ईमेल भेज कर उसकी एक्सपायरी डेट सेट कर सकता है। यानी आप चाहें तो ईमेल को पूरी तरह से वापस भी ले सकते हैं। एक्सपायरी डेट खत्म होने के बाद ये मैसेज सामने वाले के इनबॉक्स से अपने आप खत्म हो जाएगा। टेक एक्सपर्ट विनीत रूपानी के मुताबिक, गूगल संवेदनशील कॉन्टेंट को सीधे न भेजकर इस कॉन्टेंट का लिंक भेजता है। जिसे रिसीवर जीमेल के जरिए ओपन कर सकता है। इस फीचर के साथ ये भी कहा गया है कि इसमें फोन पर ओटीपी भी भेजा जाएगा। इसमें ईमेल भेजने वाले को यह अधिकार है कि वो कभी भी मेल को वापस ले सकता है।
नंबर-2: पुश नोटिफिकेशन होंगे कम
क्या है खास: गूगल का कहना है कि यह जीमेल यूजर्स के लिए 97 फीसदी तक पुश नोटिफिकेशन्स को कम कर देगा। जीमेल सिर्फ वैसे ईमेल की ही नोटिफिकेशन भेजेगा, जो आपको लिए जरूरी हैं।
नंबर-3 : ऑफलाइन यूज
क्या है खास: यूजर को 90 दिन तक ऑफलाइन ईमेल की सुविधा मिलेगी। इंटरनेट न होने की स्थिति में भी आपको वैसा ही जीमेल यूजर इंटरफेस मिलेगा, जैसा ऑनलाइन होता है। यानी अगर इंटरनेट चला गया है, तो भी आप जीमेल के यूजर इंटरफेस पर काम कर कर सकते हैं। दरअसल जीमेल आपकी ऑफाइल एक्टिविटी को सिंक कर लेगा और जैसे ही इंटरनेट आएगा, ऑफलाइन मोड पर किए गए सारे काम आपको दिखाई दें। ये उन देशों में काफी कारगर हो सकता है जहां इंटरनेट की कीमतें ज्यादा हैं।
नंबर-4: मेल का जवाब देने की जरूरत नहीं
क्या है खास: जीमेल यूजर्स को मेल का जवाब टाइप करने की जरूरत नहीं होगी। ‘थैंक्यू’, ‘लेट्स गो’ जैसे जवाब आपको प्री-टाइप्ड जवाबों के परामर्श में मिलेंगे। इससे आपके समय में बचत होगी।
नंबर-5: स्नूज के जरिए मेल को बढ़ाएं आगे
क्या है खास: स्नूज का नया फीचर भी जोड़ा गया है यूजर अपने अपने मेल को लिस्ट कर सकता है। आप किसी भी अनचाहे मेल को आगे बढ़ा सकते हैं। यानी आप किसी मेल को अभी नहीं देखना चाहते तो उसे डेट और टाइम फिक्स कर जब आपको देखना हो उसे आगे बढ़ा सकते हैं।
नंबर-6: टूल्स के विजुअल अपडेट
क्या है खास: नए डिजाइन के जीमेल में दाईं तरफ अब आपको एक साइड पैनल दिखाई देगा। इसमें कैलेंडर, गूगल कीप और गूगल टास्क जैसे टूल्स होंगे। इसे आप यहीं से यूज कर सकते हैं। यहां से मीटिंग ऑर्गनाइज करना, डे प्लान करने जैसी सुविधाएं आसान हो जाएंगी। पहले ये सुविधाएं गूगल के टूल बॉक्स में मिलती थीं।
कैसे मिलेंगे नए फीचर्स
इन फीचर का इस्तेमाल करने के लिए यूजर्स के पास नोटिफिकेशन आएगा। उसमें उन्हें ‘ट्राई द न्यू जीमेल’ चुनने का ऑप्शन दिया जाएगा। ओके करने के बाद नए डिजाइन वाला जीमेल उनकी आईडी में एक्टिव हो जाएगा। यूजर अगर दोबारा अपने पुराने जीमेल विंडो को वापस पाना चाहता है तो उसे 'गो बैक टू क्लासिक जीमेल' पर स्विच करना होगा। जीमेल का हर महीने 140 करोड़ यूजरबेस है। वहीं भारत समेत दुनिया भर में करीब 2 अरब से ज्यादा लोग एंड्रॉयड फोन यूज करते हैं। ज्यादातर एंड्रॉयड स्मार्टफोन जी मेल के जरिए ही ऑपरेट होते हैं। ऐसे में अगर आप एंड्रॉयड फोन का यूज करते हैं तो भी जीमेल के इन नए फीचर्स के बारे में जानना जरूरी हो जाता है।
नई दिल्ली: अगर आप अदरक की चाय पीने के शौकीन हैं या अदरक सब्ज़ी में डालकर खाना पसंद करते हैं तो सावधान हो जाइये, हो सकता है कि आप ज़हर खा रहें हों. देश की सबसे बड़ी आजादपुर मंडी के आसपास 6 अदरक गोदामों पर छापे मारकर दिल्ली प्रशासन ने करीब 450 लीटर तेज़ाब पकड़ा है. इससे अदरक को धोकर चमकाने का काम चल रहा था.
तेजाब से चमकाया जा रहा था अदरक
मंडी में बरामद तेजाब से गंदी और भद्दे अदरक को चमकाया जा रहा था, क्योंकि बाजार में जब भी आप अदरक खरीदने के लिए जाएंगे तब आप वही अदरक खरीदेंगे जो देखने में ठीक लग रहा हो. एक लीटर तेज़ाब से करीब 400 किलो अदरक धोकर चमका दी जाती है. तेज़ाब से धोने से उसके ऊपर का भद्दा हिस्सा या छिलका निकल जाता और अदरक चमकने लगता है.
अदरक एसोसिएशन के अध्यक्ष राजू कोहली ने बताया कि कुछ दिल्ली के और कुछ दिल्ली के बाहर के हैं जो स्वरूप नगर, मुकंदपुर, हैदरपुर, शालीमार बाग के अंदर हमसे अदरक लेकर जाते हैं और अड्डों के ऊपर वह केमिकल से धोकर कई जगह सप्लाई करते हैं. उनपर कार्रवाई होनी चाहिए, लेकिन डीसीपी ने कोई कार्रवाई अभी तक नहीं की है. वहीं, डॉक्टर केपी सिन्हा ने कहा कि ऐसा चमचमाता अदरक या खूबसूरत ज़हर आजादपुर मंडी में खूब दिख रहा है. उन्होंने कहा कि बहुत लंबे समय तक अगर इसको खाया जाए तो कैंसर तक हो सकता है.
व्हॉट्सएप यूज़र्स को इन दिनों एक स्पैम मैसेज के चलते परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. यूजर्स का कहना है कि उन्हें एक मैसेज फॉरवर्ड किया जा रहा है, जिस पर क्लिक करने से ऐप फ्रीज हो जाता है और फिर काम करना बंद कर देता है. आगे की स्लाइड में जानें कि क्या लिखा है इस मैसेज में...
आ रहे फॉरवर्ड मैसेज में लिखा है, ‘मैं आपके व्हॉट्सएप को थोड़ी देर के लिए हैंग कर सकता हूं, बस मैसेज के नीचे टच करें’. और मैसेज के ठीक नीचे एक और मैसेज है, जिसमें लिखा है ‘Don’t touch hear’. अगर इस मैसेज को गौर से देखें तो इसपर छिपा हुआ अक्षर दिखेगा जो एक ब्लैंक स्पेस की तरह लगता है. कहा जा रहा है कि यही वजह है जिससे व्हाट्सएप रिस्पॉन्स करना बंद कर दे रहा है.
हालांकि जानकारी के मुताबिक कहा जा रहा है कि फॉरवर्ड मैसेज से कोई खतरा नहीं है मगर चलते-चलते व्हॉट्सएप बंद हो जाने से यूजर्स को परेशानी हो रही है. बता दें कि इसी मैसेज को iOS पर फॉरवर्ड करने पर कोई असर नहीं पड़ा रहा है.
इसके पहले खबर आई थी कि व्हॉट्सएप अपने यूज़र्स के चैटिंग एक्सपीरिएंस को और इंट्रेस्टिंग बनाने के लिए एक नए फीचर पर काम कर रहा है. कंपनी लगातार अपने मैसेजिंग ऐप में बदलाव करके 1.5 करोड़ यूज़र्स को नया-नया तोहफा देती रहती है. अब खबर आ रही है कि व्हॉट्सएप ने अपने ऐप के लिए नया अपडेट Google Play Beta प्रोग्राम को जमा कर दिया है. अपने 2.18.120 वर्जन अपडेट में WhatsApp नए फीचर स्टिकर एल्बम पर काम कर रहा है.
हालांकि कुछ डेवलपमेंट की वजह से अभी ये स्टिकर फीचर सबके लिए उपलब्ध नहीं किया गया है. WAbetaInfo की रिपोर्ट के मुताबिक व्हॉट्सएप इसे आने वाले अपडेट में पेश कर सकती है. रिपोर्ट के मुताबिक रीलीज़ करने से पहले कंपनी इन स्टिकर के सुधार पर काम कर रही है.
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