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नई दिल्ली: महिला टी-20 एशिया कप 2018 के पहले मुकाबले में भारत ने मलेशिया को 142 रन से हराया. रविवार को कौला लामपुर में खेले गए मुकाबले में भारत की ओर से मिताली राज ने 97 रन की नाबाद पारी खेलते हुए भारत को बड़ी जीत दिलायी. वहीं पूजा वस्त्रकार ने खतरनाक गेंदबाजी करते हुए 3 विकेट झटके. इस मुकाबले में मलेशिया की टीम महज 27 रन पर आउट हो कर पवेलियन लौट गई.
टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी करते हुए भारत ने निश्चित ओवर्स में 3 विकेट खोकर 169 रन बनाए. इस दौरान मिताली ने 69 गेंदों का सामना करते हुए 13 चौकों और एक छक्के की मदद से नाबाद 97 रन बनाए. वहीं कप्तान हरमनप्रीत कौर ने 23 गेंदों का सामना करते हुए 32 रन बनाए. इसके बाद रन आउट हो गईं. ओपनर खिलाड़ी स्मृति मंधाना 2 रनन बनाकर पवेलियन लौटीं. पूजा ने 13 गेंदों में 3 चौकों की मदद से 16 रन बनाए. अंत में दीप्ति शर्मा 18 रन बनाकर नाबाद रहीं.
इसके जवाब में उतरी मलेशिया महिला क्रिकेट टीम 13.4 ओवर्स में महज 27 रन बनाकर ऑलआउट हो गयी. टीम की ओर से ओपनिंग करने आयीं युर्सीना याकोप और क्रिस्टीना बरेट बिना खाता खोले आउट हो गयीं. वहीं कप्तान विनिफ्रेड 5 रन बनाकर पूनम यादव की गेंद पर आउट होकर पवेलियन लौटीं. मलेशिया टीम का कोई भी खिलाड़ी दहाई का आंकड़ा नहीं छू पाया. इस दौरान भारत की ओर से शानदार गेंदबाजी करते हुए पूजा ने 3 ओवर में महज 6 रन देकर 3 विेकट झटके. इसके अलावा अंजू पाटिल ने 2 विेकेट, पूनम यादव ने 2 विकेट और शिखा पांडे ने एक विकेट हासिल किया. बता दें कि इसके बाद भारत का दूसरा मुकाबला 4 जून को थाइलैंड के खिलाफ है. वहीं इसके बाद 6 जून को भारतीय टीम बांग्लादेश के खिलाफ मैच खेलेगी. एशिया कप का फाइनल मैच 10 जून को खेला जायेगा.
::/fulltext::1950 का विश्व कप दो खास बातों के लिए जाना जाता है।
नई दिल्ली। 24 जून से 16 जुलाई तक ब्राजील में हुआ 1950 का विश्व कप दो खास बातों के लिए जाना जाता है। एक तो विश्व की 12 वर्षो के बाद वापसी हो रही थी और दूसरा इसमें भारत का विश्व कप खेलने का सपना पूरा नहीं हो सका। दूसरे विश्व युद्ध के कारण 1938 के बाद से विश्व कप का आयोजन नहीं हो सका और फीफा ने 1950 में फुटबॉल के इस महाकुंभ की वापसी कराई। वहीं, सबसे चर्चित इस विश्व कप में भारत को पहले सीधे क्वालीफाई मिला, लेकिन उसे सिर्फ जूते नहीं होने के कारण इससे अपना नाम वापस लेना पड़ा। इसके बाद से भारत अब तक विश्व कप में अपना पहला मैच खेलने का सपना पूरा नहीं कर सका। दूसरे विश्व युद्ध के कारण फीफा को 1938, 1942 और 1946 विश्व को रद करना पड़ा था। हालांकि, ब्राजील ने इस टूर्नामेंट का प्रचार करने के लिए अपने देश में ब्राजीलियन स्टैंप जारी किया था।
नंगे पैर खेलते थे खिलाड़ी : 1948 के ओलंपिक खेलों में भारत के खिलाडि़यों ने अपने बेहतरीन प्रदर्शन से विश्व के खेलप्रेमियों को अपना मुरीद बनाया था। उस दौरान कई भारतीय खिलाड़ी नंगे पैर या मोजे में खेलते हुए नजर आए थे। इस बात ने पूरे विश्व का ध्यान अपनी ओर खींचा। यह पहला मौका था जब स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद भारत ने पहला अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंट खेला था। भारत के खिलाड़ी पहले से ही ओलंपिक में नंगे पैर खेलते नजर आए थे तो फीफा ने भारतीय टीम को आगाह करते हुए कह दिया कि अगर वे टूर्नामेंट में खेलना चाहते हैं तो उन्हें जूते पहनने होंगे। एशिया से एक ही टीम चुनी जानी थी और फिलीपींस, इंडोनेशिया और बर्मा ने क्वालीफिकेशन राउंड के पहले ही अपना नाम वापस ले लिया। इस तरह भारत को एशिया महाद्वीप की तरफ से एकमात्र टीम के रूप में अपने आप फीफा में शामिल होने के लिए जगह मिल गई।
उरुग्वे का डबल खिताब : 23 दिनों तक चले इस टूर्नामेंट के 22 मैच छह शहरों में आयोजित हुए थे। इस विश्व कप के विजेता का चयन चार टीमों के फाइनल ग्रुप से हुआ था जबकि यह केवल एकमात्र टूर्नामेंट था जिसका फाइनल एक मैच से नहीं हुआ। हालांकि, जर्मनी और जापान को विश्व कप क्वालीफिकेशन के लिए फीफा ने अनुमति नहीं दी और इसके साथ ही कई टीमों ने हिस्सा नहीं लिया। उरुग्वे ने फाइनल ग्रुप के पहले मैच में स्पेन से मुकाबला 2-2 से ड्रॉ खेला था, जबकि उसने स्वीडन को 3-2 से मात दी। फिर आखिरी मैच में उरुग्वे ने ब्राजील को 2-1 हराकर दूसरी बार खिताब अपने नाम किया। विश्व कप का पहला विजेता उरुग्वे ही था। ब्राजील उपविजेता रहा और तीसरे स्थान पर स्वीडन, जबकि चौथे पर स्पेन की टीम रही।
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