Wednesday, 09 July 2025

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पहले वाले सोमवार को भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए हर राशि के जातकों के लिए विधि बताई गई है।....

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श्रावण में भगवान शिव का नित्य अभिषेक करने से इच्छित वस्तु सुगमता से ही मिल जाती है। इस माह में किए गए अभिषेक से जातकों की कुंडली में कष्ट देने वाले ग्रह भी शुभ फल प्रदान करते हैं। श्रावण के आरंभ होने से पहले वाले सोमवार को भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए हर राशि के जातकों के लिए विधि बताई गई है।
 
कैसे करें अभिषेक- भगवान सदाशिव को प्रसन्न करने के लिए ज्योतिषाचार्यों के अनुसार शिव के पंचाक्षर मंत्र ॐ नमः शिवाय, लघु रूद्री से अभिषेक करें। शिवजी को बिल्वपत्र, धतूरे का फूल, कनेर का फूल, बेलफल, भांग चढ़ाकर पूजन करें।
 
मेष- शहद, गु़ड़, गन्ने का रस। लाल पुष्प चढ़ाएं।
 
वृष- कच्चे दूध, दही, श्वेत पुष्प।
 
मिथुन- हरे फलों का रस, मूंग, बिल्वपत्र।
 
कर्क- कच्चा दूध, मक्खन, मूंग, बिल्वपत्र।
 
सिंह- शहद, गु़ड़, शुद्ध घी, लाल पुष्प।
 
कन्या- हरे फलों का रस, बिल्वपत्र, मूंग, हरे व नीले पुष्प।
 
तुला- दूध, दही, घी, मक्खन, मिश्री।
 
वृश्चिक- शहद, शुद्ध घी, गु़ड़, बिल्वपत्र, लाल पुष्प।
 
धनु- शुद्ध घी, शहद, मिश्री, बादाम, पीले पुष्प, पीले फल।
 
मकर- सरसों का तेल, तिल का तेल, कच्चा दूध, जामुन, नीले पुष्प।
 
कुंभ- कच्चा दूध, सरसों का तेल, तिल का तेल, नीले पुष्प।
 
मीन- गन्ने का रस, शहद, बादाम, बिल्वपत्र, पीले पुष्प, पीले फल।
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क्या वाकई में हमारे कर्म हमारी किस्मत बनाते या बिगाड़ते हैं।.....


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हमने अपने कई लेखों में इस बात पर चर्चा की है कि भगवान नहीं बल्कि मनुष्य स्वयं ही अपनी किस्मत बनाता है। लेकिन हम ऐसा कैसे कर सकते हैं। अगर मनुष्य को अपने अनुसार हर काम करने दे दिया जाए तो उसका नतीजा आखिर क्या होगा। लोग सिर्फ अपने बारे में ही सोचेंगे यानी अपनी जेब भरेंगे और आगे बढ़ जाएंगे। किसी भी दौड़ में कोई प्रथम आता है तो कोई दूसरे नंबर पर। यदि व्यक्ति को उसकी किस्मत लिखने का मौका दे दिया जाए तो पहले वह खुद को आगे रखेगा और दूसरों को पीछे।

Karma Determine Our Destiny

आज हम इस लेख में मनुष्य के कर्मों के बारे में बात करेंगे। क्या वाकई में हमारे कर्म हमारी किस्मत बनाते या बिगाड़ते हैं।

कर्मों का खेल

यह सब कर्मों का खेल है। हम जो करते हैं केवल वही हमारे कर्म नहीं होते बल्कि हम जो सोचते हैं या जो कहते हैं वो सब हमारे कर्म ही होते हैं। कहते हैं इस संसार को हम जो भी देते हैं वह किसी न किसी रूप में वापस हमारे पास ही आता है। इस प्रकार हमारा कर्म ही हमारी किस्मत तय करता है। चूंकि हम वो हैं जो अपने कार्य से कर्म करते हैं इसलिए अपने भाग्य के ज़िम्मेदार भी हम खुद ही होते हैं।

यदि आप किसी को दर्द दे रहे हैं तो कल किसी न किसी रूप में वह आपको वापस ज़रूर मिलेगा। वहीं दूसरी ओर अगर आपकी वजह से किसी को ख़ुशी मिलती है तो एक न एक दिन आपके जीवन में भी खुशियां ज़रूर आएंगी। यह ऊर्जा के रूप में एक से दूसरी जगह अपने लक्ष्य तक पहुंच ही जाता है।

जीवन में अनपेक्षित घटनाएं अतीत के कर्मों का परिणाम

क्या आपने कभी सोचा है कि क्यों आपके पास अचानक कोई इंसान आता है और आपसे झगड़ने लगता है या फिर आपने इस बात पर कभी गौर किया है कि क्यों आप किसी को बहुत पसंद करते हैं और किसी को नापसंद। यह कर्म होता है किसी के कारण किसी को दुःख पहुंचता है तो उसे भी वैसी ही तकलीफ से गुज़रना पड़ता है चाहे उसी दिन या फिर किसी और दिन। व्यक्ति का प्रेम या घृणा हम तक किसी भी रूप में पहुंच ही जाता है इसलिए कहा जाता है कि आज हम जिसे प्रेम करते हैं वह कल बदले में हमे भी प्रेम ज़रूर करेगा। इसे कहते हैं भाग्य के रूप में कर्म। जब हमारे कर्मों का फल मिलने में बहुत समय लगता है यानी हमने अपने किए हुए कार्यों का फल अपने अगले जन्म में मिलता है तो हमें कुछ भी याद नहीं रहता इसलिए हमारे अंदर एक सवाल उठता है कि आखिर मैं क्यों?

द्रौपदी का श्री कृष्ण से सवाल

महाभारत में जब कौरवों द्वारा द्रौपदी का अपमान किया गया था तब वह श्री कृष्ण के पास पहुंची और उनसे पूछा कि इस जघन्य अपराध के लिए उसे ही क्यों चुना गया। द्रौपदी ने कहा कि क्या यह सब उसके पिछले जन्म के कर्मों का फल है कि भरी सभा में उसके साथ इस प्रकार का अभद्र व्यवहार किया गया। इस पर श्री कृष्ण ने एक बहुत ही सुन्दर उत्तर दिया। यह उसके पिछले जन्म के कर्मों का फल नहीं बल्कि कौरवों के बुरे कर्मों का फल है जो वे इस तरह के पाप का हिस्सा बनें।

विचारों से कर्म

बिल्कुल यही विचारों के लिए भी लागू होता है। यदि आप किसी व्यक्ति को मन में कोसेंगे और बाहर से उसके साथ अच्छा व्यवहार का दिखावा करेंगे तो ऐसे में आप से कुछ नकारात्मक ऊर्जा सामने वाले तक ज़रूर पहुंचेगी और इस तरह वह आपको नापसंद करने लगता है। चाहे वह आशीर्वाद हो या फिर श्राप वो अपने लक्ष्य तक पहुंच ही जाता है।

इसलिए विचारों के माध्यम से होने वाले पाप भी पाप ही कहलाते हैं। हम दो तरह की सोच रखते हैं एक अच्छा और दूसरा बुरा। कई बार हमें अपने अच्छे बुरे कर्मों का फल जल्द ही मिल जाता है। तो कई बार इसमें जन्मों लग जाते हैं। उदाहरण के तौर पर अगर हम किसी के घर गए और वह इंसान हमसे ठीक से व्यवहार नहीं करता तो ऐसे में हम सोचने लगते हैं कि इसमें हमारी कोई गलती नहीं है। हमें लगने लगता है जो कुछ भी हो रहा है वह ईश्वर की मर्ज़ी से हो रहा है लेकिन हम यह भूल जाते हैं कि एक पिता अपने बच्चों को कभी कष्ट नहीं पहुंचा सकता।

यह सब हमारे विचारों, कार्यों और कथन के रूप में हमारे कर्म होते हैं जो हमसे होकर वापस हमारे पास ही आते हैं। ऐसे में हमें मान लेना चाहिए कि अगर हमारे साथ कुछ बुरा हो रहा है तो इसकी वजह हम खुद हैं क्योंकि कहीं न कहीं कभी हमने भी किसी के साथ कुछ गलत किया होगा जिसका फल हमें मिल रहा है। साथ ही हमें इस बात को भी ध्यान में रखना चाहिए कि हम इस तरह की गलती भविष्य में दोबारा ना करें।  चूंकि हमें इस बात का पता नहीं रहता कि इन सब की शुरुआत कहां से हुई है इसलिए हमें अपने आस पास ऐसी ऊर्जा उत्पन्न नहीं करनी चाहिए जिससे दूसरों को दुःख पहुंचे या फिर उन्हें कोई नुकसान हो।

क्या सब कुछ पूर्व निर्धारित होता है

जैसा की हमने आपको पहले भी बताया कि हमारे कर्म ही हमारी किस्मत बनाते हैं। हमें अपने पिछले कर्मों और उसके परिणामों को स्वीकार करना चाहिए।साथ ही भविष्य में अच्छे कर्म करने का निर्णय लेना चाहिए।

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सावन का पवित्र महीना 28 जुलाई, 2018 से शुरू होने वाला है। महादेव के भक्तों को इस अवसर का बड़ी ही बेसब्री से इंतज़ार रहता है।


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सावन का पवित्र महीना 28 जुलाई, 2018 से शुरू होने वाला है। महादेव के भक्तों को इस अवसर का बड़ी ही बेसब्री से इंतज़ार रहता है। हालांकि, कैलेंडर में अंतर के कारण दक्षिण भारतीय इलाकों में सावन का महीना 12 अगस्त से शुरू होने वाला है इसलिए जहां उत्तर भारत में सावन का पहला सोमवार 30 जुलाई को पड़ेगा वहीं दक्षिणी इलाकों में 13 अगस्त को पहले सोमवार को शिव जी की पूजा अर्चना की जाएगी। सावन 28 जुलाई से शुरू होकर 26 अगस्त को समाप्त हो जाएगा।

Festivals In Shravana 2018

इस माह की पवित्रता और धार्मिक उत्साह इसके महत्व को और भी बढ़ा देता है। कई सारे ऐसे त्योहार होते हैं जिन्हें हम पूरी श्रद्धा और उत्साह से मनाते हैं और जो भगवान की मौजूदगी का एहसास दिलाते हैं। हर बार की तरह एक बार फिर हम आपके लिए सावन के महीने में पड़ने वाले त्योहारों की एक सूची तैयार की है। तो आइए जानते हैं किस दिन कौन सा त्योहार है।

अंगारकी चतुर्थी व्रत, 31 जुलाई

प्रत्येक माह में दो चतुर्थी आती है एक गणेश चतुर्थी और दूसरा संकष्टी चतुर्थी। ये चतुर्थियां भगवान गणेश को सम्पर्पित हैं। जब संकष्टी चतुर्थी मंगलवार को पड़ती है तो उसे अंगारकी चतुर्थी कहते हैं। इस योग को बेहद शुभ माना जाता है। इस बार अंगारकी चतुर्थी 31 जुलाई को है।

कालाष्टमी, 4 अगस्त

कालाष्टमी भगवान शिव के भैरव रूप को समर्पित है। इस दिन लोग भैरव देव की पूजा करते हैं। यह पर्व अष्टमी तिथि को या फिर हर माह शुक्ल पक्ष के आठवें दिन पड़ता है। इस माह कालाष्टमी 4 अगस्त, शनिवार को पड़ने वाला है।

प्रदोष व्रत, मासिक शिवरात्रि, 9 अगस्त

भगवान शिव को समर्पित सभी पूजाओं में प्रदोष व्रत भी एक है। यह पूजा प्रदोष काल में ही की जाती है यानी सूर्यास्त के बाद रात्रि का पहला पहर जिसे संध्या कहते हैं वह प्रदोष काल होता है। प्रत्येक माह दो प्रदोष व्रत पड़ते हैं। इस दिन शिव जी के साथ माता पार्वती की भी पूजा अर्चना की जाती है। इसे मासिक शिवरात्रि के नाम से भी जाना जाता है। इस बार यह 9 अगस्त, गुरुवार को पड़ने वाला है।

 हरियाली अमावस्या, शनिश्चरी अमावस्या, 11 अगस्त

यह दिन विष्णु जी के कृष्ण अवतार से जुड़ा हुआ है। इस दिन भक्त मथुरा और वृन्दावन के मंदिर में एकत्रित होकर इस त्योहार को बड़े ही धूमधाम और श्रद्धा से मनाते हैं। इस वर्ष यह पर्व 11 अगस्त शनिवार को पड़ने वाला है। यह त्योहार हर साल सावन महीने में शुक्ल पक्ष की पंद्रहवी तिथि को यानी हरियाली तीज के ठीक दो दिन पहले मनाया जाता है।

इस दिन शनिश्चरी अमावस्या भी पड़ने वाली है जो शनि देव को समर्पित है। लोग शनिदेव की पूजा के साथ व्रत भी रखते हैं।

चंद्र दर्शन, 12 अगस्त

अमावस्या के ठीक एक दिन बाद चंद्र दर्शन करना बेहद शुभ माना जाता है। इस बार चंद्र दर्शन 12 अगस्त रविवार को है।

हरियाली तीज, 13 अगस्त

श्रावण मास में शुक्ल पक्ष तृतीया को हरियाली तीज का त्योहार मनाया जाता है। उत्तर भारत में यह पर्व बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है ख़ास तौर पर हरियाणा, पंजाब, राजस्थान और दिल्ली में इस पर्व का बड़ा ही महत्व है। यह व्रत सुहागनों के लिए होता है। इस दिन औरतें सोलाह श्रृंगार कर शिव जी और माता पार्वती की पूजा करती हैं। स्त्रियां अपने पति की लंबी आयु लिए निर्जल व्रत भी रखती हैं। इस बार यह व्रत 13 अगस्त, सोमवार को पड़ने वाला है।

विनायक चतुर्थी/दूर्वा गणपति व्रत, 14 अगस्त

यह महीने में पड़ने वाली दूसरी चतुर्थी होती है जो गणेश जी को समर्पित है। इस दिन लोग गणपति की पूजा करते हैं साथ ही व्रत भी रखते हैं। शुक्ल पक्ष में पड़ने वाली इस चतुर्थी को बहुत ही शुभ माना जाता है। इस बार 14 अगस्त मंगलवार को है।

नागपंचमी, 15 अगस्त

सावन माह की शुक्ल पक्ष की पंचमी को नाग पंचमी का त्योहार मनाया जाता है। यह दिन सर्पों के स्वामी नाग देवता को समर्पित है। नागपंचमी पर सापों को दूध पिलाना शुभ होता है। इस बार नागपंचमी 15 अगस्त बुधवार को है।

श्री कल्कि जयंती, 16 अगस्त

माना जाता है कि कलयुग में सावन माह के शुक्ल पक्ष की छठी तिथि को भगवान विष्णु कल्कि के रूप में जन्म लेंगे। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा है। इस बार यह पूजा 16 अगस्त, गुरुवार को है।

शीतला जयंती, तुलसी जयंती 17 अगस्त

सावन माह के शुक्ल पक्ष की सप्तमी माता शीतला का जन्म हुआ था। इसी दिन महान कवी तुलसीदास जी का भी जन्म हुआ था। यह दिन माता शीतला और तुलसीदास की जयंती के रूप में मनाया जाता है। इस बार यह जयंती 17 अगस्त, शुक्रवार को पड़ने वाली है।

दुर्गा अष्टमी/मेला चिंतपूर्णी/ ध्रुव अष्टमी, 18 अगस्त

हर महीने शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को दुर्गा अष्टमी मनाई जाती है। इस दिन माँ दुर्गा की पूजा की जाती है और भक्त माता के लिए तरह तरह भोग बनाते हैं। यह भोग प्रसाद के रूप में वितरित किया जाता है। इसके अलावा नौ कन्याओं को भी भोजन करवाया जाता है। इस बार दुर्गा अष्टमी 18 अगस्त, शनिवार को है।

सावन पुत्रदा एकादशी, 22 अगस्त

जैसा की हम सब जानते हैं कि हर माह में दो एकादशी पड़ती है और दोनों ही एकादशियां विष्णु जी को समर्पित होती हैं। दूसरी एकादशी जो सावन महीने में शुक्ल पक्ष की एकादशी को पड़ती है उसे सावन पुत्रदा एकादशी कहते हैं। इस बार पुत्रदा एकादशी, 22 अगस्त, बुधवार को पड़ने वाली है।

प्रदोष व्रत, 23 अगस्त

इस माह का दूसरा प्रदोष व्रत 23 अगस्त, गुरुवार को पड़ने वाला है।

हयग्रीव उत्पत्ति, 24 अगस्त

विष्णु जी के कई अवतारों में से हयग्रीव उनका एक अवतार है। इस अवतार में भगवान का सिर घोड़े और शरीर मनुष्य का है। मधु और कैटभ नामक दो दैत्यों ने जब वेदों की चोरी कर ली थी तब विष्णु जी ने यह अवतार लिया था और वेदों को वापस लेकर आये थे। इस बार हयग्रीव जयंती 24 अगस्त शुक्रवार को है।

सत्यनारायण व्रत, 25 अगस्त

भगवान सत्यनारायण की पूजा के लिए यह दिन बहुत ही शुभ होता है और यह प्रत्येक महीने में आता है। इस बार सत्यनारायण व्रत 25 अगस्त, शनिवार को है।

रक्षा बंधन, 26 अगस्त

श्रावण मास की पूर्णिमा के दिन रक्षा बंधन का त्योहार मनाया जाता है। इस बार यह पर्व 26 अगस्त, रविवार को मनाया जाएगा। इस त्योहार का बहनों को ख़ास तौर पर इंतज़ार रहता है। इस दिन बहने अपने भाई की कलाई पर राखी बांध कर उनसे अपनी रक्षा का वचन लेती हैं।

गायत्री जयंती, 26 अगस्त

यह दिन माता गायत्री के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है। मां गायत्री वेद माता के नाम से भी जानी जाती हैं। इस दिन भक्त माता को प्रसन्न करने के लिए मंत्रों का जाप करते हैं। इस बार गायत्री जयंती 26 अगस्त, रविवार को है।

नरली पूर्णिमा, 26 अगस्त

श्रावण मास की पंद्रहवीं तिथि को नरली पूर्णिमा मनाई जाती है। इस दिन वरूण देव की पूजा की जाती है। लोग पेड़ पौधे लगाकर प्रकृति के प्रति अपना आभार व्यक्त करते हैं। इस दिन वरूण देव को नारियल अर्पित किया जाता है। इस बार नरली पूर्णिमा, 26 अगस्त, रविवार को पड़ने वाली है।

संस्कृत दिवस, 26 अगस्त

श्रावणी पूर्णिमा के पावन अवसर पर संस्कृत दिवस मनाया जाता है। 1969 में इसकी शुरुआत हुई थी।

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प्रत्येक जातक को अपनी जन्म कुंडली में ग्रहों की शुभ-अशुभ स्थिति के अनुसार शिवलिंग का पूजन करना चाहिए।...

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शिव पुराण में श्रावण के शुभ समय के लिए कुछ अचूक उपाय बताए गए हैं। प्रत्येक जातक को अपनी जन्म कुंडली में ग्रहों की शुभ-अशुभ स्थिति के अनुसार शिवलिंग का पूजन करना चाहिए। ग्रहों से संबंधित कष्टों और रोगों के लिए निम्न उपाय अपनाएं।
 
जानिए ग्रह के अनुसार किस रोग के लिए क्या उपाय कर सकते हैं।
 
सूर्य से संबंधित कष्ट सिरदर्द, नेत्र रोग, अस्थि रोग आदि हों तो में शिवलिंग का पूजन आक वृक्ष के पुष्पों, पत्तों एवं बिल्वपत्रों से करने से इन रोगों में आराम मिलता है।
 
चंद्रमा से संबंधित बीमारी या कष्ट जैसे खांसी, जुकाम, नजला, मानसिक परेशानी, रक्तचाप की समस्या आदि हों तो शिवलिंग का रुद्री पाठ करते हुए काले तिल मिश्रित दूध धार से रुद्राभिषेक करने से आराम मिलता है।
 
मंगल से संबंधित बीमारी जैसे रक्तदोष हो तो गिलोय, जड़ी-बूटी के रस आदि से अभिषेक करने से आराम मिलता है।
 
बुध से संबंधित बीमारी जैसे चर्म रोग, गुर्दे का रोग आदि हों तो विदारा या जड़ी-बूटी के रस से अभिषेक करने से आराम मिलता है।
 
बृहस्पति से संबंधित बीमारी जैसे चर्बी, आंतों की बीमारी या लिवर की बीमारी आदि हों तो शिवलिंग पर हल्दी मिश्रित दूध चढ़ाने से आराम मिलता है।
 
शुक्र से संबंधित बीमारी, वीर्य की कमी, गुप्तांग की बीमारी, शारीरिक या शक्ति में कमी हो तो पंचामृत, शहद और घी से शिवलिंग का अभिषेक करने से आराम मिलता है।
 
शनि से संबंधित रोग जैसे मांसपेशियों का दर्द, जोड़ों का दर्द, वात रोग आदि हों तो गन्ने के रस और छाछ से शिवलिंग का अभिषेक करने से आराम मिलता है।
 
राहु-केतु से संबंधित बीमारी जैसे सिर चकराना, मानसिक परेशानी आदि के लिए उपर्युक्त सभी वस्तुओं के अतिरिक्त मृत संजीवनी का सवा लाख बार जप कराकर भांग-धतूरे से शिवलिंग का अभिषेक करने से शांति मिलती है।
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