Wednesday, 09 July 2025

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पुष्य नक्षत्र में शुरू होगी 10 महाविद्याओं की साधना.....

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मां दुर्गा शक्ति की उपासना का पर्व गुप्त नवरात्रि इस बार आषाढ़ मास में 13 जुलाई 2018, शुक्रवार से शुरू हो रहे हैं। आषाढ़ मास में शुक्ल पक्ष की एकम तिथि के साथ ही पुष्य नक्षत्र में नवरात्रि की शुरुआत होगी तथा सर्वार्थ सिद्धि योग में 21 जुलाई को गुप्त नवरात्रि की समाप्ति होगी।
 
पौराणिक मान्यता के अनुसार गुप्त नवरात्रि के दौरान अन्य नवरात्रि की तरह ही पूजन करने का विधान है। इन दिनों भी 9 दिन के उपवास का संकल्प लेते हुए प्रतिपदा यानी पहले दिन घटस्थापना करनी चाहिए। घटस्थापना के बाद प्रतिदिन सुबह और शाम मां दुर्गा की आराधना करनी चाहिए।
 
ये हैं गुप्त नवरात्रि की देवियां : - मां काली, तारादेवी, त्रिपुर सुंदरी, भुवनेश्वरी माता, छिन्न माता, त्रिपुर भैरवी मां, धुमावती माता, बगलामुखी, मातंगी और कमला देवी।
 
महत्व : - देवी भागवत पुराण के अनुसार जिस तरह वर्ष में 4 बार नवरात्रि आती है और जिस प्रकार नवरात्रि में देवी के 9 रूपों की पूजा होती है, ठीक उसी प्रकार गुप्त नवरात्रि में 10 महाविद्याओं की साधना की जाती है। गुप्त नवरात्रि विशेष कर तांत्रिक कियाएं, शक्ति साधनाएं, महाकाल आदि से जुड़े लोगों के लिए विशेष महत्व रखती है।
 
इस दौरान देवी भगवती के साधक बेहद कड़े नियम के साथ व्रत और साधना करते हैं। इस दौरान लोग दुर्लभ शक्तियों को प्राप्त करने का प्रयास करते हैं। गुप्त नवरात्रि के दौरान कई साधक महाविद्या के लिए मां दुर्गा के सभी स्वरूपों का पूजन करते हैं। 

अष्टमी या नवमी के दिन कन्या-पूजन के साथ नवरात्रि व्रत का उद्यापन करने की मान्यता है। नवरात्रि उद्यापन में कुंआरी कन्याओं को भोजन कराकर यथाशक्ति दान, दक्षिणा, वस्त्र और आभूषण तथा श्रृंगार सामग्री भेंट करने से मां भगवती की अपार कृपा मिलती है।
 
ज्ञात हो कि आषाढ़ मास की गुप्त नवरात्रि का पर्व 13 से 21 जुलाई 2018 तक मना जाएगा। वर्ष में आदि शक्ति मां भगवती की उपासना के लिए चार नवरात्रि आती है। इसमें 2 गुप्त एवं 2 उदय नवरात्रि होती हैं। चैत्र और अश्विन मास की नवरात्रि उदय नवरात्रि के नाम से भी जानी जाती है। आषाढ़ और माघ की नवरात्रि गुप्त नवरात्रि के नाम से जानी जाती है।
 
गुप्त नवरात्रि में भी नौ दिनों तक क्रमानुसार देवी के स्वरूपों की पूजा की जाती है। इन दिनों में मां दुर्गा की आराधना गुप्त रूप से की जाएगी। गुप्त नवरात्रि पंजाब, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड और आसपास के इलाकों में खास तौर पर मनाई जाती है।
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इस बार सावन का महीना 28 या 29 दिनों का नहीं रहेगा बल्कि पूरे 30 दिनों तक चलेगा।.... 

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भगवान शिव की आराधना का पावन मास सावन इस साल शुभ संयोग के साथ शुरू होगा, सावन माह इस बार 28 जुलाई से शुरू होगा। इस साल का सावन का महीना बहुत खास रहने वाला है क्योंकि 19 साल बाद एक दुर्लभ संयोग बन रहा है। इस बार सावन का महीना 28 या 29 दिनों का नहीं रहेगा बल्कि पूरे 30 दिनों तक चलेगा। दरअसल इस बार का सावन 30 दिनों का होने के पीछे अधिकमास पड़ने के कारण हुआ है। हर तीन साल में एक बार अधिकमास पड़ता है। 

स बार सावन में चार सोमवार के व्रत होंगे, पहला सावन का सोमवार 30 जुलाई को होगा। ऐसी मान्यता है कि सावन में सोमवार को व्रत रखने और शिवलिंग पर जल चढ़ाने से घर में सुख - समृद्वि आती है। आइए जानते है कि इस बार कब कब सोमवार का व्रत पड़ेगा। Shravan month is also known as Sawan month in North Indian states. All Mondays or Somwar(s) which fall during Shravan month are considered highly auspicious for fasting and known as Shravan Somwar or Sawan Somwar Vrats.

 इस बार सावन में चार सोमवार के व्रत होंगे, पहला सावन का सोमवार 30 जुलाई को होगा। ऐसी मान्यता है कि सावन में सोमवार को व्रत रखने और शिवलिंग पर जल चढ़ाने से घर में सुख - समृद्वि आती है। आइए जानते है कि इस बार कब कब सोमवार का व्रत पड़ेगा।

सावन का महीना और सोमवार की प्रमुख तिथियां

इस बार सावन का महीना 28 जुलाई से आरम्भ होने जा रहा है जो 26 अगस्त रक्षाबंधन के दिन समाप्त होगा। इस बार सावन माह में चार सोमवार के व्रत पड़ेंगे, जिनकी तिथियां ये है-

  • सावन का पहला सोमवार 30 जुलाई को होगा।
  • सोमवार 6 अगस्त 2018 को सावन का दूसरा सोमवार पड़ेगा।
  • 11 अगस्त 2018: हरियाली अमावस्या
  • 13 अगस्त 2018 को श्रावण का तीसरा सोमवार हरियाली तीज और होगा।
  • सावन का आखिरी सोमवार 20 अगस्त के दिन पड़ेगा।
  • 15 अगस्‍त को नागपंचमी का पर्व होगा।

ऐसे करें पूजा

  • जल्दी उठकर स्नान आदि कर स्वच्छ कपड़े पहनें।
  • पूजा स्थान की सफाई करें।
  • शिवलिंग पर जल व दूध अर्पित करें।
  • भोलेनाथ के सामने आंख बंद शांति से बैठें और व्रत का संकल्प लें।
  • सुबह और शाम को भगवान शंकर व मां पार्वती की अर्चना जरूर करें।
  • भगवान शंकर के सामने तिल के तेल का दीया प्रज्वलित करें और फल व फूल अर्पित करें।
  • ऊं नम: शिवाय मंत्र का उच्चारण करें। 
  • शिवलिंग पर पंच अमृत, नारियल व बेल की पत्तियां चढ़ाएं।
  • सावन सोमवार व्रत कथा का पाठ करें और दूसरों को भी व्रत कथा सुनाएं।
  • पूजा का प्रसाद वितरण करें और शाम को पूजा कर व्रत खोलें।

कुंवारों के ल‍िए खास

वैसे तो सावन का सोमवार में हर किसी की मनोकामना पूरी हो जाती है लेकिन ज‍िन लोगों की शादी नहीं हुई है, सावन के सोमवार में पूजा करने से उनका जल्‍द विवाह हो जाता है जिनकी हो चुकी है, उन्हें सुखमय वैवाहिक जीवन का आशीर्वाद देते हैं।

मंगल गौरी व्रत से होगा मंगल

सावन महीने की एक बात और खास है कि इस महीने में मंगलवार का व्रत भगवान शिव की पत्नी देवी पार्वती के लिए किया जाता है। सावन के महीने में किए जाने वाले मंगलवार व्रत को मंगला गौरी व्रत कहा जाता है।
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हलहारिणी अमावस्या, शिव के मिलेंगे शुभ आशीर्वाद, यह पूजा करें राशि अनुसार.....

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को हलहारिणी अमावस्या है। इसे आषाढ़ी अमावस्या भी कहते हैं। इस अमावस्या को भगवान शिव विशेष वरदान देते हैं। आइए जानें राशि अनुसार क्या पूजन करें...
 
 
मेष- शिवजी को गुड़ चढ़ाएं।
 
वृष- दही से शिव का अभिषेक करें।
 
मिथुन- गन्ने के रस से शिव का अभिषेक करें।
 
कर्क- कच्चे दूध और पानी से शिव का अभिषेक करें।
 
सिंह- शिव को खीर का भोग लगाएं।
 
कन्या- भगवान शंकर को बिल्व पत्र चढ़ाएं।
 
तुला- कच्चे दूध से शिव का अभिषेक करें।
 
धनु- पंचामृत से शिव का अभिषेक करें।
 
वृश्चिक- शिव को गुलाब के फूल च़ढ़ाएं।
 
मकर- शिव को नारियल का जल चढ़ाएं।
 
कुंभ- शिवजी का सरसों के तेल से अभिषेक करें।
 
मीन- केसर युक्त दूध से शिव का अभिषेक करें।
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