Sunday, 22 December 2024

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World Population Day 2018, क्‍यों मर्द नसबंदी के नाम से घबराते हैं?......



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वैसे तो हर काम में पुरुष आगे रहना पसंद करते है, लेकिन बात जब फैमिली प्‍लानिंग की आती है तो वे यह जिम्‍मेदारी अपनी पत्‍नी के कंधों पर डाल कर खिसक जाते है। पुरूष नसबन्‍दी, पुरूषों के लिए गर्भनिरोध का सबसे सरल, सुरक्षित और कम खर्चीला उपाय है। इसमें शुक्रवाहिका नामक दो ट्यूबों को काट दिया जाता है जिससे शुक्राणु वीर्य तक पहुंच ही नहीं पाते हैं। इसके अलावा पुरूष नसबन्‍दी करवाने में समय भी बहुत कम लगता है और यह गर्भनिरोधक के लिए महिला नसबन्‍दी जितना ही प्रभावशाली होता है।

लेकिन इसके बाद भी पुरुषों को लगता है कि फैमिली प्‍लानिंग और नसबंदी सिर्फ महिलाओं की जिम्‍मेदारी है। हमारे देश में आज भी ज्‍यादात्तर पुरुष गर्भनिरोध के नाम पर सिर्फ कंडोम का इस्‍तेमाल करते आ रहे हैं। कभी आपने सोचा है कि पुरुष नसबंदी करवाने से क्‍यूं बचते हैं?

आइए विश्‍व जनसंख्‍या दिवस पर जानते है कि आखिर नसबंदी न करवाने के पीछे पुरुषों की क्‍या मानसिकता रहती है।

दिल की बीमारी

हालांकि कई लोग मानते हैं कि नसबंदी के कारण पुरुषों के दिल पर बुरा असर पड़ता है, लेकिन वास्‍तव में ऐसा नहीं है। अभी तक इस बात का कोई वैज्ञानिक आधार नहीं है।

टांके का डर

पुरुषों को लगता है नसबंदी के दौरान उन्‍हें चीरा लगाया जाएगा, टांके और चीरे की नाम से वो डर जाते है। लेकिन वर्ष 1998-99 के दौरान एनएसवी (नो स्कैल्पल वसेक्टमी) के रूप में नसबंदी की नयी पद्धति का शुरु हुई थी। जिसमें बिना चीरा और टांके की नसबंदी का चलन शुरु हो गया है तो पुरुषों को इस चीज से भी नहीं घबराने की जरुरत है।

दर्द की वजह से

कई पुरुष दर्द के वजह से नहीं कराते है नसबंदी नसबंदी के दौरान पुरुषों को दर्द नहीं होता है। क्योंकि नसबंदी की पुरानी पद्धति में बहुत दर्द होता था। लेकिन एनएसवी सरीखी नयी पद्धति के चलते अब पुरुष झटपट नसबंदी कराके अपेक्षाकृत जल्दी अपने काम पर लौट सकते हैं और अब नई तकनीक में एनेस्थीसिया देते समय इंजेक्शन लगाने के दौरान, नाममात्र का ही दर्द होता है।

 मर्दाना शक्ति पर असर?

ज्‍यादात्तर पुरुषों को लगता है कि नसबंदी करवाने से उनकी सेक्‍सलाइफ पर असर पड़ता है, नसबंदी के बाद सेक्‍स प्‍लेजर नहीं मिलता है। नसबंदी के बाद कुछ महीनों तक टेस्टिकल में आपको हल्का दर्द हो सकता है। लेकिन सेक्स में रुचि, इरेक्शन क्षमता, या स्खलन पर कोई प्रभाव नहीं होता। विशेषज्ञों की माने तो नसबंदी कराने से किसी प्रकार की नपुसंकता या नामर्दी नहीं आती है बल्कि इससे शीघ्रपतन की शिकायत दूर हो जाती हे। अनचाहें गर्भ की चिंता दूर हो जाती है तो यौन संबंध बनाने में पहले से ज्‍यादा प्‍लेजर मिलता है।

पुरुषों के टेस्‍टोस्‍टेरोन पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता

कई पुरुषों की गलत धारणा है कि नसबंदी के बाद पुरुषों के हार्मोन पर फर्क पड़ता है लेकिन ये गलत है। नसबंदी में शुक्राणु वाहिनी नालिकाओं को बांध दिया जाता है। जिससे शुक्राणु शरीर के बाहर न‍हीं जा पाते हैं ये शरीर में ही घुलकर रह जाते हैं। इस प्रकार शरीर के स्‍वस्‍थ रहने भी सहायक होते है। इससे पुरुषों के टेस्‍टोस्‍टेरोन पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है। अमेरिका के अनुसंधानकर्त्‍ताओं का कहना है कि नसबंदी कराए हुए व्‍यक्तिओं का स्‍वास्‍थ्‍य दूसरे व्‍यक्तियों की तुलना में अधिक अच्‍छा होता है वे अधिक दिन जीवित रहते हैं।

कमजोरी आ जाती है? 

कई पुरुषों को लगता है कि नसबंदी कराने से पुरुषों में शारीरिक कमजोरी आ जाती है, लेकिन ये गलत धारणा है। डेली रुटीन के कामों पर लौटने के ल‍िए पुरुषों को नसबंदी के बाद एक दो दिन का आराम बहुत जरुरी होता है। ज्यादातर पुरुष 2-3 दिन बाद काम पर जा सकते हैं। नार्मल फिजिकल एक्टिविटीज जैसे की भागना, वर्क आउट, भारी समान उठाना आदि एक सप्‍ताह रुक कर शुरु किए जा सकते है।

 अगर नसबंदी फेल हो गई तो ? 

आजकल नसबंदी असफल होने की कई मामले सामने आते रहते है तो ऐसे में पुरुषों के मन में एक भय ये भी होता है कि अगर नसबंदी फेल हो गई तो? ये बात सही है कि नसबंदी करवाते ही एक तुरंत प्रभावी न हीं हो जाती है। यह तरीका प्रभावी होने में कई महीनों ले सकता है। क्योंकि ट्यूब्स में स्पर्म्स रह सकते हैं जो वीर्य के साथ निकलते हैं। इस समय के दौरान, कोई और प्रोटेक्शन की जानी चाहिए नहीं तो महिला गर्भवती हो सकती है। कम से कम तीन महीने के बाद यह तरीका प्रभाव हो सकता है। तीन महीने के बाद स्पर्म काउंट के लिए किए जाने वाले टेस्ट से पता किया जा सकता हैं की नसबंदी सफल हुई है या नहीं।

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पिता बनना गर्व की बात होती है और यहां आपकी ज़िम्मेदारियां खत्म नहीं बल्कि शुरू होती हैं।......


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पिता बनना गर्व की बात होती है और यहां आपकी ज़िम्मेदारियां खत्म नहीं बल्कि शुरू होती हैं। जैसे ही आप अपने परिवार को आगे बढ़ाने का निर्णय लेते हैं अर्थात बच्चे की प्लानिंग शुरू करते हैं तो इसके साथ ही आपको अपने जीवन और जीवनशैली में बहुत सारे बदलाव लाने पड़ते हैं। अच्छा पिता बनने के लिए आपको छोटे छोटे बलिदान देने पड़ते हैं। साथ ही अपनी सेहत का भी खास ध्यान रखना होता है ताकि आप अपने होने वाले बच्चे के साथ खुशियों के पल जी सकें और उसे एक बेहतर भविष्य दे पाएं। कई बार हम जल्दबाज़ी में कुछ गलत फैसले ले लेते हैं जिसका परिणाम हमें सारी उम्र भुगतना पड़ता है। इसी प्रकार जब आप पिता बनने का निर्णय लेते हैं तो कुछ बातें ऐसी होती हैं जिन पर आपको गौर करने की वाक़ई में ज़रुरत होती है। तो आइए ऐसी ही कुछ ज़रूरी बातें हम आपको बताते हैं जिन्हें एक पिता को ध्यान में रखनी चाहिए।

आर्थिक योजना बनाएं

इस महंगाई के ज़माने में बच्चे का पालन पोषण करना आसान नहीं होता इसलिये आप बच्चे की प्लानिंग तभी करें जब आप आर्थिक रूप से इसके लिए तैयार हों। आज के इस दौर में बच्चों की पढ़ाई लिखाई से लेकर अन्य सभी चीज़ें इतनी महंगी हो गयी है कि माता पिता के लिए ये सब करना बहुत ही मुश्किल हो जाता है। अगर आप अपने बच्चे को एक खुशहाल और अच्छा भविष्य देना चाहते हैं तो पहले स्वयं को आर्थिक तौर पर मज़बूत बनाएं।

स्वस्थ जीवनशैली

यदि आप स्वस्थ नहीं रहेंगे तो आपके शुक्राणु भी ठीक नहीं रहेंगे। अगर आप बच्चे की प्लानिंग कर रहे हैं तो बेहतर होगा आप अपने स्वास्थ्य का पूरा ध्यान रखें। रोज़ाना व्यायाम के साथ अपने खाने पीने पर भी ध्यान दें। साथ ही समय समय पर डॉक्टर से अपना चेकअप भी करवाते रहें ताकि आप यह जान सकें कि कहीं आपको कोई सेहत संबंधी समस्या तो नहीं है।

 शराब और सिगरेट का सेवन न करें

शराब, सिगरेट आदि जैसी बुरी आदतें ना सिर्फ आपके स्वास्थ्य को नकारात्मक रूप से प्रभावित करती हैं बल्कि आपके शुक्राणु और डीएनए को भी नुकसान पहुंचाती है। बेहतर होगा आप अपने बच्चे के लिए इस तरह की बुरी आदतों से दूर ही रहें।

अपने बर्ताव में बदलाव लाएं

अपने बच्चों के लालन पालन के दौरान माता पिता को कई सारे समझौते करने पड़ते हैं। एक अच्छे पिता होने के नाते आपको हमेशा अपने बुरे पहलू को छिपाकर रखना चाहिए ताकि उसका असर आपके बच्चे पर न पड़े। अपने बच्चे के सामने अच्छा व्यवहार करें। साथ ही अपने गुस्से पर भी काबू रखना, धैर्य आदि जैसी चीज़ें आपको अपने अंदर रखनी चाहिए। अपने बच्चों के साथ हमेशा शान्ति और प्यार से पेश आएं।

बच्चे के लिए एक उदाहरण बनें

जैसा की हम सब जानते हैं बच्चे बड़ों को देखकर बहुत कुछ सीखते हैं इसलिए आप स्वयं को ऐसा बनाए कि आप अपने बच्चे के लिए एक उदाहरण बन जाएं। एक अच्छा पिता बनने से पहले एक अच्छा इंसान बनना भी आपके लिए उतना ही ज़रूरी है।

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मानसून एक ऐसा मौसम है जो सच में जो दो लोगों को और भी पास ले आता है।...... 


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वैसे तो सेक्‍स करने का कोई खास वजह और मौसम नहीं होता है। लेकिन लोग फिर भी अक्‍सर एक दूसरे से पूछते है कि क्‍या ऐसा कौनसा मौसम है जब सेक्‍स नहीं करना चाहिए या करना चाहिए तो जवाब है ऐसा कोई विशेष मौसम नहीं है। लेकिन फिर भी लोग अपने नेचर और मूड के हिसाब से अलग-अलग मौसम पर सेक्‍स को ज्‍यादा एंजॉय करना प्रीपर करते है।

ज्‍यादात्तर लोगों को मानसून के समय सेक्‍स या रोमांस करना ब‍हुत लुभाता है। क्‍योंकि ये मौसम ही बहुत रोमांटिक होता है। मानसून एक ऐसा मौसम है जो सच में जो दो लोगों को और भी पास ले आता है। मौसम की नजाकत को देखते हुए लोग एक दूसरे से ज्‍यादा देर तक दूर रह ही नहीं पाते है। आइए जानते है कि मानसून के मौसम में सेक्‍स करना क्‍यों स्‍पेशल होता है। क्‍यों लोग बारिश के मौसम में भीगना पसंद करते हैं।

गीला और भीगा मौसम

मानसून को अगर प्‍यार में भिगा देने वाला मौसम कहेंगे तो कम नहीं होगा। इस मौसम में जब कभी आप अपने पार्टनर की भीगी हुई जुल्‍फें और भीगा बदन देखते होंगे तो चाहकर भी उनसे दूर नहीं रह पाते होंगे। ठंड से उनका ठिठुरना आपको हॉर्नी फील करवा देता है। कितना भी आप खुद को रोक लें, लेकिन उनसे चाहकर भी दूर नहीं जा सकते है। एक तरफ बाहर बारिश की ठंडक दूसरी तरफ आप दोनों का प्‍यार में खो जाना। इस मौसम को स्‍पेशल बना ही देता है।

रेन सेक्‍स

आपने पूल सेक्‍स, शॉवर सेक्‍स और बाथ टब सेक्‍स के बारे में सुना होगा। लेकिन बारिश या रेन सेक्‍स के बारे में आपके क्‍या विचार ? सुनने में ही मजा आ गया ना तो करके देखिएं, ये आपकी लाइफ का सबसे अच्‍छा रोमांचक अहसास होगा। आप चाहे तो घर की बालकनी, छत या किसी ऐसी जगह एंजॉय कर सकते है जहां कोई भी आपकी प्राइवेसी में दखल न दे सकें।

सुहावना मौसम

मानसून की वजह से मौसम खुद ब खुद सुहावना हो जाता है। इस सुहावने मौसम में आप दूसरों काम से ज्‍यादा आपको अपने पार्टनर के साथ समय बिताना का मन करता है। ठंडी हवा और बारिश की बौछारें आसपास के माहौल को बहुत ही खुशनुमा बना देते है लेकिन साथ ही वो आपको आपके पार्टनर के साथ रोमांटिक होने के ल‍िए उत्‍साहित कर देते है। इस सेक्‍सी और सुहावने मौसम में पार्टनर के साथ रोमांटिक हो जाना तो एक जाहिर सी बात है।

बारिश में मेकआउट

ये हर कपल की फैंटेसी का हिस्‍सा होता है बारिश में लॉन्‍ग ड्राइव का मजा और एक जगह कहीं सूनसान रोड़ पर गाड़ी रोककर बारिश की बौछारों के बीच पार्टनर के साथ मेकआउट करना। ये फैंटेसी हर कपल अपनी जिंदगी में एक बार फील करना जरुर चाहता है।

घर पर परफेक्‍ट सेक्‍सी सा माहौल

मानसून में ज्‍यादात्तर बारिश के वजह से कपल्‍स का मूवी, डिनर या शॉपिंग का प्रोग्राम कैंसिल ही करवाना पड़ता है। ऐसे में आप दोनों घर पर ही एक दूसरे के साथ मूवी डेट प्‍लान कर सकते है। घर पर ही एक दूसरे से चिपककर कोई रोमांटिक सी मूवी देखिएं और एक दूसरे को कडल करते हुए आप दोनों भी रोमांटिक हो जाएं और मूवी देखते हुए रोमांटिक सीन के साथ आप भी एक दूसरे के बांहों में बांहे डालकर प्‍यार में खो जाएं।

म्‍यूजिक

क्‍या आप दोनों म्‍यूजिक में इच्‍छुक रहते है? बारिश में रोमांस को तड़का लगाने का काम सिर्फ म्‍यूजिक ही कर सकता है। अगर आप उनके साथ आज शाम रोमांटिक होना चाहते है तो कुछ रोमांटिक सा म्‍यूजिक प्‍ले कर दीजिए जो बारिश और आपकी फीलिंग्‍स को अच्‍छे से कनेक्‍ट कर सकें। उसके बाद देखिएं फिर क्‍या होता है।

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भारत में अक्सर माता-पिता की शिकायत रहती है कि उनके बच्चे हर वक्त इंटरनेट पर चिपके रहते हैं।..... 

 

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डिजिटल गेम्स को लेकर दीवानगी बच्चों व युवा वर्ग में खूब देखी जा रही है। भारत में भी गेमिंग का बाजार तेजी से बढ़ रहा है। इस समय यह बाजार 36 करोड़ डॉलर का है। गूगल- केपीएमजी की एक रिपोर्ट के मुताबिक, यह बाजार वर्ष 2021 तक एक अरब डॉलर का हो जाएगा। इस सब के बीच भारत में अक्सर माता-पिता की शिकायत रहती है कि उनके बच्चे हर वक्त इंटरनेट पर चिपके रहते हैं। ऐसे में उन्हें इस लत से दूर करने की सारी कोशिशें नाकाम रहती हैं। बच्चों की इस लत को छुड़ाने और इस बात पर नजर रखने की वो किससे बात करते हैं और क्या सर्च करते हैं, कई एप्स उपलब्ध हैं।

जब रखनी हो बच्चों पर नजर

बच्चे कोई डिजिटल गेम खेल रहे हों, तब पैरेंट्‌स चाहें, तो कुछ सॉफ्टवेयर्स की मदद से बच्चों की ऑनलाइन एक्टिविटीज पर न सिर्फ नजर रख सकते

हैं, बल्कि उन्हें कंट्रोल भी कर सकते हैं।

ये सॉफ्टवेयर इस प्रकार हैं:

किडलॉगर

 बच्चे क्या टाइप कर रहे हैं, उसे रेकॉर्ड करने के साथ-साथ यह सॉफ्टवेयर विजिट की गई साइट्‌स, गेम्स या प्रोग्राम का भी रेकॉर्ड रखता है। बच्चे कितनी देर तक पीसी पर सक्रिय रहते हैं, वे किस गेम का इस्तेमाल कर रहे हैं या फिर फोन, एसएमएस, स्काइप, फेसबुक आदि पर किसके साथ संवाद कर रहे हैं, इसकी मदद से हर तरह की एक्टिविटी पर नजर रखी जा सकती है। इसमें वेब हिस्ट्री मॉनीटरिंग, टाइम ट्रैकिंग, यूएसबी ड्राइव्स, सीडी-डीवीडी यूसेज, की-स्ट्रोक्स रेकॉर्ड,स्क्रीनशॉट, फाइल-फोल्डर यूसेज, मैसेज मॉनीटरिंग आदि जैसी सुविधाएं भी हैं।

क्यूसटोडियो

 यह पैरेंटल कंट्रोल टूल है, जिसकी मदद से पैरेंट्‌स बच्चों को ऑनलाइन सुरक्षित रख सकते हैं। इसमें सोशल एक्टिविटीज मॉनीटरिंग, इंटरनेट टाइम सेट, गेम व एप्स कंट्रोल, मैसेज व कॉल्स ट्रैकिंग जैसी सुविधाएं भी दी गई हैं। इससे बच्चों की हर ऑनलाइन एक्टिविटी पर नजर रखी जा सकती है।

यह सॉफ्टवेयर विंडोज, मैक, एंड्रॉयड, आईओएस, किंडल और नूक को सपोर्ट करने में सक्षम है।

 ओपनडीएनएस फैमिली शील्ड

यह सॉफ्टवेयर पीसी के साथ मोबाइल पर भी रन करता है। इसका इस्तेमाल नेटवर्क राउटर के साथ भी किया जा सकता है। बच्चे किस साइट या गेम को एक्सेस कर रहे हैं, पैरेंट्‌स इस पर नजर रख सकते हैं। यह फ्री पैरेंटल कंट्रोल टूल है।

 स्क्रीन टाइम को करें मैनेज

अगर आप अपने स्मार्टफोन पर बहुत ज्यादा समय बिताते हैं या फिर कई बार मोबाइल पर गेम खेलने के दौरान आपको पता ही नहीं चलता कि कितने घंटे फोन पर समय बिता रहे हैं, तो ऐसे कुछ एप्लिकेशंस हैं, जो स्क्रीन टाइम को लेकर आपको आगाह करेंगे।

 म्यूट स्क्रीन टाइम ट्रैकर

यह एप्लिकेशन आपको मोटिवेट करता है कि आप फोन का इस्तेमाल कम से कम करें। इसमें स्क्रीन टाइम फीचर है, जिसकी मदद से मोबाइल पर बिताए जाने वाले समय को कंट्रोल किया जा सकता है। आप घर पर हों या फिर ऑफिस में, यहआपके स्क्रीन टाइम को लगातार ट्रैक करता रहता है। इससे आपको फोन से ब्रेक लेने में सहूलियत होगी। साथ ही, डेली और वीकली डाटा के जरिए आप देख सकते हैं कि आप फोन पर कितना समय बिताते हैं। यह ऐप आईओएस यूजर्स के लिए है।

फॉरेस्ट

अगर आपको फोन या इंटरनेट की लत लग गई है, तो यह एप्लिकेशन आपकी मदद करेगा। इसमें फोन की लत को दूर करने के लिए अनोखा तरीका अपनाया गया है। इसमें वर्चुअल पौधा उगाना होता है। पौधा धीरे-धीरे बढ़ना शुरू होता है लेकिन जैसे ही आप ऐप से हटकर इंटरनेट ब्राउजिंग करना या फिर कोई दूसरा ऐप खोलना चाहेंगे, यह आपको अलर्ट करेगा कि आपका नन्हा, खूबसूरत पौधा मर जाएगा। इस तरह यह आपको फोकस्ड रहने के लिए प्रेरित करता रहता है। यह एंड्रॉयड, आईओएस के साथ क्रोम को भी सपोर्ट करता है।

 यूट्‌यूब का 'टेक ए ब्रेक' फीचर

लोग अपना काफी समय यूट्‌यूब पर बिताते हैं। अब गूगल ने यूट्‌यूब के लिए 'टेक ए ब्रेक' फीचर जारी किया है, जो निश्चित समय पर ब्रेक लेने के लिए आपको रिमाइंड करेगा, जिससे स्क्रीन टाइम को मैनेज करने में मदद मिलेगी। इसके लिए सबसे पहले अपने फोन पर यूट्‌यूब ऐप को अपडेट करना होगा। फिर ऐप को ओपन करने के बाद सेटिंग्स में जाएं। यहां आपको जनरल टैब मिलेगा। उस पर क्लिक करें। जनरल टैब में 'रिमाइंड मी टू टेक ए ब्रेक' का ऑप्शन मिलेगा। इस पर क्लिक करने के बाद रिमाइंडर फ्रीक्वेंसी का पॉपअप खुलेगा, जिसमें प्रत्येक 15, 30, 60, 90, 180 मिनट पर रिमाइंडर सेट करने की सुविधा है। इसके बाद यह तय समय पर ब्रेक लेने के लिए आपको अलर्ट करेगा।

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