Sunday, 19 October 2025

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EPF :हाल ही में इससे जुड़े नियमों कुछ बदलाव हुए हैं। इन नियमों का आपके लिए क्या है मतलब।.....

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एंप्लॉयी प्रोविडेंट फंड यानी ईपीएफ़ के ज़रिए कर्मचारी प्रॉविडेंट फंड के तहत भविष्य के लिए धन सुरक्षित रखते हैं। हाल ही में इससे जुड़े नियमों कुछ बदलाव हुए हैं। आख़िऱ है क्या और क्या हैं इसके नियम हैं और इन नियमों का आपके लिए क्या है मतलब। धंधा-पानी में आज चर्चा इन्हीं सवालों की। कुछ साल पहले ईपीएफओ ने नियम बनाया था कि आंशिक निकासी बच्चे की शादी, उच्च शिक्षा और मकान खरीदने के लिए की जा सकती है। अब ईपीएफओ के नए नियम के मुताबिक, नौकरी छोड़ने के एक महीने बाद ही मेंबर्स 75 फीसदी धन की निकासी कर सकते हैं और 2 महीने बाद बचा हुआ 25 फीसदी हिस्सा भी निकाल सकते हैं। इससे पहले, नौकरी छोड़ने या बेरोजगार होने की स्थिति में दो महीने के बाद ही पीएफ़ की रकम निकाली जा सकती थी। 
 
आख़िऱ ईपीएफ है क्या और क्या हैं इसके नियम हैं और इन नियमों का आपके लिए क्या है मतलब। धंधा-पानी में आज चर्चा इन्हीं सवालों की।

ईपीएफओ क्या है?
कर्मचारी भविष्य निधि संगठन यानी ईपीएफ़ओ की स्थापना 15 नवम्बर 1951 में हुई थी। कर्मचारी भविष्य निधि कार्यालय में उन सभी कार्यालयों और कंपनियों को रजिस्टर करना पड़ता है जहाँ पर 20 से अधिक कर्मचारी काम करते हैं।
 
कैसे जमा होता है पैसा
जब कोई व्यक्ति किसी कंपनी में काम करना शुरू करता है तो उसकी बेसिक सैलरी का 12% उसकी सैलरी से काटा जाता है और इतना ही योगदान कंपनी की तरफ से दिया जाता है। व्यक्ति की सैलरी का 12% कर्मचारी ईपीएफ में जमा हो जाता है जबकि कंपनी द्वारा किया गए योगदान का केवल 3.67% ही इसमें जमा होता है बकाया का 8.33% कर्मचारी पेंशन योजना यानी ईपीएस में जमा हो जाता है।

 क्या 12% से अधिक रकम भी कटा सकते हैं?
कर्मचारी अपनी बेसिक सैलरी के 12% से भी अधिक रकम कटवा सकता है। इसे वॉलियंटरी प्रोविडेंट फंड कहते हैं। इस पर भी टैक्स छूट मिलती है, लेकिन एंप्लॉयर यानी नियोक्ता सिर्फ़ बेसिक सैलरी का 12% कंट्रीब्यूशन ही देता है।

ईपीएफ़ पर कितना ब्याज?
कर्मचारियों की ईपीएफ की रकम पर उन्हें ब्याज मिलता है। जिसका निर्धारण सरकार और केन्द्रीय न्यासी बोर्ड करता है। वर्तमान वर्ष में दी जाने वाली ब्याज दर 8.55% है।
 
क्या नॉमिनेशन की सुविधा है?
जी हाँ, आप अपने ईपीएफ के लिए भी नॉमिनेशन सुविधा ले सकते हैं। कर्मचारी की मृत्यु होने की स्थिति में नॉमिनी को का सारा पैसा दिया जाता है। अपने ईपीएफ अकाउंट के लिए नॉमिनी को चेंज भी कर सकते हैं।

पेंशन भी मिलती है क्या?
पीएफ़ में एम्पलॉयर का योगदान 12 फ़ीसदी ही होता है, लेकिन इसका एक हिस्सा 8.33 प्रतिशत कर्मचारी पेंशन स्कीम में चला जाता है। पेंशन 58 साल की उम्र के बाद ही मिलती है। नौकरी के 10 साल (लगातार) पूरे करने अनिवार्य हैं। न्यूनतम पेंशन 1000 रुपए है, जबकि अधिकतम पेंशन 3250 रुपये प्रतिमाह है। पेंशन ईपीएफ़ खाताधारक को आजीवन और उसके मरने के बाद आश्रित को दी जाती है।
 
एडवांस ले सकते हैं क्या?
नौकरी करते समय ईपीएफ का पैसा निकलने की इजाजत नहीं होती, लेकिन ऐसे कुछ खास मौके हैं जिनके लिए ईपीएफ की कुछ राशि निकाली जा सकती है, हालांकि इसके तहत भी आप पूरी राशि नहीं निकाल सकते। अपने या परिवार (पति/पत्नी, बच्चे या डिपेंडेंट पेरेंट्स) के इलाज के लिए सैलरी की छह गुना रकम निकाल सकते हैं। अपनी, बच्चों की, या भाई-बहन की शादी या एजुकेशन के लिए पूरी रकम का 50 प्रतिशत निकाल सकते हैं। नौकरी के दौरान अधिकतम तीन बार ऐसा कर सकते हैं। होमलोन चुकाने के लिए सैलरी का 36 गुना तक रकम निकालने की इजाज़त है। घर की मरम्मत के लिए सैलरी का 12 गुना तक रकम निकाल सकते हैं, लेकिन ये सुविधा सिर्फ़ एक बार मिलती है। इसके अलावा प्लॉट या घर खरीदने के लिए भी अपने ईपीएफ़ अकाउंट से पैसा निकाल सकते हैं।
 
ईपीएफ में पैसा कटवाने से मना कर सकते हैं क्या?
आप चौंकेंगे तो सही, लेकिन इसका जवाब हाँ है। अगर आपकी सैलेरी 15000 रुपए प्रति माह से ज्यादा है तो आप पीएफ में निवेश करने से मना कर सकते हैं। इसके लिए आपको नौकरी शुरू करने से पहले पीएफ फंड से बाहर रहने का विकल्प चुनना होगा।

अगर आप ऐसा करते हैं तो इसके लिए आपको फॉर्म नंबर 11 भरना पड़ता है। लेकिन अगर आप एक बार ईपीएफ का हिस्सा बन जाते हैं, तो फिर आप इससे बाहर नहीं आ सकते।
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सेक्स की लत मानसिक बीमारी का लक्षण है, जिसे Compulsive Sexual Behaviour (जबरन यौन संबंध) के नाम से भी जाना जाता है।.....


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दुनियाभर में यौन हिंसक की वारदातें बढ़ती जा रही है, ऐसे मामलों की पीछे एक वजह सेक्‍स एडिक्‍शन या सेक्‍स के प्रति लत भी है। वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन (WHO) ने माना है कि सेक्स की लत मानसिक बीमारी का लक्षण है, जिसे Compulsive Sexual Behaviour (जबरन यौन संबंध) के नाम से भी जाना जाता है। डब्ल्यूएचओ के मुताबिक, इस बीमारी से पीड़‍ित इंसान मानसिक बीमारी की वजह से खुद को सेक्स करने से रोक नहीं पाता है। ऐसे लोगों को बार-बार सेक्स करने इच्छा होती है। इसके चलते सेक्स एडिक्शन के शिकार लोग अपनी सेहत को भी नजरअंदाज कर देते हैं। सेक्स की लत लगने वाले इंसान को इस बीमारी का पता नहीं चलता और जब तक इसके बारे में वो जान पाता है, तब तक देर हो चुकी होती है।

होती है सेक्‍स करने की इच्‍छा

डब्ल्यूएचओ के मुताबिक, इस बीमारी से ग्रसित व्‍यक्ति को कहीं भी किसी जगह भी सेक्‍स करने की तलब जग जाती है। सेक्‍स करने के बाद भी उसे कभी संतुष्‍ट‍ि नहीं मिलती है, बस उसमें सेक्स करने तीव्र इच्छा जगी रहती है। सेक्‍स करना उसके ल‍िए डेली रुटीन में किए जाने वाली आदतों में शुमार हो जाता है। लेकिन इस आदत को आप पूरी तरह अनैतिक यौन इच्‍छाओं से जोड़कर भी नहीं देख सकते हो।


क्‍यों कहा इसे मेंटल डिसऑर्डर

अगर कोई व्‍यक्ति सेक्‍स एडिक्‍शन से ग्रसित है तो वो सेक्‍स की वजह से हर जरुरी कार्य को टालने के साथ ही अपनी सेहत को भी नजरअंदाज करने लगता है। इसके लक्षण 6 महीनें में खुलकर सामने आते है। WHO ने गेमिंग एडिक्‍शन के बाद अब सेक्‍स एडिक्‍शन को मानसिक बीमारी की कैटेगरी में रखा है। इसे मेंटल डिसऑर्डर यानी मानसिक बीमारी की कैटेगेरी में रखने का ये फायदा होगा कि इस समस्‍या से
पीड़ित लोगों को इलाज के कई ऑप्शन्स मिल पाएंगे और इस क्षेत्र में रिसर्च भी हो पाएगी।

सेक्‍स एडिक्‍शन या सेक्‍स की लत के लक्षण-

हो जाते है हस्‍तमैथुन के आदी

Compulsive Sexual Behaviour ग्रसित लोग पॉर्न विडियो देखते रहते हैं और यदि उन्हें सेक्स के लिए कोई पार्टनर नहीं मिलता तो वे हस्तमैथुन करते रहते हैं। वो हस्‍तमैथुन के आदी हो जाते है।

सेक्‍स के ल‍िए चाहिए पार्टनर

ऐसे लोग एकदम से और हर कहीं से सेक्स करना चाहते हैं, वे अपने पार्टनर को सेक्‍स ऑब्‍जेक्‍ट के तौर पर ही देखते है।

अकेलेपन का शिकार

सेक्‍स एडिक्‍शन से ग्रस्‍त लोग अवसाद, चिंता और अकेलेपन से ग्रसित होते हैं, क्यों कि उन्हें लंबे समय तक साथ देने वाला पार्टनर नहीं मिल पाता है।

हार्मोनल असंतुलन के वजह से भी

Compulsive Sexual Behaviour जैसे डिसऑर्डर के पीछे की वजह का अभी तक पता नहीं चल पाया है, फिर भी कई रिसर्च स्टडीज़ दावा करती हैं कि यह दिमाग में केमिकल या हार्मोन के असंतुलन और बचपन की कोई यौन हिंसा के कारण ऐसा होता है।

STD's होने का ज्‍यादा डर

सेक्‍स के लती लोगों में अक्‍सर एसटीडी या एड्स होने का खतरा ज्यादा रहता है, क्यों कि अपनी सेक्स इच्छा के चलते ये लोग वैश्याओं और अंजान लोगों से भी सेक्स करने करने को तैयार रहते हैं, वो भी बिना किसी सुरक्षा के।

कोई इलाज नहीं

हाइपर सेक्सयुलिटी का पूरा इलाज संभव नहीं है लेकिन मेडिकल और प्रेक्टिकल थैरेपी से इसे कम किया जा सकता है।

ड्रग्‍स भी होता है एक वजह

जरूरत से ज्यादा ड्रग लेने वाले लोग भी सेक्स एडिक्शन के शिकार हो सकते हैं। उनके साथ ऐसा तब होता है, जब वे इसकी शुरुआत कर रहे होते हैं या फिर उसे छोड़ने की कोशिश कर रहे होते हैं। माना जाता है कि ऐसे लोगों के लिए सेक्स भी नशे का काम करता है।

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