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कई बार हम किसी ऐसे इंसान को प्यार करने लगते हैं जो हमें प्यार ही नहीं करता है। इस परिस्थिति को एकतरफा प्यार कहा जाता है। कहते हैं कि ये फीलिंग सबसे ज़्यादा मुश्किल होती है क्योंकि इसमें आप जिसे बेइंतहा प्यार करते हैं उससे आपको प्यार नहीं मिलता है। कभी बेरूखी मिलती है और कभी ज़िल्लत। इससे हमारे दिमाग और सोच पर प्यार को लेकर नकारात्मक असर पड़ने लगता है। कभी ना कभी हमारे जीवन में एक ऐसा समय आता ही है जब हमें किसी ऐसे इंसान से प्यार हो जाता है जो हमें प्यार नहीं करता है। हम इंतज़ार करते हैं कि कब उन्हें हमसे प्यार होगा या फिर चीज़ों के ठीक होने का इंतज़ार करते हैं। लेकिन इस रास्ते में आखिरकार हार और निराशा ही मिलती है। प्यार हमें नहीं मिल पाता है क्योंकि वो हमारा कभी था ही नहीं।
किसी को खुद से प्यार करने के लिए हम हर संभव प्रयास करते हैं लेकिन बदले में कुछ नहीं मिलता, मिलता है तो सिर्फ दर्द। एकतरफा प्यार में बस दर्द ही मिलता है। प्यार एक खूबसूरत एहसास है जिसे चाहकर भी हम रोक नहीं सकते हैं। ये आपकी आत्मा से जुड़ा होता है और इसकी वजह से आपकी ज़िंदगी खूबसूरत बन सकती है या फिर बर्बाद हो सकती है। वो लोग बहुत लकी होते हैं जिन्हें प्यार के बदले प्यार मिल जाता है जबकि कुछ लोगों को तो प्यार करने पर बस दर्द ही मिलता है।
एकतरफा प्यार में क्यों मिलता है इतना दर्द
ज़िंदगी कोई किताब नहीं है जिसका पन्ना पलट दिया जाए। ये काफी मुश्किल दौर होता है जिसे जीना ही पड़ता है और इसी का नाम ज़िंदगी होता है। जो लोग प्यार को आज भी किसी परी कथा की तरह समझते हैं उन्हें प्यार का सच पता चलने पर बहुत दर्द होता है। एकतरफा प्यार हमेशा दर्द ही देता है क्योंकि ये कभी पूरा नहीं हो सकता है। इस प्यार में मिलने वाले दर्द को कोई कंट्रोल नहीं कर सकता है। प्यार हमेशा अपने साथ उसके पूरा होने की उम्मीद लेकर आता है लेकिन एकतरफा प्यार तो होता ही अधूरा है तो फिर वो पूरा कैसे हो सकता है। इससे हमारा भीतरी संतुलन खोने लगता है।
एकतरफा प्यार के बारे में जान लें ये बातें
हम सभी को एकतरफा प्यार के कड़वे सच के बारे में पता होना चाहिए। कभी-कभी प्यार के एहसास को आप किसी पर थोप नहीं सकते हैं। ये अपने आप ही हो जाता है और कोई इसकी भविष्यवाणी नहीं कर सकता है। जब आप किसी के साथ ज़्यादा वक्त बिताने लगते हैं तो उसके साथ जुड़ाव होना आम बात है। आपको उनके खुश और दुखी होने की वजह, सपनों, लक्ष्य के बारे में सब पता चल जाता है। आप उनसे खुद को जुड़ा हुआ महसूस करने लगते हैं और इसी तरह आप दोनों के बीच प्यार का रास्ता बनने लगता है।
लेकिन सामने वाले इंसान को भी आपके लिए वैसा ही अहसास होना ज़रूरी होता है। इसी एकतरफा प्यार के बारे में हम बात कर रहे हैं। जब हमें ये एहसास होता है कि जिससे हम प्यार करते हैं वो हमसे प्यार नहीं करता तो हमारी खुशी खोने लगती है और दुख बढ़ जाता है।
एकतरफा प्यार तकलीफ ही क्यों देता है
बदले में नहीं मिलता प्यार
जब आप किसी से प्यार करते हैं तो बदले में प्यार मिलने की ही अपेक्षा करते हैं। लेकिन एकतरफा प्यार में ऐसा नहीं होता है और ये आपके दिल का दर्द बनकर रह जाता है। हम किसी को खुद से प्यार करने के लिए मजबूर नहीं कर सकते हैं लेकिन हम उस प्यार पर निर्भर होने लगते हैं जिसका वजूद सिर्फ हमारे लिए है। प्यार के बदले प्यार मिलने की उम्मीद खत्म ही नहीं होती है और आखिरकार हमें वो प्यार नहीं मिल पाता जिसकी हम उम्मीद लगाए बैठे थे।
खुद को कुचल देते हैं
हम इंसान खुद को बहुत कीमती समझते हैं और जब प्यार होता है तो हमें बदले में प्यार की अपेक्षा रहती है लेकिन जब ऐसा नहीं होता तो हमें लगने लगता है कि हमारा आत्मसम्मान कुचला जा रहा है। खुद से प्यार ना करने के लिए हम सामने वाले इंसान को इसका ज़िम्मेदार ठहराने लगते हैं। वक्त के साथ प्यार की परिभाषा भी बदल गई है और आज प्यार और आत्म मूल्य दोनों साथ-साथ चलते हैं। अगर प्यार है तो आपकी कीमत भी होगी और अगर कोई आपका सम्मान नहीं करता है तो इससे निराशा, पागलपन और दुख मिलता है। इससे निपटना हमारे लिए मुश्किल हो जाता है।
एकतरफा प्यार के तकलीफ देने के ये दो कारण हैं और ऐसी किसी परिस्थिति में इनकी वजह से ही बदले में प्यार नहीं मिल पाता है। जब आप किसी से बेइंतहा प्यार करते हैं और बदले में उनसे प्यार नहीं मिल पाता है तो आपका दिमाग उनके लिए पागल होने लगता है। तो इस एकतरफा प्यार को गुड बाय कहने में ही आपकी भलाई है। अगर आपको ये आर्टिकल पसंद आया तो इसे अपने दोस्तों के साथ शेयर जरूर करें।
::/fulltext::निपाह वायरस के बाद दुनिया में लासा वायरस का कहर सामने आया है। हाल ही में नाइजीरिया में एक वायरल संक्रमण 'लासा बुखार' के बहुत भयानक मामले सामने आए है। इस संक्रमण के चपेट में आने की वजह से बहुत से लोगों को जान गंवानी पड़ रही है। शुरुआती जांच में सामने आया है कि ये संक्रमण चूहों के मल-मूत्र से फैल रहा है।
इस संक्रमण के अधिकतर मामले पश्चिम अफ्रीका के देशों में देखने को मिल रहे हैं। लासा बुखार एक गंभीर वायरल हीमोरेजिक बीमारी है, जो लासा वायरस से फैलता है। यह एरेनावाइरस परिवार का सदस्य है।यह जानवरों के जरिए होने वाली जूनोटिक बीमारी की श्रेणी में आता है।
कैसे फैलता है लासा बुखार?
कई रिसर्च में सामने आया है कि लासा वायरस मनुष्यों में संक्रमित चूहों के मल या मूत्र के संपर्क में आने से फैलता है। जिस स्थान में भारी तादाद में चूहें मल-मूत्र त्यागते है, उस स्थान में एरोसोलाज्ड नामक तत्व बनने लगता है। जो हवा में घुलकर सांसों के जरिए शरीर में प्रवेश कर संक्रमितकर देता है और इसके अलावा संक्रमित चूहों को भोजन के रूप में खाने से या संक्रमित चूहों के द्वारा खाना दूषित करने से यह बीमारी होने की सम्भावना रहती है। व्यक्तिगत रूप से संक्रामक तरल पदार्थ (उदाहरण के लिए, रक्त, मूत्र, फेरेंजील स्राव, उल्टी या शरीर के अन्य स्राव) के साथ सीधे संपर्क में आने से यह रोग हो सकता है।
लासा संक्रमण वाले लोगों में लक्षण शुरू होने से पहले उन्हें संक्रामक नहीं माना जाता है।
इस बुखार की इनक्यूबेशन अवधि लगभग 10 दिन (6-21 दिन की रेंज) है. शुरू में इसके लक्षण हल्के होते हैं और इनमें लो ग्रेड का बुखार, सामान्य कमजोरी एवं मालाइज शामिल होता है।
इसके बाद सिरदर्द, गले में दर्द, मांसपेशियों में दर्द, सीने में दर्द, मतली, उल्टी, दस्त, खांसी और पेट दर्द होता है।
इसका असर बढ़ने पर चेहरे की सूजन, फेफड़ों में पानी भरना, और मुंह, नाक, योनि व आंतों से खून आना, और कम रक्तचाप की शिकायत हो सकती है।
आखिरी चरण में, सदमा, दौरे, कंपकंपी, कंपकंपाहट और कोमा की दशा हो सकती है।
इस बुखार का इलाज आमतौर पर लक्षण दिखने के बाद शुरु कर दिया जाएं तो इसके प्रभाव को कम किया जा सकता है। इस बुखार के लक्षण दिखें तो रिस्क न उठाएं जाकर डॉक्टर से मिलें। तुंरत इलाज शुरु करने से इस वायरस का प्रभाव कम किया जा सकता है। हालांकि, इस वायरस के लिए वर्तमान में कोई टीका उपलब्ध नहीं है। 'रिबाविरिन' नामक एक एंटीवायरल दवा, से इसका प्रभाव कम किया जा सकता है।
मुंबई: गर्मी की छुट्टियों के दौरान सभी पैरेंट्स अपने बच्चों को कुछ नया सिखाना चाहते हैं और उन्हें कुछ अच्छी एक्टिविटीज में बिजी रखना चाहते हैं। उनमें से एक तैराकी को हमेशा से अच्छा व्यायाम माना जाता रहा है। इस तरह की एक्टिविटीज न केवल बच्चों को शारीरिक रूप से फिट रखती हैं, बल्कि उनकी मानसिक क्षमता के विकास में भी मदद करती हैं।
इन्द्रप्रस्थ अपोलो हॉस्पिटल्स के डिपार्टमेन्ट ऑफ इंटरनल मेडिसिन के सीनियर कन्सलटेन्ट डॉ राकेश गुप्ता ने कहा, 'वास्तव में स्वीमिंग स्पोर्ट्स से कहीं बढ़ कर है, यह न केवल जीवन का एक कौशल है, बल्कि ऐसा व्यायाम है जो हमें कई तरह की बीमारियों से बचा कर रखता है।' डॉक्टर ने कहा, 'जहां एक ओर तैराकी सेहत के लिए बेहद फायदेमंद हैं, वहीं दूसरी ओर अगर इसे सही तरीके से न किया जाए तो यह नुकसानदायक भी साबित हो सकती है। तैराकी करते समय कुछ विशेष नियमों को हमेशा ध्यान में रखना चाहिए, खासतौर पर तब जब आप अपने छोटे बच्चों को तैराकी सिखाने जा रहे हैं। पूल के बाहर और भीतर हमेशा कुछ निर्देशों का पालन करें।'
डॉ. गुप्ता ने तैराकी के लिए कुछ सुझाव दिए:
* स्वास्थ्य की जांच: बच्चों को तैराकी की क्लास भेजने से पहले, डॉक्टर से उसकी जांच करवा लें। त्वचा के संक्रमण, आंख, नाक, गला और कान की जांच करवा लें। क्योंकि पूल के पानी में क्लोरीन की मात्रा बहुत अधिक होती है। इसके अलावा अगर बच्चे का वजन सामान्य से कम या अधिक (ओबेसिटी) है तो भी डॉक्टर तैराकी से पहले कुछ सावधानियां बरतने की सलाह देते हैं।
* पूल की सफाई: पूल की सफाई पर ध्यान देना बहुत जरूरी है, क्योंकि एक ही पूल का इस्तेमाल बहुत से लोग करते हैं और किसी को भी त्वचा की या अन्य बीमारी हो सकती है। अपने बच्चे को तैराकी पर भेजने से पहले जनकारी लें कि क्या पूल का पानी नियमित रूप से बदला जाता है और क्या पूल की सफाई की जाती है। ज्यादातर पूल खुले क्षेत्र में होते हैं- उन पर छाया नहीं होती, ऐसे में इनमें धूल, बारिश का पानी और अन्य चीजें गिरती रहती हैं। इसलिए ध्यान रखें कि गंदे पूल में तैरने से कहीं आपके बच्चे को संक्रमण न हो जाए।
* लाईफ गार्ड: सभी पूल्स में निर्धारित संख्या में लाईफ गार्ड जरूर होने चाहिए। ज्यादातर मामलों में देखा जाता है कि एक आम तैरने वाले व्यक्ति को लाईफ गार्ड के रूप में तैनात कर दिया जाता है, जिसके पास आपातकालीन स्थिति में किसी व्यक्ति को बचाने के लिए कोई प्रशिक्षण नहीं होता। साथ ही जब तैरने वालों की संख्या ज्यादा हो (सुबह और शाम के समय) तब सही अनुपात में लाईफगार्ड मौजूद होने चाहिए।
* प्राथमिक चिकित्सा या फर्स्ट एड की सुविधा: सरकारी नियमों के अनुसार स्विमिंग पूल में प्राथमिक चिकित्सा कक्ष और प्राथमिक चिकित्सा की अन्य सभी सुविधाएं होनी चाहिए। यह सुविधाएं पूल के नजदीक उपलब्ध होनी चाहिए। आपातकालीन स्थिति में व्यक्ति को सबसे पहले प्राथमिक चिकित्सा कक्ष में ले जाना चाहिए और आवश्यकतानुसार उसे प्राथमिक चिकित्सा दी जानी चाहिए। इस कक्ष में नजदीकी अस्पताल, स्वास्थ्य केन्द्र का विवरण तथा एम्बुलेन्स बुलाने के लिए फोन नंबर आदि की जानकारी उपलब्ध होनी चाहिए।
* ज्यादा भीड़: इन दिनों स्विमिंग पूल्स में भीड़ बहुत ज्यादा बढ़ जाती है। ज्यादातर लोग मनोरंजन के लिए या गर्मी से बचने के लिए तैरने आते हैं। वे पूल में तैरने के बजाए पानी में सिर्फ रुकना चाहते हैं। इससे पूल में भीड़ बढ़ जाती हैं। अच्छा होगा अगर आप अपने बच्चे के लिए ऐसा पूल चुनें जहां ज्यादा भीड़ न हो।
* प्रशिक्षक और प्रशिक्षण: ध्यान रखें कि पानी में कूदने से पहले आपके बच्चे को किसी अनुभवी कोच के द्वारा प्रशिक्षण दिया जाए। बाहर से देखने में तैराकी बहुत आकर्षित करती है, लेकिन तैरने से पहले तैराकी सीखना बहुत जरूरी है। इसलिए सुनिश्चित करें कि बच्चे कोच की निगरानी में तैराकी सीखें और इसके बाद ही पानी की गहराई में जाएं।
* सुरक्षा उपकरण: बच्चों को तैरते समय सुरक्षा उपकरणों का इस्तेमाल करना चाहिए जैसे - फ्लोटर्स, आई ग्लास, ईयर प्लग, कैप, टॉवर आदि। बड़े लोग जिन्हें तैरना आता है, वे जानते हैं कि बच्चे पानी से अक्सर डरते हैं, कुछ बच्चों को शुरुआत में पूल में जाना अच्छा नहीं लगता। आपको ध्यान रखना चाहिए कि बच्चे जिस फ्लोटर का इस्तेमाल कर रहे हैं, वह खराब न हो, और बच्चे पूल में इसे खिलौने की तरह न इस्तेमाल करें। फ्लोटर में छोटा सा छेद होने पर भी पानी में बच्चे का संतुलन बिगड़ सकता है और उसे चोट लग सकती है।
* हाइड्रेशन: बहुत से लोग इसके बारे में नहीं जानते। हालांकि यह व्यायाम आप पानी में करते हैं लेकिन तैरने के दौरान आपके शरीर से डीहाइड्रेशन बहुत ज्यादा होता है। इस दौरान बहुत ज्यादा पसीना आता है। इसलिए अपने साथ पानी रखें। बच्चे को अच्छा सिपर दें, ताकि तैराकी के बीच में प्यास लगने पर वह पानी पी सके।
* हर नदी या हर तालाब पूल नहीं होता: बच्चों को यह बात समझाना बहुत जरूरी है, अक्सर दस पंद्रह दिन तैराकी सीखने के बाद बच्चे समझने लगते हैं कि उन्हें तैरना अच्छी तरह आ गया है। स्विमिंग पूल का वातावरण बेहद नियन्त्रित होता है। लेकिन तालाब, नदी, झील में स्थिति ऐसी नहीं होती, इनमें पानी की लहरों की गति या पानी की गहराई कभी भी बढ़ सकती है। इसलिए तालाब, झील आदि में तैराकी न करें। इसके लिए बहुत ज्यादा प्रशिक्षण की आवश्यकता होती है।
::/fulltext::नई दिल्ली . मुकेश अंबानी की कंपनी रिलायंस जियो का ‘मानसून हंगामा’ कल से शुरू हो रहा है। इस ऑफर के तहत उपभोक्ता अपने पुराने फीचर फोन को महज 501 रुपए में बदलकर नया जियोफोन पा सकते हैं। कंपनी ने जारी बयान में बताया कि इसकी शुरुआत 20 जुलाई की शाम पांच बजकर एक मिनट से होगी। इसके तहत ग्राहक 501 रुपए में किसी भी कंपनी का पुराना फीचर फोन नये जियोफोन के मौजूदा माडल से बदल सकेंगे। कंपनी ने कहा कि नये जियोफोन में उपभोक्ता फेसबुक, व्हाट्सएप और यूट्यूब जैसे लोकप्रिय मोबाइल एप का इस्तेमाल कर सकेंगे। इस फोन में उपभोक्ताओं को गूगल मैप्स की भी सुविधा उपलब्ध होगी। कंपनी ने कहा कि ये सारे एप 15 अगस्त से उपलब्ध होंगे। किसी भी फीचर फोन में इस तरह के एप पहली बार उपलब्ध होंगे।
कंपनी ने कहा कि नया जियोफोन वॉयस कमांड समर्थित है। इस सुविधा से पहली बार इंटरनेट का इस्तेमाल कर रहे उपभोक्ताओं को भी सहुलियत होगी। रिलायंस इंडस्ट्रीज के चेयरमैन मुकेश अंबानी ने इस फोन का एलान इस महीने 41वीं एजीएम में किया था। इसके फीचर्स एजीएम में आकाश अंबानी और ईशा अंबानी ने दिखाए थे। इस 501 रुपए के ऑफर के बाद अब जियो फोन प्रभावी तौर पर फ्री नहीं रहेगा। अगर आप एक्सचेंज से नया जियो फोन खरीदते हैं तो आपको कोई रिफंड नहीं मिलेगा। अगर आपको अपना पैसा वापस चाहिए तो आपको 1500 रुपए देकर ही जियो फोन खरीदना होगा। इसके लिए एक्सचेंज ऑफर मान्य नहीं है। जियो के नए फोन का रजिस्ट्रेशन शुरू हो चुका है। आप जियो की वेबसाइट पर जाकर अपना रजिस्ट्रेशन इस फोन के लिए कर सकते हैं। रजिस्ट्रेशन के लिए आपको अपना नाम, फोन नंबर, ईमेल आईडी और एरिया का पिन कोड देना होगा।
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