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महाराष्ट्र की महिलाओं ने वट पूर्णिमा पर जहां अपने पतियों की लंबी आयु के लिए दुआ मांगी वहीं पुरुषों के एक समूह ने पत्नियों से ‘‘छुटकारा ’’ की दुआएं मांगीं. बताया जाता है कि ये पुरुष अपनी पत्नियों से पीड़ित हैं. वट सावित्री पूजा के अवसर पर कुछ पुरुषों ने पीपल के पेड़ के चारों तरफ उल्टी दिशा में धागा बांधकर मन्नत मांगी की कि ऐसी पत्नियां सात जन्म तो क्या सात सेकंड के लिए भी नहीं चाहिए.
वट पूर्णिमा को वट सावित्री के नाम से भी जाना जाता है. यह एक ऐसा पर्व है जहां शादीशुदा महिलाएं बरगद के पेड़ के चारों तरफ धागा बांधकर अगले सात जन्मों तक अपने पति का साथ मांगती हैं. इस दिन हिंदू महिलाएं पूरे दिन उपवास रखती हैं. यह पर्व सावित्री और सत्यवान की कथा पर आधारित है जहां सावित्री ने मृत्यु देवता यम से अपने पति सत्यवान का जीवन ‘‘वापस हासिल’’ कर लिया था.
पत्नी पीड़ित पुरुष संगठन के सदस्यों ने वालुज इलाके में इस पर्व को आज दूसरे तरीके से मनाया. ये पुरुष अपनी पत्नियों से पीड़ित होने का दावा करते हैं. उन्होंने पीपल के पेड़ पर उल्टी दिशा में धागा बांधकर जाप किया, ‘‘अगले सात जन्मों तक ऐसी पत्नी मत देना.’’ संगठन के सदस्य तुषार वाखरे ने कहा, ‘‘हमारी पत्नियां कानूनी प्रावधानाओं का इस्तेमाल कर हमारा उत्पीड़न करती हैं.उन्होंने हमें इतनी दिक्कतें दी हैं कि हम उनके साथ सात सेकंड भी नहीं रहना चाहते, सात जन्म की बात ही छोड़ दीजिए.’’
संगठन के संस्थापक भरत फुलवारे और अन्य सदस्यों ने भादंसं की धारा 498-ए, 354 और घरेलू हिंसा कानून के ‘‘दुरुपयोग’’ को लेकर बैनर दिखाए. एक अन्य सदस्य ने कहा कि उनकी पत्नी ने उनके खिलाफ पुलिस में मामले दर्ज कराए जिस पर उन्हें चार लाख रुपये से ज्यादा खर्च करने पड़े. एक और सदस्य ने कहा कि उन्हें ऐसी पत्नी नहीं चाहिए क्योंकि वह अपना खाना खुद बनाते हैं और सारे घरेलू काम करते हैं. उन्होंने कहा, ‘‘उसके कारण मेरी नौकरी चली गई. उसका चेहरा देखने के बजाए मैं मरना पसंद करूंगा.’’
::/fulltext::भारतीय रसोई में अचार का अपना ही महत्व है. मौसम बदलते ही यहां रसोई में बदल-बदल कर अचार तैयार किए जाते हैं. हर सीजन की चीजों के अनुसार ही रसोई भी उस मौसम में मिलने वाली चीजों की खुशबू से महक उठती है और इस खुशबू और स्वाद को लंबे समय तक अपने पास बनाए रखने की चाह ही इन्हें बदल देती है अचार के रूप में...
भारतीय रसोईयों में आम, नींबू, गाजर, लहसुन, शलगम, गोभी और भी जाने कितनी तरह के अचार मौजूद होते हैं. लेकिन अक्सर जब आप रोज-रोज अचार खाते हैं तो मां या कोई बड़ा आपका हाथ रोक लेता है ये कहते हुए कि रोज-रोज अचार खाना ठीक नहीं.. आज हम आपको बताते हैं कि रोज अचार खाना कितना सही है और कितना गलत...
पहले नजर ड़ालते हैं इससे मिलने वाले फायदों पर-
- अचार पाचन को दुरुस्त करता है. लेकिन यह अच्छा तब साबित होगा जब यह घर पर बना हुआ हो.
- घर पर अचार बनाने की प्रक्रिया में इसे नमक डालकर उसे गलाया जाता है. इससे अचार में प्रोबायोटिक बैक्टीरिया बनते हैं, जो पाचन के लिए काफी अच्छे होते हैं...
- अचार वास्तव में मौसमी सब्जियों या कच्चे फलों को संरक्षित करने की प्रक्रिया है. यही वजह है कि इसमें एंटीऑक्सीडेंट्स होते हैं. ये कई तरह की एलर्जी से आपको बचा सकता है.
- घर पर बनाए जाने वाले अचार के डिब्बों को धूप दिखाई जाती है. जिसके चलते इनमें कई विटामिन और मिनरल होते हैं.
- अचार को ज्यादा दिनों तक ठीक रखने के लिए इसमें सिरके का इस्तेमाल किया जाता है. सिरके में काफी मात्रा में एसिटिक एसिड होता है जो हीमोग्लोबिन बढ़ाता है.
- अचार में विटामिन K के भरपूर होता है. जो ब्लड क्लॉटिंग में मददगार है. यह चोट लगने पर उस घाव को भरने और खून के बहाव को रोकने में मददगार है.
हो सकते हैं नुकसान भी...
- क्योंकि अचार में काफी मात्रा में सोडियम होता है यह कई तरह की समस्याएं पैदा कर सकता है. यह हाइपरटेंशन से परेशान लोगों के लिए ठीक साबित नहीं होता साथ ही ब्ल्ड प्रेशर के मरीजों के लिए भी अच्छा नही है.
- बाजार में मिलने वाले अचार में प्रिजेरवेटिव्स होते हैं, जो सेहत के लिए खतरनाक साबित हो सकते हैं.
- आचार में बहुत ज्यादा तेल, नमक और सिरके का इस्तेमाल होता है. यह सेहत के लिए नुकसानदेय साबित हो सकता है.
कई बार अचार में चीनी का इस्तेमाल भी किया जाता है. यह डायबिटीज के मरीजों के लिए ठीक नहीं.
भुवनेश्वर.ओडिशा में एक किसान ने अपनी मेहनत से गांव के सैकड़ों लोगों की मुश्किलें दूर कर दीं। 70 साल के दैत्री नायक ने तीन साल कड़ी मेहनत करके गांव में एक किलोमीटर लंबी नहर खोद डाली। वो भी तब जबकि ये इलाका बहुत ही पथरीला था। इससे पानी की कमी से जूझ रहे गांव के लोगों को रोजमर्रा के काम और खेती के लिए भरपूर पानी मिल सकेगा।
- मामला केन्दुझर जिले का है। यहां बांसपाल, तेलकोई और हरिचंदपुर ब्लॉक में सिंचाई के लिए कोई इंतजाम नहीं था। खेती के लिए लोगों को बारिश के पानी पर ही निर्भर रहना पड़ता था। रोजमर्रा के काम के लिए भी वो लोग तलाब के गंदे पानी का इस्तेमाल कर रहे थे।
- प्रशासन ने इस पहाड़ी इलाके में पानी के लिए कोई इंतजाम नहीं कराया था। ऐसे में बैतरणी गांव के दैत्री नायक ने यहां पानी लाने की ठानी। दैत्री ने बताया, ''मैंने अपने परिवार के साथ नहर बनाने का काम शुरू किया। पानी के इंतजाम के लिए मैंने तीन साल तक पहाड़ों को तोड़ा और खुदाई की। मेरे परिवार वालों ने पत्थर हटाने में मेरी मदद की। नहर खुदने के बाद पिछले महीने गांव में पानी लाया जा सका है।''
अक्सर लोग अपनी हाइट को लेकर चर्चा में रहते हैं। ऐसे ही एक पुलिस कर्मचारी फिलहाल अपनी हाइट कि वजह से चर्चा का विषय बने हुए हैं। पंजाब पुलिस में कार्यरत अमृतसर के जगदीप सिंह को पंजाब का बच्चा बच्चा जानता है। अपने कद के कारण जगदीप सिर्फ भारत में ही नहीं पूरी दुनिया में जाने जाते है। लोगों का व्यवहार उनके प्रति किसी सेलेब्रिटी से कम नहीं है, उनके घर से बाहर निकलते ही लोग उनके साथ सेल्फी लेने लगते हैं।
इन्हें गर्व है अपनी लम्बाई पर
जगदीप हाइट 7 फूट 6 इंच है और पंजाब आर्म्ड पुलिस में काम कर रहे है, वे दुनिया के सबसे लम्बे पुलिसमैन है। उन्हें अपने इस ऊंचे कद पर गर्व है, उनकी उम्र 35 साल है और वो 18 सालों से पुलिस में काम कर रहे है। उन्हें 19 नंबर का जूता पहनना पड़ता है और उनका वजन 190 किलो है।
लम्बाई के कारण कई परेशानियां भी
जगदीप को उनकी हाइट के कारण कई सारी दिक्कतों का सामना भी करना पड़ता है, उनके साइज़ के कपड़े बाजार में नहीं मिलते इसलिए उन्हें अपने लिए स्पेशल आर्डर देकर कपड़े बनवाने पड़ते है और अपनी कद काठी के कारण उन्हें यूनिफार्म भी स्पेशली तैयार करवानी पड़ती है। कहीं बाहर जाने पर तो सोने में और वाशरूम के इस्तेमाल में काफी दिक्कतें आती हैं।
शादी के लिए लड़की ढूंढने में लगी मेहनत
वो बताते हैं कि उनकी शादी के लिए घरवालों को काफी परेशान होना पड़ा था। लड़की ढूंढने में काफी वक़्त लग गया था, लेकिन फिर एक लड़की मिल ही गई। उनकी पत्नी की हाइट 5 फीट 11 इंच है, जगदीप कि पत्नी सुखबीर बताती हैं कि उन्हें अपने पति के सबसे लंबे पुलिसवाले होने पर गर्व है।
लोगो के मजाक का भी किया सामना
जगदीप की मॉं बताती हैं कि वो बचपन से ही बाकि बच्चों से अलग था उसकी कद काठी को देख बच्चे उसका मजाक बनाया करते थे, लेकिन जगदीप ने कभी किसी बात को दिल पर नहीं लिया। उसे अपनी हाइट पर गर्व है अब वही उसकी पहचान बन गई है।