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आज की इस भाग दौड़ भरी ज़िंदगी में हम कई तरह की चिंताओं से घिरे रहते हैं। तनाव तो हमारे जीवन का एक हिस्सा बन गया है, ऐसे में हम खुशियों से बहुत दूर हो जाते हैं। उतार चढ़ाव तो जीवन में आते ही रहते हैं, अगर हम ज़िंदगी में संतुलन बनाकर चलें और यह जान लें कि ज़िंदगी का असली मज़ा छोटी छोटी खुशियों को जीने में है तो सब कुछ हमारे लिए बहुत ही आसान हो जाएगा।
कई बार हम पैसा, नाम और इज़्ज़त कमाने में इतने डूब जाते हैं कि हम यह देख ही नहीं पाते कि हमारे आस पास भी ऐसी कई छोटी छोटी चीज़ें हैं जो हमें खुशियां दे सकती हैं। खुश रहने के लिए सबसे पहले ज़रूरी है खुद से प्यार करना और उन बातों से दूर रहना जिनसे आप दुखी होते हैं। इसके बावजूद यदि खुशियां आपके पास नहीं आती हैं तो आप खुशियों के पास जा सकते हैं। लेकिन इसके लिए ज़रूरी है कि आप कुछ बातों को अपने ध्यान में रखें।
तो चलिए हम आपको खुश रहने के कुछ आसान नियम बताते हैं जिनसे आप एक खुशमिज़ाज इंसान बन सकते हैं और साथ ही अपने जीवन का भरपूर आनंद भी उठा सकते हैं।
अपने स्वास्थ्य का ध्यान रखें
खुश रहने के लिए सबसे ज़्यादा ज़रूरी है कि आप अपनी सेहत का पूरा ध्यान रखें क्योंकि कमज़ोर शरीर दिमाग को भी कमज़ोर बना देता है। ऐसे में आपके सोचने समझने की शक्ति भी कम हो जाती है और आप नकारात्मक विचारों से घिरे रहते हैं। अगर आप स्वस्थ रहेंगे तो अच्छा सोचेंगे और अच्छा काम भी करेंगे। इसके लिए बेहतर खान पान के साथ आपको व्यायाम भी करना होगा।
ज़रुरत से ज़्यादा किसी बात को लेकर चिंता करना आपके लिए किसी भी तरह से ठीक नहीं होता। इससे आप शारीरिक और मानसिक दोनों ही रूपों से बीमार हो सकते हैं। बेहतर होगा आप अपने दिमाग को थोड़ा आराम दें इससे आप अपने जीवन में सकारात्मक चीज़ों पर ध्यान दे पाएंगे। अधिक चिंता और तनाव के कारण आपकी बची हुई ख़ुशियां भी समाप्त हो सकती हैं।
छोटी छोटी जीत का भी जश्न मनाएं
अकसर हम बड़ी बड़ी मुश्किलों में उलझे रह जाते हैं और अपनी छोटी छोटी जीत को नज़रअंदाज़ कर देते हैं। हम यह भी भूल जाते हैं कि इनसे भी हमें खुशियां मिल सकती हैं। ऐसे में हमारे लिए अच्छा यही होगा कि हम अपनी समस्याओं का समाधान ढूंढें और साथ ही हर दिन होने वाली छोटी ही सही मगर अपनी जीत का भरपूर आनंद उठाएं। इससे आपका आत्मविश्वास और मनोबल भी बढ़ेगा।
लोगों का शुक्रिया अदा करें
कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जो अपनी जीत की खुशियां मनाने में इतने व्यस्त हो जाते हैं कि उन लोगों को भूल जाते हैं जिन्होंने किसी न किसी तरीके से उनकी जीत में अपना योगदान दिया होता है। ऐसा करना बिल्कुल गलत होता है। आपको हमेशा ऐसे लोगों का शुक्रिया अदा करना चाहिए जिन्होंने सफलता प्राप्त करने में आपकी मदद की है और जिनकी वजह से आपके जीवन में छोटी छोटी खुशियां आती हैं।
अगर आप किसी भी काम को करने से पहले योजना बनाकर चलेंगे तो आपको सफलता और संतुष्टि दोनों ही मिलेगी। इसके अलावा अगर आपने भविष्य में कुछ मज़ेदार करने का सोच रखा है तो उसके लिए भी आप अपनी योजना पहले ही बना लें ताकि बाद में आप केवल मौज मस्ती ही करें। ना कि बेवजह की चिंता में अपना क़ीमती समय व्यर्थ करें।
मुस्कुराएं
जीवन में मिलने वाली छोटी खुशियों और चीज़ों पर मुस्कुराना न भूलें। इससे आपका दिन और भी बेहतर हो जाएगा। खुद भी हंसे और दूसरों को भी हंसाएं। कहते हैं खुशियां बांटने से और भी बढ़ती है।
::/fulltext::सोशल मीडिया के सभी प्लेटफार्म अपनी अलग-अलग खूबियां रखते हैं। उन सबका उद्देश्य भी अलग-अलग है, लेकिन कई लोग यह गलती कर जाते हैं कि वे इस अंतर को नहीं समझ पाते। उन्हें लगता है कि सारे प्लेटफार्म सोशल मीडिया के हैं और वे उसका उपयोग किसी भी तरह कर लेना चाहते हैं, जबकि यह सही तरीका नहीं है। फेसबुक, ट्विटर, यू-ट्यूब, वाट्सएप, इंस्टाग्राम, स्नैपचेट, गूगल प्लस, पिंटरेस्ट आदि हर प्लेटफार्म का अल्गोरिदम अलग-अलग है और वे अलग-अलग तरीके से बनाए गए सर्च इंजन के मुताबिक पसंद-नापसंद का चयन करते हैं। इस बात को सोशल मीडिया के कई विशेषज्ञ भी समझ नहीं पाते और वे ऐसी गलतियां कर जाते हैं, जो नहीं की जानी चाहिए।
अव्वल बात तो यह कि अनेक संस्थाओं और व्यावसायिक प्रतिष्ठानों की सोशल मीडिया को लेकर कोई पॉलिसी है ही नहीं। उन्हें जो सूझता है, उसे ही वे करने बैठ जाते हैं, जबकि ऐसा नहीं है। कुछ विद्वानों ने सोशल मीडिया की तुलना इसीलिए अंधों के हाथों से की है। सब अपनी-अपनी कल्पना और अंदाज से सोशल मीडिया पर उपस्थिति दर्ज कराते रहते हैं। कई बार हम देखते हैं कि कंपनियां अपने प्रोडक्ट को लोकप्रिय बनाने के लिए सोशल मीडिया के हर एक प्लेटफार्म पर सक्रिय हो जाती हैं। उन्हें लगता है कि सोशल मीडिया से ही उनका कारोबार बढ़ेगा। वास्तविकता यह है कि जब वे अपने कारोबार पर ध्यान देंगे और उसे बढ़ाने के लिए प्रयत्न करेंगे, तब सोशल मीडिया उसमें मदद करेगा, लेकिन सोशल मीडिया के माध्यम से ही कारोबार होने लगेगा, यह एक कल्पना मात्र है।
कई लोग एक ही पोस्ट को सोशल मीडिया के हर प्लेटफार्म पर जैसे का तैसा शेयर कर देते हैं। यह बेहद उबाऊ और घटिया काम है। इसलिए कई बार हमें फेसबुक पेज पर ट्विटर के हैशटैग नजर आ जाते हैं और इंस्टाग्राम के भी। ऐसा करने से यूजर्स को लगता है कि अगर संस्थान के पास इतना धीरज भी नहीं है कि हर एक के लिए अलग-अलग पोस्ट लिखी जा सकें, तो उससे क्या अपेक्षा की जाए? यह ऐसा ही है, जैसा कि प्रिंट का विज्ञापन टेलीविजन में दिखा दिया जाए और टेलीविजन के विज्ञापन को प्रिंट में दिखाने की कोशिश की जाए।
सोशल मीडिया पर अनेक लोगों के पोस्ट बेहद मशीनी होते हैं। साफ-साफ नजर आता है कि यह कंट्रोल+कॉपी+पेस्ट किया गया मैटर है। कोई भी यह अपेक्षा क्यों करता है कि जिस पोस्ट को लिखने के लिए आपके पास समय नहीं है, उसे पढ़ने के लिए यूजर्स वक्त निकालेंगे। बिना मानवीय भावनाओं और संवेदनाओं के सोशल मीडिया पर कोई भी पोस्ट अपना असर और प्रभाव नहीं छोड़ सकती।
कई लोग समझते हैं कि हैशटैग लगा देना ही काफी है। वे यह भूल जाते हैं कि हैशटैग तभी महत्वपूर्ण होता है, जब सही जगह सही हैशटैग का इस्तेमाल किया जाए। कई सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर हैशटैग उतने प्रभावी माध्यम नहीं भी हैं। इंस्टाग्राम में उपयोग किया जाने वाला हैशटैग फेसबुक पर शायद कोई प्रभाव ना छोड़ पाए। कई लोग सोशल मीडिया पर ही ज्ञान की गंगा बहाने लगते हैं। उन्हें यह इतनी सी बात समझ में नहीं आती कि सोशल मीडिया के यूजर्स कोई गीता-रामायण पढ़ने नहीं आए हैं। उन्हें यहां जीवन का दर्शन नहीं चाहिए। न ही उन्हें यहां आपके जीवन की महानताओं के किस्से पढ़ने में रुचि है। आपकी पोस्ट को देखने और लाइक करने वाला भी आपके ही जैसा सामान्य व्यक्ति है और उसे भी उतना ही ज्ञान प्राप्त है, जितना कि आपको है। भले ही ऐसा नहीं भी हो, पर वह समझता है कि ज्ञान के मामले में वह यूजर कोई कम नहीं है। ऐसे में सोशल मीडिया पर ज्ञान की गंगा बहाना व्यर्थ है।
छोटी-मोटी बातों को ध्यान दिया जाए तो सोशल मीडिया का प्रयोग और प्रभावी उपयोग कोई भी कर सकता है। आंखें मूंदकर किसी का अनुसरण न करें। अपना दिमाग लगाएं और सही लोगों तक पहुंचें। यही सोशल मीडिया पर लोगों की दरकार रहती है।
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